कदर तो कर लो सासु माँ… रश्मि प्रकाश: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “ क्या हुआ है तुझे.. देख रही हूँ जब से तेरी मम्मी अपने घर गई है तुम उदास रहने लगी हो?” तनु ने रति से पूछा 

“ क्या ही बोलूँ तनु…लग रहा नौकरी छोड़ कर बेटी को ही सँभालूँ… पर नौकरी छोड़कर सारी समस्याओं का हल निकल जाता तो छोड़ देती…घर कार इन सब का लोन …ये सब भी देखना होता उपर से अब कुहू के आने के बाद से धीरे-धीरे खर्चे भी बढ़ेंगे ही … मम्मी जब तक थी मुझे जरा सी भी परेशानी नहीं हो रही थी वो सब कुछ बख़ूबी सँभाल ही रही थी…

पर नितिन बार बार कहते रहते उनकी माँ बोल रही है… कब तक सास को अपने पास रखेगा.. मैं आ जाती हूँ… कुहू की देखभाल कर सकती हूँ अभी इतनी बूढ़ी नहीं हुई हूँ…. और ये सब सुन कर मैं मम्मी को भेज दी और सासु माँ आ गई।

अभी चार दिन ही हुए है लग गई वो नितिन के कान भरने में…,”तेरी बीवी कुछ नहीं करती…सुबह जल्दी जल्दी में कच्चा पका बना कर चल देती …दिन भर कुहू को सँभालने में मेरी कमर टूट रही … पता नहीं कौन सी नौकरी करती है या फिर मटरगश्ती करने जाती है ।”

ये सब सुन कर नितिन मुझे बोलने लगे ,”थोड़ा घर पर भी ध्यान दो… बेटी तुम्हारी ही है उसके लिए भी तुम्हारी ज़िम्मेदारी है…।”

सच कहू तनु जी किया बोल दूँ ,”हम दोनों कीं ज़िम्मेदारी है ..पर सास के तनी भौहें देख चुप हो गई बेवजह बोल कर अपना ही मूड ऑफ होगा..अब तू ही बता मेरा जी खट्टा ना होगा सास की इन बातों को सुन कर ?”

“यार सच में तेरी मम्मी के रहने पर तू कितनी निश्चिंत होकर काम करती थी…फिर से उन्हें ही बुला ले नहीं तो ऐसा कर थोड़ा तू भी यूँ ही बोलकर देख नितिन को नौकरी छोड़ ही देती हूँ जब माँ से कुहू नहीं सँभाली जा रही ।” तनु ने सलाह दिया 

“हाँ ये कर के देखती हूँ ।” कहते हुए दोनों बातों पर विराम लगा काम पर लग गई 

शाम को जब नितिन घर आया रति ने कहा,” नितिन माँ सही कह रही है मैं कुहू पर जरा भी ध्यान नहीं दे पा रही … मैं जॉब छोड़ ही देती हूँ…माँ का भी और कुहू का भी अच्छे से ध्यान रख पाऊँगी … बस वो जो लोन है वो आप देख लेना…सही है ना?”

“ पागल हो गई हो क्या.. यार इतनी अच्छी खासी सेलरी मिल रही है उसे छोड़कर घर पर बैठने की बेवक़ूफ़ी करने की सोच रही हो…. माँ है ना ….वो यही तो कह रही थी आने से पहले वो कुहू को सँभाल लेंगी… मैं बात करता हूँ माँ से नहीं तो तुम मम्मी को फिर से बुला लेना… जब तक कुहू स्कूल जाने लायक ना हो जाए हमें किसी ना किसी की मदद तो चाहिए ही होगी ।” नितिन रति की नौकरी छोड़ने की बात सुन घबरा गया था 

नितिन ने जब अपनी माँ से कहा कि ,“रति नौकरी छोड़ने की बात कर रही है ताकि आप दोनों का ध्यान रख सके .. पर माँ मेरी एक की सेलरी से कुछ नहीं हो सकता…कमाना हम दोनों को ही पड़ेगा बस थोड़े वक्त का आपका साथ चाहिए…रति की माँ जब तक थी उन्होंने बख़ूबी सब सँभाल लिया था फिर आप भी थोड़ी मदद तो कर सकती है ना….

आपके कहने पर ही मैंने उन्हें अपने घर जाने दिया नहीं तो वो कर भी रही थी कुहू को कैसे अकेले सँभालेंगी ..रति भी ऑफिस जाने से पहले बहुत काम निपटा कर ही जाती है.. माँ बड़े शहर में रहने के अपने खर्चे है मैं कैसे अकेले सब मैनेज करूँगा सोच कर देखो ना।”

ये सब सुन कर रति की सास की भौहें तन गई और उन्हें समझ आ गया कि उनकी कोई चाल काम ना करेगी बेटे के कान भरने से भी कोई फ़ायदा नहीं है क्योंकि बेटे की पसंद की शादी तिसपर बहू नौकरी वाली और इतनी सुविधा तो उनके अपने घर पर भी नहीं है… बड़ी बहू के साथ रहने पर भी उन्हें काम ही करना पड़ता है उपर से वो थोड़े सख़्त स्वभाव की है तो बात बात पर सासु को कुछ ना कुछ सुना ही देती है… कम से कम यहाँ रति कुछ कहती तो नहीं उपर से वो ही उनको डाक्टर के पास ले जाना दवा इन सबकी ज़िम्मेदारी उठाती है…

वो तो रति की नौकरी के खिलाफ बस इस वजह से हो रही थी कि बड़ी बहू सबको कहती रहती है मेरी देवरानी काम थोड़ी ना करती वो तो मटरगश्ती करने हर दिन बाहर निकल जाती है और सबको लगता है काम करती है.. ये सब सुन कर ही वो रति को घर पर कैसे रखा जाए इस  ताक में थी पर यहाँ तो बेटा भी उनकी बातों में ना आया ।

रति बाहर दरवाज़े पर ये सब सुनकर सासु माँ के जवाब का इंतज़ार कर रही थी ।

“ ठीक है बेटा तुम कहते हो तो रति को काम करने दो… जितने दिन होगा सँभाल लूँगी फिर बारी बारी  से कभी अपनी सास को और मुझे बुलाते रहना … सही है महानगरों के खर्चे अकेले कहाँ उठाए जा सकते हैं ।”सासु माँ ने मन मसोस कर कहा 

रति बाहर ये सुनकर उछलते हुए बोली,” सासु जी तुने मेरी कदर ना जानी अब आया समझ तो फिर मानी ।”

दोस्तों परिवार में बहुत तालमेल बिठा कर चलना पड़ता है… ना तो सबका स्वभाव एक जैसा होता है ना विचार एक जैसे.. कई बार ससुराल में बहू की वजह से सबके नाक में दम हुआ रहता तो कभी सबकी वजह से बहू के … थोड़ा परिस्थितियों को समझ कर एक दूजे का साथ देते रहना चाहिए तभी तो बहू की निगाहों में ससुराल वालों की इज़्ज़त बनी रहेगी और यही हाल ससुराल वालों का होता नई बहू  ने जहाँ अपनी राग अलापी सुर ताल बिगड़ने ही है।

तो भई वक्त की नज़ाकत को समझ कर काम करते रहो..।

रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा आपके कमेंट्स लिखने कि प्रेरणा देते हैं तो बस हमें प्रेरित करते रहे।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश

 

#सासु जी तूने मेरी कदर न जानी

 

 

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