एक वेडिंग – हरीश श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

लीजिए सक्सेना साहब,मिल लीजिए लड़के से और बुलाइए बिटिया को ताकि दोनों लोग बात कर सकें।

वीरेन्द्र सक्सेना कार्पोरेशन में सीनियर सिविल इंजीनियर थे।अच्छा खासा नाम और कमाई थी।पर एक हद में ही रहते थे।एक लड़की थी बड़ी रत्ना जिसने हाल में ही एमबीए किया था और एक लड़का जो किसी प्राइवेट कम्पनी मे इंजीनियर था बैंगलोर में।

मेट्रीमोनियल का कॉलम देख कर अभिजीत सहाय खुद ही आ धमके थे फोन करके।

अभिजीत सहाय एक पब्लिक अन्डरटेकिंग में डायरेक्टर थे और उनका लड़का अतुल सहाय यहीं साफ्टवेयर इंजीनियर था।

पारिवारिंक बातें होती रहीं फिर सक्सेना ने पूछा कितना दहेज चाहिए?

सहाय ने कहा एक रूपया भी नहीं तो लक्ष्मी सक्सेना चौंक गईं।आज के जमाने को देखते हुए तो हमारे जाति में अजूबा है।

इसीलिए मैं अतुल को साथ लाया कि आप लोग देख परख लें ताकि आपको छानबीन न करना पड़े।बहुत धन है हमारे पास और आपके दिये पैसों से इनकी जिन्दगी नहीं चलने वाली।

सक्सेना साहब शादी एक अच्छे ओपेन रिसॉर्ट में करेंगे और आपकी लड़की वहीं से ले आएंंगे।रिसेप्शन भी हो जाएगा और शादी भी।आप कायस्थ हैं,अच्छी जगह हैं तो चला आया।नहीं मंजूर तो कोई बात नहीं,दोस्ती हो गई तो इजाज़त दीजिए।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

जब बच्चों को अकेले रहने की आदत पड़ जाती है तो बड़े- बुजुर्गों से उन्हें बंधन दिखाई देने लगता है। – कमलेश राणा : Moral Stories in Hindi

नही नहीं मुझे मंजूर है यह रिश्ता लक्ष्मी सक्सेना बोल पड़ी।

तभी रत्ना आ गई और बोल पड़ी कि मुझे मंजूर नहीं ये रिश्ता।

लक्ष्मी ने ही पूछा ,पर क्यों?

अभी हम मिले नहीं,डेटिंग पर नहीं गए, एक दूसरे को जानते नहीं तो आप कैसे मंजूर कर रही हैं।

अतुल ने कहा चलिए आपको वर्ल्ड टूर करवा लाता हूँ फिर वहीं शादी कर लेंगे।माँ बाप का नाम रोशन हो जाएगा और इनकी सारी अभिलाषाएं समाप्त हो जाएंगी जो इन्होने ने संजो कर रक्खी थी।किस किस लड़के के साथ आप डेट्स पर जाएंगी? आपको मालूम भी है डेटिंग क्या होती है?कहां से एमबीए किया?माफ कर दीजिएगा माँ जी।

लक्ष्मी जी बोली तुम बोलते भी हो।दो घंटे से बैठे हो पर बोले ही नहीं।

माँ जी बड़ों के बीच नहीं बोलना चाहिए। ये अभी अभी पासआउट हैं तो हवा में उड़ रही हैं।

मिस रत्ना कल आपको ले चलता हूँ अपने आफिस और मिलिए कुछ मेरे कोलीग से वे सीनियर एक्सक्यूटिव हैं और डेटिंग का अनुभव सुनिए।चलेंगी?

चलिए आपको अपनी हवेली घुमा लाऊं और अपने पांच सौ एकड़ की जमीन दिखा लाऊं,चलेंगी डेट पर,हँसने लगा।

सक्सेना साहब हक्के बक्के रह गए।इतना रईस और ऊँचा आदमी,हमी लोगों की जाति का और कितने विनम्र हैं।

सहाय साहब उठ खड़े हुए।कोई बात नहीं बेटी खुश रहो।

सक्सेना सामने आ गए और हाथ जोड़ लिया।

अब आप हमारे साथ डिनर कर के जाइए।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

घर की बात – दीपा डिंगोलिया : Moral stories in hindi

सॉरी मि सक्सेना! मेरी पत्नी प्रतीक्षा कर रही होगी।उसकी मीटिंग थी आज सेक्रेटरी के साथ मिनिस्ट्री में इसलिए नहीं आ सकी।आप दोनों घर पर आइए।

चले गए अतुल के साथ पर जाने के पहले अतुल पास आया और रत्ना के कान में फुसफुसाई कर गया।

क्यों कहा ये सब रत्ना तुमने?किसने तुम्हे ये संस्कार दिए और बताया है ये सब कि शादी के पहले ये सब करना चाहिए?तुमने आज इज्जत उतार दी।लक्ष्मी जी बहुत क्रोधित थीं।खुद आए थे जबकि हमें जाना चाहिए और केवल यह समझकर कि हम कायस्थ हैं पर हम क्या निकले।शर्म आ रही है।लड़के की माँ भी शायद बहुत ऊँची पोस्ट पर हैं। कितने विनम्र,कोई दहेज नहीं, दो टूक बात।क्या करें इस लड़की का?

सक्सेना साहब तो सर पकड़ कर बैठे थे।हमें नहीं मालूम था कि एमबीए करके यह इतनी ईडियट हो जाएगी।सदा से भाग्यशाली कुछ ही देर में भाग्य हीन हो गई।मुझे लगता है कि हमारे दुर्दिन के दिन आ गए।

ऐसा कुछ नहीं किया पापा,रत्ना ने कहा।बात चीत करने का समय ही तो मांगा था!

पर तुम्हारा तरीका गलत था।सुसंस्कृत परिवार की भाषा ऐसी नहीं होती।हम कौन तुम्हारी कल ही शादी करने जा रहे थे।आती,बैठती फिर हम लोग किसी और दिन होटल में उनकी पत्नी के साथ मिलते, तुमको भी वहाँ अलग समय अतुल के साथ मिलता बात करने का।कितना समय लगता है शादी में तुम्हे नहीं मालूम और उसमें तुम अतुल को पहचान सकती थी।रिश्ता मिटाने में एक मिनट लगता पर बनाने में एक उम्र लगती है बेटा।खूबसूरत हो,पढ़ी लिखी हो तो रिश्तों की कोई कमी नहीं परंतु जरूरी नहीं कि ऐसा भद्र परिवार मिल जाए।इसी शहर में रह जातीं तुम तो हम भी खुश रहते।

कल इंडिया लाउंज मे सात बजे बुलाया है अतुल ने,रत्ना ने कहा।

यही वह तुम्हारे कान में कहकर गया!

जी।

जाओ पर अपने ज्ञान का परिचय दो न कि अभद्रता का।जीवन जीना सीखो चरित्र के साथ, परखो।नौकरी करने लगोगी तो इतनी परेशानी झेलना तुम्हारे लिए असह्य रहेगा मिस सक्सेना रहने के कारण।देख लो स्टेटस कि तुम्हे कहां बुलाया है पहले दिन।

मैं भी चलूंगी अपने दोस्त के साथ लक्ष्मी सक्सेना ने कहा।घबराओ मत रत्ना हमलोग दूर रहेंगे।ये फाइव स्टार प्लेस है छोटी मोटी नहीं।तुम तो कभी गयी नहीं होगी?

नहीं।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

मान मर्यादा – संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

हम कार से छोड़ देंगे तुम्हे और अन्दर ही रहेंगे आसपास।

अगले दिन लक्ष्मी जी ने रत्ना को इंडिया लाऊंज के अन्दर उतार दिया और कार की चाभी काउन्टर पर देकर अपने दोस्त के साथ चली गई।

अन्दर आकर रत्ना इधर उधर देख रही थी कि एक बहुत खूबसूरत लड़की,अल्ट्रा माडर्न लड़की वहाँ आ गयी।मिस रत्ना?

वह घूम गयी और देखती ही रह गई।जी मैं ही हूँ।

आइए आपकी मेज रिजर्व है।ले आई रत्ना को एक मेज पर किनारे जो फूलों से सजा था और भीनी सुगंध थी।

आइ एम अनुजा, क्या लेंगी आप?साफ्ट या कुछ हॉट?

मि अतुल कहां हैं?

रास्ते में हैं तो मैं आपकी खिदमत में हूँ।परेशान हो रही हैं और उसने पानी का गिलास सरका दिया।

रत्ना पानी पीते अपने को संयत कर रही थी।अनुजा उसके भावों को पढ़ रही थी।

शायद रास्ते में ट्रैफिक ज्यादा है,रत्ना ने कहा।

जी नहीं पर आप आधा घंटा पहले पहुँच गई हैं।आप पहली बार मिल रही हैं?

हाँ और आप जानती हैं अतुल को?

अरे हमारा तो उठना बैठना एक साथ होता है।धींगा मुश्ती भी होती है,मतलब समझ रहीं हैं आप।

रत्ना पूरा पानी का गिलास पी गई।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

समयचक्र- मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

अतुल आ गया। सॉरी मिस रत्ना, पूरा पानी खाली खाली!

सर! बहुत गुस्से में हैं तो पूरा पानी पी गई।

आपने इसी सब के लिए कान में कहा था!मैं तो कल के व्यवहार के लिए आपसे क्षमा मांगने आई थी और ……।

बैठ जाइए और अनुजा ने हाथ पकड़ बैठा दिया।

इसी बल बूते पर डेटिंग करेंगी आप?कौन सी जगह ले जाएगा और आपकी चाय में क्या मिला रहेगा ? आपकी इज्जत ले ली जाएंगी और वे नकली मां बाप और दिखावे वाला व्यक्ति कहां होगा।अनुजा ने कहा तो रत्ना सकपका गई।फिर अनुजा बोलती गई वही जो उसके पिता ने कहा था। क्या गलत हूँ रत्ना?

वेटर आकर बीच बीच में खाने के व्यंजन सजाता रहा।

खाती रहिये रुकिए मत और वह मुस्कुराती रही।ये लीजिए रूमाल,पसीना पोंछ लीजिए।

अतुल सामने बैठा मुस्कुरा रहा था और रत्ना के हाथ काँप रहे थे।

चलिए छोड़िए रत्ना!हम जिसको पकड़ते हैं तो एक बार ही पकड़ लेते हैं।आप बहुत खूबसूरत परंतु बहुत कमजोर हैं।परिचय देती हूँ ;मैं हूँ अतुल की छोटी बहन अनुजा असिस्टेंट कमिश्नर रेवेन्यू।

हे भगवान! रत्ना जोर से बोल पड़ी।आंसू निकल आए।

ये लीजिए भाभी पहना दीजिए भइया को और अँगूठी दे दी।

माँ आई है।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

परिचित – सुनीता परसाई : Moral stories in hindi

तो ले आइए उन्हें, हम सेलिब्रेट करते हैं यहीं पर।

अनुजा ने मैनेजर को फोन कर एक टेबल सजाने के लिए बोला फिर और भी कुछ कहा।

रत्ना को माँ को खोजने मे थोड़ी परेशानी हुई क्यों कि  लाउंज बड़ा था।

लक्ष्मी जी उसे देख परेशान हो गईं।कोई अभद्रता हुई क्या ?

कुछ नहीं हुआ है माँ और सब निर्णय हो गया। आप दोनों आइए मेरे साथ।

ले आई वहाँ तो परिचय कराया।अनुजा ने आगे बढ़ कर लक्ष्मी जी के पैर छू लिए।

रत्ना ने कहा माँ ये अतुल की छोटी बहन अनुजा हैं, असिस्टेंट कमिश्नर।

मैनेजर आ गया तो सब नये टेबल पर शिफ्ट हो गए।लीजिए भाभी पहनाइए अब।रत्ना ने अँगूठी ले लिया और अतुल ने अपनी जेब से अंगूठी निकाली। दोनों ने पहनाई तो वहां तालियों की गड़गड़ाहट थी। मैनेजर ने फोटोज निकलवाए,हार पहनाए गए।लक्ष्मी जी मि सक्सेना को सब वीडियो में दिखा रही थीं।

चलिए भइया भाभी केक काटिए। माँ यहां आइए।

पाँचों लोगों की शानदार पार्टी रही।

लक्ष्मी सक्सेना ने चलते समय अपने गले की चेन उतार अनुजा को पहना दी।बेटा तुमने जो किया वो शायद हम महीनों मे कर पाते या नहीं भी।

माँ ये जो नया नया भूत हम पर सवार है यह चक्कर जरा सब खोने के बाद समझ आता है।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

अंगूठी खो गई – पुष्पा जोशी : Moral stories in hindi

हमलोग आइएएस ऐसे ही थोड़े बन जाते हैं।सब जानते हैं।आइएगा सन्डे, पापा को लेकर लन्च पर।नमस्ते आंटी।

कितनी सुखद शाम थी और अनोखी वेडिंग।

समाप्त

स्वरचित

हरीश श्रीवास्तव

मुंबई

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!