जब विरोध करना सिखाया ही नहीं गया तो विरोध कैसे करूं,,,,, बेटी  – मंजू तिवारी

मैं आप के गर्भ में आई  आपको पुत्र मोह था

आपने मुझे मरवा दिया तब तो मैं विरोध कर भी नहीं सकती थी

मैं एक बेटी हूं बचपन से ही मुझे  पालने के लिए सदैव समाज के परिवार के दोहरे मापदंड रहे,,,,, जब पैदा हुई तो मुझे बोझ समझा गया कभी भी शरीर को मजबूत बनाने के लिए मेरी मालिश नहीं की गई जब भैया आया तो उसक मजबूत करने के लिए  उसकी मालिश खाने पीने का ध्यान रखा गया

मुझे यह कहकर टाल दिया गया तुम्हें  शरीर की मजबूती की क्या जरूरत मैंने विरोध नहीं किया

अगर मै अपने माता-पिता की मां मात्र बेटी ही संतान हुई तो कहा गया बेचरी के भाई नहीं है। कहकर सहानुभूति दिखाई गई दया का पात्र बना दिया गया मैं यहां भी विरोध नहीं कर पाई,,,

जब स्कूल की बारी आई तो मुझे एक सरकारी स्कूल में पढ़ाया गया और भैया के लिए एक प्राइवेट स्कूल और कुछ समय बाद मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी क्योंकि भैया को इंजीनियर बनना था उन्हें आपका सहारा बनना था मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी मैं यहां विरोध नहीं कर पाई



मुझे कला वर्ग के साथ पढ़ना पड़ा जबकि मेरा मन साइंस वर्ग में पढ़ने का था मुझे शादी के लिए पढ़ाया जा रहा था  भैया को कुछ करने के लिए पढ़ाया जा रहा था मैंने चुपचाप इसको स्वीकार कर लिया यहां भी मैं विरोध ना कर पाई

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भैया को खेलने कूदने की सारी आजादी प्राप्त थी

 मुझे घर के कामों में लगाया दिया गया क्योंकि मुझे पराए घर जाना था यहां भी मेरे साथ पक्षपात हुआ मैं इसका विरोध नहीं कर पाई

 भैया के लिए नई बाइक आई ,,, दिया मुझे भी गया मोटी रकम ,,मेरे दहेज के लिए ,,सारा सामान मेरे ससुराल वालों के लिए मेरे लिए तो कुछ भी नहीं,,,

आपकी गाड़ी कमाई मेरे ससुराल वालों ने ली बदले में मुझे ताने मिले कि दिया ही क्या और उन्होंने भी मुझे कुछ नहीं दिया,,,,, दहेज की जगह मुझे थोड़ी अचल संपत्ति दे देते जो मेरे काम आती ,,मैं यहां भी विरोध नहीं कर पाई,,,

ससुराल में मैं बहू कम कामवाली ज्यादा मेरे बिना घर का कुछ काम होता ही नहीं यहां भी मैं विरोध नहीं कर पाई मैं चुपचाप रही क्योंकि मेरे लिए आप को सुनना पड़ेगा आपको दुख होगा,,,

मैं सबको थाली लगाकर खिलाती हूं और सबसे बाद में खाना खाती  मुझे कोई परोस कर खिलाने वाला नहीं यहां भी मैं चुप रही क्योंकि कभी विरोध ही नहीं किया था तो अब कैसे करूं



और मैं यह भी जानती हूं जिस दिन मैं विरोध करूंगी उस दिन आप ही आकर मुझे भी चुप कर आएंगे सारी गलतियां आप मेरे में ही निकालेंगे आप मेरे साथ खड़े नहीं होंगे,,,,, और आपको हमेशा डर रहेगा कहीं बेटी घर आ गई तो समाज में क्या मुंह दिखाओगे इसलिए मैं सदा चुप रही मैंने विरोध नहीं किया,,,

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कड़वा जरूर है लेकिन सच हैजितना भी गलत व्यवहार किया गया हमेशा मेरी मां या मेरी सांस मेरी ननंद द्वारा ही किया गया मेरे पिता मेरे ससुर मेरे पति का कम ही दोष होता है।

मेरे लिए ससुराल कैद पंछी और एक मुफ्त की नौकरानी बन कर रह गई मैं इसका विरोध नहीं कर पाई,,,

जब मेरे ऊपर कोई तेजाब फेंक देता है कोई मार डालता है कोई बलात्कार जैसी घटनाएं करता है तो चुप रहने के लिए कहा जाता है कहीं समाज में बदनाम ना हो जाए कभी-कभी घर में ही दुराचार होता है मेरे साथ वहां भी मैं विरोध नहीं कर पाती चुप रहना पड़ता है।

इसके दोषी मां बाप ही है जिन्होंने कभी विरोध करना नहीं सिखाया सिखाते भी कैसे आर्थिक रूप से जब में सक्षम होंगी जब मेरे पास कुछ अचल पूंजी होगी जो मेरे मां-बाप मुझे देंगे तभी तो मैं विरोध कर पाऊंगी

मैं आर्थिक रूप से जब मजबूत होंगी तो मेरी विरोध को सुना जाएगा माना जाएगा बिना आर्थिक रूप से मजबूत हुए बिना मैं विरोध करके कहां जाऊंगी आप भी मुझे रखने में सक्षम नहीं होंगे,,,,,

अब मैं धीरे-धीरे आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हूं तो गलत का विरोध करना भी सीख रही हूं। जो घर परिवार समाज को विरोध स्वीकार नहीं हो रहा है। क्योंकि उनके लिए यह अप्रत्याशित और नया नया है।



आशा करती हूं धीरे-धीरे समाज परिवार को आदत हो जाएगी

और मैं किसी का विरोध करना ही नहीं चाहती बस मेरे साथ इज्जत से पेश आएं मुझे अपना सम्मानित स्थान दें कुदरत ने तो मुझे ममतामई बनाया है मैं तो ममता देने के लिए हूं विरोध करने के लिए नहीं

आप मुझे प्रेम से अपना लो मैं सारे पूर्वाग्रह भूल जाऊंगी नहीं तो जोरदार विरोध करूंगी क्योंकि मैं अब आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हूं।

और मैं यह भी जानती हूं जिस प्रकार पेड़ से टूटी हुई डाली का कोई वजूद नहीं उसी प्रकार आपके बिना मेरा भी कोई वजूद नहीं है । आपकी जरूरत हो आप मेरे साथ जरूर खड़े हो मैं विरोध करके आपसे विपक्ष में भी नहीं खड़ी होना चाहती क्योंकि मैं  भारत की बेटी,,,,,, दुखद बात यह है आज के संदर्भ में चित्रार्थ है।

मंजू  तिवारी, गुड़गांव

आर्टिकल सामाजिक बातचीत के आधार पर,,,

#विरोध 

मंजू तिवारी 

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