ईर्ष्या : Moral Stories in Hindi

अनामिका अमीर मां-बाप की इकलौती संतान थी। देखने में बहुत खूबसूरत जो भी देखता देखता ही रह जाता परंतु वह बहुत जिद्दी और नकचढ़ी थी। वह हर किसी को नीचा दिखाना चाहती थी और उसको इस काम में बहुत मजा आता था उसके मां-बाप रिश्तेदार भी इस आदत से परेशान रहते थे। बाहर किसी की बेज्जती करती और किसी कम खूबसूरत और सांवली सूरत वाले को देखते ही उसी के सामने थूक देती थी। “कितने गंदे लोग हैं” कहकर हंसते हुए चली जाती। कभी-कभी कॉलेज और कई जगह झगड़े की नौबत भी आ जाती। 

    कुछ समय बाद उसके छोटे चाचा अनिल की शादी रेखा से हुई। रेखा बहुत संस्कारी लड़की थी। सांवली सूरत तीखे नैन नक्श । रेखा ने सबके दिलों में अपना एक सम्मानजनक स्थान कुछ ही समय में पा लिया था परंतु अनामिका रेखा की बेज्जती करने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी।रेखा को देखते ही” छिः छि: मैं इन काले हाथों से  कुछ नहीं खाऊंगी “घर की  इकलौती संतान के कारण कोई कुछ नहीं बोलता ।उसको बच्चा समझ कर चुप रहते लेकिन रेखा संस्कारों के कारण अंदर ही अंदर घूटती

रहती। एक दिन तो गजब हो गया!!!! सभी लोग पार्टी में जाने के लिए तैयार होकर घर से  निकलने ही वाले थे तभी अनामिका  ने रेखा को देखते ही  ….छिः छि: और रेखा के मुंह पर थूक दिया। हम इस गन्दी औरत के साथ नहीं जाएंगे। यह देखकर उसके पापा ने….. उसको एक जोरदार थप्पड़ गाल पर लगा दिया। पूरे हाल में सन्नाटा छा गया। रेखा अपनी जगह पर खड़े-खड़े रो रही थी और अनामिका  थप्पड़ के बाद चीखते चिल्लाते अपने कमरे की ओर भागी।

     अनामिका के पापा सुनील जी आज बहुत दुःखी थे। रेखा के जेठ सुनील जी ने रेखा के समाने हाथ जोड़कर उससे माफी मांगते हुए कहा मैं अनामिका के लिए तुमसे माफी मांगता हूं।आज मैं हार गया हूं उसकी बदतमीजी से । रेखा ने कहा…..नहीं भाई साहब इसमें आपका क्या दोष समय के साथ सब ठीक हो जाएगा।

    समय अपनी गति से दौड़ रहा था। अनामिका के लिए सुयोग्य वर की खोज सुनील और अनिल जी कर रहे थे परंतु कोई भी लड़का देखने आता तो अनामिका उसकी कमी निकाल कर भागा देती । कभी-कभी लड़के के मुंह पर ही बेज्जती कर देती ।इस कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।

      अनामिका अपनी खूबसूरती को आईने में निहारती और दूसरों की खूबसूरती से ईर्ष्या करके बस बेइज्जती करती।  उसको इसमे परमानन्द की प्राप्ति होती। धीरे-धीरे अनामिका की विवाह की उम्र पार होने लगी।

    अनामिका को किसी सौन्दर्य प्रसाधन से रिएक्शन हो गया और अनामिका को चर्म रोग हो गया धीरे-धीरे उस रोग ने बड़ा रूप ले लिया। बड़े बड़े डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी वो रोग सही नहीं हुआ। धीरे-धीरे चर्म रोग कुष्ठ रोग में बदल गया। उसका चेहरा विकृत हो गया। उसने घर से बाहर

निकलना बंद कर दिया। जिस आइने के सामने घंटो खुद को निहारती और संवारती रहती थी। आज अनामिका को उसी आईने से ईर्ष्या हो गई थी। अनामिका  जो कल तक व्यवहार कर रही थी। आज  उसके साथ वही व्यवहार हो रहा था। उसे देखकर बाहर वाले ईर्ष्या से मुंह फेर लेते और पीठ पीछे कहते ….यह सब लोगों की बद्दुआओं का असर है । आज अनामिका ने खुद को एक कमरे में समेट लिया है और पश्चाताप के सिवा कोई रास्ता नहीं है।

स्वरचित विनीता महक गोण्डवी 

सत्य घटना पर आधारित ।

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