कारगिल_एक_प्रेमकथा (भाग-14) – अविनाश स आठल्ये : Moral stories in hindi

===================​

अब तक आपने पढ़ा- उर्वशी से मिलने मेजर बृजभूषण पांडे बाइक से शिमला आ जाते हैं, दोपहर को शिमला के समीप ही किसी झील के किनारे मेजर पांडे बड़े ही रोमांटिक अंदाज़ से अपना वेलेंटाइन डे मनाते हुये अपनी प्रेमिका उर्वशी से प्रेम का इज़हार करतें हैं।

=====================

अब आगे..

उर्वशी अपलक मेज़र साहेब की साफ़गोई देखती सुनती रही, वह बोली मैं तो उर्मिला की शादी में आपकी आवाज़ सुनकर ही मोहित हो गई थी, वैसे मुझे बचपन से ही आर्मी वाले बहुत पसंद है, मेरा तो सपना ही था कि मैं आर्मी जॉइन करूँ मग़र शायद किस्मत को यह मंजूर नहीं था, मैं आर्मी के फिजिकल टेस्ट में ही बाहर हो गई।

मेज़र साब जब मैने आपकी आवाज़ से प्रेम  किया तब मुझे नहीं पता था कि आप आर्मी में हो, जब पता चला कि आप आर्मी में हो तो प्रेम और बढ़ता गया, मेरा पसंदीदा आइडियल शख्स मेरा जीवनसाथी बने इससे ज़्यादा मुझे और क्या चाहिये, मगर तब तक मैने आपके ज़िस्म की खूबसूरती ही देखी थी, मग़र जिस सच्चाई से आपने अपनी जिंदगी और फौजी जीवन के बारे में बताया, मैं समझ गई हूँ कि आपका मन तो आपके तन से भी ज़्यादा पवित्र है। मुझे सच में आपके मन से भी प्यार हो गया है।

उर्वशी ने मेज़र साहब की हथेलियों को अपने हाथों में लेकर बोली आज से मैं आपको तन और मन से अपना मानती हूँ।

मेजर पांडे ने कहा.. उर्वशी यह झील का चमकता हुआ पानी.. यह चीड़ और देवदार के वृक्ष, ये हवा यह मिट्टी गवाह होगी हमारे प्यार की, अब तुम्हें मुझसे भगवान भी अलग नहीं कर सकता, कहकर उसने उर्वशी को “आलिंगन” में ले लिया उर्वशी भी जैसे बहती नदियां किसी समंदर में मिल जाती हैं, मेज़र साहब की बाहों के दायरे में खुद को समेटती चली गई।

मेज़र साहब को अहसास हुआ कि उर्वशी तो भावनाओं में बहकर खुद पर नियंत्रण खो रही है तो उन्होंने खुद को संयमित करते हुये कहा  उर्वशी अब हमें चलना चाहिए, मुझे अंबाला भी तो जाना है न तुम्हें शिमला छोड़कर..

उर्वशी का मन बिल्कुल नहीं था कि मेज़र साहब उसे छोड़कर जाएं मग़र वह समझ रही थी कि यदि उसने मेजर पांडे का और वक्त लिया तो उनको अम्बाला पहुँचने के रास्ते मे अंधेरा हो जायेगा।

दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़कर उस पहाड़ी से नीचे खड़ी रॉयल एनफील्ड तक पँहुचते हैं, वहां एकांत में बाइक सुरक्षित खड़ी थी। मेजर पांडे ने किक मारककर रॉयल एनफील्ड स्टार्ट की ही थी कि, उर्वशी ने उन्हें रोककर कहा, मुझे दो मिनट कुछ कहना है..

मेजर पांडे ने चिंतित होकर कहा.. निश्चिंत होकर कहो..

उर्वशी ने कहा, आप इतनी दूर से अम्बाला से यह बाइक चलाकर मेरे ही लिए आये और मुझे आज वेलेंटाइन डे पर इतना खूबसूरत गिफ्ट “प्यार का इज़हार ” दिया.. मगर मैने आपको क्या दिया..

मैं आपको कुछ देना चाहती हूँ..

उर्वशी ने मेज़र पांडे के माथे को चूमते हुये कहा.. मेरे इन अधरों का “प्रथम पुरुष स्पर्श” आपको समर्पित करती हूँ।

उर्वशी मेजर पांडे के साथ शिमला सिटी तक पहुँच गई, वहीं एक रेस्टोरेंट में उन दोनों ने चाय और स्नैक्स लिया, उसके बाद उर्वशी को उसके घर पर छोड़कर, मेजर पांडे अम्बाला के लिए निकल गये।

                                 ★

उस दिन उर्वशी का किसी काम मे मन नहीं लगा, वह दिनभर पलंग पर लेटे लेटे मेज़र पांडे के हसीन ख्यालों में खोई रही.. रात लगभग 9 बजे जब वह डिनर करके फुर्सत हुई तभी मेज़र पांडे का  टेलीफोन आता हैं, वह अपने सकुशल अम्बाला पहुँचने की सूचना देतें हैं। मेज़र पांडे ने कहा.. वह सारे रास्ते ही उर्वशी के ख्यालों में खोए हुये थे.. कमोबेश यही हाल तो उर्वशी का भी था।

उस दिन से जो उन दोनों का फ़ोन पर प्यारभरी बातें करने का सिलसिला शुरू हुआ वह बस चलता ही रहा..

अब तो रोज़ ही ऑफिस से घर आने के बाद देर रात दोनो ही फोन पर घण्टों बातें किया करतें।

मैं शादी के बाद अपना जॉब छोड़कर तुम्हारे साथ ही रहूंगी, उर्वशी ने कहा।

मेजर पांडे बोले.. नहीं नही मेरे जॉब में रोटेशन में फील्ड और बेस एरिया में पोस्टिंग होती है।

अभी साल भर से मैं अम्बाला बेस कैंप में पोस्टेड हूँ, अगली पोस्टिंग पूँछ या अंततनाग में संभावित हैं, फील्ड एरिया में सुरक्षा कारणों से फ़ेमिली को साथ मे रखने पर प्रतिबंध है, बस वह डयूटी हो जाने के बाद जब फिर से मेरी पोस्टिंग बेस एरिया में होगी तब तुम जॉब छोड़ सकती हो, वरना इतना लंबा वक्त अकेले कैसे काटोगी।

कहतें हैं न कि “इश्क़ और मुश्क छुपाये नहीं छुपते” इन दोनों प्रेमियों के प्यार की खबरें भी वन्दना दीदी और पंकज जीजाजी के द्वारा उनके ससुर महेश्वर तिवारी जी तक पहुंच ही गई। लड़का सजातीय है और आर्मी में मेज़र पद पर है साथ ही उर्वशी को भी बेहद पसंद हैं तो भला तिवारी जी को क्या समस्या हो सकती थी उन दोनों के विवाह के लिए।

महेश्वर तिवारी जी ने मेजर ब्रजभूषण पांडे के पिताजी से बात करके उन दोनों के रिश्ते की बात कर ली.. अप्रैल के  प्रथम सप्ताह उन दोनों की सगाई पक्की कर ली जाती हैं।

पंकज गौतम के पिता ने सुझाव  दिया कि यदि सगाई पचमढ़ी अथवा उमरिया जाकर की तो सभी का बहुत वक्त बर्बाद होगा, यदि उसकी जगह सगाई में दोनो तरफ़ से ही सिर्फ गिनती के मेहमान आये तो हम ” भोपाल” के बड़े होटल में सगाई कर सकतें है, विवाह के लिए चाहे तो पचमढ़ी अथवा उमरिया आप लोगों को जो उचित लगे, वहाँ पूरी बारात लेकर कर सकते हैं।

गौतम जी की बात पांडे और तिवारी परिवार को जम गई..।

इसी प्लान के अनुरूप उर्वशी और मेज़र बृजभूषण पांडे की सगाई अप्रैल में प्रथम सप्ताह में ही भोपाल के एक नामी होटल में धूमधाम से सम्पन्न हो जाती है।

====================

अगला भाग

कारगिल_एक_प्रेमकथा (भाग-15) – अविनाश स आठल्ये : Moral stories in hindi

अविनाश स आठल्ये

स्वलिखित, सर्वाधिकार सुरक्षित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!