“रश्मि मुझे चाय बेड पर ही चाहिए…”
“रश्मि विवेक के कपड़े आयरन कर दिए?” उसे देर हो रही है… आज़ उसका इंटरव्यू है…”
“निधि कॉलेज से आई है, थकी होगी उसका खाना उसके रूम में ही पहुंचा दो!”
“मम्मी का ख्याल रखा करो रश्मि…”
“पापा को गर्म रोटियां ही देना…”
रश्मि जब से इस घर में ब्याह कर आई थी, इस घर की धुरी वही थी, शुरू शुरू में तो इस बात को लेकर खुश होती, सब मुझे ही पुकारते हैं, पर उसे क्या पता था, यही चीज़ उसके गले का फंदा बनने वाली है, वह इस घर की बड़ी बहू बन कर आई थी, उसके पति अनिरुद्ध दो भाई और दो बहन थे, एक देवर विवेक और एक नंद निधि अनिरुद्ध से छोटे थे जबकि अनिरुद्ध से बड़ी दीदी की शादी हो गई थी।
रश्मि और अनिरुद्ध की अरेंज मैरिज थी, अनिरुद्ध गंभीर व्यक्तित्व के आदमी थे, उनके लिए उनका परिवार ही सब कुछ था, शादी के पहली रात ही रश्मि को एक बड़ा लेक्चर सुना दिए… मेरे भाई बहनों का ख्याल रखना, मम्मी पापा की खिदमत करना, और इस घर को व्यवस्थित रखना तुम्हारी जिम्मेदारी है, रश्मि ने इन बातों को गांठ बांध लिया था।
उसने अपनी पूरी जान झोंक दी थी, इस घर को व्यवस्थित रखने के लिए… और एक सुघड़ बहू बनने के लिए… घर में मासी थी झाड़ू पोछा के लिए, लेकिन बाकी सारे काम रश्मि को ही करने पड़ते थे!
किसी को कुछ भी चाहिए होता था, अनिरुद्ध रश्मि को ही आवाज़ लगाते थे!
रश्मि मम्मी पापा का यह काम कर दो!
रश्मि विवेक और निधि का यह काम कर दो!
और धीरे-धीरे घर के सारे सदस्य रश्मि पर निर्भर होते चले गए, जो भी काम होता रश्मि को ही आवाज़ लगाई जाती!
शुरु शुरु में तो रश्मि को सबका काम करना अच्छा लगता था, लेकिन जब बच्चे हो गए, तो उसकी जिम्मेदारी बढ़ गई और फिर रश्मि जिम्मेदारियों में बंधती चली गई… उसने खुद पर ध्यान देना भी छोड़ दिया!
अनिरुद्ध पहले ही उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे, अब तो सिर्फ वह कामों के लिए रह गई थी, जब जरूरत होती तब आवाज़ लगा देते…!
उन्हीं दिनों विवेक की भी शादी हो गई! उसकी पत्नी प्रिया सुंदर और आधुनिक सोच के लड़की थी।
वह सबका सम्मान तो करती थी, पर अपनी प्राइवेसी में किसी का का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करती थी।
शुरु से वह पढ़ाई के लिए हॉस्टल में रही थी,उसे अपने सारे काम खुद करने की आदत थी, लेकिन उसे यहां एक अलग ही माहौल मिला।
घर के सारे सदस्य हर छोटी से छोटी बातों के लिए रश्मि भाभी को ही आवाज लगाते थे, लेकिन उसकी शादी नई नई थी, इसलिए उसने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया।
अभी तक आए दिन पाटिया होती थीं या फिर कभी वह और विवेक डिनर के लिए रेस्टोरेंट्स चले जाते थे या फिर कहीं घूमने निकल जाते।
इस बात को रश्मि ने महसूस किया क्योंकि वह शुरू दिनों में या अभी भी कभी उसे और अनिरुद्ध को बाहर जाना होता तो साथ में निधि या विवेक जरूर होते थे, शुरू से ही उसके घर में एक नियम था, कि जब सब घर होते तो साथ खाना खाते थे।
लेकिन प्रिया कभी-कभी अपना नाश्ता अपने रूम में लेकर चली जाती थी, वह और विवेक साथ में टाइम स्पेंड करते थे ।
इस बात से रश्मि थोड़ा चिड़चिड़ी होने लगी थी उसने अनिरुद्ध से इस बात का जिक्र किया, अनिरुद्ध गुस्से में आ गए और कहा– “तुम घर तोड़ना चाहती हो हमारा?”
उनके इस बात पर रश्मि चुप हो गई और फिर कुछ नहीं कहा।
शादी के 4 माह बाद प्रिया ने रश्मि को जबरदस्ती उसके मायके जाने पर राजी कर लिया उसने कहा– भाभी आप कुछ दिनों के लिए मायके हो आइए, फ्रेश फील करेंगी, अब तो मैं यहां हूं वह जानती थी रश्मि को बहुत दिनों बाद मायके जाना होता था।
रश्मि मायके चली गई थी, करीब 1 महीने रही।
इस बीच अनिरुद्ध को काफी चीजें महसूस हुईं …कभी उसके कपड़े गंदे रहते, तो कभी टाइम पर चाय नहीं मिलती… उसने देखा निधि किचन किचन के कामों में हाथ बटाने लगी है, मम्मी पापा अपनी दवाएं खुद लेने लगे हैं।
एक महीने बाद रश्मि वापस आ गई, फिर वही रूटीन हो गया। अनिरुद्ध इस बात को महसूस करते थे कि वह जब भी आते किचन में रश्मि ही होती थी। प्रिया और विवेक एक दूसरे के साथ बातों में लगे रहते।
ऐसे ही एक दिन शाम में सब साथ बैठे थे, रश्मि सबके लिए चाय बना रही थी, तभी प्रिया अपने रूम से बाहर आई और आवाज लगाई– “रश्मि भाभी मेरी चाय मेरे रूम में ही दे दीजिएगा।”
यह देखकर अनिरुद्ध भड़क गए और बोले– “यह क्या तरीका है प्रिया, रश्मि तुमसे बड़ी है तुम्हे उसका हेल्प करना चाहिए उल्टा तुम उससे ही अपना काम करा रही हो।” यह सुनकर प्रिया मुस्कुरा उठी।
और कहा– “भैया यही तो मैं आपको जताना चाहती थी, रश्मि भाभी अपना घर बार छोड़कर आप के आसरे पर इस घर में आईं हैं, आपने उन्हें अपना साथी बनाने के बजाय, उन्हें इस घर का नौकर बना दिया… एक पत्नी अपने पति के सहारे ससुराल में अपनी जगह बनाती है, लेकिन जब उसका पति ही उसके साथ नौकरों सा व्यवहार करे तो सारे उसके साथ वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं…
जो छोटे-छोटे काम आप सभी खुद कर सकते हैं उसे भी रश्मि भाभी के ही जिम्मे लगा दिया, अपनी पत्नी को घर में लाकर उसे खाना, कपड़ा दे देना ही बड़ी बात नहीं होती है अपनी पत्नी को उस घर में प्रेम और सम्मान दिलाना बड़ी बात होती है और यह प्रेम और सम्मान पति के #सहारे ही पत्नी बना पाती है।
जब खुद पति अपनी पत्नी के लिए स्टैंड नहीं लेगा तो दूसरों से क्या उम्मीद की जा सकती है, माफ कीजिएगा भैया… मेरा मकसद भाभी को नीचा दिखाना या आपको दुख पहुंचाना नहीं था बस मैं इस बात का एहसास आपको कराना चाहती थी… कि भाभी को आपके प्यार और सहयोग की जरूरत है।
आज भाभी भी अपने लिए मेरी तरह अपने लिए बोल सकती थीं, अगर आपने उन्हें वह मान दिया होता जो मुझे विवेक ने दिया है।
प्रिया को बोलते देख रश्मि मुस्कुरा दी ।
उसे अब समझ आ गया कैसे उसके साथ काम में हाथ बटाते प्रिया जैसे ही अनिरुद्ध को आता देखती अपने रूम में चली जाती…रश्मि ने आंखों ही आंखों में प्रिया का शुक्रिया अदा किया।
गंभीर माहौल को देखकर प्रिया हंसते हुए बोली– अब इतना गंभीर होने की जरूरत नहीं है, आज शाम का खाना मैं बना लूंगी आप भाभी और बच्चों को डिनर के लिए बाहर ले जा रहे हैं।
उसके कहने पर सभी जो मुजरिम बने बैठे थे, हल्का फुल्का होकर मुस्कुरा दिए।
#सहारा
मौलिक एवं स्वरचित
सुल्ताना खातून
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