घमंड – डाॅ संजु झा

कुछ  दिनों पहले हमारी सोसायटी के मुख्य द्वार पर मजमा लगा हुआ  था।एक चालीस वर्षीया महिला बेखौफ होकर  सिक्यूरिटी गार्ड  को थप्पड़ मार रही थी और उसकी शर्ट को भी शरीर से खींचकर फाड़ रही थी।सिक्यूरिटी गार्ड के सहायक और सोसायटीवाले मूक-वधिर बनकर तमाशा देख रहे थे।हाँ!कुछ लोग वीडियो जरुर बना रहे थे।इसी बीच इतना अवश्य हुआ कि एक जिम्मेदार नागरिक ने पुलिस को फोन कर दिया।

 अचानक  हमले से सिक्यूरिटी गार्ड के सहायक किंकर्तव्यविमूढ़ हो चुके थे।उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अपने दोस्त  को बचाएँ?वह महिला  जिस तरह  बेखौफ होकर  गार्ड पर हाथ उठा रही थी,उस तरह सिक्यूरिटी गार्डवाले उसपर हाथ नहीं उठा सकते थे।उनकी भी कुछ मजबूरियाँ थीं।रोजी-रोटी की चिन्ता उनके हाथ जकड़े हुए  थी,परन्तु उनके मन का आक्रोश और उनकी विवशता साफ उनके चेहरे से झलक रही थी।

कुछ ही देर में पुलिस सोसायटी में पहुँच चुकी थी।एक बात सत्य है कि किसी भी सोसाइटीज में कोई सूचना मिलने पर   पुलिस तुरंत  पहुँच जाती है।पुलिस  को देखते ही उस महिला(निया सिन्हा)ने गार्ड को  पीटना छोड़ दिया,परन्तु बिना भय के वहाँ डटी रही।

पुलिस ने  निया  सिन्हा से सख्ती पूछा-“मैडम!ऐसी क्या बात हो गई कि आपने इन गार्डों और सफाईकर्मी महिला की पिटाई कर दी?”

निया सिन्हा ने सोसायटी के प्रेसीडेंट और सेक्रेट्री की ओर तिरछी नजरों से देखते हुए कहा -” सर!ये गार्ड, सफाईकर्मी तथा सोसायटीवाले सभी मिले हुए हैं।मुझे परेशान करते हैं? मेरा कूरियर हमेशा वापस कर देते हैं।”

पुलिस सोसायटी के प्रेसीडेंट से -” आप ही स्पष्ट कारण बताएँ।”

प्रेसीडेंट-“सर!सोसायटी के लोगों को इस महिला ने काफी समय से परेशान कर रखा है।आज तो इसने हद कर दी।अपने पड़ोसी परिवार को बेवजह डंडे से पीटा और उसकी छोटी-सी बिटिया को भी घर से बाहर  खींच रही थी।वहाँ मौजूद महिला सफाईकर्मी को भी इसने बुरी तरह पीटा!”

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पुलिस सुरक्षा गार्ड से -“क्या मैडम का कूरियर तुमलोग वापस कर देते हो?”

सुरक्षाकर्मी-“सर!जब मैडम फोन नहीं उठाती है,तब कूरियर वापस चला जाता है।”

निया सिन्हा उत्तेजित  होकर गाली देते  हुए  -“कमीनों! झूठ मत बोलो,अभी तुम्हें फिर पीटूँगी।”

पुलिस-” मैडम!आपको पता है कि किसी पर हाथ उठाना कानूनन जुर्म है?”

निया सिन्हा -” हाँ!मुझे सब कानून पता है।आप मुझे कानून सिखाने की कोशिश मत कीजिए।”

उसी समय महिला सफाईकर्मी अपने सूजे  हुए चेहरे को दिखाती हुई कहती है-“सर !आज सुबह-सुबह इस मैडम ने बेवजह मुझे बुरी तरह पीटा।भगवान का शुक्र है कि मेरी आँखें बच गईं।”

निया सिन्हा -” सर!ये सफाई  छोड़कर  हमारे झगड़े का आनंद ले रही थी!”

घमंडी निया सिन्हा पुलिस के सामने ही उनलोगों को गाली बकने लगती है।पुलिस को निया सिन्हा के गुनाह के पर्याप्त सबूत मिल चुके थे।कुछ लोगों ने सुरक्षाकर्मी की पिटाई का वीडियो भी सौंप दिया।पुलिस निया सिन्हा को लेकर थाने चली गई। 

निया सिन्हा के थाने जाने के बाद  लोगों ने उसकी पारिवारिक  कुंडली खँगालते हुए  बताया कि निया शादी-शुदा है तथा दो बच्चों की माँ है।निया बचपन से ही जिद्दी और घमंडी थी।एक गुण उसमें था कि पढ़ाई  में अच्छी होने के कारण  उसे छोटी-सी सरकारी नौकरी मिल गई। सरकारी नौकरी के घमंड में उसने माता-पिता के विरुद्ध जाकर शादी कर ली।उसने अपने माता-पिता से सारे रिश्ते तोड़ लिए। 

शादी के पाँच वर्ष के अंदर निया दो बच्चों की माँ बन चुकी थी।उसने अपने दोनों बच्चों की पूरी जिम्मेदारी पति और सास-ससुर पर छोड़ दी।शादी के आरंभ से ही उसने पति और ससुरालवालों का जीना हराम कर दिया था।जब पानी सर से ऊपर बहने लगा,तब उसके पति ने उसे तलाक  दे दिया।उसके दोनों बच्चे भी माँ के दुर्व्यवहार से सहमे-सहमे रहते थे।इस कारण कोर्ट  ने बच्चों की कस्टडी उसके पति और सास-ससुर को दे दी।

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तलाक के बाद  उसके पति ने इसी सोसायटी में उसे एक फ्लैट दे दिया। पति और बच्चों से बिछुड़ने के बाद भी निया  का घमंड कम नहीं हुआ। अपने व्यवहार के कारण उसे कोई पश्चाताप नहीं था।लोगों का कहना था कि उसे नशे की भी लत लग चुकी है।धीरे-धीरे वह कुंठाग्रस्त होकर लोगों पर अपनी भड़ास निकालने लगी।उसके दफ्तर के सहकर्मी भी उसके दुर्व्यवहार से कुपित रहते।कभी पार्किंग लेकर ही सोसायटी के लोगों से उलझ पड़ती।आज तो उसने हद कर दी।अपने पड़ोसी की मासूम बेटी को पीटने के लिए घर से बाहर घसीट रही थी।

निया दो दिन तक पुलिस कस्टडी में रही,जिसके कारण  वह  नौकरी से भी सस्पेंड हो गई।  जिस तरह  कुत्ते की पूँछ को बारह साल  जमीन में रखने पर भी  सीधी नहीं होती है,उसी तरह निया का भी घमंड कम नहीं हुआ। आज भी निया सुरक्षाकर्मी और सफाईकर्मी को तिरछी नजरों से देखती है और सोसायटी के ए,ओ पर कटाक्षभरी टिप्पणियाँ करती है।ऐसा इंसान घमंड और अहंकार के कारण खुद ही अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार लेता है।घमंड के अंदर सबसे बुरी बात यह होती है कि यह व्यक्ति को महसूस नहीं होने देता कि वह गलत है।

नारी अगर घमंड त्यागकर  स्नेह,विनम्रता,तर्कों से,शालीनता से थोड़ा झुकाकर सामंजस्य रखकर प्रयास करें तो  कोई शक नहीं कि उसका परिवार खुशहाल नहीं रहेगा।थोड़े से समर्पण  के बदले प्राप्त  ढ़ेर सारी खुशियों का सौदा नारी के लिए  घाटे का सौदा नहीं हो सकता!

 निया का विरोधात्मक रवैया आज उसे उस मुकाम पर ले आया,जहाँ नौकरी,पैसा,आरामदायक जिन्दगी भी उसके हाथों से फिसल रही है।सबकुछ प्राप्त होने के बावजूद  भी उसके घर और मन में एक विराट् शून्य समाया हुआ है।उसके साथ केवल उसका घमंड और अकेलापन है।परिवार  की असली दौलत छोटी-छोटी खुशियाँ उसकी पहुँच से काफी दूर जा चुकी हैं।

किसी ने सच ही कहा है-“घमंड किसी का नहीं रहता।टूटने से पहले गुल्लक  को भी लगता है कि सारे पैसे उसी के हैं।”

घमंड के कारण  बड़े-बड़े राजा रंक हो गए, तो निया सिन्हा जैसी महिला की क्या बिसात!

समाप्त।  

#घमंड

लेखिका-डाॅ संजु झा(स्वरचित)

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