moral stories in hindi : “दीदी मेरे हिसाब से आपको सेल्फ डिफेंस सीखना ही चाहिए।”
“हुँह कौन सिखायेगा मुझे? बताया न कहकर देख चुकी हूँ मम्मी से। पापा तैयार थे पर मम्मी नहीं मान रहीं, जरूर नानी ने भी मना किया होगा।”
“ये तो ठीक कह रही हो दीदी, चलो टेंशन मत लो सोचते हैं कुछ।”
अगले दिन नीता ने पास वाले बाजार से छवि को कुछ सामान लाने को कहा तो रिया भी साथ हो ली। दोपहर का समय था शॉर्टकट के चक्कर में छवि पास वाली गली में मुड़ गयी। गली उस वक्त सुनसान थी। अचानक दो लड़के सामने से आकर रास्ता रोककर खड़े हो गये। छवि कुछ सोच पाती कि उसने रिया को भय से थरथर काँपते देखा। उसे समझते देर न लगी कि इनमें से एक वही लड़का है जिसका जिक्र रिया ने कल किया था।
“त..तुम यहाँ….?”
बड़ी मुश्किल से इतना ही बोल सकी थी रिया।
“हाँ.. जहाँ तुम वहाँ मुझे होना ही चाहिए न रिया.. जब तक हाँ नहीं कहोगी मैं तुम्हारे पीछे आता ही रहूँगा, तुम कहीं भी जाकर देख लो।”
वह लड़का बेशर्मी से बोला।
दूसरा लड़का उसके पीछे चुपचाप खड़ा इधरउधर देख रहा था। उसका ध्यान इन लड़कियों पर न होकर इस बात पर था कि गली में कोई आ तो नहीं रहा।
छवि ने स्थिति का संपूर्ण जायजा लेने में पलभर भी नहीं लगाया और जेब से तुरंत मिर्ची वाला स्प्रे निकालकर पीछे वाले लड़के की आँखों में डाल दिया। छवि छोटी थी इसलिये दोनों में से किसी लड़के को भी उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी। पीछे वाला लड़का घबराकर कुछ कदम और पीछे हो गया और अपनी आँखें मलने लगा।
आगे वाले लड़के ने छवि से स्प्रे छीनने का प्रयास किया लेकिन तब तक तो छवि ने घूमकर सीधे उसके चेहरे पर अपने दाहिने पैर को दे मारा। चोट सीधे नाक पर लगी और लड़का दर्द से बिलबिला गया लेकिन तब तक तो छवि दनादन कुछ लात घूँसे और बरसा चुकी थी उस पर। इतने में दो औरतें सामने से आती दिखाई दीं तो लड़कों ने भागने का प्रयास किया लेकिन छवि ने उछलकर पीछे से हाथ डालकर लड़के की गर्दन पकड़ ली। ये सब देखकर रिया में भी थोड़ी हिम्मत आयी और उसने भी आगे बढ़कर लड़के के गाल पर कसकर दो चाँटे रसीद कर दिये और गुस्से से बोली-
“जहाँ मैं जाऊँगी आयेगा वहाँ? बता अब आयेगा मेरे पीछे?”
तब तक उन दोनों औरतों ने आकर दूसरे लड़के को दबोच लिया था। वह छवि को जानती थीं और उसे भरपूर शाबाशी दे रही थीं।
लड़के छोड़ने की गुहार लगा रहे थे लेकिन वे सब उन्हें पकड़कर घर ले आये। रविवार की वजह से जयेश भी घर पर ही थे और सारा माजरा जानकर पुलिस चौकी पर फोन कर दिया।
उन औरतों में से एक सावित्री से बोली-
“चाची क्या गजब की फुर्ती है तुम्हारी पोती में, हमने तो आज देखा। अकेले ही दो लड़कों को काबू कर रखा था इसने। वैसे धेवती तुम्हारी बहुत डरी हुयी लगती थी पर छवि ने तो कमाल कर दिया था। हम तो सारे मोहल्ले वालों को यही कहेंगे भई लड़की को छवि जैसी बहादुरी सिखायें। जमाना खराब है और लड़कियों को घर पर तो नहीं बैठाकर रख सकते तो लड़कियों को अपनी सुरक्षा खुद ही करनी सीखनी होगी न! छवि को तो इनाम मिलना चाहिए इसकी बहादुरी का।”
सावित्री ने प्यार से छवि के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा-
“आज तो तूने खानदान की इज्जत मिट्टी में मिलने से बचा ली बेटी। सचमुच तुझपर गर्व हो रहा है मुझे। तू इतनी बहादुर है मुझे पता ही नहीं था।”
“पता कैसे होता दादी मैं कुछ भी करती हूँ आप बस खानदान की इज्जत की ही बात करती हो। छवि ने गलत किया, खानदान की इज्ज़त मिट्टी में मिली, छवि ने अच्छा किया खानदान की इज्जत बढ़ी। अरे दादी खानदान से थोड़ा आगे भी तो आ जाओ न अब? मैंने खानदान की इज्जत बढ़ाई या नहीं पता नहीं पर मैं लड़कियों की इज्ज़त पर कोई आँच नहीं आने देना चाहती इसीलिए कहती हूँ हर लड़की को सेल्फ डिफेंस आना ही चाहिए।”
“और तू एकदम ठीक कहती है छवि! अरी जया कुछ दिन रिया को यहीं छोड़ दे छवि के पास। स्कूल तो यहाँ से भी जा सकती है ये। मुझे पता है कि सेल्फ डिफेंस तो कहीं पर भी सीख सकती है ये पर इसके साथ इसे हौसले की उड़ान भरना भी तो सीखना है जो छवि और नीता से अच्छा इसे कोई नहीं सिखा सकता। नीता ने अपनी छवि और रावी के दिलों में जो हौसला जगाया है वो वाकई काबिलेतारीफ है।”
“ठीक कह रही हो माँ। मैं रिया को कुछ दिन यहीं छोड़ूँगी, बहुत कुछ सीखेगी ये अपनी मामी और बहनों से।”
छवि ने गर्व से अपनी माँ की ओर देखा। आखिर वही तो थी जिसने सबके विरोध के बाद भी हौसलों के पंख दिये थे अपनी बेटियों को जिसकी वजह से ये उड़ान संभव हुयी थी।
हौसलों की उड़ान ( भाग 1) – अर्चना सक्सेना : Moral stories in hindi
#खानदान
अर्चना सक्सेना
अति सुन्दर तरीके का प्रयोग किया आपने इस प्रस्तुति में।
इसके लिये आपको और आपकी लिखनी को नमन