हिंदी मेरी पहचान – नीतिका गुप्ता 

मिस सिया,, टू हूम विल यू गिव द क्रेडिट ऑफ योर सक्सेस..??

जस्ट ए मोमेंट आई विल आंसर यू ऑन सियाज बिहाफ … रोहन माइक हाथ में लेकर पत्रकारों से रूबरू हुआ और आगे कहा सिया इज गिविंग द होल क्रेडिट ऑफ हर सक्सेस टू मी… चारों तरफ से तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी और सिया की आवाज उसमें दब गई।

रोहन ने सिया की तरफ से एक थैंक यू स्पीच थी और सिया का हाथ पकड़कर स्टेज से नीचे आ गया।

सिया,, कितनी बार बोला है अपना मुंह बंद रखा करो, जब तुम्हें बात करनी नहीं आती तुम मुझे बोलने दिया करो.. और क्या कह रही थी तुम की अपनी सफलता का क्रेडिट तुम खुद को दोगी.. मेरी वजह से तुम छोटे से कस्बे से यहां विदेश में आकर बस गई और आज जरा चार लोग तुम्हें पूछने क्या लगे.. तुम्हारे तो पर ही निकल आए..!!

सिया खामोश थी। हमेशा से यही होता आया था.. रोहन अंग्रेजी में बात करके वाहवाही लूट लेता और सिया की बात सुनने वाला कोई ना होता।

लगभग 4 साल पहले सिया अपने पति रोहन के साथ साल भर के लिए यहां रहने आई थी लेकिन रोहन ने अपनी समझदारी और कार्य कुशलता से यहां की ही एक कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी प्राप्त कर ली।

सिया भारत देश के एक छोटे से कस्बे में रहने वाली लड़की,, गिटपिट अंग्रेजी बोलना नहीं जानती थी और बस इसी कारण रोज ही अमन और उसके दोस्तों के बीच मजाक का पात्र बन जाती।

सिया ने यहां रह कर कुछ भारतीय मूल स्त्रियों से दोस्ती कर ली और उसे समझ आया कि इस देश में भी भारतीय खाने को बहुत पसंद किया जाता है। अपनी कुछ मित्रों के सहायता से उसने भारतीय भोजन का एक छोटा सा रेस्टोरेंट्स शुरू किया और उसकी कड़ी मेहनत के कारण उसके रेस्टोरेंट का रूप और आकार विस्तृत हुआ,, साथ ही साथ उसने दूसरे शहर में अपने रेस्टोरेंट की एक और शाखा खोली।



 

आज उसी शाखा का उद्घाटन है जिस के मौके पर पत्रकार सिया से बात करना चाहते हैं। वैसे तो इतने समय में सिया ने भी अच्छी खासी अंग्रेजी बोलना सीख लिया है लेकिन सिया की मातृभाषा हिंदी.. उसे अपने देश और अपनी मातृभाषा दोनों से ही बहुत अधिक प्रेम है। कई सालों से वह स्वयं में हीनता का अनुभव कर रही थी लेकिन आज उसे समझ आ गया कि हिंदी सबसे सुंदर और सबसे प्यारी भाषा है जिसे विदेशों में भी सम्मान मिलना चाहिए।

रोहन को अनदेखा कर सिया वापस से पत्रकारों के बीच गई और कहा…

आई कैन गिव योर आंसर इन योर लैंग्वेज वट आई वांट टू स्पीक इन माय मदर टंग “हिंदी”…

जिस तरह आप लोग भारतीय खाने का स्वाद लेने के लिए मेरे रेस्टोरेंट में आए हैं उसी तरह मेरे जवाबों का स्वाद आपको तभी आएगा जब मैं हिंदी में दूंगी। आप लोगों ने पूछा कि मैं अपनी सफलता का क्रेडिट किसे देती हूं..

मैंने अपनी सफलता का क्रेडिट अपने देश भारत को देती हूं,, मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूं,, भारत का भोजन, भारत की संस्कृति, भारत के त्योहार, भारत की परंपराएं आप सभी इनका आनंद उठाते हैं। मेरा भारत महान… मैंने जो सीखा भारत से सीखा अपने परिवार से सीखा और आज अपने भारतीय परिवार के कारण ही मैं यह सफलता हासिल कर पाई हूं। सिया पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी मातृभाषा में बड़े ही प्यार से बोल रही थी। सारे विदेशी पत्रकार और दूसरे सभी लोग मंत्रमुग्ध होकर उसकी हर बात को सुन रहे थे।

हिंदी है ही ऐसी भाषा जिसमें कहा हुआ हर शब्द मन को अति प्रिय लगता है।

सिया के सम्मान में बजती हुई तालियां रोहन को यह एहसास दिला गईं कि उसकी पत्नी किसी से कम नहीं और उसका अपना देश अपनी मातृभाषा किसी दिखावे के मोहताज नहीं.. सिया ने विदेश में भी अपने देश को गौरवान्वित किया।

  आशा करती हूं आप भी अपनी मातृभाषा से उतना ही प्रेम करते होंगे जितना कि मैं.. अगर आपको दूसरी भाषाएं आती हैं तो बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर नहीं आती है तो कोई शर्म की बात नहीं।

प्रिय पाठकों कृपया कहानी के बारे में अपने विचारों से मुझे अवगत कराएं।

स्वरचित एवं मौलिक रचना

   नीतिका गुप्ता 

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