ईर्ष्या – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

गोमती के दो बेटे और एक बेटी सुखी और संपन्न परिवार था ।

गोमती के दोनों बेटों की शादी हो गई और बेटी भी अपने ससुराल में सुखी थी ।

बेटी की शादी बहुत अच्छे घर में पैसे वालों क्या हुई थी।

बेटी नव्या फिर भी अपनी भाभियों से ईशा करती थी नव्या के पास बहुत पैसा था लेकिन उसे इशा इसलिए होती थी क्योंकि उनके घर में कोई लड़ाइयां नहीं होती थी और नव्या के घर में सास और बहू की हमेशा खिटपिट चलती रहती थी।

दरवाजे पर घंटी बजी और छोटी बहू तुरंत ही दरवाजा खोलने चली गई।

 और कहने लगी दीदी आज बहुत दिन बाद आई हो नव्या आकर तुरंत सोफे पर बैठ गई ।

और बड़ी बहू रीमा ने नव्या के चरण छुए और एक गिलास पानी लाकर नव्या को दिया।

 भाभी मम्मी दिखाई नहीं दे रही है कहां चली गई है रीमा ने कहा कि वह भजन कीर्तन में गई हुई है।

 अभी आ रही होगी छोटी बहू सीमा ने कहा दीदी आप खाने में क्या खाऐंगीं नव्या ने कहा कि नहीं मुझे भूख नहीं है।

 मुझे कुछ अच्छा सा खाना है रीमा ने कहा कि ठीक है दीदी आज मैं आपके लिए बासुंदी बना देती हूं।

 नव्या ने कहा नहीं भाभी मुझे मीठा नहीं खाना है ।

मुझे चाऊमीन खाना है सीमा और रीमा दोनों किचन में गई और चाउमिन की तैयारी करने लगी।

 नव्या सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगी कुछ देर में मम्मी भी आ गई।

 और मम्मी के गले लगकर नव्या बहुत खुश हुई।

 अरे !बेटा आज बहुत दिनों बाद आई हो नव्या ने कहा हां मुझे टाइम ही नहीं मिलता है।

 आप कहां भजन कीर्तन में गई थी गोमती ने कहा कि मैं बस पड़ोस में ही….।

 सावन चल रहा है मैं उसमें ही भजन कीर्तन के लिए गई थी ।

ओ मां आप तो बहुत धार्मिक हो गई है अरे बैठो मां आपसे बहुत सारी बातें करनी है।

 बहुत दिन बाद मिल रही हो! नहीं बेटा अभी मैं किचन में जाकर देख लूं ।

क्या बनाना है मां आप कितनी टेंशन लेती हो।

 दोनों भाभियों है ना काम कर रही है मैंने उनको बोला है की चाउमीन खाएंगे तो चाऊमीन बना रही है।

 ठीक है बेटा लेकिन मुझे भी तो थोड़ी मदद करनी चाहिए।

 पापा के लिए खिचड़ी बनानी है भैया के लिए आलू के पराठे बनाने हैं सब की अलग-अलग पसंद है यह बात सुनकर नव्या को बहुत इर्ष्या हुई जलन हुई ।

कि मेरी ससुराल में तो मेरा कोई साथ नहीं देता है मेरी नंद आती है।

 तो बैठ कर खाती है सास भी कभी किचन में आकर मदद नहीं करती है।

 कैसा घर है जिसमें सास बैठ नहीं रही है और बहू की मदद करने चली गई।

कुछ देर में नव्या किचन में गई और भाभियों से कहने लगी।

 यदि कुछ काम हो तो मुझे भी बता दीजिए रीमा और सीमा ने कहा कि दीदी आप बहुत दिन बाद आई है आराम से बैठिए।

 मैं आपके लिए चाऊमीन बनाकर लाती हूं ।

और मैं थोड़ी सी सब्जी कट कर लूं आलू उबालकर रख दूं ।

आलू के पराठे बन जाएंगे भैया और पापा आने ही वाले होंगे ।

आपके साथ मम्मी का भी दलिया तैयार हो गया है।

 मैं उनकी थाली लगा दूं आप दोनों साथ में बैठकर खा लीजिए ।

और गपशप कर लीजिए इतना सुनकर नव्या को अंदर ही अंदर गुस्सा आने लगा।

 और वह फिर से सोचने लगी की एक तरफ सास बहू का ध्यान रख रही है ।

और दूसरी तरफ बहुएं सास का ध्यान रख रही हैं ।

मेरे घर में तो कोई किसी का ध्यान नहीं रखता है कुछ देर में रीमा और सीमा के बच्चे ट्यूशन पढ़कर आ गए।

 और बुआ को देखकर बहुत खुश हुए। 

तभी रीमा ने बच्चों से कहा कि तुम लोगों में डाइनिंग टेबल पर बैठ जाओ ।

आज बुआ की मनपसंद चाऊमीन बनी है तुम लोग भी खा लो सब बहुत खुश हुए ।

वहीं पर मां गोमती भी पर बैठ गई अपना दलिया लेकर आपस में गपशप करने लगी।

 तब धीरे से नव्या ने कहा कि मम्मी अपनी बहू को थोड़ा सा टाइट रखो!! ना …

आपके सामने कैसे घूमती रहती है पूरे समय लोअर टीशर्ट और गाउन में घूमती रहती है।

 अच्छा थोड़ी ना लगता है.. हमारे घर में तो हम लोग सूट पहनते हैं दुपट्टा डालते हैं ।

आपकी बहू में तो सिर पर भी दुपट्टा नहीं डालती हैं गोमती ने कहा नव्या बेटा जिसके घर में जैसा चलता है।

 वैसा ही चलने दो हम क्यों एक दूसरे से छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई करें ।

बहूएं मेरा ध्यान रख रही है मैं बहू का ध्यान रख रही हूं।

 फिर उनको रोक-टोक क्यों करें मां आप अभी भी सीधी है ।

आजकल का समय बदल गया है कल यह बहुएं आपका साथ नहीं देंगी। 

तब आप क्या करोगे तो गोमती ने कहा कि नहीं बेटा बहूएं बहुत अच्छी है ।

वह हमारा साथ जरूर देंगीं।

 नव्या ने बहुत कोशिश की मां को भड़काने की लेकिन गोमती ने नव्या को समझाया।

 कि पैसा से ज्यादा प्यार मायने रखता है हम अपनी बहू को अभी प्यार देंगे।

 तो वह हमें बुढ़ापे में साथ देंगीं हमारी सेवा करेंगी और मैं तो चाहती हूं ।

कि कोई भी बहू मेरी सेवा ना करें लेकिन भगवान ना करें कब कौन सी बीमारी आ जाए।

 इसलिए अभी मैं उनको पूरी तरह छूट देकर रखी हूं।

 बस समय से काम कर लिया करो बाकी अपनी मर्जी से घूमना फिरना पहनना।

 जो करना वह कर लिया करो मम्मी लेकिन मेरे घर में तो यह सब नहीं चलता है।

 मेरी सास तो हर बात में टोकती है कभी नमक ज्यादा हो गया तो कभी मीठा कम हो गया।

 मैं सिर पर पल्ला डालना भूल जाती हूं तो वह मुझे सबके सामने चिल्ला देती है।

 नहीं बेटा ऐसा नहीं है आपकी मम्मी आपको सिखाना चाह रही है तो सबके घर के तौर तरीके अलग है।

 इसलिए आप उनके अनुसार चलोगे तो आपको वैसा प्यार मिलेगा नव्या ना सोचा बहुएं भी सास की दीवानी है और सास भी बहू की दीवानी है।

 मेरी दाल तो गलने वाली नहीं है कुछ देर बाद नव्या ने कहा कि मां अब मैं चलती हूं।

 गोमती ने धीरे से नव्या के हाथ में शगुन पकड़ा दिया।

 तब नव्या ने कहा की मां क्यों दे रही हो मैं तो अभी कुछ देर के लिए आई हूं।

 फिर मैं दो-चार दिन में आ जाऊंगी मां ने कहा नहीं यह सब हमारी परंपरा है।

 इसलिए मैं इसे तोड़ना नहीं चाहती हूं तभी रीमा और सीमा ने भी आकर कहा कि दीदी हम लोग भी इस परंपरा को आगे चलाएंगे ।

मम्मी इतने प्यार से आपको देती हैं आप ले लिया करिए।

सच ही है हर घर की परंपरा अलग है इसलिए हमें उन परंपराओं को लेकर चलना चाहिए हमें किसी से ईर्ष्या द्वेष नहीं रखना चाहिए।

विधि जैन

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