जंजीर  – पुष्पा कुमारी “पुष्प”

“कब तक अपने पिता के घर में बैठी रहोगी सौम्या?. अपनी पसंद से ही सही विवाह कर तुम भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश क्यों नहीं करती!”.

आज सौम्या से मिलने आई उसकी बचपन की सहेली और अब दो प्यारे-प्यारे बच्चों की मांँ बन चुकी राधिका ने बातों ही बातों में सौम्या को सलाह दे दी लेकिन सौम्या ने उसे टालना चाहा..

“मेरी छोड़!.तू सुना जीजा जी कैसे हैं?”

“वो ठीक है!” राधिका मुस्कुराई।

“और बता!. घर में सब कैसे हैं?. तेरी सास पहले की तरह ही बात-बात पर तुझे ताने देती है या अब उनके व्यवहार में कुछ सुधार हुआ है?”

सौम्या ने राधिका की खिंचाई की लेकिन राधिका मुस्कुराई..

“वह सब तो पुरानी बातें हैं सौम्या!.अब मेरे सास-ससुर का व्यवहार मेरे प्रति बिल्कुल बदल चुका है मेरे पति के साथ-साथ अब ससुराल के सभी लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं और पता है!..इन बच्चों के बिना तो इनके दादा-दादी का मन ही नहीं लगता।”

राधिका के चेहरे की ताजगी और चमक उसके सुखी परिवारिक जीवन की गवाही पहले ही खुलकर दे रहा था।

“यह तो तुमने बहुत अच्छी बात बताई राधिका!”

सौम्या ने अपनी सहेली के लिए खुशी जताई लेकिन राधिका ने सौम्या का हाथ थाम लिया..

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“एक बात बताऊं!. तूं बुरा तो नहीं मानेगी ना?”

“अरे नहीं!.. बता तो सही!”

सौम्या की निगाहे राधिका के चेहरे पर टिक गई..




“इस बार जब मैं अपने ससुराल से मायके आ रही थी तभी एक स्टेशन पर तुम्हारे तलाकशुदा पति राजीव से मेरी भेंट हो गई थी!.. वह अपनी बहन को उसके ससुराल पहुंचाने जा रहा था लेकिन मेरी नजर उससे टकरा गई और मुझे देखते ही उसने पहचान लिया।”

सौम्या के चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे अपनी सहेली के मुंँह से अपने तलाकशुदा पति के विषय में बात करने में तनिक भी दिलचस्पी नहीं थी फिर भी सहेली का मान रखते हुए उसने पूछ लिया..

“क्या कह रहा था वह?”

“तुम्हारे बारे में पूछ रहा था!. कि तुम ने शादी की या नहीं?”

अपने तलाकशुदा पति राजीव का अभी भी उसके प्रति फिक्र देख सौम्या को वह दिन याद हो आया जब सौम्या के माता-पिता ने बड़े अरमानों के साथ अपनी हैसियत के मुताबिक अपनी नाजों से पली बिटिया का विवाह एक सुखी संपन्न घर में किया था।

सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन एक दिन सौम्या और उसके पति राजीव के बीच कुछ कहासुनी हो गई और उसी दिन सौम्या गुस्से में अपना ससुराल छोड़ सीधा अपने मायके आ पहुंची।

उसका पति थोड़ी कहासुनी होने के बावजूद उसे लेने आया लेकिन तब कुछ झूठे रिश्तेदारों और कुछ मायके वालों की बातों में आकर सौम्या ने राजीव के साथ जाने से इनकार कर दिया था।

इतना ही नहीं उल्टा सौम्या ने राजीव को धोखे से दहेज के झूठे केस में भी फंसा दिया था।

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तब उसे यह सोच कर बहुत मजा आ रहा था कि अब यह लोग कोर्ट के चक्कर लगाते फिरेंगे और हमेशा मेरे पैरों तले डरे सहमे रहेंगे।

लेकिन केस झूठा था तो गवाहों और सबूतों के अभाव में उसका पति राजीव बरी हो गया और सौम्या से तलाक लेने के बाद राजीव ने उससे कभी कोई संपर्क नहीं किया।




इन सारी बातों को पूरे छह साल बीत चुके थे और सौम्या आज भी अपने पिता के घर पर बैठी थी।

कॉलेज के दिनों में सौम्या को तीन चार लड़के पसंद करते थे इसलिए सौम्या इतराती थी। लेकिन वह भी टाइम पास करके जा चुके थे। अब उससे उसका हाल चाल पूछने वाला भी कोई नहीं था।

आज अपनी सहेली राधिका की बात सुनकर सौम्या अचानक सोचने लगी कि,..

“जब मेरे पति राजीव मुझे लेने आए थे तभी उनके साथ चली गई होती तो आज हमारे एक-दो बच्चे होते!. और अपनी सहेलियों की तरह मैं भी खुश होती अपने पति के संग।”

सौम्या के चेहरे पर अचानक छाई उदासी देख राधिका ने उसे तसल्ली देना जरूरी समझा..

“छोटे-मोटे झगड़े हर घर में होते रहते हैं सौम्या!.लेकिन किसी के बहकावे में आकर कोई बड़ा निर्णय नहीं लेना चाहिए!. और जो आज भी तुम्हारी फिक्र करता है वह आज भी तुमसे प्यार जरूर करता होगा।”

अपनी सहेली राधिका की बातें सुनती सौम्या की आंखें भर आई लेकिन राधिका ने आगे बढ़कर सौम्या को अपनी बाहों में थाम लिया..

“मेरी बात मानो सौम्या!.एक बार कोशिश कर वापस लौट जाओ!. राजीव अभी भी तुम्हारा इंतजार कर रहा है।”

अपनी गलतीयों को पश्चाताप के आंसुओं में बहाती सौम्या सहेली के गले लग फफक-फफक कर रो पड़ी..

“अब मैं क्या मुंंह लेकर उनके पास जाऊं राधिका!. किस मुंह से बात करूंगी उनसे?”

“बस इस उम्मीद में बात कर लेना कि वह भी आज तक तुम्हारी उम्मीद लगाए बैठा है!. शायद उस दिन इसी उम्मीद में उसने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया था,. एक बार बात कर लो सौम्या।”

राधिका ने अपने मोबाइल में मौजूद उसके तलाकशुदा पति राजीव के मोबाइल नंबर पर कॉल डायल कर सौम्या के हाथ में थमा दिया..

दूसरी तरफ फोन रिसीव कर चुका राजीव मानो इसी फोन कॉल के इंतजार में बैठा था।

वर्षों के गिले-शिकवे मिटाने में व्यस्त पति-पत्नी के मनोभाव को बखूबी समझती जंजीर की टूटी कड़ियों को जोड़ने का भरसक प्रयास करती सौम्या की सहेली राधिका की आंखें अचानक भर आई थी।

पुष्पा कुमारी “पुष्प”

पुणे (महाराष्ट्र)

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