गाल फुलाना ! – सुषमा यादव : Moral Stories in Hindi

राजेश शाम को जब आफिस से घर आए तो देखा मां बाहर आंगन में बैठ कर अपनी उंगलियों को मरोड़ कर कुछ गंभीर चिंता में मगन थीं।

राजेश ने मां से पूछा, क्या हुआ मां? आपको किसी ने कुछ कहा क्या? जो मुंह फुलाकर बाहर बैठी हो। मां ने गुस्से में कहा, दुलहिन,जब देखो तब अपने भाई के घर चली जाती है ,हम अकेले ही यहां बैठे रहते हैं। 

मधु अंदर से सुन रही थी, कुछ ना बोली, रसोई में जाकर चाय बनाने लगी। पीछे से गुस्से में आकर राजेश ने कहा, तुम मां को अकेले छोड़ कर हमेशा अपने भाई के घर क्यों चली जाती हो। थोड़े दिन के लिए आईं हैं उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलना चाहिए।

शांति से मधु ने कहा,मेरे पिता जी का एक्सीडेंट हुआ है,सर में टांके लगे हैं। मैं भाई से मिलने नहीं, अपने पिता जी से मिलने जातीं हूं। यहीं कालोनी में तो रहते हैं, पांच मिनट का रास्ता है। पन्द्रह बीस मिनट रह कर जल्दी ही घर आ जातीं हूं। मां को चलने को कहतीं हूं तो मना कर देती हैं। 

बस उन्हें तो हरदम मुंह फुलाने का मौका चाहिए।

मां,बेटे ने बाहर ही चाय पी और बतियाते रहे।

रात को खाना बना कर मधु ने अकेले चुपचाप खा लिया और बाद में आवाज दी। खाना बन गया है,आप लोग परस कर खा लेना। राजेश ने कहा, क्यों, तुम नहीं खाओगी? मैं तो खा चुकी अब सोने जा रही हूं। हैरान हो कर राजेश ने कहा,इतने सालों में बिना मेरे खाए तुमने मुंह में एक भी निवाला नहीं डाला।आज क्या हो गया।

तनतना कर मधु ने कहा, क्यों,गाल फुलाने का हक केवल आप लोगों को ही है। मैं भी बिना मतलब शिकायत करने पर गाल 

फुलाकर बैठ सकतीं हूं।

राजेश उसे आश्चर्य से देखता रह गया।

सुषमा यादव पेरिस से

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