क्या हुआ विमला..? सुबह से दरवाजे पर नज़रे टिकाई हो… वह तो अब ससुराल गई… उसकी आस अब छोड़ दो… हमदर्दी का रिश्ता था, कोई अपनी तो थी नहीं… और वैसे भी तुम उसकी शादी में नहीं गई, नाराज़ भी तो होगी…?
सरला जी ने विमला जी से कहा…
इतने में एक लड़की दुल्हन के लिबास में, अपने भारी लहंगे को संभालते हुए सजी-धजी कार से उतरती है..। जिसे देख विमला जी मारे खुशी के रोने लगती है..। वह लड़की दौड़ते हुए आती है और विमला जी से लिपट जाती है, और दोनों ही फूट-फूट कर रोने लगते हैं… जैसे विदाई के वक्त एक मां-बेटी रोती है… मां बेटी के इस मिलन से भावुक होकर, वहां मौजूद सभी रोने लगते हैं… कौन थी यह लड़की और क्या था उसका रिश्ता विमला जी के साथ…? इसको जानने के लिए हम थोड़े समय पहले चलते हैं…
मां…! एक अच्छे अस्पताल में बात कर के आया हूं, जहां आप की देखभाल के साथ-साथ आपके पैरों की कसरत भी करवाई जाएगी… यहां से रोज़-रोज़ आने जाने में तो मुश्किल होगा, इसलिए आपको कुछ वक्त तक वहां रहना पड़ेगा…
अतुल ने अपनी मां विमला जी से कहा…
विमला जी: पर बेटा…! वहां मैं अकेले कैसे रहूंगी..? यहां तो मुन्ने के साथ मेरा मन बहल जाता है…
अतुल: पर मां..! मंजू मुन्ने को संभाले या आपको..? मैं तो घर पर होता नहीं, तो ऐसे में आप अपने पैरों पर कैसे खड़ी हो पाएंगी..? और व्हीलचेयर के सहारे आप क्या-क्या कर पाएंगी..?
विमला जी: पर बेटा…?
अतुल: पर वर कुछ नहीं… आप अपना सामान बांध लीजिए… मैं कल ही वहां आपको छोड़ते हुए, ऑफिस चला जाऊंगा…
विमला जी फिर कुछ नहीं कहती और अगले दिन विमला जी और अतुल उस जगह पर पहुंच जाते हैं…
विमला जी वह जगह देख कर ही समझ जाती है, यह कोई अस्पताल नहीं, बल्कि वृद्धाश्रम है… अतुल उन्हें गाड़ी से उतर कर अंदर जाने को कहता है…
विमला जी भी बिना कोई शब्द कहे अंदर चली जाती है… वक्त बितता रहता है और विमला जी भी बस अपने आंसुओं को लिए, उस वक्त के साथ गुम हो जाती है… उनसे कितनों ने बात करने की कोशिश की, पर वह अपने ही दुनिया में उदास बैठी रहती थी…
उसी आश्रम में एक लड़की हमेशा आया करती थी… जिसका नाम था कोमल…
जैसा नाम वैसे गुण… उसने भी काफी कोशिश की विमला जी को खुश करने की, पर विमला जी मानो पत्थर बन चुकी थी…. जिस पर भावनाओं का कोई असर नहीं पड़ रहा था… पर वह कहते हैं ना, पत्थर भी पानी की लगातार वार से चूर हो जाता है… वैसे ही कुछ उनके साथ भी हुआ..।
एक दिन कोमल अपने साथ एक केक लेकर आती है और सारे वृद्धों को इकट्ठा होने को कहती है… पर जैसे ही वह विमला जी के पास जाती है, उन्हें बुलाने… विमला जी उन्हें झटक कर कह देती है… मुझे नहीं जाना कहीं भी… मुझे यह सब पसंद नहीं…
कोमल उदास होकर वहां से चली जाती है… विमला जी का ऐसा रवैया देखकर, वहां की एक उनकी वृद्ध सहेली सरला जी कहती है… विमला…! तेरी समस्या क्या है..? उस लड़की ने तेरा क्या बिगाड़ा है..? वह तो उसकी मां नहीं है, तो वह अपना जन्मदिन हमारे साथ ही मनाती है…. वह हमारी कौन है..? पर फिर भी अपनी खुशियों के साथ-साथ, हमारी खुशियों का भी ध्यान रखती है… वरना आजकल अपने बच्चे ही हमें यहां लावारिस की तरह छोड़ जाते हैं… तुझे भी तो तेरा बेटा ही यहां छोड़ कर गया था ना..?
वह तो भला हो इन जैसे लड़कियों का… के आज भी इनके अंदर इंसानियत और प्यार बचा है… वरना हम लोग तो यहां ऐसे ही मर जाए, और हमें कोई पूछने तक ना आए..
विमला जी अब रोने लगती है और सोचती है… सच ही तो है… मेरे बेटे ने मेरे साथ ऐसा किया… इसमें इसकी क्या गलती है..? बेकार में ही बेचारी को आज के दिन उदास कर दिया… फिर वह कोमल के पास जाती है और कहती है… जन्मदिन की बधाई हो बेटा…! कोमल विमला जी को गले लगा लेती है और तब से उन दोनों का प्यार बढ़ता ही चला जाता है… विमला जी अपाहिज थी और कोमल उनके दोनों पैर बन गई…
कोमल की शादी थी, पर विमला जी नहीं गई…. क्योंकि उन्हें कोमल से बिछड़ने का दुख बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था… किस्मत का अजीब खेल तो देखिए, हर वह जिसे विमला जी अपना दिल देती.. वह उनसे बिछड़ जाता…खैर, कोमल की शादी पर विमला जी तो गई नहीं, पर उन्हें कहीं ना कहीं मालूम था, कोमल उनसे मिले बिना जाएगी नहीं… और इसलिए उनकी नज़रें दरवाजे की ओर ही थी…।
दोनों के गले मिलने और रोने के बाद, कोमल कहती है… विमला मां..! भले मैं अपने ससुराल जा रही हूं… पर मायका तो कभी छूटेगा नहीं… भगवान जी ने कभी मुझे मेरी मां छीनी था… पर उसके बदले यहां उन्होंने इतनी सारी मांए दे दी… कोमल शादी के बाद भी अपने मायके से जुड़ी रही और फिर एक रिश्ता कोमल और विमला जी का ऐसा बना के, विमला जी आज बहुत खुश है और वह अपने बेटे को कभी याद भी नहीं करती…
ज़रूरी नहीं के सिर्फ खून के रिश्ते ही महत्वपूर्ण हो… कभी-कभी ऐसे रिश्ते भी बनते हैं, जो खून के ना होकर भी हमारी जिंदगी में धड़कन की तरह बन जाते हैं…
#एक_रिश्ता
धन्यवाद
स्वरचित/मौलिक
रोनिता कुंडू