गर्व – वीणा सिंह  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : कामकाजी महिला होने के नाते फूल पौधों के लिए वक्त निकालना बहुत मुश्किल हो रहा था और  ये शौक जुनून की हद तक था इसलिए दस साल से मनोहर चाचा को माली के काम के लिए रखा था… बिल्कुल परिवार के सदस्य जैसा हो गए थे..

         पास के गांव में उनका घर था…. वहीं थोड़ी खेत था.. थोड़ा फूल लगाए थे.. आसपास के घरों में रोज पूजा करने वालों को फूल दूब सावन में बेलपत्र पहुंचाते थे ..

               एक बेटा दो बेटी पत्नी और मां छः लोगों का परिवार था… बेटा को शहर के प्राइवेट स्कूल में दाखिला करा दिए थे. इस बार प्लस टू कर के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले रहा था…

                   मनोहर चाचा को कभी नए कपड़े पहनते नही देखा था… त्योहार पर कपड़े के पैसे हीं ले लेते कहते  सूरज जींस लेने बोल रहा था..मेरा तो काम चल हीं जाता है.. सूरज कहीं से मनोहर चाचा का बेटा नही लगता था..ब्रांडेड जूते  जींस  स्मार्ट वॉच लगाए कभी कभी आता तो   देखती मनोहर चाचा की आंखों में गर्व वात्सल्य खुशी के मिले जुले भाव नजर आते..कहते सूरज मेरे खानदान और परिवार के लिए एक दिन सूरज बन रोशनी बिखराएगा.…

असमय बोझ के कारण चेहरे पर पड़ी झुर्रियां दुबला पतला शरीर धंसे हुए गाल  ढीले ढाले बेतरतीब ढंग के कपड़े यही पहचान थी मनोहर चाचा की…फूल और पौधों को अपने बच्चों सा ख्याल रखते…दोनो बेटियां गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ रही थी… पत्नी और मां माला बनाने में मनोहर चाचा की सहायता करती थी… जैसे तैसे परिवार की गाड़ी खींच रहे थे… पुरानी साड़ियां मांगकर ले जाते कहते मां और घरवाली के काम आ जायेंगे…

                सूरज इंजीनियरिंग कॉलेज चला गया.. मनोहर चाचा की जिंदगी का एक हीं मकसद था टाइम से सूरज को पैसे भेजना.. अक्सर बेहद संकोच से एडवांस और कुछ एक्स्ट्रा पैसे मांगते कहते चुका दूंगा भरोसा रखिए.. हम हंस कर कहते सूरज को इंजीनियर बन जाने दीजिए फिर सूद ब्याज समेत चुका दीजिएगा..

                    वक्त गुजरता रहा सूरज इंजीनियरिंग के तीसरे साल में पहुंच गया फी देने में मनोहर काका को अपनी एकमात्र जमीन गिरवी रखनी पड़ी क्योंकि मां की बीमारी में बहुत कर्ज ले लिए थे…

                   बच्चे हॉस्टल चले गए.. छुट्टियां बची हुई थी सोचा कहीं घूम आते हैं…. गोवा बीच पर घूमते हुए अचानक एक लड़के पर नजर पड़ी… लगा चेहरा जाना पहचाना सा है… साथ में एक लड़की भी थी…. अरे ये तो सूरज है…. ये यहां कैसे? ये तो  मणिपाल इंजीनियरिंग कॉलेज में है.. इसका अभी एग्जाम चल रहा है.. मनोहर चाचा बता रहे थे.…लगा गलतफहमी हुई है… मास्क लगाया टोपी पहनी और बड़ा सा काला चश्मा लगा कर उसके पास गई अपने शक को मिटाने के लिए…. लड़की के साथ चिपक कर हाफ पैंट पहने सूरज हीं था..

ओह.. सूरज का जिक्र करते हीं गर्व की किरण मनोहर चाचा की आंखों में कौंधते हुए मैने सैकड़ो बार देखा था… एक मात्र जमीन बिक जाने के बाद भी गर्व की किरण उनकी आंखों में वैसी हीं कौंध गई थी… और आज सूरज की बेशर्मी देखकर मैं घृणा से भर गई… कितना विश्वास और गर्व है मनोहर चाचा को इस सूरज पर… दो छोटी बहनें मां दादी सब की आस इसी पर टिकी है.. मैने टोका था जमीन क्यों गिरवी रख दी चाचा उसमे आप के प्राण बसते हैं पुरखों की निशानी है…

चाचा गर्व से बोले सूरज इंजीनियर बन जाए फिर ऐसी कई जमीनें मैं खरीद लूंगा.. शहर में भी जमीन खरीद कर छोटा सा घर बनाना है… बहु पढ़ी लिखी नौकरी वाली आएगी तो गांव नही रह पाएगी…. उसके लिए तो सोचना पड़ेगा… वाह रे सूरज तूने अपने पिता गर्व को चकनाचूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी… तुम कभी सुखी नही रहोगे… परीक्षा के समय गर्ल फ्रेंड के साथ गोवा घूम रहे हो… मूड खराब हो गया…. वापस होटल चली आई…

   #   स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

       Veena singh

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