Moral Stories in Hindi
सपना डोर बेल बजाती है ….. सास रुक्मिणी ने दरवाजा खोला तो उन्हें देखते ही ….. वह मुँह बनाकर चिडचिडाते हुए अंदर चली गई। रुक्मिणी उसके पीछे …… उस से पूछती हुई जा रही थी कि सपना देरी क्यों हो गई है बेटा क्या हो गया है सब्जी वाले के साथ झगड़ा हुआ है क्या ?
उनके प्रश्न का जवाब न देते हुए ….. वह अंदर कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर देती है।
उसका छोटा सा बच्चा चलते हुए …. उसके पैर पकड़ता है तो ….. उसे भी छोड़कर कमरे में चली जाती है । रुक्मिणी ही रोते हुए बच्चे को गोद में लेकर चुप कराती है।
अजय ऑफिस से आता है और कमरे में सो रही पत्नी को देख माँ से पूछता है …… इसे क्या हुआ है माँ ? ये इस समय क्यों सो रही है?
रुक्मिणी कहती है …… कि मैं भी नहीं जानती हूँ ….. अजय उसे क्या हुआ है? सब्जी लेने बाजार गई थी ….. जब से वहाँ से आई है….. इसी तरह से सोई हुई है ।
मैंने भी उसे नहीं उठाया है ……. बिचारी दिनभर काम करती रहती है ….. थक गई होगी । अजय उसे उठाने जा रहा था कि रुक्मिणी ने कहा…. उसे सोने दे …. मैं तुम्हारे लिए खाना लगाती हूँ।
सपना का छोटा- सा ख़ुशहाल परिवार था … सास , पति और एक छह महीने का बेटा घर में सब एक दूसरे को समझते हुए बिना किसी अनबन के रह रहे थे ।
कहते हैं …… शांत तालाब में एक छोटा सा कंकड़ फेंकने से पानी में हलचल मच जाता है …… ठीक उसी तरह से सब्जी लेने बाज़ार गई ….. सपना के मन में भी ईर्ष्या और अभाव की भावना जाग उठी थी …… जब वह अपनी सहेली विभा से मिली थी ।
उसकी नई चमचमाती कार ड्राइवर सब उसके मन में कोलाहल मचा रहे थे ।
उस दिन से सपना को पति अजय में ख़ामियाँ ही नज़र आने लगीं थीं । अब सपना को उसकी बातों को सुनना अच्छा नहीं लग रहा था ….. उसकी तरफ आँख उठाकर नहीं देखती थी ….. वह ऐसा महसूस कर रही थी कि माँ पिता ने उसके साथ अन्याय कर दिया है । सपना के बदले हुए रूप ने एक दो दिन में ही घर का माहौल बिगाड़ गया था ।
अजय ने उसके साथ बात करने और उसके इस व्यवहार का कारण जानने की भरसक कोशिश की परन्तु कोई नतीजा नहीं निकला ।
अजय यह सोच रहा था कि अब क्या करूँ? ….. ऐसी कौन सी बात है ? ……. जिसने सपना को इतना परेशान कर दिया है ।
वह बात – बात पर ताने देने लगी थी । हमारा घर ग़रीबों के घर से भी गया बीता है…. एक वाशिंग मशीन नहीं है, ए सी नहीं है ….. मुझे मालूम है ….. हमारी तो ख़रीदने की अहसियत भी नहीं है ।
मेरे माँ बाप ने अजय ने इंजीनियर की पढ़ाई की है प्राइवेट कंपनी में जॉब है…… कहकर मेरी शादी करा दी है । मेरी तो क़िस्मत ही फूटी है …… इसलिए मुझे ऐसा परिवार मिला है ।
रुक्मिणी को सपना की बातें सुनकर बहुत दुख हो रहा था पर….. वह घर में क्लेश नहीं करना चाहती थी ……. इसलिए चुप रहना बेहतर समझते हुए चुपचाप अपने काम करने लगी ।
रुक्मिणी के समान अजय चुप नहीं रह सका …… उसने माँ से मदद माँगी थी कि दो दिन के लिए बच्चे को देख ले और वह सपना को लेकर बाहर घुमाने ले जाए ताकि वह उससे अकेले में बात करके ….. उसकी दिल की बात जान सके।
अजय ने होटल रूम में सपना को समझाया और उसके बदले हुए व्यवहार का कारण पूछा ….. सपना खूब रोने लगी …… अजय ने उसे थोड़ी देर रोने के लिए छोड़ दिया …… जब सपना ने अपने आँसू पोंछे तो ….. उसे पीने के लिए पानी दिया और गले लगाकर चुप कराया ।
सपना ने बताना शुरू किया कि वह दो दिन पहले सब्जी ख़रीदने के लिए बाज़ार गई थी ……. जब वह सब्जी ले रही थी तो किसी ने मुझे पीछे से पुकारा सपना उस आवाज को पहचानते ही मैं झट से पलटकर देखती हूँ तो अचंभित होकर देखने लगी …. वहाँ मेरी बचपन की सहेली विभा खड़ी थी ….. हम दोनों ने खुशी से एक दूसरे को गले लगा लिया ।
मैंने आश्चर्य से कहा विभा तुम यहाँ कब आई …..मैंने तो सुना था कि तुम कहीं और रहती हो ?
विभा ने कहा कि तुमने सही सुना है मैं एक साल पहले ही यहाँ आई हूँ। जब मुझे पता चला कि तुम भी यहीं रहती हो …. मैं तब से तुम्हें ढूँढ रही थी ईश्वर की कृपा से आज तुम मुझे मिल गई हो ।
उसने मुझे अपने घर बुलाया था कि “ चल! मेरे घर चल …… मैं यहीं पास में ही रहती हूँ …. कहते हुए मेरे हाथ से सब्जियों का थैला लिया और ड्राइवर को पकडाते हुए ……. मुझसे कहा एक घंटे में चले जाना ….. मैं तुझे तेरे घर कार से भेज दूँगी। “
विभा मेरा हाथ पकडकर कार में बैठ गई। हम दोनों बचपन की बातों को याद करने लगे ।
स्कूल में हम चार सहेलियाँ थीं….. हम चारों मध्यम वर्गीय परिवार से थीं । हमारे घरों में हमें पढ़ाना ही बहुत बड़ी बात थी । मैं, विभा, मालिनी, और कुंदना…… हम चारों साथ थे पर हमारे विचार अलग थे ।
विभा पैसे वाले घर में बहू बनकर जाना चाहती थी …….उस दिन उसका कार ड्राइवर को देखते ही लगा कि उसका सपना पूरा हो गया है ।
अजय को उसकी बातों से ईर्ष्या की बू आ रही थी । उसके बदले व्यवहार का कारण काफ़ी हद तक अजय समझ गया था ।
कार में जाते समय विभा बता रही थी कि मालिनी डॉक्टर बनना चाहती थी पर डॉक्टर से शादी करके अमेरिका में बस गई है ।
कुंदना इंजीनियरिंग फिर एम एस फिर अमेरिका में शादी कर वहीं की हो गई है । अब तुम अपने बारे में बता दो । मैं कुछ कहती उसके पहले उसका घर आ गया …… उसे घर नहीं एक महल कह सकते हैं ।
उनकी बहुत बड़ी बैठक थी …. वहाँ उसके यहाँ काम करने वाली औरत आई जिसका नाम कमला बताया और कहा कमला जी नाश्ता बनाइए ……मेरी स्कूल की सहेली आई है ।
वहाँ से मुझे अपना घर दिखाने ले गई । उसके घर को देखने के लिए दो आँखें भी कम हैं । अपने बारे में उसे बिना कुछ बताए ही मैं घर लौट आई ।
सच कहूँ अजय मैं उसके घर बार को देख ईर्ष्या में जल गई …… और मैंने आप लोगों के साथ गलत बर्ताव किया।
मुझे माफ कर दो ना …..
अजय ने बताया कि सपना मेरे हिसाब से हमारे पास कितने पैसे हैं , कितना बड़ा घर है ……,यह मायने नहीं रखता है….. हम अपने परिवार के साथ कितने खुश हैं यह मायने रखता है ।
तुमने नहीं बताया कि तुम्हारी सहेली के बच्चे हैं या नहीं ?
सपना – “ नहीं अजय मैंने कुछ पूछा ही नहीं बस वह कौनसा फर्नीचर कहाँ से लाए घर बनाने में कितना खर्चा हुआ यही बता रही थी ।” मैं उसकी बातों में खो गई थी ।
अजय से सपना ने कहा “ माँ अकेले बच्चे की देखभाल नहीं कर सकेंगी चलिए हम घर चलते हैं “ कहकर एक दिन में ही वे दोनों वापस आ गए । उस दिन से सपना ने विभा के बारे में सोचना बंद कर दिया जिससे घर में फिर से शांति का माहौल हो गया था ।
एक दिन सपना ऐसे ही सब्ज़ी खरीद रही थी कि उसे वहाँ कमला दिखाई दी…. आपस में हालचाल पूछने के बाद सपना ने विभा का हालचाल पूछा तो उसने बताया कि विभा मेडम के बारे में क्या बताऊँ मेडम उसके पति का एक विवाह ऑलरेडी हो गया है उसके दो बच्चे भी हैं …. वह वहीं उसी घर रहता है ।
विभा मेडम के पास कभी-कभी आता है वह भी बहुत पीकर आता है ….. विभा मेडम को खूब मारता है …..उनकी मार से उभरने के लिए उन्हें कम से कम दो तीन दिन लग जाते हैं…. मेडम पैसा ही सब कुछ नहीं होता है ….. ज़िंदगी में सुकून भी तो मिलना चाहिए।
विभा मेडम की ज़िंदगी में पैसा बहुत है लेकिन सुकून नहीं है । मैं चलती हूँ विभा मेडम सो रहीं हैं उन्हें दवाई देना है कहते हुए कमला चली गई ।
उसकी बातों को सुनने के बाद सपना की गलत फहमी दूर हो गई । जैसे ही वह घर पहुँची रुक्मिणी जी को गले लगाया माफी माँगी और बच्चे के साथ खुशी – खुशी खेलने लगी । रुक्मिणी ने अपनी बहू को पहले जैसा पाकर ईश्वर को धन्यवाद दिया ।
के कामेश्वरी
ईर्ष्या ( साप्ताहिक विषय )