जीवनसाथी साथ निभाना – ऋतु गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

आज हमारी मां पूरे 2 महीने बाद व्हीलचेयर पर बैठकर एंबुलेंस से उतारा तो हम सभी के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान थी। हमारा छोटा भाई और पापा सहारा देकर मां को घर के अंदर ला रहे थे तो हम दोनों बहने और हमारी प्यारी भाभी और सभी बच्चों ने चाहें  हमारे बच्चे हो या भाई के सभी अपनी दादी ,नानी को थोड़ा स्वस्थ  देखकर बहुत खुश थे।

हर मां की तरह हमारी मां ने भी हम सभी भाई बहनों के पालन पोषण में घर गृहस्थी की जिम्मेदारी को निभाते निभाते पूरी उम्र गुजार दी, हम सभी भाई बहनों को काबिल बनाया ,हर सुख दुख से अपने बच्चों को बचाते हुए अपने बच्चों का साथ निभाया। इस सब के चलते मां ने कभी अपने स्वास्थ्य की तरफ गौर नहीं किया और धीरे-धीरे समय से पहले ही छोटी-मोटी बीमारियो ने उन्हें घेर लिया।

सबसे बड़ा गम तो उनकी जिंदगी में यह रहा की एक हमारा भाई समय से पहले ही एक्सीडेंट में ईश्वर के पास चला गया। उस समय हमारी मां और पापा नितांत अकेले थे, हम दोनों बहनों की शादी हो चुकी थी छोटा भाई अभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हुआ था। पर माँ ने इतने बड़े दुख को अपने कलेजे में रखकर अपनी सारी जिम्मेदारियां निभाई।

आज भाई के एक बेटा और एक बेटी है जो माँ को  जान से भी ज्यादा प्यारे हैं उन्ही में उन्होंने अपना सब कुछ ढूंढ लिया। मां ने कभी किसी बच्चे को कम या ज्यादा प्यार नहीं किया मां ने सभी बच्चों को बहुत प्यार किया।

आज मां को घर वापस देखकर मन में एक सुप्त पड़ी आशा को जैसे न‌ई रोशनी मिल गई, लगा की अब मां जल्द ही अपने पैरों पर खड़ी भी हो जाएगी और इस सबके लिए सभी ने बहुत मेहनत प्रार्थना की थी। हमेशा खुश और संतोष स्वभाव वाली हमारी मां नवरात्रि के दूसरे दिन जैसे ही उठी उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया और इससे पहले की कोई उन्हें संभाल पाता या कुछ समझ पाता वह जमीन पर गिर गई ।भाभी ने उन्हें जल्दी से छींटे मारे थोड़ा पानी पिलाया ,पापा जी ने हाथ पैर मले,उन्हें होश तो जल्द ही आ गया पर वह दर्द से कराहने लगी, जल्द ही भाई जो तभी  तभी बाहर गया था आया और उन्हें जल्दी से अस्पताल ले गया।

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मां की कमर में दर्द इतना अधिक था कि सभी के मन में आशंका भर गई, एक्स-रे की जांच से पता चला की मां के लोअर बैक में दबाव आने से हड्डी अंदर की तरफ दब गई है डाक्टर ने उन्हें एक महीने के फुल बेडरेस्ट पर रखने की सलाह दी । सभी  का इतना काम करने वाली मां आराम कैसे कर पाएऐगी, सोच सोच कर सभी परेशान थे।

हम सभी बच्चों के साथ-साथ हमारे पापा जी भी बहुत अधिक परेशान थे क्योंकि मां उनका भी हर काम संभालती थी। और कहते हैं ना बुढ़ापे में ही सबसे ज्यादा हमसफर की जरूरत होती है। खुद पापा जी भी हार्ट पेशेंट रहे हैं तो हमें डर था कि कहीं वो अपने ऊपर मां की चोट का ज्यादा तनाव न ले पर पापा जी ने तो मन ही मन प्रण कर लिया था कि अपनी पत्नी संतोषी जी की हर संभव सेवा करेंगे उन्हें जल्द से जल्द बेडरेस्ट से बाहर लाकर सच्चे हमसफर का साथ निभाएंगे। पापा जी ने उसी दिन से बाहर घूमना, पार्क जाना सब कुछ मां की सेवा के लिए लगभग छोड़ दिया था।

यूं तो सभी घर के सदस्य मां के तमाम कामों में जुटे थे, एक अटेंडेंट भी मां के लिए लगा दी गई थी। पर पापा जी ने सारे काम खुद देखने की हिम्मत जुटाई वह अटेंडेंट को सारे काम अच्छे से करने की सलाह देते , मां के स्पंज और सफाई आदि के लिए उसे गर्म पानी देते, मां को कुल्ला कराते,मां की इतनी सारी दवाइयां थी जो पापा जी ही ध्यान रखते समय-समय पर घड़ी देखकर उन्हें दवाई देते चाय देते। उनका मनोबल बढाए रखते।

भाई भी मां का इतना ख्याल रखता की एंबुलेंस में जब उन्हें लेटाया जा रहा था तो उसे लगा कि नहीं मेरी मां को मैं बेहतर तरीके से लिटा पाऊंगा तो उसने पूरा सहारा देखकर मां को आराम से एंबुलेंस में लिटाया,जब कभी मां की अटेंडेंट नहीं आ पाती या रात बे रात मां को बेचैनी होती तो भाभी ही उनका पूरा ख्याल रखती। 

“लेकिन पापा जी ने भी मां की सेवा में कोई कोर कसर बाकी ना छोड़ी। सभी पापाजी  से कहते कि थोड़ी देर के लिए आप भी बाहर खुली हवा में घूम आए तो उनका कहना होता ,तेरी मां भी तो अंदर ही लेटी है घूम आएंगे, जब दोनों साथ में होंगे पहले की तरह, घंटो पार्क में बैठेंगे घूमेंगे भजन सुनेंगे अब तो एक साथ ही जाएंगे पार्क में”।

वो अक्सर भाभी से और हमसे कहते हैं तुम और काम देख लो, तुम्हारी मां की दवाई, चाय पानी मै देख लूंगा। उनकी  सुबह मां के काम से शुरू हो मां  की रात की दवाई देने पर ही खत्म होती ।पापा जी ने कहा मुझे तुम्हारी मां को जल्दी से जल्दी खड़ा करना है इनके हाथ की चाय पीनी है कब से मेरे हाथ की चाय पी रही है। पापा जी की ऐसी सकारात्मक बातें सुनकर मां भी हंस पड़ती और कहती हां बस में सही हो जाऊं तो जल्दी से आप सभी के लिए अपने हाथों से चाय बनाऊंगी।

सुना था मरीज को दवाई से ज्यादा प्यार और स्नेह की जरूरत होती है तो सभी की मेहनत प्रार्थनाएं रंग लाने लगी, मां अब अपने दुख से तिल तिल भर उबरने लगी।

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अगली बार जब डॉक्टर ने चेकअप करा और एम आर आई की रिपोर्ट आई तो डॉक्टर साहब ने बोला ज्यादा तो नहीं ,पर कह सकता हूं कि आप सभी की सेवा ने इन्हें बहुत जल्द स्वस्थ होने की और अग्रसर किया है ।इसलिए अभी थोड़ा-थोड़ा बैठ सकती हैं, किसी की मदद से दो-चार कदम भी रख सकती हैं।हम सभी  के लिए एक आशा की किरण थी। हमारे पापाजी बहुत अच्छे भजन और पुराने गाने गाते हैं,तब पापाजी ने मां को गुलाब का फूल देते हुए कहा कि बस इसी तरह जल्दी से स्वस्थ हो जाओ ।वो हमारा फेवरेट गाना याद है ना तुम्हे, “जीवनसाथी साथ में रहना”

 फिर से गाएंगे और अपनी 50वीं शादी की सालगिरह बच्चों के साथ धूमधाम से मनाएंगे। सुनकर मां के साथ साथ हम सभी भी हंसने लगे।

तभी भाई की प्यारी सी बेटी ने एक प्यारा सा गाना चला दिया, यूं ही कट जाएगा सफर साथ चलने से कि मंजिल आएगी नजर साथ चलने से। सभी आज बहुत खुश थे सच में इंसान यही प्यार और लगाव यदि वृद्धावस्था से पहले ही अपना ले तो यह जीवन यही पृथ्वी पर स्वर्ग हो जाए और हम सभी उसके निवासी बन जाए। 

सभी सखा मित्रों  से एक निवेदन करती हूं कृपया मेरी कहानी पढें और कहानी के बारे में अपनी राय अवश्य दें क्योंकि यह कहानी नहीं हकीकत है मेरे मां पापाजी और मेरे घर परिवार की। ईश्वर सभी को स्वस्थ और खुशहाल रखें,इसी आशा के साथ आपकी मित्र।

ऋतु गुप्ता 

खुर्जा बुलन्दशहर 

उत्तर प्रदेश

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