भैया… मैं और रजनी सोच रहे है प्रिया के ससुराल वालों को सगाई में हम लिफाफे की जगह क्यों ना चांदी के सिक्के देदे, आपकी क्या राय है ?..और हां.. सोच रहे हैं शादी में भी खाना बनाने वाले हम बाहर से बुला ले! हां हां.. रविंद्र.. क्यों नहीं.. आखिर 10 साल बाद घर में शादी हो रही है,
हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, हालांकि लड़की वालों की कोई भी डिमांड नहीं है पर हमें तो अपनी तरफ से सोचना पड़ेगा ना..! जी भैया… इसीलिए मैं सोच रहा था कि इस बार हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे! सुरेंद्र और रविंद्र दो भाइयों का सम्मिलित परिवार था, दोनों भाइयों का एक ही कारोबार था,
दोनों भाई हमेशा से साथ रहते आए थे, कभी-कभी छोटी-मोटी गलतफहमी हो जाती है घरों में किंतु कुल मिलाकर उनका एक सुखी परिवार था! क्या बात है.. देवर जी… खुद की बेटी की जब शादी की बात चली तो कोई कसर नहीं छोड़ेंगे..?
एक से एक बढ़कर व्यवस्था करेंगे, यहां तक की हलवाई भी बाहर से बुलाएंगे और सगाई की रस्म में ही चांदी के सिक्के दिए जाएंगे, आपकी बेटी का तो लहंगा चूड़ा जेवर सभी उच्च क्वालिटी के होंगे, याद है देवर जी… 10 साल पहले जब हमारी बेटी प्रियंका की शादी हुई थी
तब हमने कितना मामूली इंतजाम किया था, लड़के वाले को शगुन के तौर पर लिफाफे पकड़ा दिए थे और 20 लाख की गाड़ी की बजाय हमने 10 लाख की गाड़ी दी थी, वह तो अच्छा है लड़का डॉक्टर है और उन्होंने अपनी तरफ से कुछ भी नहीं मांगा
और उस समय मेरी बेटी की शादी में आपने सारी व्यवस्था कम से कम पैसों में करनी चाहि थी, याद है ना आपको… आप मेरी बेटी में और अपनी बेटी में इतना फर्क करते हैं! नहीं भाभी… ऐसी कोई बात नहीं है आपकी प्रियंका और मेरी प्रीति दोनों सगी बहनों की तरह है,
हमने कभी भी दोनों में अंतर नहीं समझा, वह तो आपको पता ही है 10 साल पहले व्यापार में हमें कितना घाटा हुआ था, वह तो हम दोनों भाई एक साथ व्यापार करते हैं इसलिए धीरे-धीरे इस स्थिति से बाहर आ गए और आज हमारे पास किसी चीज की कोई कमी नहीं है,
भाभी समय हमेशा एकता नहीं रहता! इतने में ही रविंद्र की पत्नी बाहर आ गई और वह बोल पड़ी,… वाह दीदी.. आप अब गडें मुर्दे उखाड़ रही हैं, आपको भी याद होगा आपने शादी में मेरे मायके वालों को सारी चीज हल्की ही दी थी, यह कहकर की, रजनी…
अभी हमारे हालात ठीक नहीं है जब हालात सुधर जाएंगे तब हम कुछ अच्छा दे देंगे, अभी जैसे तैसे बेटी की शादी संपन्न हो जाए! तो दीदी.. हमने भी उसे वक्त कुछ नहीं कहा था क्योंकि हमें भी घर की स्थिति अच्छी तरह से पता थी, हमने तन मन धन से बेटी की शादी में कोई कसर नहीं छोड़ी थी
और यह तो परिस्थितियों की बात है उस वक्त जैसे हमारी स्थिति थी हमने उस हिसाब से काम किया था, आज अगर हमारी स्थिति अच्छी है तो हम क्यों ना अच्छा करें! भाभी गडे मुर्दे उखाड़ने से कोई लाभ नहीं होगा, आपको हमको दोनों को ही दुख होगा,
आज तक हम दोनों बहनों की तरह रही हैं और प्रियंका और प्रिया भी हमेशा सगी बहनों की तरह ही रही है, क्या कभी हमने और आपने दोनों बेटियों में फर्क किया है, दीदी समय सब करवा देता है! हमें तो इस समय प्रिया की शादी खुशी-खुशी हो यह सब सोचना चाहिए!
उस वक्त भी हमने अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखी थी! हां रजनी… तू सही कह रही है, हमने कभी अपनी दोनों बेटियों में कोई अंतर नहीं किया तो आज अंतर कैसे हो सकता है, वह तो समय का फेर है कल दिन खराब थे और आज दिन अच्छे हैं कल पता नहीं कैसे होंगे?
मुझे माफ कर दे.. मैंने अतीत के दुखों को वर्तमान की खुशियों से जोड़ दिया, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें तो धूमधाम से जितना हमसे हो सकता है उतना करना चाहिए और ऐसा कहकर दोनों देवरानी जेठानी गले लग गई और शादी की तैयारी में व्यस्त हो गई!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
मुहावरा प्रतियोगिता गडे मुरदे उखाड़ना