जीने का तरीका

एक बार की बात है  एक महात्मा अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे तभी उनमें से एक से एक ने  महात्मा के पास आया और बोला क्या आप मुझे एक मनुष्य के जीवन जीने का सही तरीका बता सकते हैं।  महात्मा ने बोला जरूर बता सकता हूं लेकिन इसके लिए तुम्हें इंतजार करना होगा जब सही समय आएगा तो मैं तुम्हें जीवन जीने का सही तरीका भी बता दूंगा।

समय बिता एक दिन महात्मा के पास एक आदमी आया  उसने महात्मा जी को बहुत ही स्वादिष्ट मिठाइयां  दे गया महात्मा ने उस मिठाई को उठाया और अपने कुटिया में जाकर सारा मिठाई एक साथ खा गए।

कुछ देर तक वह व्यक्ति महात्मा का इंतजार करता रहा लेकिन जब वह वापस नहीं आए तो वह चला गया।  जब वह व्यक्ति चला गया तो महात्मा ने वापस आकर उस शिष्य से पूछा जिसने जीवन जीने का तरीका के बारे में पूछा था यह बताओ कि मेरे जाने के बाद उस व्यक्ति का मेरे बारे में क्या प्रतिक्रिया था शिष्य ने बताया कि वह आपको बहुत ही भला बुरा कह रहा था कह रहा था कि ऐसा भी कोई महात्मा संत होता है जो सारी मिठाई जाकर अकेले में खा गया ना शिष्यों के दिया ना ही मुझे दिया।



कुछ दिनों बाद एक और व्यक्ति आया और उसने महात्मा को अपने बाग से ताजे ताजे अमरुद लेकर आया और इनको खाने को दिया लेकिन महात्मा ले उस अमरुद को जो उनके आश्रम में जानवर रहते थे उनको खाने को दे दिया और उस व्यक्ति से प्यार से बातें करते रहे लेकिन बाद में पता चला कि वह व्यक्ति भी दुखी होकर गया उसका कहना था कि अजीब संत है यह मुझसे तो इतना प्यार से  बात कर रहा था लेकिन मेरी दी हुई अमरुद को जानवरों को खिला दिया इसने मेरी अमरूद का अपमान किया।

 

एक दिन एक तीसरा आदमी  अपने घर से बना कर बहुत ही स्वादिष्ट भोजन लेकर आया और महात्मा को खाने के लिए कहा लेकिन इस बार महात्मा ने सबसे पहले उस  स्वादिष्ट व्यंजन को अपने शिष्यों में बांटा और उसके बाद जो व्यक्ति लेकर आया उसको भी थोड़ा सा खिलाया उसके बाद खुद खाया।

उसके बाद तीसरा व्यक्ति ने संत के सामने ही उनकी बहुत ही सराहना की और कहा कि ऐसा ऐसा संत हमने अपने जीवन  मे नहीं देखा जो सबको प्यार और आदर दे।

उस आदमी के चले जाने के बाद महात्मा ने अपने शिष्य से पूछा कि क्या अब तुम्हें जीवन जीने का तरीका पता चल गया।  इससे ने कहा जी गुरु जी मुझे जीवन जीने का तरीका पता चल गया महात्मा जी ने कहा तो क्या तरीका है बताओ। शिष्य ने जवाब दिया जीवन जीने का तरीका यही है कि जो भी तुम्हारे पास है वह सब में  बाँट कर खाओ और सबसे मिल जुल कर रहो।

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