कर्तव्य – चाँदनी झा : Moral Stories in Hindi

“अंगूठी का नगीना” तुम सिर्फ मेरे लिए हो बेटा। मैं दुनिया से तुम्हें उम्मीद करना नहीं, अपना कर्तव्य करना सिखाना चाहती हूँ। बाकी सारी समस्याएं खुद हल हो जायेगी। दरअसल रवि, अपनी माँ का एकमात्र और इकलौता बेटा था।

माँ के लाड़-दुलार और अत्यधिक देख-रेख के कारण वह बस प्यार पाना जानता था। जबकि दुनिया में प्यार या सम्मान, स्नेह, बड़ी मुश्किल से मिल पाता है। यहां तो बस काम के रिश्ते होते हैं।

रवि को अपने ही कार्यालय की आरुही की चंचलता से प्यार हो गया था। पर आरुही, का ध्यान रवि के तरफ नहीं था। रवि से वो सहकर्मी के नाते बात तो करती थी, पर….प्यार-व्यार की एहसास से दूर थी।

वहीं जब एक दिन रवि ने,… आरूही से कहा, “आई लव यू” आरुही चौंक गयी। और बोलने लगी, “रवि तुमने ऐसा सोचा भी कैसे? तुम मेरे टाइप नहीं हो।” जबकि रवि को विश्वास था,

उसे कोई प्यार के लिए मना नहीं कर सकता। इस कारण रवि को आरोही की बातों से गहरा धक्का लगा, और वह टूट सा गया। माँ को जब अपने बेटे की असलियत का एहसास हुआ,…

उसने उसे, दुनिया में स्वीकार, और अस्वीकार दोनों है बताया। बस एक माँ ही है जहां सबकुछ स्वीकार्य है। माँ ने कहा, बेटा, दुनिया से तुरंत लेना नहीं, पहले देना सीखो। अपना शत प्रतिशत,

अपना विचार, अपना कर्म दुनिया को दो। जब दुनिया तुम्हें जानेगी, तब तुम्हारी योग्यता के अनुसार खुद सबकुछ हासिल हो जायेगा। माँ के समझाने के बाद….रवि सपनों की दुनिया से निकल, हकीकत से वाक़िफ हुआ, और अपने कर्मों के प्रति समर्पित हो गया।

 

चाँदनी झा 

#अंगूठी का नगीना

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