जिस घर में औरतें देर तक सोती है, उस घर की बरकत कभी नहीं होती… – रोनिता : Moral Stories in Hindi

रात के करीब 11:00 रहे थे… कैलाश टीवी देख रहा था… दोनों बच्चे रोहन और अहाना अपने कमरे में सो चुके थे… सुधा जी और मोहन जी भी अपने कमरे में सो चुके थे.. पर कोई एक थी जो अभी तक काम कर रही थी और वह थी प्रिया… वह रसोई को समेट रही थी और सुबह नाश्ते की तैयारी कर रही थी… कल नाश्ते में पाव भाजी बनाने की फरमाइश मिली थी… तो उसी की सब्जियां काट रही थी… वरना सुबह बच्चों को तैयार करना… इसका नाश्ता… उसकी चाय… समय ही कहां मिलता था..? 

यह तो हम जैसी हर औरत की कहानी है… सुबह सबके पहले उठो और रात में सबके बाद सोने जाओ…. छुट्टी बाकी घर में किसी की भी हो… हमारा तो उस दिन डबल काम होता है… यह सारी बातें आप लोगों ने न जाने कितनी ही बार सुनी होगी… देखी भी होगी पर हमारी हालत वैसी ही रही… छोड़िए चलते हैं कहानी की तरफ… जहां प्रिया सुबह की तैयारी कर रही थी… तभी कैलाश रसोई में आकर फ्रिज में से आइसक्रीम निकाल कर खाता है और चम्मच कटोरी वही सिंक में रखकर चला जाता है…

प्रिया ने थोड़ी देर पहले ही सिंक के सारे बर्तन धोए थे… कैलाश के हरकत से उसे काफी गुस्सा आया, पर वह कहती तो अभी वहां बहस छिड़ जाती, इसलिए उसने वह चम्मच कटोरी चुपचाप धोकर रख दी.. उसके बाद कैलाश अपने कमरे में जाकर सो गया… पर जब प्रिया अपने कमरे में आई अपना काम निपटाकर, उसने देखा बिस्तर का वह हिस्सा जहां वह सोती है, उस तरफ कैलाश की सारी चीज़े जैसे लैपटॉप का चार्जर, हैडफोन, पावर बैंक, सारा कुछ फैला पड़ा है… प्रिया को फिर चिढ़

मची पर कैलाश सो चुका था, वह किससे  कहती..? ऐसा पहली बार नहीं हुआ था, प्रिया इस घर के हर एक सदस्य का खूब ध्यान रखती थी, पर उसका ध्यान रखने वाला कोई भी नहीं था… जैसे ज्यादातर घरों में होता है और हम औरतें इसे ही अपनी किस्मत समझ कर समझौता कर लेती है… यहां तक अपना वजूद, अपना आत्म सम्मान भी खो देती है… 

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अगली सुबह पाव भाजी बनना था, पर प्रिया अभी तक सोई थी… ना बच्चे उठे थे, ना कैलाश… थोड़ी देर बाद सुधा जी प्रिया के कमरे का दरवाजा पीट रही थी.. जिससे कैलाश की आंखें खुल गई… पर प्रिया सोती रही… तभी बच्चे भी उसी कमरे में आ गए और सारे लोगों ने प्रिया को सोता देखा… तभी कैलाश ने प्रिया को कहा.. उठो..! कैलाश के तेज आवाज से प्रिया घबराकर उठ बैठी और फिर कैलाश कहता है…. यह क्या प्रिया..? कुंभकरण की तरह सो रही हो..? आज तो तुम्हारी वजह से भूखे पेट ही ऑफिस जाना पड़ेगा…

अब क्या करें जिसकी बीवी कुंभकरण हो उसका तो यही हाल होगा ना..? फिर बच्चों ने कहा… मम्मी आपसे तो कुछ कहना ही बेकार है.. सोचा था आज जी भर कर पाव भाजी खाऊंगा और अपने दोस्तों को भी खिलाऊंगा… पर अब आपकी वजह से हमारी स्कूल बस भी चली गई…

सुधा जी:   अरे कैसी औरत है..? जो अपने परिवार का ध्यान भी नहीं रख सकती..? एक हम थे, सास के उठने से पहले जो ना उठा, तो उस दिन खुद ही शर्म से किसी को अपना मुंह नहीं दिख पाती थी… 

मोहन जी:   जिस घर में औरतें देर तक सोती है, उस घर की बरकत कभी नहीं होती… 

इतना सब सुनने के बाद, प्रिया का सब्र अब जवाब दे देता है और वह एकदम से चिल्ला कर कहती है… बस कीजिए आप सब..! गलती मेरी ही है जो मैंने आप आज आप लोगों को यह सब कहने का मौका दिया… मुझे पहले से ही सीमित काम करना चाहिए था… और बचे हुए समय में खुद का ध्यान रखना चाहिए था.. तबीयत कैसी भी हो किसी को समझने नहीं दिया कभी… बस यही गलती हो गई…. मैं मशीन की तरह लगी रही और उसका नतीजा यह निकला… पर अब बस बहुत हो गया… अब ज्यादा किया तो आत्म सम्मान की तिलांजलि देना होगा…

आप लोगों के ऐसे व्यवहार से मेरे बच्चे भी मुझे बस मशीन ही समझते हैं.. उन्हें लगता है उनकी मां की कोई इज्जत ही नहीं… वह बस काम करने के लिए ही इस घर में है… कल को मेरी बेटी भी यही सीखेगी… मैं सुबह सबसे पहले उठती हूं… पर आज नहीं उठी.. यह किसी को अजीब नहीं लगा..? तबीयत खराब भी हो सकती है मेरी.. भले ही आप लोगों ने मुझे मशीन समझ रखा हो, पर असल में मैं हूं तो एक इंसान ही… रात को बुखार था पूरी रात तड़पती रही… इसलिए सुबह आंख नहीं खुली…पर अब से मेरी आंख बराबर खुली रहेगी… अब मैं बस इंसानों की तरह ही काम करूंगी… हुकुम बस खुद का ही मानूंगी किसी को कोई बात मनवानी है तो वह बस आग्रह करेगा, हुकुम नहीं 

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इतना पढ़कर आपको ऐसा लग रहा होगा कि, अब प्रिया के इतना  सब कहने के बाद, घर में सब कुछ बदल गया होगा… हां बेशक बदलाव तो बहुत हुआ है… जहां पहले घर के सारे सदस्य प्रिया के कामों को अनदेखा करते थे… वहीं अब प्रिया सभी को अनदेखा कर रही थी.. सुबह अब भी वह जल्दी ही उठती थी… पर काम घड़ी की सुई के साथ नहीं अपनी एक सुकून भरी चाय के साथ शुरू करती थी…. सभी उसके इस रवैया से खींझ तो रहे थे… पर उसे खिझाने की हिम्मत किसी में नहीं थी… क्योंकि सभी को डर था कि ज्यादा बोलने से जितना भी वह कर रही है… वह भी कहीं बंद न कर दे…

 दोस्तों.. औरत बनी ही ऐसी होती है… उसे लाख कह लिया जाए कि अपना भी ध्यान रखो… पर वह अपना ध्यान नहीं रख पाती… क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि उसके बिना उसका परिवार अस्वस्थ हो जाएगा… पर यह गलतफहमी है उसके बिना भी परिवार स्वस्थ ही रहेगा… किसी के होने या ना होने से किसी का भी जीवन नहीं रुकता… हां दो दिन उसको याद कर उसके परिवार वाले रोएंगे… फिर संभल जाएंगे… इसलिए अपना ध्यान औरतों को खुद रखना होगा… कोई नहीं कहेगा कि तुम बहुत थक गई हो थोड़ा

आराम कर लो.. बहुत दिनों से कहीं बाहर नहीं गई थोड़ा घूम आओ.. पर काम के समय बराबर याद करेंगे..  याद रखो यह सब जब करने का मन करे तब कर लो… वरना एक दिन यह सब करने का काफी समय होगा पर मन नहीं… परिवार की सेवा करते-करते कब खुद की सेवा लेने का समय आ जाएगा, पता ही नहीं चलेगा…. बेटों को उनकी नौकरी दूर ले जाएगी और बेटियों को जमाई और जीवनसाथी भी उम्र के आगे मजबूर होगा… तब यह सुकून की सांस तो होगी के वक्त रहते अपने मन का तो कर लिया… दुनिया से रुखसत भी सुकून से होगी… 

 

धन्यवाद 

रोनिता 

#आत्म सम्मान

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