घड़ियाली आंसू बहाना – माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

पूरे पन्द्रह दिन अस्पताल में रहने के बाद कमला जी कीने आज सुबह-सुबह अन्तिम सांस ली,इस समय उनके पास उनकी सहायिका रामकली के अलावा कोई नहीं था देखरेख करने के लिए।हांलांकि जिस दिन उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था

उसके दूसरे दिन ही कमला जी के तीनों बच्चों को अड़ोस पड़ोस की मदद लेकर रामकली ने तीनों बच्चों को खबर कर दी थीकि कमला जी की तबियत नाजुक स्थिति में है,सो आप लोग उनसे आकर मिल लें तो अच्छा रहेगा।हो सकता है अपने बच्चों से मिल कर उनकी तबियत में कुछ सुधार हो जाए।

कमला जी की आंखें हॉस्पिटल के दरबाजे पर ही लगीं रहीं इन पन्द्रह दिनों में वे रामकलीसे दिन में कई बार पूछती कि तुने मेरे बच्चों को मेरी बीमारी के बारे में बताया तो है न देखना खबर मिलते ही तीनों दौड़े चले आएंगे।

रामकली बिचारी यह कह घर उनको शांत कर देती ,हां मालकिन तीनों को सूचित कर दिया है आपकी तबियत केबारेमें।आते ही होंगें।

उसका दिल जानता था कि मां कीबीमारी की बात सुन कर तीनों ने अपनी-अपनी मजबूरियां बता दी थीं।

बड़े बेटे शुभ ने कहा था कि मेरे ऑफिस में ऑडिटचल रहा है सो अगले हफ्ते देखता हूं हां लेकिन मां की सेवा करने में तुम जरा सी भी लापरवाही मत बरतना।सेवा का मुंह मांगा इनाम तुमको जरूर मिलेगा।

छोटे बेटे ने लिखा कि मेरी पत्नी की तबियत ठीक नहीं चल रही है, वर्ना में आजाता हां बड़े भाई कीतरह वह भी यह हिदायत देना नहीं भूला था कि काकी तुम मां की देखरेख में जरा भी ढील मतदेना।इस सेवा के बदले में हम तुमको खुश कर देंगे।

आखिर तो तुमने इस घरका नमक खाया है सालों से फिर मां तुमकोकितना मानती भी तो हैं,सो उनकी सेवा में कोताही मत बरतना।मैं हॉस्पिटल में हो रहे खर्चे के लिए दस हजार का चैक भेज रहा हूं,जैसे ही समय मिलता है ,मैं आता हूं,और कमलाजी की बेटी ने भी यहकह कर अपना पल्ला झाड़ लिया था

कि कितनी मुश्किल से हम लोगों का योरोप घूमने का प्रोग्राम बना है।टिकट कैंसिल कराने में तो ढेरों रूपए कट जाए गेवहां से लौटते ही ही मां से मिलने आती हूं। सिर्फ एक सप्ताह की ही तो बात है तुम सभांल लेना प्लीज़।

रामकली,उनके बच्चों की हकीकत बता कर उनका दिल नहीं तोड़ना चाहती थी।बह उनके तीनों बच्चों के स्वभाव केबारे में अच्छी तरह जानती थी कि बच्चों को मां से नहीं उनकी सम्पत्ति से प्यार था।कयोंकि जब दो साल पहले कमला जी के पति से देहावसान हुआ था तो दोनों बेटों में से किसी ने भी मां को अपने साथ रहने के लिए नहीं कहा था।हां रामकली को रातदिन मां कीसेवा करने व देखरेख करने को कहा था,और उसके लिए उसकी तनख्वाह भी बढ़ा दी थी।

रामकली के परिवार में भी कोई नहीं था,सो दो साल से वही सेवा कर रही थी।कमला जी भी अपने मन की बातें उसके साथ शेयर करलेतीथीं। जब कमला जीका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, और बच्चों ने आन ने की जरूरत नहीं समझा तो एकदिन वकील को बुलाकर अपनी वसीयत कर दी थी।जिसमें अपनी पूरी सम्पत्ति रामकली केनाम करदी थी।

रामकली इस बात से अनभिज्ञ थी,वह तो दिल से अपनी मालकिन कीसेवा करती उनका मनपसंद खाना बनाकर खिलाती।

लेकिन होनी को कौन टाल सकता है,जब कमला जी ने अन्तिम सांस ली तो उस समय रामकली के अलावा उनके पड़ोसी भी मौजूद थे।उन लोगों ने कमलाजी के बारे में सूचित किया तो दूसरे दिन ही दोनों बेटे सपरिवार पंहुचा गए थे।

अंतिम क्रिया कर्म निपटाने के बाद दोनों बेटो ने वकील साहब को बुलाया मां की वसीयत पढ़ने के लिए।इस बीच कमला जी की बहुएं अपने #घडियाली आंसू बहाती रही।वकील साहब के आते ही दोनों बेटों व बहुओं ने रामकली को डांट कर कहा कि अब तुम्हारा कोई काम नही है यहां। हम लोग आगए हैं सब देख लेंगे तुम अपने घर जासकतीहो रामकली जिसका रो रोकर बुरा हाल था,बाहर जाने लगी, तभी वकील साहब ने उसको रोक लिया।

वसीयत पढ़ने पर मालूम हुआ कि अपनी सारी सम्पत्ति कमला जी ने रामकली के नाम करदी थी।अब तो उनके बच्चों के असली आंसू निकल रहे थे।

आज की हकीकत यही है कि मां बाप में से किसी एक के अकेले रहने पर उनके रहने की व्यवस्था या तोबच्चे किसी ओल्ड एज होम में कर देते हैं या किसी जिम्मेदार नौकर या नौकरानी की व्यवस्था करके अपना फर्ज पूरा करके है।वे लोग शायद यह भूल जाते हैं कि बुढ़ापा तो उनका भी एक न एक दिन आएगा ही।

यही कारण है कि आज के भौतिकवादी युग में ओल्ड एज होम की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता नई दिल्ली।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!