बहु , नाश्ता बना या नहीं ?? तुम्हारे पापाजी और कुंदन को ऑफिस जाने लेट हो रहा हैं कविता जी अपने कमरे से गुस्से में बोली !!
जी मम्मी जी बन गया हैं बस गर्म गर्म नाश्ता ही परोस रही हुं , राही अपने ससुर जी और पति कुंदन को नाश्ता परोसते हुए बोली !!
भंवरलाल जी अपनी बहु राही से बोले – आज तुम्हारी मम्मी जी बाहर हम सबके साथ नाश्ता करेंगी या अपने कमरे में ही बैठी रहेंगी !!
कुंदन बोला पापा जब से राही की शादी हुई हैं मम्मी ने अपने कमरे से निकलना लगभग बंद ही कर दिया हैं , वे अब कहां हम सबके साथ बैठके नाश्ता करती हैं ??
भंवरलाल जी बोले हां बेटा तुम तो शुरू से जानते हो तुम्हारी मम्मी और बहन की आदत को !! भगवान का शुक्र हैं कि उन्होंने हमें राही जैसी बहू दी हैं वर्ना तुम्हारी मां और बहन ने तो एक मौका नहीं छोड़ा राही को परेशान करने का , फिर भी राही उन लोगों को शिकायत का कोई मौका नहीं देती !!
राही बोली पापाजी !! धीरे बोलिए अगर मम्मी जी ने सुन लिया तो आपकी खैर नहीं !!
यह सुनकर तीनों एक साथ हंस पड़े !!
भंवर लालजी और कुंदन दोनों ऑफिस के लिए निकल पड़े और राही कविता जी को नाश्ता देने उनके कमरे में पहुंची !!
इस कहानी को भी पढ़ें:
कविता जी राही पर भड़कते हुए बोली तुम तीनों की हॉल में खीं-खी करने की आवाज आ रही थी मुझे !! सुबह सुबह किस बात पर हंस रहे थे तीनों ??
राही बोली मम्मी जी ऐसी तो कोई बात नहीं हुई , हां वो कुंदन ने एक जोक बोला था बस उसी पर हंस पड़े थे !!
कविता जी चिढ़ते हुए बोली अच्छे से जानती हुं मैं कुंदन का जोक ,तुम जो ससुर जी की लाडली बहु बनी हुई हो कुंदन तो जोक मारेगा ही !! कुंदन को अभी नहीं समझ आएगा क्योंकि उसको भी तुमने अपने रंग में जो रंग डाला हैं !!
राही बात का जवाब दिए बिना कविता जी के कमरे से बाहर आ गई और वापस रसोई में काम करने लगी !! राही उनके मुंह लगकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी !!
राही टीचर की नौकरी करती थी जिसे उसने सास कविता जी के कहने पर छोड़ दिया था लेकिन उसे बच्चो को पढ़ाने का बहुत शौक था इसलिए वह अब घर पर ट्यूशन लिया करती थी !! दिन भर घर के काम करती रहती और फ्री होकर ट्यूशन में समय बिताती !! कविता जी ने तो जैसे राही की शादी के बाद रसोई से तौबा कर ली थी !! कविता जी दिन भर अपने कमरे में टी.वी देखती रहती और जब जी चाहे राही को ताना मारती रहती !! एक ननंद हैं रोमा वह भी अपनी मां का खुब साथ निभाती हैं क्योंकि उसे भी लगता है कि भाभी की शादी के बाद उसका भाई भाभी का हो गया हैं !!
रोमा भी पुरे दिन सेल्फ स्टडी के नाम पर अपने कमरे से बाहर नहीं आती हैं !! हां जब नाश्ता , चाय और खाना खाना होता हैं तब बस कमरे से आकर रसोई से ले जाती हैं !!
कमरे में पुरे दिन लेपटॉप और मोबाईल पर लगी रहती हैं मगर भाभी की कुछ मदद नहीं करती !! घर में एक ससुर जी भंवरलाल जी ही हैं जिन्होंने हमेशा बहु राही को बेटी का दर्जा दिया !! कुंदन भी अपनी पत्नी राही को बहुत प्यार और सम्मान देता हैं क्योंकि राही ने उसके परिवार के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी और राही भी कुंदन जैसा हमसफर पाकर खुश थी !!
थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी , राही ने दरवाजा खोला तो सामने उसकी बहन शिखा खड़ी थी !!
शिखा को देखते ही राही बहुत खुश हुई और उसे अंदर लेकर आई !!
शिखा बोली दीदी मैं और पापा आपके शहर कुछ काम से आए हुए हैं पापा मुझे यहां छोड़कर उनके काम के लिए गए हुए हैं !!
काम से लौट कर वे भी आपके यहां आएंगे !!
राही बोली शिखा तुम्हें देखे हुए बहुत दिन बीत चुके थे अच्छा हुआ तुम लोग यहां आ गए !!
इस कहानी को भी पढ़ें:
दोनों बहने बातें कर ही रही थी की कविता जी बाहर आ गई और बोली शिखा तुम इतनी सुबह यहां कैसे ??
शिखा ने उन्हें भी पुरी बात बताई !!
राही रसोई से फटाफट शिखा के लिए चाय बना कर ले आई !!
कविता जी मुंह बनाकर वापस अपने कमरे में चली गई !! दोनों बहने बातें कर ही रही थी कि कविता जी कभी कुछ काम से तो कभी कुछ काम से बाहर आ जा रही थी !!
राही अपनी सास को अच्छे से जानती थी , वह मन ही मन मुस्कुराने लगी !!
दोनों बहने क्या बातें कर रही है यह सुनने के लिए कविता जी बार बार कुछ काम से आने जाने का नाटक कर रही थी वर्ना कविता जी को तो अपने कमरे से बाहर आने की फुर्सत ही कहां थी और फिर जब कविता जी से रहा ना गया तो कविता जी वहीं दोनों बहनों के पास बैठ गई !!
थोड़ी देर बाद राही की ननंद रोमा कमरे से बाहर आई !!
शिखा को देखते ही वह बोली क्या हुआ शिखा घर में चाय पत्ती खत्म हो गई या शक्कर जो इतनी सुबह-सुबह यहां चली आई हो !!
शिखा एक नजर अपनी बहन राही को देखने लगी !!
कविता जी हंसते हुए बोली रोमा को मजाक करने की बहुत आदत है !!
रोमा बोली भाभी बहन की ही खातिरदारी करोगी या मेरे लिए भी कुछ बनाया हैं आपने ??
राही रसोई से चाय नाश्ता ले आई और बोली मैं कब से आपका इंतजार कर रही थी !!’ नाश्ता बने काफी समय हो गया !!
रोमा बोली हां हां जानती हूं मुझे तो पढ़ाई करनी होती है पूरे दिन !! कभी मेरे कमरे में ही चाय नाश्ता पहुंचा दिया करो !!
इस कहानी को भी पढ़ें:
यह सुनकर राही कुछ नहीं बोली क्योंकि वो जानती थी रोमा कितनी पढ़ाई करती हैं !! पढ़ाई के नाम पर दिन भर फ्रेंडस से चैंटिंग करती रहती मगर कविता जी अपनी बेटी का इतना ज्यादा सपोर्ट करती कि राही कुछ नहीं कहती थी !!
कविता जी शिखा से बोली तुम्हारा ड्रेस तो बहुत प्यारा लग रहा है कहां से खरीदा तुमने ??
शिखा बोली यह ड्रेस तो कुंदन जीजा जी और दीदी ने मुझे राखी पर गिफ्ट दिया था !!
हमारा कोई भाई नहीं है तो मैं हर साल कुंदन जीजा जी को ही राखी बांध देती हूं , बस यह ड्रेस वही राखी गिफ्ट है !!
यह सुनकर रोमा को बहुत जलन हुई और कविता जी का चेहरा भी तमतमा उठा !!
राही अपने सास और ननद के चेहरे को भांप गई !!
रोमा बोली – अब मैं समझी मेरे भाई का प्यार मेरे प्रति इतना कम कैसे हो गया है ?? उसे दूसरी बहन जो मिल गई है !!
कविता जी ने एक बार फिर से हंसते हुए बात को टाल दिया और बोली मेरे कुंदन की चॉइस तो वैसे ही लाखों में एक है तभी तो पहली बार मुझे तुम्हारा ड्रेस इतना अच्छा लगा !!
शिखा को राही की सास और ननद का बर्ताव कुछ अलग सा लगा मगर उसे अपनी दीदी से अकेले में बात भी तो नहीं करने मिल रही थी !! रोमा चाय नाश्ता लेकर अपने कमरे में चली गई और कविता जी मंदिर के नाम पर बहु की बुराईयां करने चली गई !!
दोनों बहनों को अभी अकेले में बात करने का समय मिला ही था कि राही के पापा रमेश जी आ गए मगर राही की सासू मां तो राही के पिता के आने से पहले ही घर से जा चुकी थी !! राही के पिता बेटी के लिए कुछ फल – फ्रूट और साड़ी लाए थे !! रमेश जी बोले बेटा , यह तेरी मां ने तेरे लिए भिजवाया है !! तेरी मां को भी तुझसे मिलने का बड़ा मन था , थोड़े दिन बाद तू मायके आ जाती तो बहुत अच्छा रहता !!
राही बोली बहुत जल्द मां की मुझसे मिलने की इच्छा पूरी होने वाली हैं पापा !!
अगले हफ्ते मेरे सास ससुर की शादी की तीसवी वर्षगांठ हैं जिस पर आप सभी को आना हैं तभी मैं मां से मिल लूंगी !! यहां से मायके रहने आना थोड़ा मुश्किल हैं क्योंकि सारी घर की जिम्मेदारी मुझ पर हैं फिर भी अगर संभव हो पाया तो सास – ससुर की वर्षगांठ के बाद दो तीन दिन के लिए रहने आ जाऊंगी !!
इस कहानी को भी पढ़ें:
राही ने गर्म गर्म खाना बना दिया था ताकि उसके पापा और बहन खाकर जाए !! बहुत देर राही की सास के इंतजार के बाद रमेश जी बोले अच्छा बेटा , अब चलते हैं काफी देर हो चुकी हैं !!
कविता जी के अब तक घर ना आने का एक कारण यह भी था कि वह राही के पापा से मिलना ही नहीं चाहती थी !! ऐसा वे पहले भी एक दो बार कर चुकी थी !! उनकी नजरो में तो वैसे ही बहू के मायके वालों की कोई इज्जत नहीं थी !!
काफी देर बाद कविता जी घर आई तब रोमा भी अपने कमरे से खाना खाने बाहर आ चुकी थी !!
फलों की टोकरी और साड़ी देखकर कविता जी जोर से बोली – बस इतनी सी ही औकात हैं तुम्हारे माता पिता की तभी तो मेरा बेटा कुंदन कुछ ना कुछ देते रहता हैं तेरे मायके वालो को !! अब तेरे घर की परिस्थिति तो वह भी जान चुका हैं !!
उतने में रोमा बोली हां मम्मी तभी तो इनकी बहन ने कुंदन भैया को भाई बना लिया हैं ताकि भाई भाई बोलकर अपने मायके यह लोग ज्यादा धन ऐंठ सकें !!
राही बोली यह कैसी बातें कर रहे हैं आप लोग ?? मेरे मायके वाले बहुत पैसेवाले तो नहीं मगर स्वाभिमानी लोग हैं और कुंदन आपका बेटा मतलब कि मेरा पति एक बहुत अच्छा इंसान हैं !!
उन्हें जब पता चला कि मेरी छोटी बहन हमेशा राखी के दिन उदास रहती हैं तो उन्होंने शिखा से राखी बंधवानी शुरू कर दी !! शिखा के लाख मना करने के बाद भी वे मुझे लेकर उसके लिए राखी का गिफ्ट लाने गए !! राई का पहाड़ बना लिया आप लोगों ने तो बोलकर राही रसोई में चली गई मगर कविता जी और रोमा के दिल को चैन ना पड़ा !!
अगले दिन भंवरलाल जी और कुंदन अगले हफ्ते शादी की तीसवी वर्षगांठ की तैयारी करने लगे जिसमें राही ने उनका पुरा साथ दिया !! राही ने सारे मेहमानों को फोन कर दिया !!
कुंदन ने हॉल बुक कर दिया गया और इवेंट मैनेजर से सारी व्यवस्था करवा ली !! भंवरलाल जी का मानना था कि शादी की पचासवी वर्षगांठ तक जाने हम दोनों रहे ना रहे इसलिए जिस पल में हैं उसी पल का आनंद लिया जाए !!
अपनी पत्नी कविता जी के लिए वे एक हीरो से जड़ा नेकलेस भी लेकर आए जिसे देखकर कविता जी बहुत खुश हुई !!
भंवरलाल जी उनकी खुशी देखकर बोले बस भाग्यवान !! हमेशा ऐसे ही मुस्कुराती रहो !!
घर में क्लेश और कलह मत करो , मैं तुमसे ज्यादा कुछ नहीं चाहता बस मेरी यह इच्छा पूरी कर दो !!
कविता जी इतराते हुए बोली ए जी !! आपको क्या लगता हैं हमेशा झगड़ा मैं करती हुं ?? वह हैं ना आपकी लाडली बहू वो और उसके मायके वाले कुछ कम नहीं हैं देखना आपको एक ना एक दिन सच जरूर पता लगेगा !!
इस कहानी को भी पढ़ें:
बहू…. अब नहीं होगा… – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
भंवर लालजी बात को बढ़ाकर अपनी आने वाली शादी की वर्षगांठ खराब नहीं करना चाहते थे इसलिए वे कुछ बोले नहीं क्योंकि हर बार वे बहू और बेटे की तरफदारी करते और कविता जी उनसे गुस्सा हो जाती !!
भंवरलाल जी एक बहुत अच्छे पति , पिता और ससुर थे इसलिए घर में सभी के चहेते थे !!
आज भंवरलाल जी और कविता जी की शादी की वर्षगांठ थी !! हॉल खचाखच मेहमानों से भरा हुआ था !! सभी लोग सारे इंतजाम की खुब तारीफ कर रहे थे जो कि कुंदन और राही ने मिलकर किए थे !!
बीच में अचानक थोड़ी देर के लिए लाईट चली गई !! लाईट आने के बाद सभी की जान में जान आई क्योंकि गर्मी के कारण सभी मेहमानो की हालत खराब हो गई थी !!
उतने में भंवरलाल जी की नजर कविता जी के गले पर गई वे बोले कविता जी !! आपका हार कहां हैं ?? कविता जी ने अपने गले में हाथ रखा और बोली लाईट जाने से पहले तो वह हार मेरे गले में ही था !! हीरो से जड़ा बेशकीमती हार कहां गया ?? आप कितनी ख्वाहिशो से लाए थे वह हार मेरे लिए !!
बोलकर कविता जी रोने लगी !!.
कुंदन बोला मम्मी आप रो क्यों रही हैं ?? हार अभी तक आपके गले में था और लाईट आने के बाद हार गले में नहीं हैं इसका मतलब यह है कि हार मेहमानों में से ही किसी के पास हैं !! आपका हार किसी ने चुरा लिया हैं !!
कुंदन एक अनाउंसमेंट करते हुए बोला माफ करिएगा मगर मेरी मां का हार यहां उपस्थित लोगों में से किसी ने चुरा लिया हैं इसलिए मुझे वेटर दवारा सबके बैग्स और जेब की तलाशी लेनी पड़ेगी !! कृपया आप लोग इसे अनयथा ना ले और सहानुभूति दिखाए !!
यह सुनकर पहले तो सभी के होश उड़ गए पर कोई कुछ बोला नहीं क्योंकि आखिर हीरो से जड़े हार का सवाल था !!
सभी के बैगों की तलाशी हुई और हार राही की बहन शिखा के बैग से बरामद हुआ !!
शिखा खुद हार देखकर हैरान होते हुए बोली जीजाजी मुझे नहीं पता यह हार मेरे बैग में कैसे आया ?? मैं चोरी क्यों करूंगी ??
उतने में कुंदन की बहन रोमा आकर बोली देखा भैया मुंहबोली बहन तो आखिर मुंहबोली ही होती हैं यह तो वही बात हो गई बगल में छुरी और मुंह में राम – राम !!
राही भाभी के मायके वालों को समझने में बहुत बड़ी भूल हुई हैं आपसे भैया !!
इस कहानी को भी पढ़ें:
राही बोली नहीं कुंदन , शिखा कभी चोरी नहीं कर सकती !! उसे किसी ने फंसाया हैं , आप तो शिखा को जानते ही हो !!
कुंदन को तो जैसे झटका ही लग गया था वह कुछ बोलने या सोचने की स्थिति में नहीं था , उतने में उसे एक ख्याल आया और वह इवेंट मैनेजर से जाकर बोला मुझे लाईट आने के बाद की सारी सी.सी टीवी फुटेज अभी की अभी दिखाईए !!
इवेंट मैनेजर ने तुरंत सारी सी .सी टीवी फुटेज खोलकर कुंदन को दिखाई जिसमें कुंदन ने देखा कि उसकी बहन रोमा हीरो से जड़ा हार शिखा के बैग में डाल रही हैं !!
शिखा उस समय किसी से बात कर रही थी जिस वजह से उसे पता ही नहीं चला कि रो मा ने कितनी होशियारी से वह हार शिखा के बैग में डाल दिया !!
कुंदन बोला रोमा , मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी !!
शिखा को मेरी नजरो से गिराने के लिए तुमने इतनी बड़ी साजिश रची कि एक पल उसकी इज्जत के बारे में भी नहीं सोचा और इतने सारे मेहमानों के बीच यह कारनामा किया !!
रोमा का बचाव करने कविता जी बीच में आकर बोली कुंदन तुम सगी बहन को ही ज्यादा मान सम्मान देते तो रोमा कभी ऐसा नहीं करती !!
कुंदन बोला मम्मी !! मैंने आपको और रोमा को हमेशा मान सम्मान दिया हैं यहां तक कि आप लोग राही के साथ कैसा सुलुक करते है यह जानते हुए मैं हमेशा इसी उम्मीद में रहा कि एक दिन राही अपने स्वभाव से आप सभी को अपना बना ही लेगी मगर आप लोग तो इतने गिर गए कि राही की धज्जियां उड़ाते उड़ाते उसके मायके वालों की इज्जत की धज्जियां तक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी आप लोगों ने ….
कविता जी और रोमा अपने किए पर शर्मिंदा थे !!
भंवर लालजी भी अब तक यही सोचते आ रहे थे कि एक दिन उनकी बीवी और बेटी सुधर जाएंगे मगर आज उन दोनो की इस हरकत ने उन्हें सभी के सामने शर्मिंदा कर दिया था !!
वहीं दूसरी ओर राही को अपने पति कुंदन पर गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि आज कुंदन ने यदि असलियत का पता ना लगाया होता तो राही और उसके मायके वाले कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहते और शिखा उसकी जिंदगी में तो चोर जैसा दाग लग जाता !!
राही ऐसा हमसफर पाकर अपने आपको खुशनसीब मान रही थी !!
कविता जी और रोमा ने अपने किए पर सबसे माफी तो मांग ली मगर उनका यह काम माफी के लायक नहीं था !!
इस कहानी को भी पढ़ें:
दोस्तों , ईर्ष्या इंसान को कभी कभी इतना गिरा देती हैं कि उसे अच्छे बुरे में फर्क नहीं समझ आता इसलिए कभी किसी से ईर्ष्या ना करें !! ईर्ष्या , जलन इन सबका अंजाम एक ना एक दिन बुरा ही होता हैं !!
दोस्तों , आपको यह कहानी कैसी लगी जरूर बताए और ऐसी ही कहानियां पढ़ने हमारे पेज को फॉलो जरूर करें !!
धन्यवाद !!
स्वाती जैन
#हमसफ़र
Zabardast