कड़वाहट – तान्या यादव : Moral Stories in Hindi

सिया सांवली सलोनी सी एक अनाथ लड़की जिसे ससुराल वालों ने मनहूस कहकर घर से निकाल दिया। क्योंकि शादी के दिन ही उसके पति की मौत हो गई थी।  सिया रोते-रोते बस में चढ़ गई और जब होश में आई तब तक प्रयागराज पहुंच चुकी थी। सिया की जिंदगी शुरू होने से पहले ही समाप्त हो चुकी थी। सिया ने सोचा कि अब वह अपनी जान दे देगी। सिया उठी और आई हुई ट्रेन के आगे कूदने ही वाली थी की तभी किसीने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

उसने देखा तो एक लड़का था। कुछ देर तक दोनों एक दूसरे की आंखों मैं देखते रहे तभी सिया झटक कर उससे अलग हुई। और चिल्लाई की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे पकड़ने की लड़के ने कहा कि तुम लड़कियों को मरना बहुत आसान लगता है हिम्मत है तो अपनी परेशानियों का सामना करो। इतना कहकर लड़का वहां से चला गया। सिया सोच में पड़ गई कि मैं इतनी जल्दी कैसे हार मान सकती हूं। सिया ने कुछ कर दिखाने का निश्चय किया जल्दी ही

उसे एक प्राइवेट स्कूल में एक टीचर की जॉब मिल गई। एक दिन सिया जब स्कूल से आ रही थी तब उसने देखा रास्ते में कोई लड़का किसी को पीट रहा है। उसने गौर से देखा तो यह वही लड़का था जिसने सिया की जान बचाई थी। सिया सोचने लगी कि यह कैसा लड़का है किसी की जान बचाता है तो किसी को मारता है। पर फिर सिया अपने घर चली गई। अगले दिन स्कूल में उसे सभी अजीब अजीब नजरों से देख दे रहे थे वह सोच ही रही थी कि यह सब क्या हो रहा है तभी हेड मास्टर आए और स्कूल से निकल जाने की धमकी देने की माफी मांगने लगे। सिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह स्टाफ रूम की तरफ बढ़ गई वहां उसकी दोस्त ज्योति ने उसको बताया कि कल

हेड मास्टर की राघव ने बहुत पिटाई की है और धमकी दी है कि मेरी सिया को अगर स्कूल से निकला तो मैं पूरा स्कूल बंद करवा दूंगा। सिया ने कहा कि तुम उसे जानती हो क्या?  ज्योति के हां कहने पर सिया उससे मिलने चली गई सिया ने देखा यह तो वही लड़का है जिसने उसकी जान बचाई सिया के मन में उसके प्रति कड़वाहट भर गई। वह वापस चली गई। स्कूल में सबका बर्ताव सिया के प्रति बदल चुका था जिससे सिया परेशान हो उठी। सिया सोच रही थी कि सब कुछ ठीक हो जाएगा पर एक दिन राघव ने सिया का रास्ता रोक कर सबके सामने उससे प्यार करने का दावा कर दिया। सिया डर गई और दूसरी नौकरी ढूंढने लगी और ज्योति की मदद से उसे नौकरी मिल भी गई।

सिया उस शहर से थोड़ी दूर एक गांव में एक ठाकुर के पोते को ट्यूशन पढ़ाने लगी। ठाकुर बहुत दबंग था छोटी सी गलती पर बहुत बड़ी-बड़ी सजा देता था। सिया डरती थी पर सुकून में थी कि अब राघव की वजह से वह शर्मिंदा नहीं होगी। कुछ दिनों बाद वह भौंचक्की रह जाती है जब राघव उसे घर में आता है।  उसे पता चलता है कि राघव इस घर का बेटा है। सिया परेशान हो उठी एक तरफ ठाकुर की निर्दयता और दूसरी तरफ राघव सिया ने सोचा कि

वह इसी घर में रहेगी पर राघव के सामने नहीं आएगी। पर सिया से एक दिन हड़बड़ाहट में कीमती सामान टूट जाता है और  सिया राघवके सामने आ जाती है। राघव बहुत खुश होता है पर ठाकुर सिया को सजा देना चाहता है। राघव अपने पिता को सिया को सजा देने से रोकता है और कहता है कि जब तक यह लड़की इस सामान की कीमत ना चुका दे तब तक उसे है इस घर से कहीं नहीं जाने दिया जाए। सिया ने गुस्से से राघव की तरफ देखा और वहां से चली गई।

सिया सोचने लगी कि आज मैं सजा पाकर इस घर को छोड़कर हमेशा के लिए चली जाती लेकिन राघव की वजहसे उसे इसी नरक में रहना पड़ेगा। राघव सिया को मनाने का भरपूर प्रयास करता पर सिया उसे हमेशा दूर ही रहती। एक दिन सिया राघव के दोस्तों की बातें सुन लेती है सिया सोचने लगी की राघव ने यह सब उसे सजा से बचाने के लिए किया। उसे याद आया कि उसने राघव को कई बार गरीबों की मदद करते हुए देखा। राघव कैसा है अच्छा हैं बुरा है

इसी उधेड़-बुन में थी सिया की तभी राघव ने कहा कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और शादी करना चाहता हूं। सिया गुस्से में आ गई और कहने लगी कि क्या जानते भी हो कि प्यार क्या होता है कि बस शुरू हो गए। राघव ने कहा कि तुम बताओ तो सही कि मैं क्या कर सकता हूं तुम्हारे लिए सिया ने कहा कि मुझे इस घर से निकलना है बताओ निकालोगे। यह सुनकर राघव टूट गया और वहां से चला गया। थोड़ी देर बाद राघव आया और बोला कि अपना सामान पैक कर लो

मैं तुम्हें इस घर से निकाल कर ही रहूंगा। सिया सामान पैक कर रही थी और सोच रही थी कि क्या सच में यह सब प्यार के लिए कर रहा है सिया का भी दिल पिघलने लगा था लेकिन वह जानती थी कि मैं एक विधवा हूं और कोई भी विधवा से शादी नहीं करना चाहता इसलिए वह चुपचाप राघव के पीछे चलने लगी। बस स्टॉप पर राघव ने उसे अंतिम बार अपने एहसास के बारे में बताया तभी सिया ने कहा कि मैं एक विधवा हूं। राघव शॉक्ड हो गया कुछ नहीं बोला कुछ देर तक तभी सिया ने

कहा कि कहां गया तुम्हारा प्यार मैंने कहा था ना की प्यार पाने का नहीं निभाने का नाम है अब क्या हुआ तुम्हें राघव बोलो इतना कहकर सिया बस पर बैठने लगी की तभी किसीने उसका हाथ पकड़ा मुड़ कर देखा तो राघव था। सिया ने पूछा अब क्या हुआ राघव ने जवाब दिया कि मैं फिर भी तुमसे शादी करना चाहता हूं। सिया रुक गई उसके मन से राघव के प्रति कड़वाहट निकल चुकी थी और दिल में शरबत घुल गया था। सिया ने राघव का हाथ पकड़ा और चल पड़े अपने नए सफर की ओर।। 

मैं बहुत समय से बेटियां इनकी कहानी पढ़ती आई हूं मुझे बहुत अच्छी लगती थी। आज मन किया क्यों ना मैं भी एक कहानी लिखूं।

यह मेरी पहली कहानी है कृपया अपना प्यार और आशीर्वाद जरूर बनाए रखें

तान्या यादव 

4 thoughts on “कड़वाहट – तान्या यादव : Moral Stories in Hindi”

  1. बहुत ही सुन्दर भावात्मक कहानी,लिखती रहो। साधुवाद। लिखने के पश्चात कहानी को पुनः पढ़ने का प्रयास करेंगे तो जो छोटी छोटी त्रुटि होगी तो पता चल जाएगी। प्रथम प्रयास बहुत अच्छा है। अन्यथा नं लेँ

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  2. I’m Hindi bhojpuri film director
    I want make short film of your story please can I make
    Please contact us 9931501506

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