घर की इज्जत… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

तिवारी जी के बेटे कौस्तुभ ने… इंजीनियरिंग फिर एमबीए करने के बाद… बढ़िया कंपनी में… लाखों के मासिक पैकेज पर नौकरी ज्वाइन की…

 विवाह के लिए रिश्तों की लाइन लग गई… तिवारी जी फूले नहीं समा रहे थे…

 रिश्तेदारों से लेकर पड़ोसी… बिरादरी के लोग.… एक से एक मुंह मांगी दहेज के साथ… लड़कियों की तस्वीर ला रहे थे…

 ऐसे में कौस्तुभ ने एक अनचाही बात कह दी…

” पापा मैं बिना दहेज के ब्याह करूंगा…!”

” कैसी बात करता है लड़का… ज्यादा पढ़ लिया क्या… खानदान की बेइज्जती कराएगा… लोग कहेंगे लड़के में कोई कमी है… अपनी बिरादरी के हिसाब से जैसे होगा मैं तय करूंगा…!”

” लेकिन पापा यह मेरा प्रण है… मैं बिना पैसा लिए ही शादी करूंगा… वरना नहीं करूंगा…!”

 एक तरफ कौस्तुभ की जिद तो दूसरी तरफ तिवारी जी की इज्जत… दोनों में ठन गई…

 नौकरी को 2 साल हो गए… लड़के ने बढ़िया फ्लैट… उसमें फर्नीचर… सब जमा लिया… पापा की मर्जी के खिलाफ अपने पैसे से घर सजा रहा था…

 पापा चाहते थे की शादी कर ले… तो दहेज के पैसे से घर सज जाए…

 आखिर कौस्तुभ की मां रीना जी परेशान हो गईं… पति और बेटे की जिद में… उन्होंने तंग आकर बेटे से पूछ ही लिया…

” क्यों बेटा… किसी को पसंद करते हो क्या…इसलिए ऐसी बात कह रहे हो…!”

” नहीं मां… बस मुझे पैसा नहीं लेना… लड़की तो तुम ही देखो…!”

” लेकिन बेटा… अगर पैसा नहीं लेंगे तो लड़की भी तो बराबरी वाली नहीं मिलेगी… 

मान जा बेटे… जहां पापा कहते हैं ब्याह कर ले…!”

 मां के बहुत मनाने पर कौस्तुभ तैयार हो गया… मगर उसने फिर भी एक शर्त रखी… कि दहेज का एक भी पैसा शादी में खर्च न किया जाए…

 तिवारी जी ने बेटे की यह शर्त मान ली… अब जोर शोर से शादी की तैयारी में लग गए…

 कुछ ही दिनों में अपनी बराबरी में… सब देखकर… तय कर… कौस्तुभ को विवाह के मंडप में लेकर पहुंच गए…

 वहां मंडप पर बैठने से पहले कौस्तुभ ने… पैसे का जो चेक उसके पिता को… लड़की के पिता ने दिया था… उसे पिता से लेकर सारे समाज के सामने ससुर को वापस कर दिया…

 लड़की के पिता ने आशंका से अपना सर पीट लिया…” यह क्या कर रहे हो बेटा… क्या कोई गलती हो गई है… इस तरह भरी बिरादरी में… सबके सामने… हमारा अपमान मत करो… इस तरह ब्याह से मना मत करो…!”

 कौस्तुभ ने उनके दोनों हाथ थाम लिए… और शांति से बोला…” पापा जी आप चिंता मत करिए… मैं ब्याह से मना नहीं कर रहा… बस मैं यह पैसे नहीं ले सकता… हमें सिर्फ आपकी बेटी चाहिए…

 पैसे लेना पापा की जिद्द थी और ना लेना मेरी… इस तरह दोनों की जिद पूरी हो गई…!”

 लड़की के पिता खुशी से गदगद हो गए… उन्होंने बढ़कर कौस्तुभ को गले लगा लिया…

“मेरी बेटी बहुत भाग्यशाली है… इस तरह तो आप लोगों ने सचमुच मेरी बेटी मुझसे ले ली… इस पर तो मेरा कोई हक रहा ही नहीं…!”

 चारों तरफ कौस्तुभ कि वाहवाही होने लगी… सब दिल खोलकर लड़के की दरिया दिली की प्रशंसा करने लगे…

 तिवारी जी जो अब तक अपने शान को डूबता हुआ मान… गुस्से से बौखला रहे थे… अपने को अपमानित महसूस कर रहे थे… अब लोगों की बातें सुन खुशी से भर उठे…

 उनके बेटे ने उनकी पसंद की लड़की से ब्याह भी किया था… और जिस समाज की इज्जत की खातिर… वे पैसे लेना चाह रहे थे… उस समाज के सामने में पैसे वापस कर… कौस्तुभ ने उनकी और घर की इज्जत को कई गुना बढ़ा दिया था…

रश्मि झा मिश्रा 

#अपमान

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