कल रात बेटी स्वाति अपनी सहकर्मी बुलबुल की बर्थडे पार्टी में गई वह उसकी बहुत अच्छी मित्र भी है साथ में स्टाफ के और लोग भी थे। वापस आते आते रात के 10 बज गये।
आते ही स्वाति सीधे अपने कमरे में चली गई मुझे कुछ अजीब सा लगा क्योंकि उसकी आदत है कि कहीं से आकर जब तक वह पूरी कहानी मुझे सुना न ले, उसे चैन नहीं आता पर आज की उसकी खामोशी मुझे आशंकित कर रही थी। एक दो बार मैंने कुछ पूछा भी तो उसने टाल दिया पर उसके चेहरे पर जो खौफ दिख रहा था उसे वह अपने आप ही बयां करे तो अधिक सही होता… सोचकर मैंने भी अधिक जोर नहीं दिया।
बेटी है वो मेरी, जानती थी अधिक समय तक वह उस बात को अपने अंदर नहीं रख पायेगी । आज नहीं तो कल बताएगी ही इसलिए मैंने इंतज़ार करना उचित समझा।
उस रात वह बहुत बेचैन थी सारी रात कमरे की लाइट जलती रही। बार बार पानी पीने किचन में जा रही थी।
सुबह होते ही वह मेरे पास आई और मेरी गोद में सर रखकर जोर – जोर से रोने लगी । मैंने उसके गुबार को बह जाने दिया और बस पीठ सहलाती रही थोड़ी देर बाद वह शांत हुई ।
बोली… मम्मा.. कल रात जब हम वापस आ रहे थे तो हमारे सामने बाइक पर तीन चार लड़के भी जा रहे थे। वे भी किसी पार्टी में से ही आये थे ऐसा उनके हावभाव और खुशी देखकर लग रहा था। बार बार एक दूसरे का हाथ पकड़ते, ठहाके लगाते, सड़क पर लहराते, तेज़ गति से बाइक भगाते चले जा रहे थे।
हम लोग कार में थे पर उनकी खुशी को मंत्र मुग्ध होकर देख रहे थे और यह घटनाक्रम हमें भी आल्हादित कर रहा था। उनकी उम्र लगभग 22 से 25 के बीच थी अचानक न जाने क्या हुआ एक लड़के की बाइक तेज़ गति के कारण स्लिप हो गई और वह सड़क पर गिरकर उसके साथ साथ घिसटने लगा उसके पीछे सड़क उसके खून से लाल होती चली जा रही थी मम्मा… स्वाति की हिचकियाँ तेज़ होती जा रही थी।
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चंद सेकेंड्स में ही सारा आलम बदल गया सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि कोई न तो कुछ कर पाया और न ही सोच पाया उसके साथी अवाक् से खड़े थे उनमें से ही किसी ने पुलिस को फोन किया।
जब पुलिस उसे उठाकर ले जा रही थी तो उसकी जेब से निकल कर मोबाइल सड़क पर गिर गया उसकी घंटी बज रही थी और उस पर माँ फ्लैश हो रहा था शायद उनके दिल को किसी अनहोनी का अहसास हो गया था। उसे देखकर सबकी आँखें नम हो गई थी।
अब स्वाति की हिचकियों में मेरी हिचकियाँ भी शामिल हो गई थी शायद हम दोनों को ही कुछ दिन पहले स्वाति का इसी तरह हुआ एक्सीडेंट याद आ गया था।
मम्मा.. आज मुझे अहसास हो रहा है कि यदि उस दिन विधाता ने मेरा साथ न दिया होता तो आपका क्या हाल होता। ईश्वर आज उसकी माँ की विनती सुन ले और उसे अच्छा कर दे… रात से यही दुआ कर रही हूँ।
हाँ बेटा, ऐसा ही हो लेकिन बच्चों को भी अपनी मस्ती में यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके जीवन के साथ बहुत लोगों की उम्मीदें और जीवन जुड़े हैं इस तरह की लापरवाही जानबूझ कर नहीं करनी चाहिए।
जीवन में गति के साथ यति का होना भी जरूरी है यही समझाने के लिए रोड पर स्पीड ब्रेकर बनाये जाते हैं कि संभल कर चलिए।
यह यति क्या होता है यह शब्द तो मैंने पहली बार सुना है।
बेटा यति का मतलब विराम होता है जिस तरह से इंग्लिश में फुल स्टॉप और कौमा होते हैं और हिंदी में पूर्ण विराम और अर्द्ध विराम होता है वैसे ही काव्य रचना में गति और यति होते हैं ।
समझ गई माँ आप का आशय है कि हर समय जीतने के लिए भागते रहना ठीक नहीं जरूरत के अनुसार कभी कभी अपने लाभ के लिए रुकना भी जरूरी है यानि गति के साथ यति ।
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हाँ बेटा तुम ठीक समझी।
स्वरचित एवं अप्रकाशित
कमलेश राणा
ग्वालियर