hindi stories with moral :
” केशव तुम्हे मेरी याद नही आती कहाँ तो कॉलेज के बाद एक दिन भी मुझसे बात किये बिना नही रह पाते थे कहाँ इतना समय हो गया मुझे यहाँ आये अब तुम्हे कोई परवाह भी नही !” रात मे अक्सर मीनाक्षी फोन मे केशव की तस्वीर से बात करती हुई शिकायत करती ।
बात तो केशव भी करता था मीनाक्षी की तस्वीर से ।
” मीनू तुम मेरी मानसिक स्थिति क्यो नही समझी तुम्हे पता है खुद को कितना नकारा समझने लगा था मैं जैसे मेरा कोई अस्तित्व ना हो हर जगह तुम्हारा और तुम्हारे पापा का नाम मेरा पीछा करता था एक चिढ सी हो गई थी खुद से जो तुम पर उतरती थी। माना मैं उस दिन ज्यादा बोल गया था पर तुम मुझे अपना समझती इस घर को अपना समझती तो ऐसे ना जाती मुझे छोड़ !” अक्सर केशव तस्वीर से ही अपने मन की बात साँझा करता।
” बेटा अब नौकरी भी लग गई अब क्या सोचा है तुमने ?” एक दिन सरला जी ने केशव से पूछा।
” सोचना क्या है माँ ?” जान के अंजान बनता केशव बोला।
” बेटा बहू को ले आ उसके बिना ये घर और तेरी जिंदगी दोनो सूनी है माफ़ी मांग ले उससे और मना कर ले आ उसे !” सरला जी ने बेटे का हाथ पकड़ते हुए कहा।
” माँ वो खुद गई है और खुद ही आएगी मैं नही जाऊंगा लेने उसे । वैसे भी किस मुंह से सामना करूंगा मैं उसके माता पिता का !” केशव शर्मिंदा होता हुआ बोला।
” अच्छा तो फोन तो कर ले बहू को जबसे गई है तूने बात तक नही की बेटा आपस की चुप्पी मे अक्सर रिश्ते हार जाया करते है । गिले शिकवे बात करके मिटा लेने चाहिए इससे पहले कि दूरी ही मजबूरी बन जाये !” सरला जी ने समझाया।
” ठीक है माँ कुछ दिन रुक जाओ फिर कर लूंगा फोन !” केशव बोला।
इधर मीनाक्षी के घर ….
” दी जीजू आपको कॉल भी नही करते क्या बात है तंग आ गये क्या वो आपसे इतने से दिनों मे !” माधव उसे छेड़ते हुए बोला।
” ज्यादा बकवास मत कर छोटा है छोटा रह समझा !” मीनाक्षी चिढ़ते हुए बोली।
” बेटा बात तो माधव सही कह रह है तुझे यहाँ आये पंद्रह दिन हो गये पर ना केशव का कोई फोन आया ना वो खुद मिलने आया सब ठीक तो है ना ?” अनिता जी ने बेटी की आँखों मे झाँकते हुए पूछा ।
” हाँ मम्मी सब ठीक है और उनका फोन आता है ना ऑफिस मे आप भी जाने क्या सोचती हो !” माँ से नज़र चुराती मीनाक्षी झूठी हंसी हँसते हुए बोली।
” तो यही बात तू मेरी आँखों मे देखते हुए क्यो नही कह पा रही और चेहरे पर बनावटी हंसी की जरूरत क्या पड़ी …हम्म ..बोल तो !” अनिता जी ने उसका चेहरा ऊपर कर कहा माँ का प्यार और अपनापन देख मीनाक्षी पिघल गई इतने दिन से खुद को मजबूत बनाये थी वो लेकिन अब एक दम से कमजोर पड़ गई और माँ के गले लग कर रो पड़ी । अनिता जी ने उसे चुप कराने की कोई कोशिश नही की क्योकि वो भी चाहती थी मीनाक्षी अपने दिल का गुबार निकाल ले । वो चुपचाप बस बेटी की पीठ सहलाती रही।
” मम्मी आपकी बेटी ना तो एक अच्छी बेटी बन पाई ना पत्नी !” काफी देर रो लेने के बाद मीनाक्षी बोली।
” ऐसा किसने कहा तुझसे कि तू अच्छी बेटी या पत्नी नही है । देख बेटा केशव ने जो कुछ किया वो बहुत गलत था जिसके लिए शायद हम उसे कभी माफ़ ना करे पर यहाँ बात तेरी है तू क्या चाहती है क्योकि हमने तेरी शादी भी तेरी खुशी के लिए की थी और आगे भी जिसमे तेरी खुशी हो बोल !” अनिता जी प्यार से बोली।
” आप सब जानती है !!” मीनाक्षी आश्चर्य से बोली।
” हाँ मैं क्या तुम्हारे पापा भी सब जानते है बल्कि वो तो।केशव से गुस्सा भी बहुत है और नही चाहते तू उस घर वापिस जाये।” अनिता जी बोली।
” मम्मी मैं केशव से बहुत प्यार करती हूँ वो भी मुझे प्यार करता है पर पता नही क्यो वो समझने को तैयार नही और मेरे बर्दाश्त की हद भी खत्म हो गई तो मैने वो घर छोड़ना उचित समझा ! मै जानती हूँ मम्मी मैने अपनी पसंद से शादी की थी पर अब केशव वो पहले वाला केशव रहा ही नही । हर वक्त अपनी इगो मे रहना चीखना चिल्लाना ये पहले वाला केशव नही है !” रोते हुए मीनाक्षी बोली।
” बेटा केशव ने सच मे बहुत गलत किया है पता नही क्यो प्यार का दम भरने वाले कुछ पुरुष पति बनते ही बदल जाते है । सब कुछ पता होने के बावजूद भी उन्हे पत्नी का खुद से किसी भी तरह से आगे होना बर्दाश्त नही होता । तब वो अपनी भड़ास निकालते है । अपनी कमी अपनी पत्नी को नीचा दिखा कर छिपाते है फिर उन्हे फर्क नही पड़ता सामने वाले पर क्या बीत रही हो उन्हे तो बस उसे रुला आत्मसंतुष्टि मिलती है !” अनिता जी ने कहा।
” लेकिन मम्मी केशव ऐसा बिल्कुल नही था तीन साल उसे परखा है मैने तभी बात आगे कदम बढाया है !” मीनाक्षी बोली।
” बेटा कभी कभी हमारी सारी समझ धरी रह जाती है । तू ये बता अब आगे क्या सोचा है तूने ?” अनिता जी बोली।
” मुझे कुछ समझ नही आ रहा मम्मी मैं आज भी केशव से उतना ही प्यार करती हूँ जितना पहले करती थी पर अपने आत्मसम्मान की कीमत पर मैं उस घर खुद से वापिस नही जाऊंगी !” मीनाक्षी बोली।
” ठीक है बेटा अभी केशव की नौकरी लगी है देखते है वो कितना तुम्हे प्यार करता है अगर ऐसा होगा तो वो खुद तुमसे सम्पर्क करेगा तब सोचते है क्या करना है तब तक आराम से रहो यूँ उदास रहकर कोई फायदा नही !” अनिता जी बोली तो मीनाक्षी माँ से लिपट गई।
अनिता जी ने सारी बात सुरेंद्र जी को बताई ।
” बेटा सोई हो क्या ?” सुरेंद्र जी ने बेटी से खुद बात करने की सोची और उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया।
” नही पापा आ जाइये !” मीनाक्षी जो की बिस्तर पर लेटी थी उठते हुए बोली।
” कैसा है मेरा बच्चा दो दिन से काम मे इतना मसरूफ था कि तुझसे बात भी नही हो सकी !” सुरेंद्र जी अंदर आ बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले।
” कोई बात नही पापा काम भी तो जरूरी है वैसे भी मैं बिल्कुल ठीक हूँ !” मीनाक्षी मुस्कुरा कर बोली।
” बेटा सच्ची सच्ची बताओ तुम्हे ये लगता है केशव तुम्हे लेने आएगा ?” सुरेंद्र जी बोले।
” हाँ पापा वो जरूर आएगा उसे अपनी गलती का एहसास होगा तो वो जरूर मुझसे माफ़ी मांग कर मुझे ले जायेगा वो भी मुझसे बहुत प्यार करता है !” मीनाक्षी बोली।
” ठीक है बेटा ईश्वर करे तेरा विश्वास जीत जाये और मेरी बेटी का घर फिर से बस जाये । चल अब अपने पापा के गले लग जा कितने दिन से नही लगी !” सुरेंद्र जी बोले और बेटी को सीने से लगा उसका माथा चूम लिया। थोड़ी देर बाद सुरेंद्र जी बेटी को सोने बोल चले गये।
मीनाक्षी ने अपने पिता से बोल तो दिया किन्तु उसे डर लग रहा था पिछले कुछ महीनों मे उसने जो केशव का रूप देखा है उसे देखते हुए उसे शंका थी केशव उससे माफ़ी मांगेगा भी उसे खुद की गलती का एहसास भी होगा ?
यही सब सोचते सोचते वो सो गई। इधर केशव भी हर दिन दिल दिमाग़ से बहस कर रहा था मीनाक्षी की याद उसे भी आती थी पर जब भी दिल मीनाक्षी को याद कर केशव को गलत ठहराता उसका दिमाग़ उसपर हावी हो जाता।
दोस्तों क्या मीनाक्षी का डर सही साबित होगा या फिर केशव वापिस आएगा मीनाक्षी से माफ़ी माँगने क्या लगता है आपको ?
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