सुबह रोजमर्रा के काम से फुरसत पाकर पहला दीदार अखबार का किया ,जैसे ही पहले पेज पर नजर पड़ी ,आंखों में खुशी का धुंधलापन छा गया ।मन तकरीबन 10 साल पहले चला गया।
“बीबीजी आपको पता है नीचे वाले फ्लैट के गुप्ता जी के यहां क्या कांड हो रहा है ,और दो फ्लैट छोड़कर रहने वाले शरद बाबू के बेटे का क्या हाल-चाल है।”
रमा का यह रोज का काम था सुबह -शाम 2 वक्त आती और पूरी सोसाइटी की खबरें साथ लाती ,और सिर्फ वही नहीं उसकी बिटिया भी कहां कम थी।
“मां सही कह रही है बीबीजी और आपको पता है कंचन मैम शाम को ही निकल जाती है घूमने और वह जो ऊपर वाली रेखा जी है उनका तो कहना ही क्या, पता है उनका बेटा”……
सुबह ऑफिस निकलने की आपाधापी और साथ ही दोनों मां बेटी दोनों का यह अखबार!
मैंने बीच में ही टोकते हुए बिटिया को मना किया” तेरी मां का तो समझ में आता है पर तू तो अभी छोटी है ,पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दें और साथ ही कुछ अपनी मां को भी सिखा ,पढ़ -लिख कर कुछ अच्छा करेगी तो मुझे बेहद खुशी होगी।”
मेरी बातों का असर था या कुछ और…..
सोचते -सोचते आंखों का गीलापन अखबार पर उतर आया और तस्वीर को भिगो गया ,मगर नीचे लिखा साफ-साफ समझ आ रहा था।
‘ पेट पालने के लिए लोगों के घरों में झाड़ू पोछा बर्तन करने वाली रमाबाई और उनकी बेटी ,आज लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं ,जहां बिटिया कीर्ति ने 12 की परीक्षा में कला वर्ग से पहला स्थान प्राप्त किया है ,वहीं रमा भी उम्र के इस पड़ाव पर भी अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए आठवीं बोर्ड परीक्षा में प्रथम स्थान पर रही है।’
मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई, हर वक्त सोसाइटी की खबरें देने वाली जोड़ी !आज खुद पूरे शहर के लिए खबर बन चुकी थी।
टीना सुमन
मौलिक रचना
इंदौर