कबीरा गर्व न कीजिए ! अभी नाव मझधार !! – बिमला महाजन : Moral Stories in Hindi

  राधिका के घर किट्टी पार्टी थी। किट्टी पार्टी में  होने के लिए सभी महिलाएं अपनी बेहतरीन ड्रेस में सज धज कर समय से पूर्व ही पहुंच चुकी थी। सब की नजर घड़ी पर थी ।

 ” ग्यारह बज गए हैं चलो जल्दी से पंक्चुअलिटी निकालो  ” मिसेज मेहता ने कहा ।

 इस बार  मिसेज सोनी की पंक्चुअलिटी निकली थी । अब तम्बोला की बारी थी ।तभी सोनिया  बोली ” अभी तक मोहिनी नहीं आई । कुछ देर इंतजार कर लेते हैं ।” 

  “वह शायद ही आए ” रजनी ने कहा 

” क्यों ? क्या बात है ? ” सोनिया ने जिज्ञासा व्यक्त की ।

 ” उनकी लड़की  कायरा का कुछ लफड़ा चल रहा है  ” रजनी ने रहस्यमय ढंग से कहा 

  सुनकर सब के कान खड़े हो गए ।अब सबका ध्यान रजनी की बातों पर ही था । सोनिया  मोहिनी की  खास मित्र थी । उसने एक दो बार बार कहा भी ” अरे ! छोड़ो भी ।चलो तम्बोला खेलते हैं । ” उसे कायरा के विषय में यूं सरे आम बात करना अच्छा नहीं लग रहा था ।

पर  उसकी सुनता कौन था ? किट्टी पार्टी की सभी महिलाओं को तो बात चीत के लिए  हॉट टॉपिक मिल चुका था । वह सब कहां पीछे हटने वाली थी ? फिर धीरे-धीरे  सब महिलाएं  छोटे छोटे ग्रुप्स में बंट गई  और     फिर तो पता नहीं किस किस के रिश्तों की बखिया उधेड़ी गई ।

    अब जब भी रजनी  मोहिनी से मिलती उस से मिलती वह घुमा फिरा कर कायरा के विषय में सवाल अवश्य करती । एक दिन मोहिनी ने  सब जानकारी बड़े विस्तार से दे कर उसकी सब  जिज्ञासाओं को शांत कर दिया । अब रजनी का चेहरा देखने लायक था । उसने मोहिनी से बड़ा अपनत्व  दिखाते हुए कहा 

” इतना कुछ हो गया , आप ने हमें कुछ बताया ही नहीं ।” मोहिनी ने  बड़ी गहरी नजरों से रजनी को देखा और बोली  ” मेरे ख्याल से हमारे सभी परिचित इस बात को जानते हैं ।” सुनकर रजनी ने नजरें झुका ली । इस प्रकार इस प्रकरण को विराम मिला । 

     परिस्थितियां बड़ी विकट  थी । उस पर रजनी ही नहीं  मोहिनी के अनेक  हितैषी , मित्रों, रिश्तेदारों तक ने  इस मामले को यथा संभव उछालने का प्रयत्न किया ।  उनके मनोबल को तोड़ने का प्रयत्न किया।शायद इसीलिए कहा गया है ” कुछ  तो लोग कहेंगे ,लोगों का  काम है कहना ” 

“जीवन है तो समस्याएं हैं , जीवन खत्म , समस्याएं खत्म । ” दूसरे “जहां समस्याएं हैं वहां उनका कोई न कोई समाधान भी है ” किसी प्रकार मोहिनी के परिवार ने इस समस्या से निजात पाने का समाधान निकाल ही लिया ।  पर घोर आश्चर्य ! अपने एक परम हितैषी से इस का जिक्र किया, तो बेसाख्ता  वह बोल उठे “नहीं ! कुछ मजा नहीं आया ।”

 ”  क्या ?” उनके पूछने पर वह इधर -उधर बगले झांकने लगे । यह तो स्पष्ट हो गया था कि वह उनकी परेशानी का तमाशा देख रहे थे । वैसे अच्छे सलाहकार, हितैषी मित्रों का सहयोग भी कम सराहनीय नहीं है । शायद इसीलिए रहीम दास ने कहा है”रहिमन विपदा हू भली ,जो थोड़े दिन की होय ।

हित अनहित या जगत में जान पड़े सब कोय ।।

अर्थात थोड़े दिन की विपत्ति अच्छी है , जिस से संसार में हितैषी लोगों का ज्ञान हो जाता है ।

  समय की यह विशेषता है कि अनुकूल हो या प्रतिकूल चुपचाप गुजर जाता है , पर अपने पीछे यादों के रूप में अपने पदचाप अवश्य छोड़ जाता है ।

 आज मॉल में रजनी को देखकर वह हैरान रह गई । सदा सजी संवरी रहने वाली रजनी का मुस्कुराता चेहरा एकदम मुरझा गया था । रजनी के बेटे ऑफिस में किसी महिला कर्मी से विवाहेत्तर संबंध हैं , जिसकी उड़ती उड़ती ख़बर उसने भी 

सुनी थी । रजनी का मुरझाया चेहरा देखकर वह सब समझ गई । रजनी ने चोर निगाहों से उसे देखा और चुपचाप मॉल से खिसक गई ।

          जब समाज में बदलाव की आंधी चलती है , तो कोई इस से अछूता नहीं रह पाता है । धीरे-धीरे सब पर इस का प्रभाव पड़ता ही है । किसी पर पहले और किसी पर बाद में । जैसे जब कहीं जंगल में आग लगती है, तो उसका प्रभाव दूर दूर तक पहुंचता है । वह आग आस पास के इलाके को तो  पूरी तरह ध्वस्त कर देती  ही है

पर उसकी आंच दूर दूर तक पहुंच कर  सभी पेड़ों और उनके सुकोमल नरम पत्तों को भी झुलसा देती है । सारे जंगल में अग्नि का जहरीला , दमघोंटू धुआं फैल जाता है और जंगल के सब जीव-जन्तुओं का जीना दुश्वार कर देता है ।कभी कभी तो उस प्रज्वलित अग्नि में से कुछ चिंगारियां उड़ कर सुदूर खड़े झूमते वृक्षों को भी अपनी चपेट में ले लेती हैं ।

         हमारे समाज का भी यह संक्रांति काल है । पुरानी परम्पराएं टूट रही हैं । पुराने जीवन मूल्यों का स्थान पर प्रेम विवाह , अंतर्जातीय विवाह ,तलाक, पुनर्विवाह , जैसे नए जीवन मूल्य ले रहे हैं । सास-ससुर तो व्यर्थ ही बदनाम हैं क्योंकि  आज के समय में संयुक्त परिवार में सामंजस्य स्थापित करना कोई मुद्दा ही नहीं है बल्कि पति पत्नी की आपस में एडजैस्टमैट एक गम्भीर मसला है  ।संयुक्त परिवार की प्रथा तो समाप्त प्राय ही है जिसका स्थान एकल परिवारों ने ले लिया है ।  बुजुर्गो को आश्रय देने के लिए जगह-जगह  वृद्धाश्रम खुल रहे हैं ।

  समाज  में सर्वत्र   एक उथल-पुथल मची है ,जिसका प्रभाव समाज के प्रत्येक वर्ग पर पड़ रहा है । आज अधिकतर परिवारों  की यह कहानी है ।बहन, बेटी ,बहू ,किसी को भी लेकर सब इस से दो-चार हो रहे हैं ।यह बात अलग है कुछ  परिवारों की जग-जाहिर है और  कुछ इसे छिपा जाते हैं ।फिर रजनी , सोनिया , राधिका कोई भी इससे अछूता कैसे रह सकता है ? शायद इसीलिए कहा गया है” जिनके घर शीशे के होते हैं , वह दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए ।”

             आज वह परिवार , जिन्होंने उनका उपहास उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ,उस  आंधी की चपेट में आ चुके हैं  और उन लोगों  से परामर्श लेने में संकोच नहीं करते हैं । शायद इसीलिए कबीर जी ने कहा है  :- “कबीरा गर्व न कीजिए ,कबहूं न हंसिए  कोय । 

अबही  नाव समुद्र में, का जाने क्या  होय ।। “अर्थात कभी भी किसी की परिस्थिति का मजाक नहीं बनाना चाहिए , पता नहीं अपने जीवन में कब , कौन सी परिस्थिति आ जाए ।

बिमला महाजन 

#अशान्ति

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