कैसी किस्मत पाई है? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

मम्मी जी! आपकी रिपोर्ट आ गई है, उनका फोन आया था अभी, वह शाम को घर लौटते वक्त ले आएंगे, पलक ने अपनी सास नर्मदा जी से कहा

नर्मदा जी:  तो क्या है उस रिपोर्ट में?

 पलक:  अभी ज्यादा कुछ तो बताया नहीं, पर आपका ऑपरेशन जल्द से जल्द करवाना पड़ेगा, बाकी का आकर बताएंगे, यही कहा उन्होंने 

नर्मदा जी:  बाकी का आकर और क्या ही बताएगा? यही के इसमें बहुत खर्च होगा जो, उसके पास नहीं है, पिता जैसे बड़े भाई से कह नहीं सकता, क्योंकि उससे रिश्ते पहले ही खराब कर चुका है, अब और क्या ही बताएगा? 

पलक:  क्या मतलब हुआ इस बात का मम्मी जी? उन्होंने भैया से रिश्ते खराब किया? जबकि भैया भाभी को तो हमेशा से ही अपने पैसों का गुरूर था, बात-बात पर अपने ही छोटे भाई का अपमान करते थे, आप वह सब कैसे भूल सकती है मम्मी जी? अच्छा हुआ जो यह अभी घर पर नहीं है, वरना आपकी बातें सुनकर उन्हें बड़ा दुख होता 

नर्मदा जी:  क्या दुख होता? अरे अनुपम इतना बड़ा अफसर है दिन भर वह न जाने कैसे-कैसे लोगों से उलझता होगा? ऐसे में कभी गुस्सा विनय पर निकल गया होगा, तो क्या हुआ और अपना भैया अगर कुछ कह दे तो क्या हुआ? विनय को वह तो शुरू से ही समझाता था कुछ अच्छा कर लो, पर विनय कहां किसी की सुनता है? जो आज अनुपम का नाम पैसा है, तो वह उसका गुरुर तो करेगा ही ना? इसमें अपने ही भाई से जलकर उसे अनाप-शनाप कह देना कहां तक उचित है? अगर आज विनय अपने भैया से ना उलझती तो हम सब साथ ही रहते 

पलक:  मम्मी जी! आपकी बातों से लग रहा है आप हमारे साथ खुश नहीं है, ठीक है आने दीजिए उनको हम अलग हो जाएंगे, फिर भैया भाभी के साथ आप यहां रह सकेंगी

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 नर्मदा जी:   हां तुम तो अभी यही कहोगी, ताकि मेरे ऑपरेशन की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ सको 

पलक:  यह अच्छा है मम्मी जी! हम कुछ करें तो परेशानी कुछ ना करें तो परेशानी, यह कहकर पलक वहां से चली गई, शाम को जब विनय घर आता है, ऑपरेशन की बात भी चलती है, जिस पर विनय कहता है, डॉक्टर ने सलाह दी है जितनी जल्दी हो सके ऑपरेशन करवा ले, और उसके लिए 5 से 6 लाख तक खर्च आएगा, दवाइयां का बिल अलग, इतनी जल्दी इतने सारे पैसों का इंतजाम भी होना है वह कैसे होगा? 

नर्मदा जी झट से कहती है, क्या मुश्किल है? एक बार बस मेरे अनुपम को बताने की देर है और मैं जानती हूं, तू तो उससे बात करेगा नहीं और खुद भी कुछ कर सकेगा नहीं, इससे पहले विनय कुछ कहता नर्मदा जी अपना फोन निकाल कर अनुपम को फोन मिलाते हुए अपने कमरे में चली जाती है, पर अनुपम फोन नहीं उठाता है फिर नर्मदा जी कहती है, लगता है कि कहीं व्यस्त है, बाद में वह खुद ही करेगा, फिर वह कमरे से निकाल कर विनय से कहती है, विनय, मैं अनुपम से कह दूंगी, वह एक बार में सारे पैसे दे देगा, तू बस डॉक्टर से मेरे ऑपरेशन की तारीख तय कर ले

विनय:  मां, आपको लगता है भैया इसमें कुछ मदद करेंगे?

 नर्मदा जी:  हां बिल्कुल करेगा! मेरी भी क्या किस्मत है, एक बेटा है जो दुनिया भर की सुख सुविधा मुझ पर लुटा सकता है, पर मैं उसके साथ नहीं रहती और जो एक-एक चीज़ के लिए दूसरों का मुंह ताकता है, उसके साथ रहना पड़ता है 

विनय:  मां! यह कैसी बातें कर रही है आप? आपको मैं किस चीज़ की कमी रखता हूं और भैया ने न जाने कितनी ही बार छोटी-छोटी चीजों के लिए ताने सुनांए हैं, यहां तक की भाभी आपकी दवाइयां के खर्चों को लेकर न जाने कितनी ही बार हंगामा कर चुकी है, फिर भी वह अच्छे। उनको तो अपने पैसों का गुरुर था ही, पर लगता है  उनके पैसे आपके भी सर चढ़ गए हैं, पर मां, एक बात हमेशा याद रखना दूसरों की चीज़ों पर गुरुर करना और अपना सम्मान उनके हाथ देना, दोनों में ज्यादा फर्क नहीं है 

नर्मदा जी:  बेटा! यह तेरी गलती नहीं है, यह हम इंसानों की फितरत यही है जो काम हम नहीं कर सकते, वह काम अगर दूसरा करें, तो खुद को हम छोटा समझने लगते हैं और फिर दूसरे पर दोषारोपन करने लगते हैं, पर बुरा मत मानना बेटा, तूने मेरी सेवा तो की है, पर पैसों के मामले में हमेशा ही मेरी इच्छा है अधूरी ही रही है,

अब अभी ही देख लो मेरा वही बेटा इतने पैसे देकर मेरी जान बचाएगा, तेरी सेवा से तो मेरा ऑपरेशन नहीं हो सकता ना? यह कहकर नर्मदा जी अपने कमरे में चली गई और अनुपम को फिर से कॉल करने लगी, पर अनुपम उनके किसी भी कॉल का जवाब नहीं देता, अगली सुबह नर्मदा जी की तबीयत अचानक ज्यादा बिगड़ जाती है और उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, उनका ऑपरेशन भी हो जाता है, कुछ देर बाद जब उन्हें होश आया

तो अपने सामने अनुपम और उसकी पत्नी करुणा को खड़े देख वह कहती है, बेटा तू एकदम समय पर आ गया, वरना तेरी मां जिंदा नहीं होती, पर तू मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहा था? मैंने कल कितने कॉल लगाएं तुझे, कोई बात नहीं, जानती हूं इतना बड़ा अफसर है फुर्सत कहां मिलती होगी? पर बेटा तुझे तो पता है तेरा भाई इतना खर्च नहीं कर सकता मुझ पर, कभी-कभी अपनी मां की सुध भी ले लिया कर, उनकी क्या जरूरत है यह भी पूछ लिया कर? सोच रही हूं ऑपरेशन के बाद तेरे ही साथ रहूं,

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यहां तो तुझे पता ही है घर खर्चे में ही पैसे कम पड़ जाते हैं, मेरा खर्च ऑपरेशन के बाद तो और भी बढ़ जाएगा, अच्छा खाना पीना भी करना होगा, जो सिर्फ तेरे बस की ही बात है बेटा, अनुपम कुछ नहीं कहता, इधर पलक सारी बातें सुनकर काफी उदास थी, तभी करूणा कहती है, मम्मी जी! अभी आप आराम कीजिए, बाद की बाद में देखी जाएगी, हम अभी चलते हैं कल फिर आएंगे, वह दिन था और उसके बाद 6 दिन और नर्मदा जी अस्पताल में रही, पर अनुपम और करुणा फिर कभी नहीं आए,

आज उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली थी, जब वह घर जाने को तैयार हुई, तो उन्होंने विनय से कहा, अनुपम कहां है? लगता है बेचारा काफी व्यस्त हो गया है, इसलिए आ नहीं पाया, यह कार क्या उसी ने भिजवाई है? हां और कौन भिजवाएगा? मैं भी कैसे बेवकूफों वाले सवाल कर रही हूं? उसके बाद सभी घर पहुंच जाते हैं, घर पहुंचते ही नर्मदा जी जब कार से उतरती है तो उनके आस पड़ोस उनकी तबीयत पूछते हैं, तो वह बड़े गर्व से कहती है, हां ठीक हूं बस अनुपम और भगवान की वजह से सब कुशलपूर्वक हो गया,

इतने पैसों का इंतजाम एक झटके में करना कोई आसान थोड़े ही ना था? यह तो एक अफसर के ही बस की बात होती है, यह कहकर वह अंदर चली गई, फिर उन्होंने पलक से कहा, देखा पलक? तुम तो कहती थी भैया भाभी को पैसे का बड़ा गुरूर है, देखो इतना पैसा आकर खर्च करके चले गए, एक बार के लिए भी जताया भी नहीं, इसे कहते हैं असली बेटा, सब कुछ कर दिया चुपचाप 

पलक:   बस कीजिए मम्मी जी! अभी-अभी अस्पताल से आई है, आराम कीजिए, बेटे की नाम की माला बाद में जप लीजिएगा। नर्मदा जी: माला बेटे का ना जपु तो क्या तेरी जपु? उस दिन तो बड़ा कह रही थी अनुपम के बारे में, आज क्यों बोलती बंद है?

 पलक:  मम्मी जी! जब कुछ पता ना हो तो इतना ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए, सच तो यह है कि आपके ऑपरेशन का सारा खर्च इन्होने लोन लेकर किया है, आपको पता है जिस दिन आप भैया को ऑपरेशन के बारे में बताने के लिए फोन कर रही थी, उस दिन यह रिपोर्ट मिलने पर भैया को फोन पर पहले ही बताया था

और उनसे मदद भी मांगी थी, पर उन्होंने साफ मना कर दिया था, भैया से बातचीत बंद होने के बावजूद यह उनसे मदद मांगते हैं, सिर्फ आपके लिए, पर उन्होंने किसी भी मदद से मना कर दिया, यहां तक कि उस दिन भी इनके हजार बार कहने पर वह अस्पताल आए आपसे मिलने, आप जब उनके साथ रहने की बात कर रही थी ना तो वह परेशान हो रहे थे और इसलिए उसके बाद आपसे मिलने कभी नहीं आए, यह सारी बातें आपका छोटा बेटा शायद ही कभी आपको का बता पाए, क्या करें आजकल दुनिया बस पैसों की भाषा ही समझती है,

पैसा है तो लोग उसका दिया हुआ अपमान भी भूल जाते हैं और जिसके पास पैसा नहीं उसके किए गए हजार सेवा भी बेकार है। नर्मदा जी अब खामोश थी और विनय से नज़रे मिलाने से भी कतरा रही थी। वह अंदर ही अंदर खुद को कोस भी रही थी, पर विनय से क्या बोले यह समझ नहीं पा रही थी, ऐसे ही कुछ दिन बीतते हैं और अनुपम का फोन आता है नर्मदा जी को, और जब वह फोन उठाती है तो अनुपम कहता है, कैसी हो मां? वह काम में इतना व्यस्त हो गया था कि आपको फोन नहीं कर पाया, 

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नर्मदा जी:  हां मैं ठीक हूं! बताओ फोन कैसे किया?

 अनुपम:  मां! आपको मैं एक बड़े पार्टी में ले जाना चाहता हूं! आपको ऐसी कार में ले जाऊंगा और उसी से घर छोड़ दूंगा, वह क्या है ना मैं एक वृद्ध आश्रम में दान दक्षिणा करता हूं, तो मेरे इसी काम को सम्मान देने के लिए मेरे सहकर्मी और मेरे उच्च अधिकारी मुझे सम्मानित करना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा यह शुभ काम आपके ही हाथों से करवाई जाए, आप भी देखना आपके बेटे का रुतबा क्या है? और आपने अपने ही कोख से किसे जन्म दिया है? थोड़ी देर चुप रहने के बाद नर्मदा जी राजी हो जाती है

और अनुष्ठान वाले दिन अनुपम की भिजवाई कार उनके दरवाजे पर खड़ी होती है। अनुष्ठान में पहुंचकर नर्मदा जी बस अनुपम की तारीफें ही सुनती है, कोई कहता आप कितनी खुशनसीब है जो ऐसे इंसान को जन्म दिया और भी बहुत कुछ तभी, उन्हें भी मंच पर बुलाया जाता है, फिर वह मंच पर कहती है, आपके साहब और सहकर्मी बड़ा ही नेक काम करते हैं और करें भी क्यों ना भाई? इतने बड़े अफसर जो ठहरे, पर आपको पता है मुझे गर्व इसके मां होने पर नहीं है, यह सच है कि मैंने एक हीरे जैसे इंसान को जन्म दिया है,

पर वह मेरा छोटा बेटा विनय है यह नहीं, भले ही यह वृद्ध आश्रम जाकर हजारों वृद्धो के लिए दान दक्षिणा करता है पर जब मां की जान बचाने की बारी आई, उसका इरादा बदल गया, उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं है, पर मां के लिए वह नहीं है चलो मां के लिए नहीं है पर और बुजुर्गों की तो फिक्र करता है ना? दिखावे के लिए करें या फिर सच में मदद करना चाहता है, पर वह किसी की मदद तो कर रहा है ना? पर आज मैं यहां इसे छोटा करने नहीं आई थी, मैं तो बस बहुत दिनों से पड़े अपने दिल के बोझ को हल्का करने आई थी

और यह कहने आई थी कि, जिनके पास पैसा होता है उनके दिए गए अपमान को भी भूलकर लोग उनकी हां में हां मिलाते हैं, जो मैंने भी किया था कभी, पर एक बात अच्छे से समझ गई हूं, जिनको पैसों का गुरूर जिनको होता है ना, उनके लिए हर रिश्ता बस इस्तेमाल का होता है, जबकी दिल से रिश्ते निभाने वाले अपने समय पर आपका साथ निभाकर, आपके दिल पर अपनी छाप छोड़ देते हैं, जो यह पैसों के दम पर करने वाले सिर्फ कुछ ही हद तक हमें याद रहते हैं। उसके बाद नर्मदा जी घर जाकर विनय से लिपटकर खूब रोती है और अपने किए गए पर शर्मिंदा होकर, उससे माफी मांगती है 

दोस्तों! यहां एक सवाल आपसे है, क्या इस दुनिया में पैसा सच में इतना ताकतवर बन गया है की वह एक मां बेटे के रिश्तों में भी भेदभाव करने में समर्थ है? मुझे कमेंट में जरूर बताएं🙏🏻

धन्यवाद 

रोनिता कुंडु 

#पैसों का गुरुर

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