एक यशोदा ऐसी भी – मधु जैन : Moral Stories in Hindi

रानो की टोली ताली बजाते हुए गेट के अंदर आकर जोर से आवाज लगाते हुए “लाओ अम्मा लालन की बधाई।” और ढोलक की तान पर यशोदा के घर लालन भयो गाने पर ठुमके लगाने लगी।

अम्मा नवजात शिशु को कपड़े में लपेटकर,

“ले संभाल इसे, तुम्हारी ही जात का है। ले जाओ यहाँ से।” तभी अंदर से दौड़ती हुई बहू आई।

“मेरा बच्चा मुझे दे दो, मेरा बच्चा मुझे दे दो।”

“अरे! क्या करेगी तू इस बच्चे का।” अम्मा ने उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा।

” अम्मा मैंने इसे जना है यह मेरा बच्चा है।” रिरियाते हुए बोली।

“पागल तो नहीं हो गई है दुनिया क्या कहेगी।”

“अम्मा अब तो सरकार ने भी इन्हें मान्यता दे दी है। मेरे पास रहने दे।” हाथ जोड़ते हुए।

“सरकार वरकार मैं न जानूं, समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा। क्या करेगी पालकर? यह वंश तो बढ़ा नहीं सकता।”

रानो के सामने याचना करते हुए।

” मेरा बच्चा मुझे दे दो मैं इसे  पढ़ा लिखा कर बड़ा करूंगी। यदि यह टीचर बना तो तुम सबको पढ़ाएगा, इंजीनियर बना तो तुम्हारे लिए घर बनाएगा, डॉक्टर बना तो तुम सब का इलाज करेगा और वकील बना तो तुम्हारे लिए लड़ेगा।”

किन्नर उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठे।

“पागल बावली हो गई है चल घर के अंदर।” अम्मा ने डांटते हुए कहा।

वह आँचल फैलाकर रोते हुए बच्चे को मांगने लगी।

उसका रुदन देखकर रानो की भी आँखे भर आईं।

रानो ने “ले अपना बच्चा कहते हुए गोद में डाल दिया।”

अम्मा ने आगबबूला होते हुए जैसे ही हाथ ऊपर उठाया।

अम्मा का हाथ पकड़ते हुए “खबरदार जो जच्चा पर हाथ उठाया तो मुझसे बुरा कोई न होगा।”

अम्मा सहमकर पीछे हट गई। और बोली “इस घर में यह बच्चे के साथ नहीं रह सकती कहीं और जाकर रहे।”

“तेरा मरद कहाँ है बुला उसे।” रानो ने कहा।

” क्या तू भी बच्चे को रखना चाहे हैं?”

“हाँ आखिर खून है मेरा। पर… “

“पर क्या ?”

“मेरी आमदनी इतनी नहीं है कि मैं किराये का घर ले सकूँ और इस बच्चे को पाल सकूँ।”

“ठीक है तेरे रहने का इंतजाम हो जायेगा। पर एक शर्तें हैं।” दोनों के चेहरे पर आशंका के बादल छा गये।

“इस बच्चे का सारा खर्च पढ़ाई लिखाई सहित हम करेगें।” सुनते ही दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

जच्चा और बच्चा दोनों को आशीष देते हुए रानो बोली “तू बड़ी हिम्मत वाली है। काश ऐसी ही हिम्मत हमारी माँ ने भी की होती तो … “

मधु जैन जबलपुर

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