सुकन्या अपने पापा के साथ भरी पंचायत में खड़ी होकर अपने पति श्रीधर का इंतजार कर रही थी। वह मन ही मन सोच रही थी यदि श्रीधर ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया तो उसका क्या होगा? यदि वह उससे किए वादे से मुकर गया तो उसके विश्वास और समर्पण का क्या होगा? इसी उधेड़बुन में लगी वह बार-बार भगवान से यहीं प्रार्थना कर रही थी कि “हे प्रभु मेरे पति को सद्बुद्धि देना ताकि वे मेरे विश्वास को ठेस ना पहुंचाएं जो विश्वास मैंने अपने पति पर किया वह कभी खंडित ना हो “।
सुकन्या अपने अतीत को याद करके पछता रही थी कि उसने ऐसी गलती क्यों की” यदि वह उस रात ऐसी गलती ना करती तो उसे भरी पंचायत के सामने इस तरह नजर झुका कर अपने पापा के साथ इस तरह खड़े ना होना पड़ता। सुकन्या अपने अतीत के इन लम्हों को याद कर रही थी जब श्रीधर के साथ उसका विवाह हुआ था।
यह घटना उस वक्त की है जब लड़कियों की कम उम्र में ही शादी हो जाती थी ।शादी होने के कुछ वर्ष बाद जब लड़की बालिग हो जाती थी तब उसका गौना होता था गौना होने के बाद ही लड़की अपनी ससुराल जाती थी। गौना होने से पहले पति -पत्नी का एक दूसरे से मिलना निषिद्ध था। उस वक्त कुछ परंपराएं ऐसी थी कि पति -पत्नी गौना होने से पहले एक दूसरे का चेहरा भी नहीं देख पाते थे। यदि कोई पति गौना होने से पहले अपनी पत्नी से मिलने की कोशिश करता तो उसे समाज के नियमों के विरुद्ध माना जाता था।
सुकन्या श्यामसुंदर और रुकमणी देवी की इकलौती बेटी थी। वह बेहद खूबसूरत थी। उसकी खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक थे ।जब वह विवाह योग्य हुई तो उसके पापा श्यामसुंदर ने उसका विवाह श्रीधर के साथ कर दिया था। श्रीधर एक पढ़ा-लिखा नौजवान था और वह एक स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर कार्य करता था।
जब सुकन्या श्रीधर के यहां दुल्हन बन कर गई तो गांव की औरतें उसे देख कर उसकी सुंदरता की बेहद तारीफ कर रही थी। श्रीधर की मम्मी पूनम ने सुकन्या को देखा तो वह श्रीधर से बोली” तुम्हारी पत्नी को बिल्कुल चांद का टुकड़ा है”। अपनी मम्मी के मुख से सुकन्या की तारीफ सुनकर श्रीधर उसे देखने को लालायित तो उठा था।
इस कहानी को भी पढ़ें:
रात में जब श्रीधर के घर के सभी सदस्य सो गए तो श्रीधर चुपके से उठा और सुकन्या से मिलने चला गया। जब उसने सुकन्या को देखा तो उसकी तरफ देखता ही रह गया। सुकन्या की सुंदरता देखकर वह अपनी सुध बुध खो बैठा और सुकन्या से प्रणय निवेदन करने लगा। जब सुकन्या ने उसका प्रणय निवेदन ठुकराया तो श्रीधर ने उसका चेहरा अपने हाथ में लेकर कहा “क्या तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं? सच्ची अर्धांगिनी तो वही होती है जो अपनी पति की इच्छाओं का सम्मान करें नहीं तो रिश्ते में कड़वाहट आ जाती है जिससे पति-पत्नी के मध्य दूरियां बढ़ जाती है।
श्रीधर का निवेदन सुनकर सुकन्या बोली “मुझे तुम पर पूर्ण विश्वास है परंतु यदि ऐसा करने से हमारे रिश्ते पर कोई आंच आई तो क्या तुम मेरा साथ दोगे”? सुकन्या की बात सुनकर श्रीधर मुस्कुरा कर बोला “मुझ पर विश्वास रखो मैं कभी भी तुम पर कोई आंच नहीं आने दूंगा और हमेशा तुम्हारे सम्मान की रक्षा करूंगा”। यह सुनकर सुकन्या ने अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लिया तब श्रीधर ने उसे प्यार से अपने आगोश में ले लिया था और दोनों एक दूसरे के प्यार में खो गए।
अगले दिन सुकन्या के पापा सुकन्या को उसके मायके ले जाने के लिए आ गए थे। जब सुकन्या विदा होकर अपने घर जाने लगी तो उसका मन बेहद घबरा रहा था तब श्रीधर ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उससे वादा किया “तुम घबराओ मत मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा”। पति के मुख से ऐसे वचन सुनकर सुकन्या आश्वस्त होकर अपने पापा के साथ अपने घर चली गई।
मायके आने के बाद सुकन्या खोई खोई सी रहने लगी थी। कुछ समय बाद उसका जी मिचलाने लगा था और उसे चक्कर से आने लगे थे। जब उसकी मम्मी रुकमणी ने उसकी यह हालत देखी तो उन्होंने उसे डॉक्टर को दिखाया। जब डॉक्टर ने उसे बताया कि सुकन्या मां बनने वाली है तो यह सुनकर उसके होश उड़ गए थे क्योंकि अभी सुकन्या का गौना नहीं हुआ था ।उन्होंने जब यह बात अपने पति को बताई तो वह बेहद दुखी होकर बोले “यदि सुकन्या के ससुराल वालों ने सुकन्या को अपनाने से इंकार कर दिया तो फिर क्या होगा”?
क्योंकि ऐसे अपमान का दंश वह झेल चुके थे। उनकी एक बड़ी बहन थी नीलम। जिसके साथ उसके पति ने भी ऐसा ही किया था जब उसे पता चला कि नीलम मां बनने वाली है तो उसने उसे अपनाने से इंकार कर दिया था और उस पर झूठा आरोप लगा दिया था कि यह तो बदचलन है। यह सुनकर नीलम ने आत्महत्या कर ली थी। अपने पापा को दुखी देखकर सुकन्या बोली “पापा मुझे पूरा विश्वास है मेरे पति मुझे कभी धोखा नहीं देंगे ।आप मुझे एक बार उनके पास ले चलो। यदि उन्होंने मुझे अपनाने से इंकार कर दिया तो मै हमेशा के लिए आपकी जिंदगी से बहुत दूर चली जाऊंगी।
सुकन्या के मुख से दूर जाने की बात सुनकर उसके पापा विचलित हो गए थे। उन्होंने सुकन्या से कहा” मैं तुम्हें तेरे पति से मिलवाने के लिए जरूर लेकर जाऊंगा परंतु, वादा करो यदि उन्होंने तुमने अपनाने से इंकार कर दिया तो तुम कोई गलत कदम नहीं उठाओगी” ।जब सुकन्या ने उन्हें वचन दिया तो वे सूकन्या को साथ लेकर उसके पति के पास चलने को तैयार हो गए।
जब सुकन्या अपने पापा के साथ अपने ससुराल पहुंची तो उसके सास ससुर ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया और सुकन्या के पापा से कहा “अब इसका फैसला पंचायत में होगा”। यदि पंचों ने सुकन्या को दोषी ठहराया तो हम इसे अपने घर की बहू के रूप में कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे।
इस कहानी को भी पढ़ें:
सुकन्या ने अपने सास-ससुर से बहुत विनती की उसे अपनाने की परंतु उसके सास ससुर अपनी जिद पर अड़ गए और उन्होंने पंचायत बिठाने का फैसला किया। जब गांव के सभी पंच इकट्ठे हो गए तो उन्होंने श्रीधर जो उसे वक्त स्कूल में था को बुलाया। जब श्रीधर पंचायत में आया उसे देखकर सुकन्या की आंखों से आंसुओं की निर्झर धारा बह निकली। यह देखकर श्रीधर ने सुकन्या से कहा “घबराओ मत मैं तुम्हारे साथ हूं मैं कभी भी तुम्हारा विश्वास नहीं तोडूंगा”। जब पंचो ने श्रीधर से पूछा “क्या यह बच्चा तुम्हारा है”? तब श्रीधर ने पंचों से जवाब दिया “हां यह मेरा बच्चा है और मुझे अपनी पत्नी पर पूर्ण विश्वास है।
मैं आज ही गौने की रस्म निभाऊगा और सुकन्या को पूरे सम्मान के साथ अपने घर लेकर जाऊंगा यदि किसी ने इस पर एतराज किया तो मैं उसके खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराऊंगा। श्रीधर की बात सुनकर उसके मम्मी -पापा और पंचों की जुबान बंद हो गई थी। उन्होंने सुकन्या को श्रीधर की पत्नी के रूप में अपनाने की इजाजत दे दी थी। श्रीधर ने सुकन्या के आंसू पोछकर सुकन्या से कहा “अब तो मुस्कुरा दो”। आज तुम्हारे विश्वास और समर्पण की जीत का दिन है। मैंने तुम्हारा विश्वास तो नहीं तोड़ा। यह सुनकर सुकन्या मुस्कुरा दी और जैसे ही वह श्रीधर के पैर छूने चली तो श्रीधर ने उसे सीने से लगा लिया था।
लेखिका : बीना शर्मा
#रिश्ते में बढ़ती दूरियां