घर के बच्चों में भेदभाव कैसा? – रश्मि प्रकाश 

राशि जब से ब्याह कर अपने ससुराल आई कुछ बातों को देखकर उसका मन बहुत विचलित हो जाता था पर वो नई होने के नाते कुछ बोल नहीं पाती थी… उपर से उसकी बड़ी जेठानी रचिता वो तो बच्चों के सामने ही भेदभाव कर दिया करती थी… पर आज जो राशि ने देखा उसे लग गया अब चुप रहना इन बच्चों के लिए सही नहीं है।

अभी कुछ देर पहले जो हुआ उसे राशि चाह कर भी भूला नहीं पा रही थी ।

उसकी मँझली जेठानी का बेटा एक कोने में चुपचाप उदास खड़ा था जिसे देखकर राशि उसके पास चली गई 

“ क्या हुआ अद्दू आप इधर मुँह फुलाएँ क्यों खड़े हो?” राशि ने अपनी मँझली जेठानी के बेटे से पूछा 

“ चाची जी बड़ी मम्मी …भैया ,दीदी के दूध में हर दिन कुछ  ना कुछ मिलाकर उन्हें देती है…. जिसे पी कर वो बहुत खुश होते और मुझे कभी कुछ डालकर नहीं देती… बस दूध का गिलास पकड़ा देती हैं…. आज तो मैं मम्मी के आने के बाद ही दूध पिऊँगा… उनसे भी कहूँगा कि बड़ी मम्मी की तरह मेरे दूध में भी कुछ मिलाकर दो…. तभी तो मैं स्ट्रांग बनूँगा ।” मुँह फुलाएँ  अद्दू ने कहा 

राशि ये सुन कर हैरान रह गई…. वो जल्दी से रसोई में गई… अद्दू के लिए गिलास में दूध डालकर चॉकलेट हॉर्लिक्स मिलाने ही जा रहीथी कि सामने बड़ी जेठानी रचिता दिख गई…

“ ये किसके लिए दूध बना रही हो….. सब बच्चों ने तो पी लिया है ।” रचिता ने पूछा 

“ वो भाभी…अद्दू ने दूध नहीं पिया है …उसे भी चॉकलेट हॉर्लिक्स वाला दूध पीना है… वही बना कर ले जा रही थी..।” राशि ने कहा 

“ देखो राशि अभी तुम्हें आए ज़्यादा दिन नहीं हुआ है…. इन सब पचड़ों में मत पड़ो…. जो जैसे चल रहा है चलने दो….   निखिल और रचना कमाते ही कितना है जो उनके बच्चे को भी  दूध चाहिए वो भी चॉकलेट हॉर्लिक्स डाल कर।” मुँह बनाकर रचिता ने कहा और हॉर्लिक्स लेकर रख दी

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राशि को ये सब देख कर बहुत बुरा लगा…. घर के बच्चों में बस इसलिए भेद की कौन ज़्यादा कमाता है….. कमाते तो मैं और निकुंज भीसबसे ज़्यादा है तो कल को जब हमारे बच्चे होंगे उनके साथ अलग व्यवहार किया जाएगा….. नहीं नही ये सही नहीं कर रही है रचिता भाभी …. वो चुपचाप उठी चॉकलेट हॉर्लिक्स का डिब्बा निकाल कर दूध में मिलाकर अद्दू के पास आ गई ।

“ ये लो अद्दू आ गया आपका चॉकलेट हॉर्लिक्स वाला यम्मी दूध..।” राशि उसको मनाते हुए बोली 

अद्दू अभी भी मुँह फुलाए खड़ा था…. वो बार बार यही कह रहा ,“ मेरी मम्मा लेकर आएगी तब पीऊँगा….. वो मुझे प्यार से दूध देंगी ।”

राशि किसी तरह मना कर उसे दूध पिलाने में सफल हुई ।

रात को जब उसे मौक़ा मिला वो रचना भाभी के पास गई और एक  डिब्बा पकड़ाते हुए बोली ,” भाभी ये आप अद्दू को दिखा कर कह दो देखो आज तुम्हारे लिए क्या लेकर आई हूँ…।”उसके बाद वो आज की सारी बातें बता दी

“ राशि हम क्या करें कुछ समझ नहीं आता …. निखिल की नौकरी और मेरी नौकरी में इतने जुटते ही नहीं की हम रचिता भाभी के हिसाब से चल सकें…. पता नहीं वो ऐसे भेदभाव क्यों करती है…. अद्दू वैसे तो सब समझता है… उसके मन में कोई दुर्भावना ना आए इसलिए उसेभी रचिता भाभी के बच्चों के स्कूल में डाल दिया है पर घर पर तो मैं नहीं होती हूँ ना…. पीछे से रचिता भाभी क्या करती पता नहींचलता… कुछ दिन से अद्दू मुझे कह तो रहा था दूध में डालने वाला क्यों नहीं लाकर देती हो मुझे… पर मुझे कुछ समझ ही नहीं आया…. हम तो बचपन  में ख़ाली दूध ही पीते थे…. अब आजकल इतनी चीजें आ गई है मार्केट में पता ही नहीं चलता उपर से हमारा ध्यान तो बस अद्दू को  अच्छी शिक्षा देने की ओर रहता है ताकि वो भी अपने चाचा के जैसा अच्छी नौकरी कर अच्छी ज़िन्दगी जिएँ ।” रचना की आवाज़ में दर्द राशि नेमहसूस किया 




खैर उस दिन रचना ने अद्दू को डिब्बा दिखा कर खुश ज़रूर कर दिया पर अभी रचिता भाभी के व्यवहार को बदलना बाकी था…

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दूसरे दिन राशि मार्केट से बच्चों की पसंद की पेटिज लेकर आई और रचिता भाभी के सामने ही अद्दू को देते हुए कहा,“ ये लो बेटाआपकी मम्मा ने देखो आपके लिए क्या भेजा है..!”

“ वााउऊ मम्मा ने भेजा है.!” कह खुश हो अद्दू ने जैसे ही एक लिया और मांगने लगा…

“ और क्यों चाहिए…. एक ही भेजा है मम्मा ने… आप खाओ..।” राशि ने कहा 

“ ओहहह…. फिर भैया दीदी …कोई बात नहीं मैं इसमें से शेयर कर के खा लूँगा….।” अद्दू उछलते हुए चला गया 

“ देखा तुमने …. रचना ने मेरे बच्चों का सोचा भी नहीं … बस अपने बेटे के लिए भिजवाया… मैं भी अब कभी उसके बच्चे को कुछ नहींदूँगी ।” रचिता राशि से बोली 

“भाभी आपने ये तो देखा एक ही चीज़ आई पर ये क्यों दिखाई नहीं दिया… अद्दू ने भैया दीदी के लिए भी मांगा…. और नहीं होने पर मिलबांट कर खाने की बात कही…जब एक छोटा बच्चा घर में अपने भाई बहन के लिए सोच सकता है तो फिर हम आप क्यों नहीं…क्या ही हो जाएगा जो आप  महक और मोहित के साथ साथ अद्दू के दूध में भी चॉकलेट हॉर्लिक्स डाल कर दे देंगी…..अभी अद्दू छोटा हैभाभी…… वो आपको देखता है और उसके छोटे से मन में ना जाने कितने सवाल उठते है….. ऐसा क्यों करना जब हम सब साथ ही एकघर में रहते हैं….. वो कोई बहुत बड़ी मांग तो कर नहीं रहा था…. वैसे वो पेटिज मैं ही लेकर आई हूँ और सबके लिए लेकर आई हूँ…. मोहित और महक को पहले ही दे आई थी…. ये तो बस आपको समझाने की कोशिश करने के लिए मैंने ये सब किया…आप बड़ी है मुझेआपसे ऐसे नहीं कहना चाहिए पर घर हम सबका है और बच्चे भी हमारे ही है… उनके बीच अभी से भेदभाव करना सही नहीं है….. बसयही कहना चाहती हूँ ।” कह राशि रचिता से माफी माँग बच्चों के कमरे की ओर चल दी …. जहाँ सब मजे से पेटिज का लुत्फ उठा रहे थे।

कुछ देर में रचिता सबके लिए दूध लेकर आई इस बार अद्दू की गिलास में भी चॉकलेट हॉर्लिक्स मिला हुआ था ।




रचिता राशि की ओर शर्मिंदगी से देख रही थी और राशि भाभी की तारीफ़ आँखों से कर रही थी ।

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अक्सर संयुक्त परिवार में अपने बच्चों को लेकर कुछ माएँ ज़्यादा सजग रहती है….. वही देवरानी या जेठानी के बच्चों पर ज़्यादा ध्याननहीं देती… एक ही घर के बच्चों में साथ रहते हुए भी भेदभाव कर बैठती है। बच्चों  के मन में बचपन से ही अलगाव का भाव पनपनेलगता है इसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए….. जिससे जितना हो सके अपनी क्षमता के अनुसार करें पर छोटे बच्चों के कोमल मनपर होने वाले असर से आँख मूँद लेना सही नहीं है ।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# भेदभाव

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