Moral Stories in Hindi : रिंकी, आज तू स्कूल गई थी तो स्कूल में कुछ महत्वपूर्ण बात हुई तो मुझे बता दे, मै अभी दो दिन और स्कूल नहीं आ पाऊंगी, मेरे दादाजी की तबीयत ठीक नहीं है, और मै यहां गांव में अपने मम्मी-पापा के साथ आई हूं, श्रेष्ठा ने अपनी सहेली रिंकी को बोला।
हां, पर वो अगले पल ही मुकर गई, नहीं कुछ भी खास नहीं बताया, तू आराम से आना और फिर मै हूं ना, कुछ होगा तो बता दूंगी, ये कहकर रिंकी ने फोन रख दिया।
रिंकी और श्रेष्ठा दोनों नौवीं कक्षा में एक साथ पढ़ती है, दोनों की आपस में बहुत पटती है , श्रेष्ठा पढ़ाई में अव्वल थी और हमेशा कक्षा में प्रथम स्थान पर आती थी, वहीं रिंकी चौथे या पांचवें स्थान पर रहती थी, दोनों एक ही सोसायटी में रहती थी तो साथ में आना-जाना भी लगा रहता था, इसी वजह से दोनों की दोस्ती भी हो गई थी, श्रेष्ठा आंख मूंदकर रिंकी की हर बात पर विश्वास करती थी, इसलिए रिंकी ने जो कहा, उसने मान लिया।
दो-तीन दिन बाद श्रेष्ठा वापस पहुंच गई, और वो दूसरे दिन स्कूल पहुंची, तभी उसकी मैम ने कहा कि अगले सप्ताह होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता में उसने नाम क्यों नहीं लिखवाया? कल रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख थी, मैंने रिंकी को बता दिया था, हमारी स्कूल से तुम्हारा नाम जाना था, पर फिर रिंकी ने अपना नाम लिखवा दिया।
मैंने तुम्हारी मम्मी के फोन पर फोन भी किया था, और मैसेज भी किया था, मैम की बात सुनकर श्रेष्ठा हैरान रह गई।
हां, मैम मम्मी और हम गांव गये थे, और मम्मी के पास जिस कंपनी का मोबाइल है वहां नेटवर्क अच्छे से नहीं आता है, मैंने रिंकी को भी फोन अपने चाचा के मोबाइल से किया था, कोई बात नहीं रिंकी भी वहां अच्छा प्रदर्शन करेगी और विजेता बनाकर आयेगी।
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रिंकी, तूने मुझे इस प्रतियोगिता के बारे में कुछ भी नहीं बताया, मुझे पता चलता तो मै जरूर जीतकर आती, मैंने तो तुझसे उस दिन फोन पर पूछा भी था, श्रेष्ठा ने कहा।
रिंकी झेंप गई, हां वो मै बताने वाली थी, पर नेटवर्क नहीं आ रहा था, और मैं बताना भुल गई।
कोई बात नहीं, तुझे मेरी कुछ तैयारी में मदद चाहिए तो तू मुझे बता देना, मै तैयारी करवा दूंगी, आखिर विजेता ट्रॉफी हमारे स्कूल में ही आनी चाहिए।
दूसरे दिन श्रेष्ठा स्कूल के होमवर्क की कॉपी लेने रिंकी के घर गई, दरवाजा खुला था क्योंकि मेड काम कर रही थी, उसके कानों में आवाज पड़ी, मम्मी, मुझे माफ कर दो, मै आगे से ऐसा नहीं करूंगी, मुझे श्रेष्ठा से जलन होती है, वो मुझसे हर मामले में आगे है, कक्षा में टीचर बस उसी के नाम का गुणगान करते रहते हैं, जब वो कक्षा में प्रथम स्थान पर आती है तो मै मन ही मन जलकर रह जाती हूं, मै भी मेहनत करती हूं कि हर साल मै किसी भी तरह से उससे ज्यादा नंबर लाऊं, पर फिर भी वो ही बाजी मार लेती है। स्कूल वाले हर गतिविधि के लिए उसी का नाम देते हैं, वो ही हर बार विजेता क्यों बनें? और इस बार तो मैंने उसको पछाड़ दिया है, रजिस्ट्रेशन वाली बात नहीं बताई, अगर वो भी वहां प्रतियोगिता के लिए चली जाती तो मै तो कभी जीत नहीं पाती”।
तभी रिंकी की मम्मी बोली,’ रिंकी तू अभी बहुत छोटी है, और अभी से तेरे मन में इतनी जलन भरी हुई है, जबकि श्रेष्ठा तो तुझे अपना अच्छा और सच्चा दोस्त मानती है, वो तुझे हर बात बताती है, हर तरह से तेरी पढ़ाई में मदद करती है, मुझे आश्चर्य हो रहा था कि आखिर वो इस प्रतियोगिता के लिए क्यों नहीं जा रही है? अब पता चला, तूने उसे बताया ही नहीं, अब अगर तू इसमें जीत भी जाती है तो कोई बड़ी बात नहीं है।
तूने अपनी ही सहेली को धोखा दिया है, उसके साथ में छल किया है, जलन की वजह से तू इतनी अच्छी सहेली खो देगी, वो तेरे बचपन की सहेली है, तुम दोनों हमेशा साथ पढ़ते हो, साथ खेलते हो, साथ में स्कूल आते-जाते हो, और तेरे मन में उसके प्रति इतनी जलन है?”
“मेरी बच्ची, अभी तू बहुत छोटी है, तुझे आगे जाना है, बहुत पढ़ना है, जलन की भावना मन में रखेगी तो तू कभी अच्छी और सच्ची इंसान नहीं बन पायेगी, आगे तू कॉलेज जायेगी, नौकरी करने जायेगी, शादी करके ससुराल जायेगी, अगर ये जलन तेरे अंदर रही तो तू कभी सुखी नहीं रह पायेगी। तू अपना बेस्ट दें, मेहनत कर, अपनी मेहनत पर भरोसा रख, श्रेष्ठा से जलने की बजाय तू उसे बताती तो वो भी तेरे साथ इस प्रतियोगिता में जाती, तू अगर इस प्रतियोगिता में जीत भी गई तो मेरे मन में मलाल रहेगा कि मेरी बेटी ने किसी को धोखा दिया है “।
अपनी मम्मी की बात सुनकर रिंकी रोने लगी,” तो मै क्या करती? श्रेष्ठा को जीतने देती, हर बार जब वो जीतती है तो मुझे अच्छा नहीं लगता है, मुझे उस पर गुस्सा आता है, मुझसे उसकी सफलता देखी नहीं जाती है, हां, मै उससे जलती हूं, वो हर बार पढ़ाई में, डांस में, हर प्रतियोगिता में बाजी जीत लेती है, ये मुझसे बर्दाश्त नहीं होता है “।
रिंकी, तू उसे अपनी बेस्ट फ्रेंड बताती है तो तुझे उसकी सफलता पर गर्व होना चाहिए, उसको तुझे सच्चे मन से बधाई देनी चाहिए, दोस्ती में मन साफ होना चाहिए, मन में पाप होगा तो जलन होगी तो सच्ची दोस्ती नहीं होगी।
अच्छा, तू अभी जा और श्रेष्ठा से अपनी दोस्ती खत्म कर ले, और उसे साफ बता दें कि तू उससे जलती है, इसलिए दोस्ती नहीं रखना चाहती है “।
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नहीं मम्मी, मै श्रेष्ठा से दोस्ती नहीं तोड़ना चाहती, मै उससे माफी मांग लूंगी, रिंकी ने कहा तभी उसकी नजर दरवाजे पर खड़ी श्रेष्ठा पर गई तो वो शर्म के मारे उससे नजरे नहीं मिला पाई’, और उससे माफी मांग ली”।
रिंकी, मैंने तुझे सबसे अच्छा दोस्त समझा है, और तू ही मेरी दोस्त रहेगी, आज तेरा मन साफ हो गया है, तेरी सारी जलन ईर्ष्या इन पछतावें के आंसू में बह गई है, तेरा -मेरा साथ हमेशा बना रहेगा, मै तो तुझे उस वाद-विवाद प्रतियोगिता में बोलने के लिए कुछ नोट्स बनाकर लाई थी, और तुझे जीतकर ही आना है” श्रेष्ठा ने उसे गले लगाकर कहा।
आज रिंकी के मन का मैल भी धुल गया, इतना कुछ होने के बाद भी श्रेष्ठा ने उसे माफ कर दिया, उसने भरपूर तैयारी की और विजेता बनी, रिंकी को सबसे पहले श्रेष्ठा ने गले लगाकर बधाई दी।
पाठकों, जलन का बीज मन में अगर अंकुरित हो गया तो ये हर रिशते को खोखला बना देगा, अपने बच्चों पर ध्यान दें, कहीं उनमें जलन की भावना तो पैदा नहीं हो रही है, माता-पिता का फर्ज है कि वो अपने बढ़ते बच्चों से बात करे और सही मार्गदर्शन करें।
धन्यवाद
लेखिका
अर्चना खंडेलवाल