जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू बाबा के सांप से काटने की खबर मिलते ही शहर से गांव आ गया है ….. रास्ते में निम्मी से मिलते हुए वो राकेश के साथ अपने घर पहुँच गया है ….. भीड़ में से रास्ता बनाते हुए वो बाबा की खाट के पास पहुँचा है …..
अब आगे….
आ गया रे लला…. तेरी ही राह देख रहे सब…. लै तू भी चाय पी ले…. ठंडा गया होगा….
राजू की अम्मा सबको चाय देते हुए राजू को देख बोली….
तुमने पी अम्मा…. य़ा सबको ही पिला रही… पहले ही से इत्ती जकड़न है तुझे….. लाडो कहां है मेरी….
राजू अम्मा के पैर छूते हुए बोला….
तभी चाची ने लाडो को राजू की गोद में डाल दिया….
राजू लाडो को देख उसे चूमने लगा… बाबा के पास लाडो को ले गया….
देख बाबा… तेरी लली कैसे मुस्कुरा रही तुझे देख के…. अब तो उठ जाओ बाबा…. अब तो जहर भी उतर गया….
ए रे राजू…. बाबा ऐसे ठीक ना होंगे…. इन्ही विषबेल है …..
राजू की बापू पप्पू दुखी होता हुआ बोला….
अरे बाबा… मैने पढ़ा है कुछ नहीं होती विषबेल ….. सब अंधविश्वास है …..
बाबा को अस्पताल ले चलो….
राजू बापू से बोला…..
ये लड़का बड़ा मूर्ख है …. इसे विषबेल को अंधविश्वास बता रहा …. जो सदियों से चली आ रही….
अभी दिखाता हूँ इसे कि अंध विश्वास है य़ा सच….
दूर से आयें शंभू सपेरे के गुरु बोले…..
जी बस मेरे बाबा ठीक हो जायें ….. आप ही सही कर दो….
राजू बाबा को खोना नहीं चाहता था…. ज़िनसे वो अपने दिल की हर बात कर लेता था…..
तभी गुरु ने अपने चेलो को बुला थैले में से थाली, बीन निकालने को बोला…..
कुछ औषधि भी निकाली….
फिर शुरू हुआ थाली बजाने का कार्यक्रम ….
गांव के सभी लोग यह दृश्य देखने के लिए एक दूसरे पे गिरे जा रहे थे……
निम्मी भी बीच में जगह बनाती हुई अपनी अम्मा के पास खड़ी हो गयी….
उसकी नजरें राजू को खोज रही थी…. वो उसके लिए घर से परांठे बनाके लायी थी….. कि राजू शहर से भूखा प्यासा चला आया है .., पता नहीं ताई ने भी सबकी आवभगत में खाना बनाया होगा य़ा नहीं….
थाली बजने की गूंज दूर दूर तक जा रही थी…. उसकी आवाज इतनी तेज थी कि कई लोगों ने अपने कानों पर हाथ रख लिया …..
गुरु जी राजू के बाबा के माथे पर कुछ लगाकर पिछले जन्म के बंधे मन्त्रो को खोल रहे थे….
सबकि आँखों में नींद थी….
धीरे धीरे जब समय काफी होने लगा तो भीड़ कम होने लगी….
पूरी रात थाली बजायी गयी….
राजू की आँखों में भी नींद थी….
वो पानी पीने के लिए उठा तो झट से निम्मी उसके पीछे चल दी….
उसने अपनी शाल के पीछे से परांठे का डब्बा निकालकर राजू के हाथ में रख दिया…..
ये क्या है … तू गयी नहीं अभी तक निम्मी ….
सुबह होने को आयीं…. जा अब….
राजू पानी पीते हुए बोला….
वो सब छोड़ तू …..बापू है अभी …उनके साथ चली जाऊंगी….
और तू पानी ही पियेगा क्या ??
पता है पेट में कीचड़ हो जायेगा तेरे….
ले ये आलू के परांठे खा ले चटनी के साथ ……
जब लायी थी तो बड़े गर्म थे….
अब तो ठंडे हो गए….
ये अंगीठी पर कोयला जल रहा …. ला इसमें गर्म कर दूँ ….
निम्मी परांठे गर्म करने लगी….
अच्छा तू मेरे लिए लायी परांठे ….. पर अम्मा ने तो साग रोटी बना दी है …. तुझे तो पता है अम्मा अपने राजू को भूखा तो रख ही नहीं सकती…..
राजू निम्मी की ओर देख रहा है …
ठीक है राजू…. फिर तू रोटी साग ही खा ले…… मैं ले जा रही परांठे……. मैं सोची ताई इतनी भीड़ में कहां बना पायी होंगी रोटी….. इसलिये ले आयीं रे मैं राजू…. पूरी रात नींद भी आयी बहुत पर तेरे परांठे की वजह से घर ना गयी…
अच्छा अब चलती हूँ राजू….
निम्मी दुखी होतो हुई बोली….
ए निम्मी …. अच्छा ला परांठे …. तू इतने मन से मेरे लिए लायी है तो कैसे नहीं खायेगा राजू…. निम्मी तो कुछ भी खिलायेगी खा लूँगा……
राजू ने निम्मी के हाथ से परांठे को खाना शुरू कर दिया….
निम्मी के चेहरे पर मुस्कान तैर आयीं….
राजू एक एककर सारे परांठे खा गया…..
बड़े स्वाद के थे निम्मी … बहुत अच्छे लगे…. तेरी मेहनत बेकार ना गयी…. जा अब घर जाके सो जा…
ठीक है राजू…. निम्मी डब्बे में पड़ा परांठे का एक कौर अपने मुंह में डालने लगी….
झट से राजू ने उसका हाथ पकड़ खाने से मना किया ….
तू मत खा निम्मी ….
तब तक तो निम्मी के मुंह में कौर जा चुका था…. .
उसने पूरा कौर थूक दिया ….
राजू इसमें तो मैं नोन (नमक)डालना भूल ही गयी….
तूने पूरे परांठे कैसे खा लिए….
अरे चटनी थी ना निम्मी …. मुझे तो बहुत अच्छे लगे….
राजू निम्मी को दुखी नहीं देख सकता….
चुप कर तू …. अच्छे लगे… बिना नोन के तो कुछ भी स्वाद का ना लगे….
माफ कर दे राजू…..आगे से ध्यान रखुंगी …..
कोई बात ना निम्मी …. तू मेरे लिए बनाके लायी…. ये क्या कम है ….
तू भी बस मुझे बहलाता रहता है ….. अच्छा चलती हूँ अब मैं राजू….. कल आऊंगी…. और तेरे बाबा देखना बिल्कुल ठीक हो ज़ायेंगे…… मैने पहाड़ी वाले बाबा से मन्नत मांगी है बाबा के लिए….
निम्मी बोली….
तू बड़ी प्यारी है निम्मी …. अच्छा अब जा आराम से…..
राजू बोला…
तभी आवाज आयीं…
राजू तेरे बाबा …..
आगे की कहानी कल…. तब तक के लिए
जय श्री राम
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -19) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा