हां, हम औरतें होती हैं अजीब… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  आज बाथरूम से नहाकर निकलने पर रीमा को चहकते देखकर निशांत हैरान होकर बोला ‘क्या बात है भई आज तो सुबह-सुबह ही चेहरे से खुशी का नूर टपक रहा है? कुछ खास ही है नहीं तो इस समय तो तुम काम के प्रेशर में बिफरी ही दिखती हो’

रीमा चहकते हुए आइने के समक्ष जा खड़ी हुई ‘रहने दो तुम नहीं समझोगे’

‘अरे ऐसा भी क्या है जो तुम्हारा यह  स्मार्ट,हैंडसम तथा मोस्ट टैलेंटेड हस्बैंड नहीं समझ पाएगा। बताओ तो सही इतनी खुशी का कारण’

‘अच्छा! प्रोमिस करो कि हँसोगे नहीं’

‘चलो रहा प्रोमिस! नहीं हसूँगा ।’

‘यह जो आज मैंने सूट पहना है न यह मेरा सर्दियों वाला सूट है। ‘वर्क फ्रॉम होम’ से इस बार गर्मियों में मेरा वेट थोड़ा बढ़ गया था। सो आज पहली बार। शर्ट पहनते समय मैं बहुत टैंशन में थी कि यह मुझे फिट होगी या नहीं। लेकिन देखो यह मुझे अच्छे से फिट आ गई है। तुम सोच ही नहीं सकते कि इस वक्त मैं कितनी खुश हूँ’

और  रीमा की बात पूरी होने से पहले ही निशांत ठहाके लगाने लगा ‘सूट टाइट नहीं हुआ..हा हा ..वाह भई वाह ! बेशुमार खुश होने की इतनी छोटी सी वजह .मुझे लगा शायद आफिस से खुशखबरी का कोई मैसेज आया है.. शायद तुम्हारी प्रमोशन हुई है..हा हा ..अरे तुम औरतें भी न अजीब होती हो…’

इस कहानी को भी पढ़ें: 

गलती तुम्हारी भी है, तुम झांसें में आ गई। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

   ‘दिस इज नॉट फेयर निशांत, तुम प्रोमिस तोड़ रहे हो। हां, वैसे एक बात तुमने सत्य कही। हम औरतें होती ही हैं अजीब ! तभी तो अजीब- अजीब परिस्थितियों से समझौते करके भी प्रसन्न रह लेती हैं । छोटी-छोटी खुशियां ही हमें दोहरे-तिहरे दायित्वों का निर्वाह करने का साहस प्रदान करती हैं ।

हम औरतों की खुशियों का कोई मापदंड नहीं है। स्कूल में बच्चे अपना पूरा टिफिन खत्म करके आए हम औरतें खुश, घर आकर बच्चों ने बिना चिकचिक किए पूरा खाना खा लिया हम औरतें और भी खुश। पति सही समय पर घर आ गया हम  इतने में ही खुश (यह जानते हुए भी कि अब सीधे किचन का रुख करना पड़ेगा)

पति और बच्चों ने घर के काम में थोड़ा हाथ क्या बंटाया हमारी खुशी का पारावार नहीं। काम से थककर घर आने पर  पति ने एक कप चाय क्या बना दी हम औरतें  मानो आकाश में उड़ने लगती हैं । जन्मदिन और विशेष दिनों को मनाना तो एक तरफ परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा इसके याद रहने पर ही उनका मन बल्लियों उछलने लगता है

कभी चेहरे पर थकान की लकीरें पढ़कर यदि पति और बच्चे तबियत का हालचाल पूछ लें तो वे निहाल हो जाती हैं और अगर कहीं कभी-कभार ही उसके द्वारा निभाई जा रही उसकी जिम्मेदारियों का अहसास मात्र ही करवा दिया जाए तो उसका मन-मयूर नाचने लगता है।

  हां, हम औरतें ऐसी ही होती हैं..। छोटी-छोटी खुशियां से अपने बड़े-बड़े मसले सुलझा लेती हैं । जीवन के छोटे-छोटे लम्हों की खुशियों को अपनी बड़ी खुशियां मानकर ही तो हम अजीब औरतें पुरुषों को महत्वाकांक्षा की ‘बड़ी स्वतंत्रता’ प्रदान कर देती हैं।

‌  फिर माहौल को हल्का बनाने की दृष्टि से  रीमा ने सहसा अपना लहजा बदला ‘वैसे निशांत मेरी इस छोटी सी खुशी में तुम्हारी भी एक खुशी छिपी है। अगर यह शर्ट मुझे फिट न होती तो ऐसी कइयों के एवज में जेब तो तुम्हारी ही ढीली होती न!’ इतना कहते ही रीमा तो खिलखिला पड़ी किंतु निशांत ने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी।

उमा महाजन 

कपूरथला 

पंजाब 

#बड़ा दिल

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!