इत्ती सी परवाह – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

पापा  अब तो आप रिटायर हो गए हैं अब फुर्सत से हमारे घर चलिए और रहिए थोड़ा चेंज हो जाएगा आपको अच्छा लगेगा मेहुल छोटे दामाद इस बार पीछे ही लग गए थे।

मुकुंदजी की रिटायरमेंट पार्टी में पूरा परिवार इकठ्ठा हुआ था।सबके आ जाने से पूरा घर उल्लसित हो उठा था।अब धीरे धीरे सबके जाने के क्रम ने मुकुंदजी को व्यथित कर दिया था।खासकर ये छोटी बेटी रिनी तो उनके बहुत करीब थी ।रिटायरमेंट के पहले सभी बच्चों की शादी करके फुर्सत हो जाऊं इसी विचार ने एक साल पहले ही रिनी की भी शादी करवा दी थी।पर मुकुंद जी को अभी भी वह छोटी बच्ची ही लगती थी।बहुत मनुहार करके एक सप्ताह रोक लिया था उन्होंने बेटी दामाद को लेकिन एक हफ्ता भी फुर्र से उड़ गया पता ही नहीं चल था ।कल रिनी को जाना था और आज उन्हें दुखी देख दामाद मेहुल ने उन पर फिर हमला बोल दिया था।

मुकुंद जी पशोपेश में थे मन तो उनका बहुत था बेटी के घर जाकर रहूं देखूं समझूं … दामाद जैसे दिखते और बोलते है असल में है या नहीं i …. क्या दामाद के घर जाकर रहना उचित होगा वह तो औपचारिकता में बोल रहे हैं !! उनकी बात सुन कर पत्नी शिमली हंसने लगी।

अरे जब बहू को बेटी बनाया है तो दामाद को भी बेटा मानने में हर्ज ही क्या है।वैसे भी अभी तक तो छुट्टी नहीं मिलती ऑफिस के काम है जरूरी मीटिंग कह कह के बेटी रिनी के घर जाना टालते रहे है अब तो ये सारे बहाने बेकार हो गए है आपके।

शिमली जानती थी रिनी के पास रहने के लिए मुकुंद जी कितने बेचैन रहते हैं।अभी अच्छा मौका है दामाद भी हैं तो साथ में संभाल कर ले जायेंगे ।अकेले जाना तो हो नहीं पाएगा।

तुम भी चलो ना शिली.. वह आग्रह कर उठे ।अकेले कहीं जाकर रहने के अभ्यस्त नहीं थे वह।

उनके कहते ही रिनी खुश हो गई पापा की साथ जाने की इच्छा तो है बस संकोच कर रहे हैं।

अरे किसी दूसरे के घर थोड़ी ना जा रहे हो अपनी खुद की बेटी के घर जाने में कैसा संकोच  !!अपने दामाद जी का दिल बहुत बड़ा है वह आपका पूरा ख्याल रखेंगे और अगर कुछ कमी रह जाए तो ध्यान ना देना आप भी अपना  दिल बड़ा कर लेना।  मैं तो अभी कहीं नहीं जा सकती बहुत सारे काम हैं दोनों पोते पोतियों के बोर्ड एग्जाम अगले महीने से हैं ।वैसे ही रिटायरमेंट कार्यक्रम के कारण बच्चों की पढ़ाई बहुत बाधित हुई है ।अब बहू रंजना सिर्फ उनकी पढ़ाई लिखाई पर ही ध्यान देगी। घरेलू काम सब मै निबटाती रहूंगी.. अकाट्य तर्क था श्रीमती जी का ।मुकुंद जी का कोई तर्क शिमली को राजी नहीं कर सकता वह जानते थे।

तुम तो बस घर के कामों का बहाना लिए तैयार रहती हो अब बहू को संभालने दो अपने बच्चों और उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारी को तुम ये सब माया छोड़ो ….थोड़े नाराज हो गए थे वह।

अच्छा आपके साथ नहीं जा रही हूं तो घर के काम अब बहाने लगने लगे माया दिखने लगी आपको शिमली ने भी चिढ़ कर प्रत्युत्तर दिया था।

बहू की अकेले की जिम्मेदारी तो नहीं है। इस आड़े वक्त में बहू को अकेले छोड़ कर वह बेटी के घर मजे करने जाएगी यह बात शिमली को असहनीय थी।माया कहो या मोह कहो आपस में सुख दुख दोनों बांटने के लिए ही तो घर और घरवाले होते हैं शिमली हमेशा इस पर दृढ़ रहती थी। बहू ने भी तो अभी रिटायरमेंट पार्टी का ढेर भर काम किया है।बेटी की ही तरह तो है बहू भी। हालांकि उसे मुकुंद जी की तबियत की बहुत चिंता थी लेकिन वह जानती थी मुकुंद जी को ये सब समझना और समझाना मुश्किल है। इस वक्त उन्हें बेटी के साथ जाने की ललक उठ रही है बस।

 

क्यों दादाजी दादी  के बिना कही बाहर जाने में डर लगता है क्या पोते राजुल ने चुटकी ली तो सब हो हो कर हंस पड़े।

हां अब तो स्वतंत्रता पूर्वक पत्नी की टोकाटाकी से आजाद होकर रहने का सुअवसर मिल रहा है तो जाइए आनंद उठाइए शिमली ने जोर से कहा तो उन्हें लगा क्या पत्नी स्वयं भी चाहती है थोड़े दिन उनसे दूर रहना..!! सही बात है शिमली उन्हीं के इर्द गिर्द घूमती रहती है दिन भर कभी चाय कभी जूस कभी फल कभी खाना यहां तक कि पानी भी पीने की याद वही दिलाती रहती है।क्या सच में वह शिमली के बिना नहीं रह पाएंगे… !!क्या शिमली को उनके अकेले जाने से चिंता नहीं हो रही है!!

चलिए पापा मैने और मां ने आपकी चलने की तैयारी कर ली है देख लीजिए अगर और कोई सामान ले जाना हो तो.. रिनी ने बहुत उत्साह से आकर कहा तो मुकुंद जी समझ गए अब तो जाना ही पड़ेगा ।

दूसरे दिन सुबह निकल कर शाम को वह बेटी दामाद के घर पहुंच गए थे।

चार बेडरूम का बहुत बड़ा और सुव्यवस्थित घर था उनकी बेटी का यह देख कर वह बहुत खुश और संतुष्ट हुए।

घर पहुंचते ही रिनी उनके लिए कमरा ठीक करने लग गई तभी मेहुल कायदे से केतली में चाय बनाकर ले आए “….रिनी पापा को ले आओ चाय बन गई है मेहुल की आवाज सुन वह चौंक गए

क्या दामाद जी ने खुद चाय बनाई है!!

उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ जब उन्होंने देखा मेहुल उनकी चाय बनाने के साथ ही सहजता से रिनी के लिए भी चाय कप में बनाकर दे रहा है।

 

पापा चाय पीजिए ….मेहुल बहुत अच्छी चाय बनाते हैं फिर आप थोड़ी देर आराम कर लीजिएगा रिनी ने जोर से कहा तो वह चाय पीने लगे।वास्तव में चाय बहुत अच्छी बनी थी।चाय पीकर वह बिस्तर पर आंख बंद कर लेट गए थे।

 

रिनी डिनर बाहर से ले आता हूं तुम भी थक गई होगी फिर कल ऑफिस भी जाना है मेहुल की आवाज दूसरे कमरे से आ रही थी।

नहीं मेहुल पापा को बाहर का खाना हजम नहीं होता मैं घर पर ही कुछ बना लूंगी आप ऑफिस का काम कर लीजिए रिनी की आवाज सुन कर उन्हें शिमली की याद आ गई।बेटी भी बिल्कुल मां की तरह ही उनका ख्याल रख रही है सोचकर वह भावुक हो गए और मेहुल भी रिनी का बहुत ध्यान रखता है ये महसूस हुआ।

 

दूसरे दिन सुबह मेहुल तो चाय नाश्ता करके ऑफिस चले गए थे।लेकिन रिनी ने दो दिनों की छुट्टी ले ली थी जिससे पापा एडजस्ट हो जाएं।

मेहुल के जाते ही रिनी ने वाशिंग मशीन में सारे कपड़े डाल दिए ।बहुत तेजी से पूरे घर की साफ सफाई में जुट गई।साथ ही पापा के लिए  भी थोड़ी थोड़ी देर में कभी चाय कभी फल कभी सूप बनाकर ले आती थी।पापा के कमरे में टीवी ऑन करके सारे चैनल समझाती जाती थी।बाहर गार्डन में आराम कुर्सी निकाल लाई थी पापा के लिए।

पापा चलिए लंच कर लीजिए फिर हम दोनों मिलकर कोई पुरानी मूवी देखेंगे उत्साहित थी रिनी।पापा को बहुत अच्छा महसूस हो उसके घर में इसके लिए वह हर संभव प्रयास कर रही थी।

उनकी पसंद का पूरा लंच था।

पापा आपको खाना ठीक तो लगा ना ।मां ने बताया था आप क्या क्या पसंद करते हैं खाने और नाश्ते में ।ये देखिए पापा मां ने तो पूरी लंबी चौड़ी लिस्ट भी बना कर दी है मुझे हंस कर रिनी मां की लिस्ट दिखा रही थी और मुकुंद जी चकित थे।

वह तो यही सोच रहे थे शिमली उनके जाने से खुश है उसे उनका कोई ख्याल कोई चिंता ही नहीं है जबकि शिमली को उनकी एक एक बात की एक एक आदत की चिंता है अपनी बेटी को उसने पापा का ख्याल रखने के बारे में कितना सिखाया है!!

आइए पापा मूवी शुरू हो गई रिनी ने आवाज दी।

हम दोनों अब खूब आराम से बैठ कर मूवी देखेंगे रिनी ने बेड के सिरहाने दो तीन पिलो जमाते हुए कहा तो मुकुंद जी मुस्कुरा उठे।

बहुत समय के बाद इस तरह घर पर उन्होंने अपनी पसंद की मूवी सुकून से देखी ।शिमली को तो कभी समय ही नहीं मिलता उनके साथ बैठकर मूवी देखने का..!!साथ में रिनी की कमेंट्री बीच बीच में चाय मूंगफली….!!

कब शाम हो गई पता ही नहीं चला।

रिनी कहां हो तुम लोग ।लो पापा के लिए मैं हजारी के होटल की खस्ता कचौरी और गरम इमरती लेकर आया हूं आ जाओ मैने प्लेट लगा दी है और चाय भी तैयार है … मेहुल की आवाज ने उन्हें फिर चौंका दिया।

अरे बेटा ऑफिस से कब आ गए पता ही नहीं चला। हम लोग मूवी देखने में मगन थे बहुत संकोच से वह कह उठे।

बढ़िया तो है पापा आपके कारण रिनी ने भी मूवी देख ली वरना इसको भी समय नहीं मिल पाता है चाय देते हुए मेहुल खुशी से बोल पड़ा।

रिनी लो चाय पीकर तुम पापा को एक राउंड बाहर पार्क का लगवा कर ले आओ पार्क में पापा के कुछ दोस्त भी बनवा देना कहता हुआ मेहुल अंदर चला गया था।

रिनी के साथ पार्क में घूमते हुए मुकुंद जी यही सोच रहे थे कि दामाद जी को ऑफिस से आने के बाद आराम करना होगा इसी लिए हमे बाहर भगा दिया।

एक घंटे बाद जब वे दोनो घर वापिस लौटे तो देखा मेहुल  एप्रन बांधकर डाइनिंग टेबल पर शानदार डिनर लगाने में लगा हुआ था।

 

आइए आइए एकदम सही समय पर आए हैं बस अभी ही डिनर बन कर तैयार हुआ है पापा जी की खास डिश बनाई है मैने मुझे मां ने बताया था मेहुल मुस्कुरा रहा था और मुकुंद जी चकित थे इस एक घंटे में मेहुल ने आराम नहीं किया बल्कि किचेन में जाकर उनकी पसंद का डिनर बनाया है।कितना बड़ा दिल है दामादजी का।

बहुत स्वादिष्ट बना है खाना बेटा … पापा के मुंह से तारीफ सुन मेहुल के साथ रिनी भी हंस पड़ी।

लंच की तो तारीफ नहीं की थी पापा आपने।अपने दामाद की तारीफ कर रहे हैं आप रिनी ने उन्हें छेड़ा तो वह मुस्कुरा दिए थे।

डिनर के बाद सबने बैठ कर हल्की फुल्की बातचीत की फिर सोने चले गए।

मुकुंद जी को नींद नहीं आ रही थी।

रह रह कर उन्हें शिमली की याद आ रही थी साथ ही दामाद को रिनी के साथ घर के सभी प्रकार के काम करते देख कर अपने घर में रह कर वह खुद क्या करते हैं यह भी याद आ रहा था उन्हें। चलचित्र सा चल रहा था।

उनके ऑफिस से आते ही शिमली ऐसे भाग कर आती थी जैसे वह वह बहुत दिनों बाद कही बाहर से आ रहे हैं।वह भी रौब से आकर कुर्सी पर इस तरह बैठ जाते थे मानो कोई भारी युद्ध लड़कर आ रहे हैं और घर आकर शिमली पर कोई एहसान कर रहे हैं।शिमली पानी का गिलास भर कर उन्हें देती थी।तुरंत चाय नाश्ता आवभगत में यूं लग जाती थी जैसे वह घर के मेहमान है।चाय के बाद वह आराम ही करते रहते थे।उन्हें कभी इस बात की कोई परवाह ही नहीं हुई कि शिमली दिन भर क्या करती रही खाना खाया कि नहीं।आज तक अपने हाथों से एक कप चाय उन्होंने नहीं बनाई।कभी शिमली की मदद किसी भी घर के काम में नहीं की।

अभी भी बेटी के साथ आते समय शिमली के लिए और दामाद के लिए भी गलत ही सोचते रहे।

मैने अपने अलावा कभी किसी के ख्याल के बारे में नहीं सोचा।मेहुल ऑफिस से आने के बाद कितना सामान्य था खुद चाय बना कर ले आया।पूरा खाना बना दिया उसने कितनी खुशी से कितने ख्याल से।मेरी बेटी रिनी जिसे मैं बच्ची समझता हूं वह कितनी समझदारी से मेरा ख्याल रख रही है ।मेरी हर पसंद नापसंद का ख्याल रख रही है।मैं यहां भी मेहमान की तरह ही रह रहा हूं व्यवहार कर रहा हूं।सहज होकर सबके साथ घुल मिल कर क्यों नहीं रह पा रहा हूं……!!!

सुबह आंख खुली तो मेहुल ऑफिस के लिए तैयार हो रहे थे।

पापा लीजिए आपकी दालचीनी वाली चाय कहती रिनी से चाय लेते हुए उन्होंने पूछ लिया.. रिनी तुम ऑफिस क्यों नहीं जा रही हो।

वो पापा आपको अकेला….रिनी कहते कहते रुक सी गई थी।

 

अरे पगली मैं अपने घर में हूं अकेला कहां हूं तू जा मेरी चिंता मत कर अब मैं यहां की हर चीज से परिचित हो गया हूं हंसकर उन्होंने बेटी को आश्वस्त किया तो रिनी ने कहा अच्छा ठीक है पापा फिर  मै लंच बनाकर चली जाऊंगी आप ओवन में गरम कर लीजिएगा वैसे आज ऑफिस में जरूरी मीटिंग भी थी ।

दोनों के जाने के बाद आज मुकुंद जी ने पूरे घर की साफ सफाई की किचेन में जाकर काम निबटाया।फिर गार्डन की साफ सफाई करने में लग गए।

अरे वाह पापा ये घर किसने चमका दिया है गार्डन तो पहचान में नहीं आ रहा है रिनी की चहकती आवाज से मुकुंदजी किचेन से आ गए।

आ गई बेटी आजा मेरे हाथ की चाय पीकर बता… केतली लेकर आते पापा को देख रिनी देखती ही रह गई।

पापा आपने चाय बनाई!!! मेहुल के चकित स्वर से वह होश में आई।

पापा आपने चाय क्यों बनाई अपने कभी चाय नहीं बनाई मां बता रही थी वह बहुत दुखी होंगी … इसीलिए मैं ऑफिस नहीं जा रही थी  रिनी रुआंसी हो गई थी।

नहीं बेटा मां खुश होगी या नहीं ये तो मैं नहीं जानता लेकिन मैं आज बहुत खुश हूं।तेरी मां हमेशा मुझसे कहती रही अपना दिल बड़ा करिए लेकिन मैं इस बात को कभी समझ नहीं सका।जिंदगी में पहली बार आज मैं ये महसूस कर पा रहा हूं कि तेरी मां का दिल कितना बड़ा है कितने निस्वार्थ और निष्कपट भाव से वह सालों से मेरी और सभी घर के लोगों की छोटी बड़ी जरूरतों का बिना कहे ही ख्याल रखती रही अभी भी तुम दोनों को मेरी पसंद नापसंद सब बात कर भेजा खुद वहां घर की जिम्मेदारी निभा रही है कितना बड़ा दिल है तेरी मां का … मुकुंद जी शिमली की याद में डूब गए थे।

पापा चाय तो एकदम सुपर क्लास बनी है इतनी बढ़िया चाय जिंदगी में पहली बार मैने पी है मेहुल ने गंभीर होते वातावरण को हल्का करने की पूरी कोशिश की।

मेहुल बेटा तुम्हारा दिल भी बहुत बड़ा है।दामाद या पुरुष अहम वाली कोई बात ही नहीं है तुममें।कितनी सहजता से तुम अपनी पत्नी के लिए चाय बना लाते हो ऑफिस से आते ही डिनर की तैयारी करने लगते हो… मैने ऐसा करने की कभी कल्पना तक नहीं की थी तुमने मुझे जिंदगी का बहुत प्रेरक सबक दिया है मुकुंद जी मेहुल के पास आकर खड़े हो गए थे।

पापा मै अभी मां को फोन करके बताती हूं रिनी ने मोबाइल उठाते हुए कहा तो मुकुंद जी ने जल्दी से मोबाइल उसके हाथ से छीन लिया।

अभी नहीं बेटा अभी तो तेरी मां की पसंद नापसंद तुझसे सीखना है मुझे।घरेलू कार्यों में हाथ बंटाना तुम दोनों से सीखना है मुझे… फिर घर जाकर मैं  शिमली को चकित कर दूंगा।

पर क्यों पापा आप ये सब क्यों सीखना चाहते हैं रिनी अभी भी समझ नहीं पा रही थी।

क्योंकि मैं भी अपना दिल बड़ा करना चाहता हूं । जितनी जिंदगी बची है तेरी मां के ही साथ ही नहीं पूरे घर के साथ सहज होकर घुल मिल कर उन्हीं के जैसा होकर जीना चाहता हूं मुकुंद जी का स्वर भीग उठा था।

अच्छा .. जिससे मां के साथ बैठकर पुरानी मूवी देख सकें..!!अबकी बार रिनी ने हंसकर पापा को फिर से छेड़ा तो मुकुंद जी खिलखिला उठे।

यस रिनी….. जमाना हो गया इस तरह फुर्सत से शिमली के साथ कोई मूवी देखे!! घर के सारे काम करते करते वह थक भी जाती थी और समय ही नहीं मिला कभी… पर अब समय भी मिलेगा और थकान भी नहीं लगेगी….. मुकुंद जी किसी खजाने को पा लेने वाली खुशी से  आनंदित हो रहे थे ।

चलिए पापा फिर आज से ही मां की पसंद का डिनर बनाने से शुरुआत करिए…. रिनी और मेहुल ने पापा के गले में एप्रन पहनाते हुए कहा तो खुले दिल से सबके ठहाके गूंज उठे।

लेखिका : लतिका श्रीवास्तव

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!