हमसफर ऐसा भी – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

कुकर की सिटी की आवाज से रिचा की आंखें खुली.. बिस्तर के पास पड़ी टेबल के ऊपर रखी घड़ी पर नजर गई, तो वह एकदम से बिस्तर से उठ खड़ी हुई और कहा… हे भगवान… 7:30 बज गए..? इतनी देर हो गई और मैं सोती रही… पर मेरी अलार्म क्यों नहीं बजी..? छोड़ो यह सब बाद में देखूंगी… पहले नहा धोकर मम्मी जी को चाय दे दूं…

वरना आज तो गई… यह बड़बड़ाते हुए रिचा नहाने चली गई… नहाने के बाद जब वह रसोई में गई तो देखा सासू मां अनुपमा जी गैस पर कुछ पका रही है और एक तरफ कुकर चढ़ी हुई है… यह देखकर तो रिचा के मन में उस कुकर की तरह दबाव बनने लगा और फिर वह हकलाते हुए अपनी सासू मां से कहती है… मम्मी जी आप छोड़ दीजिए… मैं सब कर देती हूं… 

अनुपमा जी:   सब कर लिया है मैंने… तुम्हें क्या लगता है जो तुम खाना नहीं बनाओगी तो मेरा बेटा भूखा ऑफिस चला जाएगा..? अरे उसकी मां जिंदा है अभी तक… आज तक कभी ना ऐसा हुआ है और ना ही आगे होगा… वह तो मेरा ही दिमाग खराब हो गया था जो इस घर की जिम्मेदारी तुम्हें सौंपीं… 

रिचा:   वह मम्मी जी… रात को बुखार था मुझे तो नींद नहीं आई सुबह ही आंख लगी और अलार्म भी नहीं बजा, तो उठने में देर हो गई… मुझे माफ कर दीजिए… आगे से ऐसा नहीं होगा 

रिचा बहुत सीधी शादी लड़की थी.. वह एक गरीब परिवार से थी उसे एक शादी में देखकर अनुपमा जी के पति पंकज जी ने पसंद किया था और यह रिश्ता उन्हीं के वजह से तय हुआ था.. रिचा की गुणो की चर्चे तो पूरे बिरादरी में थी और इसी बात पर चट मंगनी पर ब्याह हो गई… रिचा ना तो खास दिखती और ना ही कुछ लाई  थी, तो इस बात पर अनुपमा जी उसे थोड़ी खफा सी रहती थी… पर रिचा पूरे दिल से सब की सेवा करती थी…

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उसका पति रोहन भी बड़ा सरल आदमी था… मतलब भगवान ने इनकी जोड़ी मिलाई थी… खैर उस दिन उसके देर से जगने पर अनुपमा जी उससे काफी नाराज थी… फिर वह कहती है… तुम्हारे तो बहाने हमेशा तैयार रहते हैं… चलो आराम कर रही थी ना… अब पूरे दिन मैं तुम्हें आराम ही दूंगी… तुम्हें भी और तुम्हारे पेट को भी… आज पूरे दिन अपने कमरे में आराम ही करो… अपने कमरे से मत निकलना जब तक मैं ना कहूं… खाना पीना कुछ नहीं 

रिचा:   मम्मी जी..?

अनुपमा जी:   सुना नहीं क्या कहा मैंने..? जाओ… अब अपने कमरे में… उसके बाद रिचा अपने कमरे में चली गई और अपने बिस्तर पर बैठे-बैठे खुद को कोसने लगी, कि क्यों मैं सुबह जल्दी नहीं उठ पाई..? कुछ देर बैठे रहने के बाद रिचा ने सोचा… चलो यूं खाली बैठे रहने से अच्छा है…

अलमारी की सफाई कर लूं… घर के कामों के चक्कर में इसकी फुर्सत ही नहीं मिलती… आज कर लेती हूं… यह सोचकर जब उसने अलमारी खोली तो देखा सामने ही एक कागज पर कुछ लिखा हुआ है और वह चिपकाया हुआ है… जब रिचा ने उसे हाथ में लेकर पढ़ना शुरू किया… यह उसके पति रोहन ने लिखा था…

रिचा मुझे पता है कल रात तुम्हें बुखार था और इसलिए तुम सुबह सोई… तुम्हें सोता देख, मैंने अलार्म बंद कर दिया और सुबह सबसे पहले तुम्हारे लिए दवाई लाकर रख दी दराज में… मैं यह भी जानता था कि तुम्हारे देर से जगने पर, मां भी नाराज होंगी… और शायद वह तुम्हें उसकी सजा भी देगी… पर वह दिल की बुरी नहीं है… वह शायद तुम्हें एक टाइम का खाना ना दे… इसलिए मैंने कुछ खाने का सामान, दवाई के साथ रख दिया है…

उसे खाकर फिर दवाई लो लेना… शाम को आकर मैं तुम्हें डॉक्टर के पास ले चलूंगा… तुम सोच रही होगी कि यह सब मैं तुम्हें लिखकर क्यों कह रहा हूं..? बता भी तो सकता था… देखो रिचा में हमेशा से ही अपनी भावनाएं व्यक्त करने में पीछे रहा हूं… हम पुरुषों का भी बड़ा अजीब धर्म संकट होता है… मां की तरफ से बोलूं तो पत्नी को लगता है मुझे उसकी परवाह नहीं और पत्नी की तरफ से बोलूं तो मां को लगता है कि उसका बेटा पराया हो गया है…

पर सच तो यह है कि मां और पत्नी दोनों की ही महत्वपूर्ण है हमारे जीवन में… क्योंकि मां हमे इस जीवन के सफर में चलना सिखाती है, वहीं पत्नी हमसफर बनकर जीवन के अंतिम सफर तक साथ निभाती है… मैं तुम दोनों से ही प्यार करता हूं… यह मत समझना कि मुझे तुम्हारी परवाह नहीं… बस मुझे जताना नहीं आता और रही बात मां की… देखना कुछ ही देर में, वह खुद तुम्हारे पास आएगी खाना लेकर… तुम अपने मन में मां के लिए भी कोई खटास मत रखना…

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यह पढ़ते पढ़ते रिचा की आंखों में आंसू आ गए और वह मन ही मन सोचने लगी कि कितने सरल और नेक विचार है रोहन के… वह परिवार में हर रिश्तो को एक सूत में बांधकर चल रहा था और इधर मैं सोचती थी इन्हें अपनी मां की ज्यादा परवाह है.. कितनी भाग्यशाली हूं मैं जो मुझे ऐसा हमसफर मिला… रिचा यह सब सोच ही रही थी कि तभी अनुपमा जी उसके कमरे में आती है… रिचा उन्हें देखकर हैरान हो जाती है… क्योंकि अनुपमा जी के हाथों में खाने की थाली थी, जैसा रोहन ने कहा था… 

अनुपमा जी:   अब तुम्हारी सजा पूरी हुई.. खाना खा लो… इस बार तो दे दिया अगली बार याद रखना… पूरे दिन भूखा रखूंगी… वैसे एक बात बताओ जब तुम्हें बुखार था तुमने किसी को बताया क्यों नहीं..? बिना दवाई के बुखार कैसे उतरेगी..? रुको मैं रोहन से कहती हूं दफ्तर से आते वक्त तुम्हारे लिए दवाई लेकर आए… 

रिचा:  मम्मी जी… दवाई है मेरे पास..

 अनुपमा जी:   फिर ली क्यों नहीं..? 

रिचा:   क्योंकि सुबह ही मिली और यह कहते हुए रिचा चुप हो गई…

 अनुपमा जी:   हां हां जानती हूं… रोहन तुम्हारे लिए दवाई ले आया है, बस अनजान बनने का नाटक कर रही थी, क्योंकि मुझे देखना था तुम सच बोलती हो या नहीं..? 

रिचा हैरान होकर अनुपमा जी को देखने लगती है और फिर पूछती है…  यह क्या कह रही है मम्मी जी आप..?

 अनुपमा जी:   रोहन को दवाई लाते हुए मैंने देख लिया था और फल भी… उस बेवकूफ को लगता है अगर वह तुम्हारी परवाह करेगा तो मैं उससे नाराज हो जाऊंगी… अगर सच में ऐसा होता तो मैं उसकी कभी शादी ही ना करवाती… वह तो मेरे अरमान उसकी शादी को लेकर पूरे नहीं हुई इसलिए…. सच कहूं रिचा मुझे बहुत खूबसूरत बहू चाहिए थी, मेरे रोहन के लिए जो तुम नहीं थी, इसलिए मैं तुमसे संतुष्ट नहीं थी और ऐसे पेश आती थी… पर अब मुझे पता चल गया है कि मेरे राम जैसी बेटे को सीता जैसी पत्नी ही मिली है… खैर उसकी भी गलती नहीं है, उसने देखा है इस घर में, जब भी उसके पापा मेरे लिए कुछ करते थे, उसकी दादी बहुत क्लेश करती थी, शायद इसी क्लेश को रोकने के चक्कर में उसने अपनी भावनाओं को दबाना सीख लिया.. पर आज मुझे गर्व है मेरे बेटे पर, उसने दिखावा ना करके भी अपने भावनाओं को जहां जरूरत वहां दिखा दिया… भगवान तुम दोनों की जोड़ी को ऐसे ही सलामत रखे… 

रिचा अनुपमा जी की इन बातों से भावुक होकर अनुपमा जी के गले लग जाती है और रोते-रोते बस यही सोचती है कि मैं कितनी भाग्यशाली हूं जो ऐसा हमसफर और परिवार मिला… 

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दोस्तों आज की कहानी बहुत ही सरल है… पर इसकी सीख बहुत गहरी… मतलब आजकल यह हमारी मानसिकता बन गई है कि जब पति पत्नी बहुत ज्यादा दिखावा करें, तो ही वह अच्छे हमसफर कहलाते है…  लेकिन बिना दिखावे के भी सच्चा प्यार हो सकता है… आजकल इन फोटो की दुनिया में हर कोई बस दिखावा कर रहा है, क्योंकि उन्हें एक अच्छी तस्वीर चाहिए, अपने सोशल मीडिया पर फैलाने के लिए… और हम घर बैठे उन्ही तस्वीरों को देखकर अपनी जिंदगी में चल रहे घटनाक्रम को अनदेखा कर देते हैं और खुद के जीवन को कोसने लगते हैं… पर याद रखिए अच्छी तस्वीरों से ज्यादा जरूरी है अच्छे पल… आपकी क्या राय है इस बारे में…? यह कमेंट करके जरूर बताएं 

धन्यवाद 

#हमसफर 

रोनिता कुंडु

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