गरीबों की भी इज्जत होती है – पुष्पा जोशी

‘तुझे अपनी लड़की की चिंता है कि नहीं, इज्जत क्या होती है तू क्या समझेगी.यह समझना तेरे बस की बात नहीं, तुम गरीबों की क्या इज्जत.कितनी बार समझाया कि चांदनी को उस सोमेश के यहाँ काम पर मत भेज, मगर मानती ही नहीं.तुम दोनों पति-पत्नी काम करते हो, फिर क्या जरूरत है उसे इस तरह काम पर भेजने की?’ मालती ने डालते हुए राधा से कहा.राधा मालती के यहाँ झाड़ू, पौछा और बरतन का काम करती थी.राधा कुछ नहीं बोली अपना काम करती रही.थोड़ी देर बाद मालती जी खुद चुप हो गई.राधा का पति किशन मजदूरी करता था.और दोनों पति-पत्नी अपनी बेटी चांदनी के साथ बहुत खुश थे.चांदनी आठवी कक्षा तक पढ़ी.फिर उसका विद्यालय दूर होने की वजह से उसने दसवीं का फार्म प्राइवेट फार्म भरा.चांदनी बेहद खूबसूरत थी, गोरा रंग, तीखी नाक, नीली झील सी गहरी ऑंखें.और रेशमी भूरे घुंघराले बाल.जो देखता, देखता ही रह जाता.राधा उसे अपनी नजरों से दूर नहीं रखती थी.इसीलिए अपने साथ काम पर लेकर आती.

सोमेश जी का घर मालती जी के घर के सामने ही था.उनके दो लड़के थे, बड़े लड़के की शादी हो गई थी, उसके दो जुड़वां बच्चे थे, अत: उन्हें सम्हालने में बहू की मदद हो जाए इसलिए सोमेश की पत्नी चारूदत्ता ने चांदनी को अपने यहाँ काम पर रखा था, उसे वेतन भी मिलता था, और उसकी पढ़ाई में अगर कोई परेशानी आती तो लतिका उसकी मदद भी कर देती थी.अच्छा संस्कारी धनाड्य परिवार था.बहुत सोच समझकर राधा ने चांदनी को यहाँ काम पर रखा था.वह जिस बस्ती में रहती थी वहाँ का माहौल अच्छा नहीं था, अकेली जवान लड़की को वहाँ छोड़ना उसे ठीक नहीं लगता था, इसलिए वो चांदनी को अपने साथ लेकर आती और जाते समय साथ में घर ले जाती.सोमेश जी का छोटा लड़का रौनक बहुत खूबसूरत था, और उसकी बैंक में नौकरी थी.दरअसल मालती जी को चांदनी की चिंता नहीं थी, बल्कि उन्हें डर था कि कहीं रौनक चांदनी की सुन्दरता पर मौहित  होकर उससे शादी नहीं करले.सोमेश जी के बड़े लड़के ने भी लव मैरिज की थी.मालती जी अपनी बेटी रुही का रिश्ता रौनक से करना चाहती थी, रूही दिखने में साधारण थी और चांदनी की हमउम्र थी. दिन बीतते जा रहे थे.चांदनी ने १० वीं और १२ वीं की परीक्षा पास की और बी.ए. का भी प्राइवेट फार्म भरा.रूही  ने कॉलेज में प्रवेश लिया.




एक दिन राधा और किशन अपनी बेटी के साथ अपने एक रिश्तेदार के यहाँ शादी में गए.वहॉं से लौट रहे थे, बस से उतर कर  वे अपने घर जा रहै थे. रात्रि के १० बजे थे, उन्होंने देखा जीन्स और टाप पहने एक लड़की सड़क पर जा रही है,उसके कदम नशे के कारण लड़खड़ा रहै थे.कुछ लड़के उसके साथ छेड़खानी कर रहै थे, परेशान कर रहे थे.उल्टा सीधा बोल रहे थे.राधा और किशन ने देखा तो वे दंग रह गए यह लड़की और कोई नहीं रूही थी. उसे अपना होश भी नहीं था.राधा और किशन ने उन लड़कों को भगाया और रूही को लेकर उसके घर छोड़ने गए. रूही के पापा उस समय घर पर नहीं थे, सिर्फ मालती जी थी, राधा ने उन्हें पूरा किस्सा सुनाया. रूही को तो बिस्तर पर सोते ही नींद आ गई. मालती जी ने कहा कि ‘रूही उससे किसी सहेली के यहाँ पढ़ने जा रही हूँ, यह कहकर गई थी, उसके घर न आने के कारण मैं बहुत परेशान थी, उसे फोन भी लगाया, मगर फोन भी स्वीच ऑफ आ रहा था.आज जो एहसास तुम दोनों ने मुझपर किया है, उसे मैं कभी नहीं भूलूंगी, मैं तुम्हारें आगे हाथ जोड़ती हूँ, यह बात किसी ओर के सामने मत कहना, वरना हमारी इज्जत पानी में मिल जाएगी.’  राधा ने कहा-  ‘आप हाथ मत जोड़िये मेम साहब रूही बेबी जी हमारी बिटिया की तरह है,हम किसी से नहीं कहेंगे आपकी इज्जत हमारी इज्जत है.बस अब आप बिटिया का ध्यान रखे, और आपसे एक अनुरोध है आगे से आप हमें यह कभी मत कहना कि हम इज्जत का अर्थ नहीं जानते.मेम साहब हमारे पास ज्यादा दौलत नहीं है, यह इज्जत ही हमारी दौलत है.हम गरीबों की भी इज्जत होती है.’ राधा और किशन चांदनी के साथ घर आ गए, मालती जी के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला वे अवाक उन्हें जाते हुए देखती रही.उन्हें  उस दिन मालती से जो शब्द कहे थे उन पर पछतावा हो रहा था.

#इज्जत

प्रेषक-

पुष्पा जोशी

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

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