हमारे घर की बहुएँ डांस-वांस नहीं करती – रश्मि सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कशिश-संध्या दीदी तो इतना अच्छा डांस करती है कि जीजा की के साथ साथ ससुराल वाले भी फैन हो जाएँगे। आपने सोचा है दीदी कि लेडीज संगीत में कौन से गाने पर  डांस करोगी। 

संध्या-अरे नहीं। वहाँ मम्मी ने तो पहले ही फ़ोन करके कह दिया था कि कोई कितना भी ज़िद्द करे पर नाचना नहीं। हमारे घर की बहुएँ डांस-वांस नहीं करती।

कशिश-तो क्या दीदी आप शादी के बाद अपने इस हुनर को दबा दोगी। स्कूल, कॉलेज हर जगह डांस के लिये पुरस्कृत की जाती हो आप। नेशनल लेवल की डांसर हो आप।

संध्या-अब तू चुप हो जा, वरना मार खाएगी। जब तेरी भी शादी होगी ना तब तू भी समझदार हो जाएगी।

संध्या शादी के बाद अपने घर में अच्छे से रच बस जाती है, पर जब जब घर में कोई तीज त्योहार होता तो आस पड़ोस की सब बहुएँ डांस करती तो उसके भी पैर मानो थिरकने लगते, पर उसे नहीं करने दिया जाता। उसकी कला उसके हुनर का हर बार दमन कर दिया जाता। 

वो अपनी हर ज़िम्मेदारी बखूबी निभा रही थी पर ख़ुद उसका मन हर पल उदास रहता। 

पोस्टमैन-कोई घर पर है। संध्या जी यही रहती है क्या ?

सूरज़-जी भइया, मेरी पत्नी है वो। 

पोस्टमैन-उनका कोई पत्र आया है, यह दस्तख़त कर दीजिए।

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सूरज रजिस्टर पर साइन कर वो पत्र ले लेता है।

रीमा (सूरज की माँ)-कैसा पत्र है, किसने भेजा है इसके सब रिश्तेदार तो आस पास ही रहते है तो ये पत्र …

संध्या भी अनभिज्ञ थी कि किसने उसे पत्र भेजा है ऐसा कोई नाते रिश्तेदार तो है नहीं जो दूर रहते हो। 

सूरज (पत्र खोलते हुए)-अरे वाह, संध्या ये देखो तुम्हारे हुनर को पहचान दिलाने के लिए एक मंच ने तुम्हें आमंत्रित किया है। 

रीमा (सूरज की माँ)-ऐसा भी क्या हुनर है इसमें। 

सूरज-माँ संध्या जी डांस बहुत अच्छा करती है, तो मैंने कशिश (संध्या की बहन) से इनकी वीडियो लेकर यूपी बेस्ट डांसर कांटेस्ट में भेजी थी तो इन्हें प्रतिभाग करने के लिए बुलाया गया है। 

रीमा-क्यूँ री, मैंने तुझे पहले ही बोला था ना की नाच गाना हमारे यहाँ नहीं चलता, फिर तूने अपने नाच गाने का बखान सूरज के आगे क्यों किया। 

संध्या की आँखों से झर-झर आंसू बहने लगते है कि उसे तो बेवजह डाँट पड़ रही है उसे तो कुछ पता ही नहीं था।

सूरज-माँ अगर किसी में कोई कला कोई हुनर है तो क्या उसका दमन करना ठीक है, उस हुनर को तो आगे लाना चाहिए। 

सुरेश जी (सूरज के पिता)-एक दम सही बात कही बेटा, अगर मेरी बहू इतना अच्छा डांस करती है तो उसे अपनी कला को निखारना चाहिए। बता सूरज कैसे, कब और कहाँ चलना है, तेरा बापू तैयार है। 

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रीमा जी मुँह बनाकर बड़बड़ाती हुई अंदर चली जाती है, तो सुरेश जी कहते है कि परेशान ना हो बेटा तेरी माँ भी एक दिन मान जाएगी।

संध्या सूरज का हाथ पकड़ते हुए कहती है कि आप जैसा जीवनसाथी सबको मिले, आपने मेरे लिये इतनी पहल की है अब मैं अपने हुनर से आप सबको गर्वित महसूस कराऊँगी।

 एक वो दिन था और एक आज का दिन है, संध्या डांस एकेडमी चलाती है और 200 से ज़्यादा बच्चे उसकी एकेडमी में डांस सीखते है और रीमा जी इस एकेडमी की डायरेक्टर है।

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प्रतियोगिता एवं समूह हेतु।

#मुहावरा

# तिनके का सहारा।

धन्यवाद। 

स्वरचित एवं अप्रकाशित।

रश्मि सिंह

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