निधी के घर पूजा थी । रोज थोड़ी तयारी चल रही थी ।शादी के बाद पहिली बार पूजा का आयोजन था । मोहले वाले ,कुछ परिवार के लोग ,आस पड़ोस के सबकी लिस्ट में नाम लिख रही थी ।
इतने में निधी ने अपनी सासू मां से पूछा मां कमला चाची को बुलाए?
कोन कमला ? अरे वो कोने वाले घर के बाजू में जिनका घर है। इतने में सासू मां बोली ,जिनके घर झूला लगा है। हा !हा !
बहु तू कैसे जानती उनको ?
सड़क क्रॉस करते समय कभी कभी मुलाकात हो जाती ।चाची अकेली हे।
नही! नही ! बहु
क्यू मां ? क्या हो गया उनको ।
अरे वो अपशकुनी है । क्यू मां ?शादी के बात ,पति और बचा दोनो ही चले गए।तो मां! चाची क्या कसूर ? उनका क्या दोष
,आप उनका इतना निरादर क्यूं करती हु ,वो बहुत साहसी है ,अकेले ही अपनी जिमेदारी निभारी रही है ,पढ़ी लिखी है ।
तो क्या हुआ ? पूजा के शुभ की घड़ी में उनको बुलाना ठीक नही बहु।
बहु : बहुत दुखी थी आज जमाने भी ऐसे सोच ।
एक दिन गुजरा नही हुआ।
सासू मां सुबह के समय मॉर्निंग वॉक के निकली और थोड़ी देर चली अचानक चक्कर आकर गिर गईं।
उतने में कमला चाची दौड़कर आई सासू मां को उठाकर अपने घर ले गई ।
पानी पिलाया और थोड़ा आराम कर घर ले आई। उसके बाद से सासू मां ने अपने विचार ही बदल दिए ।
बहु पूजा में कमला चाची को बुलालेना ।
क्यूं मां ? कल वो नही होती ,मेरा क्या हाल होता ।में वही सड़क पर पड़ी रही थी ।
हा माँ। वो बहुत अच्छी हे।सब मिलकर उनका साथ देना चाहिए।
किसका आदर नही कर सकते तो किसका निरादर भी नही करना चाहिए ।
भगवान के द्वार में सबका स्वागत होता है । पूजा का आमंत्रण आदर सहित करना ।
तृप्ति देव