एक महान पुरुष की गाथा – नेकराम : Moral Stories in Hindi

भैया राजौरी गार्डन जाने वाली बस कौन से नंबर की है और किस बस स्टैंड से मिलेगी सड़क किनारे खड़े गुब्बारे बेचने वाले एक अधेड़ से व्यक्ति से मिस्टर अभिषेक ने पूछा

मिस्टर अभिषेक का राजौरी गार्डन के बैंक में मैनेजर के पद पर आज पहला दिन था बड़ी मुश्किल और संघर्षों के बाद उसे यह सरकारी नौकरी मिली थी मिस्टर अभिषेक की अभी शादी नहीं हुई थी बचपन से ही उसकी एक खूबी थी और खूबी यह थी जब तक एक अच्छी प्राइवेट जॉब या सरकारी नौकरी नहीं मिल जाती तब तक शादी नहीं करूंगा

लेकिन आज सरकारी नौकरी मिल चुकी है अब वह जल्द से जल्द एक सुंदर लड़की की तलाश में था जो उसकी जीवन साथी बनकर उसका जीवन संवार सके

गुब्बारे वाले भैया से पता पूछने के बाद अभिषेक जल्दी-जल्दी बस स्टैंड की तरफ चल पड़ा बस स्टैंड पर ही उसे एक सुंदर सी लड़की दिखाई थी

जिसने अपने कंधे पर एक काले रंग का बैग लटकाया हुआ था उसका चेहरा देखकर उसकी उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता था 22 वर्ष से उसकी उम्र अधिक न होगी

मिस्टर अभिषेक उसे एक टक देखने लगा और सोचने लगा मेरी उम्र 25 वर्ष है अब तो मेरी भी शादी की उम्र हो चुकी है करमपुरा बस स्टैंड पर एक 234 नंबर की बस आई और वह लड़की उस बस में चढ़ने लगी

मिस्टर अभिषेक को भी उसी बस नंबर पर चढ़ना था उसने भी देर ना लगाई और बस के भीतर चढ़ गया

कंडक्टर ने जोर से आवाज लगाई टिकट टिकट टिकट बिना टिकट कोई यात्रा नहीं करेगा जिनके पास,, पास,, है वह अपने पास दिखाइये जिनके पास,, पास,, नहीं है अपनी-अपनी टिकट ले लीजिए आगे चेकिंग वाले खड़े हुए हैं

मिस्टर अभिषेक ने राजौरी गार्डन की एक टिकट ले ली और एक खाली कुर्सी पर बैठ गया इत्तेफाक से वही काले बैग वाली लड़की भी उसी सीट पर मिस्टर अभिषेक के साथ बैठ गई बस अपनी मंजिल पर चल पड़ी

मिस्टर अभिषेक बार-बार उसी लड़की को देख रहा था जो उसके बगल में आकर बैठ चुकी थी

आधे घंटे बस चलती रही कई बस स्टैंड निकलने के बाद राजौरी गार्डन का स्टैंड आ चुका था

सभी सवारी बारी-बारी से बस से नीचे उतरने लगी

मिस्टर अभिषेक और वह काले बैग वाली लड़की भी बस से नीचे उतर चुकी थी

मिस्टर अभिषेक सोचने लगा अगर ईश्वर ने चाहा तो शायद यही मेरी दुल्हन बने लेकिन अगर यह शादीशुदा हुई तो फिर तो मुझे दूसरी लड़की ढूंढनी पड़ेगी

थोड़ी ही दूर सामने बैंक दिखाई दिया

मिस्टर अभिषेक बैंक में पहुंचे और  वहां पर सभी लोगों ने उनका स्वागत किया

बैंक के एक कर्मचारी भूटान सिंह ने मिस्टर अभिषेक से कहा आज आपका पहला दिन है बैंक के सभी कर्मचारियों से आपको मिलवाया जाएगा

मिस्टर अभिषेक ने बैंक के सभी कर्मचारियों से एक-एक करके हाथ मिलाया

अंत में भूटान सिंह ने एक लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा इनसे मिलिए इनका नाम मधु है 3 महीने से यहां जॉब कर रही है

मिस्टर अभिषेक उस लड़की को देखकर चौंक गए अजीब इत्तेफाक है यह तो

बस वाली लड़की है जो अभी भी कंधे पर काला बैग लटकाए हुए खड़ी थी

मिस्टर अभिषेक ने कहा इनसे परिचय तो मेरा आधे घंटे पहले ही हो चुका था लेकिन नाम अभी मालूम हुआ मधु

मिस्टर अभिषेक अपने केबिन में जाकर बैठ गए सोचने लगे मैं तो इस बैंक का मैनेजर हूं क्यों ना मधु को अपने कैबिन  में बुलाकर उसके बारे में पूछा जाए उसका परिवार कहां पर है उसके परिवार में कौन-कौन रहता है तब मिस्टर अभिषेक सोचने लगे आज मेरा पहला दिन है

आज मधु से इस तरह की बातें करके मैं स्टाफ की नजरों में गिरना नहीं चाहता हूं आखिर में इस बैंक का मैनेजर हूं

प्यार मोहब्बत की बातें तो फिर कभी हो जाएगी पहले काम देखा जाए

मिस्टर अभिषेक ने मन लगाकर सब स्टाफ के लोगों की समस्याओं को सुना और उनका समाधान करने की बात कही

शाम 5:00 बजे छुट्टी होने के बाद अभिषेक बैंक से बाहर निकल आया

लेकिन स्टाफ की अभी छुट्टी नहीं हुई स्टाफ हमेशा शाम के 6:00 बजे ही ताला लगाकर घर जाते थे अभिषेक वहां का मैनेजर था

उसे जानकारी मिली पहले वाले मैनेजर भी शाम 5:00 बजे ही घर चले जाते थे

अभिषेक फिर उसी नंबर की बस पकड़ कर बस में बैठ गया

तभी कंडक्टर ने आवाज लगाई आगे सड़क की खुदाई चल रही है हम बस को दूसरे रूट से ले जा रहे हैं किसी यात्री को आपत्ति हो तो वह अभी बस से नीचे उतर जाए

एक दो सवारी नीचे उतर भी चुकी थी लेकिन अभिषेक उसी बस में बैठा रहा

ड्राइवर ना जाने कौन सी अजनबी सड़क से बस को तेज रफ्तार में भगाए जा रहा था अचानक बस रुकी आगे लाल बत्ती थी

अभिषेक खिड़की के पास ही बैठा था उसने देखा एक अंधा हाथ में लाठी लिए सड़क पार करने की कोशिश कर रहा था आगे किसी ने केले का छिलका फेंक दिया था अंधे का पैर पड़ते ही वह फिसल कर वहीं पर सड़क पर गिर पड़ा यह तमाशा देख सभी आसपास खड़े लोग हंसने लगे कुछ तो कहने लगे जब अंधे को दिखाई नहीं देता तो सड़क पर मरने के लिए क्यों चला आया

मिस्टर अभिषेक ने ड्राइवर से कहा मुझे बस से नीचे उतरना है आप दरवाजा खोल दीजिए तब ड्राइवर ने कहा

आप भी अजीब इंसान हो दिखाई नहीं देता लाल बत्ती है मैं यहां बस का दरवाजा नहीं खोल सकता हूं

तब मिस्टर अभिषेक ने ड्राइवर से विनती करते हुए कहा वह अंधा सड़क पार नहीं कर पा रहा है मैं चाहता हूं उसका हाथ पकड़ कर मैं उसकी सड़क पार करवा दूं प्लीज दरवाजा खोल दीजिए

अब ड्राइवर भी थोड़े चिंता में पड़ गया इतना तो ड्राइवर को भी पता है कि इंसानियत पहला धर्म है ड्राइवर ने झट दरवाजा खोल दिया और अभिषेक बस से नीचे उतर गया

लाल बत्ती अभी भी हो रही थी अभिषेक तुरंत अंधे के पास पहुंचा

अंधे का हाथ थामा और सड़क पार करवा दी अभिषेक कुछ सोचता इससे पहले हरी बत्ती हो गई और अभिषेक जिस बस में बैठा था वह बस तेजी से आगे की ओर निकल गई

ओह नो ड्राइवर ने तो बस रोकी ही नहीं अभिषेक के मुंह से एकाएक यह वाक्य निकल गया

अभिषेक की आवाज सुनते ही उस अंधे ने कहा क्या हुआ साहब

अभिषेक ने कहा जिस बस में बैठा था वह बस चली गई और यह रास्ता भी अजनबी है

तब उस अंधे ने कहा आपने मेरी हेल्प की उसके लिए थैंक्स सड़क की लाल बत्ती पर भीख मांग कर कुछ रुपए इकट्ठे कर लेता हूं जिससे मेरा पेट भर जाता है यही पास में ही मेरी एक झोपड़ी है मैं उसी में ही रहता हूं

झोपड़ी का नाम सुनकर अभिषेक ने कहा बस तो मेरी छूट ही चुकी है चलो तुम्हें तुम्हारी झौपड़ी  तक ही पहुंचा कर पुण्य कमा लेता हूं

अंधे ने बहुत मना किया,,  अरे साहब मैं चला जाऊंगा अब तो मुझे आदत सी हो गई है सड़कों पर आना जाना और सड़कों पर गिरना और लोगों का हंसना एक आम बात है अब मैं इसका आदी हो चुका हूं

मिस्टर अभिषेक अंधे का हाथ पकड़े धीरे-धीरे उसे उसकी झोपड़ी तक ले आए अंधे ने कहा साहब आप यहां तक तो आ ही चुके हैं थोड़ी देर मेरी झोपड़ी में भी आराम कर लीजिए आजकल ऐसे भले लोग कहां मिलते हैं

अभिषेक ने कहा बस में बैठे-बैठे मैं देख रहा था तुम किस तरह केले के छिलके की वजह से फिसल गए और लोग हंसने लगे मुझसे यह देखा ना गया मैं कल पक्का उसी लाल बत्ती पर मिलूंगा और तुम्हें घर तक पहुंचा दूंगा फिर तुम्हारी झोपड़ी में बैठकर ढेर सारी बातें करूंगा

इतने में अभिषेक के मोबाइल पर कॉल बजा कॉल उसकी मां सरस्वती की थी

अभिषेक तू अभी तक बैंक में ही है मां ने पूछा

मां मेरी छुट्टी हो चुकी है मैं रास्ते में हूं बस अभी पहुंचता हूं घर पर फटाफट

शुक्रिया मेरे दोस्त मुझे अभी जाना होगा मां का फोन आया है मुझे घर जाना होगा

उस अंधे व्यक्ति को उसके घर पहुंचा कर अभिषेक को बड़ा सुकून मिला

अभिषेक जाते-जाते उस अंधे व्यक्ति को बार-बार देख रहा था

सड़क किनारे पर एक ऑटो खड़ा दिखाई दिया

अभिषेक ने ऑटो बुक किया और आधे घंटे बाद अपने घर पहुंच गया अभिषेक की मां दरवाजे पर ही बैठी थी

मां सरस्वती ने अपने बेटे अभिषेक को गले से लगा लिया

अभिषेक  तुरंत हाथ मुंह धोकर खाने की टेबल पर बैठ गया

मां ने पूछा आज पहला दिन कैसा रहा

तब अभिषेक ने कहा नौकरी तो ठीक है मगर मुझे वहां पर एक लड़की से मुलाकात हुई है उसका नाम मधु है बस मुझे यही कंफर्म करना है वह शादीशुदा है या कुंवारी है

मां ने कहा अब तो तेरी उम्र भी शादी के लिए हो चुकी है और तू बैंक का मैनेजर भी है मैं तो यही चाहती हूं एक गरीब सी लड़की हमारे घर आ जाए और हमारा घर संभाल ले

अभिषेक ने रोटी खाते हुए कहा मां तुम चिंता मत करो तुम्हारी यह मनोकामना भी जल्दी ही पूरी हो जाएगी

तब मां बताने लगी तेरे लिए जो पहले लड़की देखी थी शोभा नाम की क्या तू उससे शादी नहीं करेगा उसे हम 3 सालों से जानते हैं अभिषेक ने बताया मां अरेंज मैरिज आजकल कौन करता है मैं तो लव मैरिज करना चाहता हूं

अगले दिन अभिषेक बैंक पहुंच गया उसने अपने चपरासी से कहा जाओ मधु को मेरे केबिन में भेज दो

जी साहब अभी भेज देता हूं

चपरासी जल्दी-जल्दी मधु के पास पहुंचा और मधू से कहा आपको मैनेजर साहब ने बुलाया है

मधु अपना काम काज छोड़कर अभिषेक के केबिन में पहुंची

जी सर आपने मुझे बुलाया है

हां हां बैठिए आपसे एक बात पूछनी थी

मैं अभी तक कुंवारा हूं और मुझे शादी के लिए एक लड़की चाहिए

मधु कुछ देर तो चुप रही फिर मधु ने कहा

मैं भी कुंवारी हूं मेरे माता-पिता गांव में खेती-बाड़ी करते हैं मैं यहां शहर में एक किराए की फ्लैट में अकेली रहती हूं

तब अभिषेक ने कहा तुम्हारी हिम्मत की तारीफ करनी चाहिए तुम एक  लड़की हो और इतने बड़े शहर में अकेली रहती हो मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं क्या तुम मुझसे शादी करोगी मेरा कोई दबाव नहीं है तुम अच्छे से सोच लो अगर मैं तुम्हें पसंद हूं तो आज और अभी मैं कॉल करके अपनी मां को बता देता हूं कि मैंने तुम्हारे लिए एक सुंदर सी बहू देख ली है

अभिषेक ने अपनी मां और मधु की फोन में ही बात करवा दी

मां को मधु की बातें बहुत पसंद आई

अभिषेक भी बहुत खुश था उसकी जीवनसाथी उसे मिल चुकी है और इसी बैंक के अंदर

अभिषेक ने मधु से कहा जब हमारा अपना मकान है दिल्ली में तो तुम्हें किराए पर रहने की जरूरत नही अपना किराए का फ्लैट आज ही खाली कर दो 

हम आज ही कोर्ट मेरी शादी कर लेते हैं अभिषेक ने बैंक से 2 घंटे की छुट्टी लेकर मधु को लेकर सीधा कोर्ट पहुंचा कोर्ट में अपनी मां और अपने परिवार के कुछ लोगों को बुलवा लिया

अभिषेक की मां मधु को लेकर घर जाते हुए कहने लगी बहू आज बैंक में ड्यूटी नहीं करेगी आज वह मेरे साथ अपने ससुराल जाएगी

अभिषेक वहीं से तुरंत अपने बैंक में पहुंच गया आखिर वह  बैंक का मैनेजर था इसलिए उसने मधु को छुट्टी दे दी थी

अभिषेक घड़ी में बार-बार देख रहा था अपने केबिन में बैठे हुए कब शाम हो और कब वह अपने घर पहुंचे मधु और अपनी मां के पास

अभिषेक के पिता का बचपन में एक हादसे में देहांत हो गया था अभिषेक घर में इकलौता ही था मां सरस्वती अपने बेटे से बहुत प्यार करती थी मेहनत मजदूरी करके पढ़ा लिखा कर अभिषेक को बैंक के मैनेजर के पद पर पहुंचा दिया था

बैंक से छुट्टी होने के बाद अभिषेक बस पकड़ कर अपने घर की तरफ जाने लगा तभी रास्ते में उसे अंधे व्यक्ति का ख्याल आया

अभिषेक सोचने लगा शायद मैने अंधे व्यक्ति की मदद की थी उसे सड़क पार करवाकर। उसे उसके घर तक पहुंचाया था शायद इसलिए ईश्वर ने एक सुंदर सी मधु नाम की लड़की मेरे जीवन में भेजी है

मुझे उस अंधे व्यक्ति की दुबारा से मदद करनी चाहिए

अभिषेक आगे चलकर बस से उतर कर दूसरे वाले रूट की बस में बैठ गया और ठीक उसी चौराहे पर पहुंचा जहां उसे वह अंधा व्यक्ति टकराया था अभिषेक ने इधर-उधर नजर दौड़ाई तो उसे वही अंधा व्यक्ति चौराहे के उस पार खड़ा दिखाई दिया

अभिषेक तुरंत अंधे व्यक्ति के पास पहुंचा और उसका हाथ पकड़ते हुए बोला देखो मैं समय पर आ गया आज मैं बहुत खुश हूं आज तुम्हारी झोपड़ी में जाकर तुम्हारे हाथ का खाना खाऊंगा

बातें करते-करते दोनों एक झोपड़ी के सामने रूके

अंधे ने जेब से एक छोटी सी चाबी निकाली और दरवाजे पर लटक रहा ताला खोलकर मुट्ठी में दबोच लिया

धीरे से किवाड़ खुला अंधे व्यक्ति ने कहा आइए साहब

अभिषेक झोपड़ी के भीतर आकर एक चारपाई पर बैठ गया

अंधे ने अपनी छड़ी एक किनारे पर रख दी और मटके से पानी निकालने लगा

तब अभिषेक ने कहा तुम क्या यहां अकेले रहते हो तुम्हारा कोई परिवार नहीं है

तब अंधे ने कहा मैं शादीशुदा हूं मगर मेरी बीवी मेरे साथ नहीं रहती है

उसने मुझे छोड़ दिया है क्योंकि मैं अंधा हूं मेरी देखभाल करते-करते वह थक चुकी थी इसलिए मुझे मेरे हाल पर छोड़कर वह कहीं दूर चली गई है

तब अभिषेक ने कहा आपकी पत्नी को ऐसा नहीं करना चाहिए था वह आपकी पत्नी थी

तब उस अंधे व्यक्ति ने कहा पत्नी शब्द का मतलब उसे मालूम ही नहीं

वह तो मेरी सरकारी नौकरी हड़पने के लिए आई और मुझे धोखा देकर चली गई

सरकारी नौकरी में कुछ समझा नहीं अभिषेक ने गंभीरता लेते हुए पूछा

तब उस अंधे व्यक्ति ने बताया

आज से 6 महीने पहले जब मैं कुंवारा था तो गांव से एक रिश्ता आया था लड़की का नाम मधू था जब मधु को पता चला कि दिल्ली में मेरी एक बैंक में सरकारी नौकरी है और मुझे यह नौकरी पिता के बदले मिली थी

मैं अंधा था सरकार ने मुझे अंधा जानकार पिता के बदले नौकरी दे दी थी जब तक नौकरी नहीं थी तो मेरे लिए रिश्ते की कहीं भी बात नहीं हो पा रही उम्र भी 35 बर्ष हो चुकी थी

मुझे गांव में बुलाया गया और वहां पर एक मधु नाम की लड़की से मेरी शादी हो गई हालांकि मधु मुझसे उम्र में काफी छोटी थी लेकिन उसके परिवार वालों ने मुझसे शादी यह कहकर करवा दी कि लड़के की सरकारी नौकरी है तुझे वहां गरीबी ना झेलनी पड़ेगी

मधु को मैं विवाह करके अपने यहां इस झोपड़ी में ले आया

एक-दो दिन तो सब ठीक रहा फिर जैसे-जैसे दिन बीतने लगे मधु मुझसे तंग आ चुकी थी मैं अंधा था हर काम के लिए उसे ही आगे रखता था

आसपास के लोग मधु को भड़काने लगे कहने लगे तूने अपनी सारी जवानी खराब कर ली एक अंधे से शादी करके सरकारी नौकरी के लालच में तूने अपनी खुशियों का गला घोंट लिया

मधु मुझसे दूरियां बनाने लगी एक महीने होने के बाद मधु ने मुझसे कहा सुनो जी तुम रोज ड्यूटी जाते हो मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि शाम को तुम वापस आओगे या नहीं या कोई तुम्हारे साथ हादसा ना हो जाए इसलिए मैं चाहती हूं आप अपनी नौकरी मुझे दे दीजिए तुम घर पर रहो

और मैं बाहर जाकर नौकरी करूंगी तुम्हारे बदले

मैंने हा कर दी और बैंक मैनेजर से प्रार्थना लेटर लिखकर कहा कि कल से मेरी बीवी नौकरी पर आएगी क्योंकि मैं अंधा हूं इसलिए रास्ते में मुझे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है मैनेजर को भी कोई आपत्ति नहीं थी

फिर मैं घर पर ही रहने लगा मेरी पत्नी मधु सुबह ड्यूटी जाने से पहले मेरे लिए खाना पका दिया करती थी मैं भी खुश था चलो अब ड्यूटी तो नहीं जाना पड़ेगा मगर एक महीना बीतने पर जब सैलरी का दिन आया

तब मैं इंतजार करता रहा लेकिन मधु घर ना पहुंची

मैं रात भर उसका इंतजार करता रहा लेकिन वह घर नहीं आई

पड़ोसियों ने कहा कि उसका इंतजार कर रहे हो तुम्हारी पत्नी इतनी खूबसूरत है अब तो वह नौकरी भी करती है और वह भी सरकारी

अब तक तो उसने अपना कोई दूसरा बॉयफ्रेंड बना लिया होगा

मैं थाने जाने की सोच रहा था की अपनी बीवी की गुमशुदा होने की रिपोर्ट लिखवाऊंगा फिर मैंने थाने जाने का इरादा छोड़ दिया

कुछ दिनों के बाद मुझे पता चला कि मेरी बीवी मधु ने एक किराए का फ्लैट ले लिया है और उसमें अकेली है वहां रहती है

हमारे मोहल्ले में एक खबरी लाल है वह मेरी पत्नी की पल-पल की खबर मुझे देता रहता था

आज ही सुबह उसने मुझे बताया है कि तुम्हारी पत्नी मधु ने किसी बैंक मैनेजर से कोर्ट मैरिज कर ली है

मुझे अगर वह बैंक मैनेजर मिल जाए तो मैं उसका गला दबा दूं

बैंक मैनेजर को शादी करने से पहले लड़की के मां-बाप से मिलकर पता तो लगाना चाहिए था की जिससे वह शादी कर रहा है वह शादीशुदा है या कुंवारी

साहब आप तो मेरी बात सुनकर खामोश हो गए

आप खाना खाइए आप तो बहुत भले व्यक्ति हो मैं दुआ करूंगा आपका जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहे

अभिषेक ने कहा क्या तुम अपनी पत्नी का फोटो मुझे दिखा सकते हो

अंधे व्यक्ति ने टटोलते हुए एक संदूक को खोला उसमें एक फोटो थी

जिसमें मधु और अंधे व्यक्ति एक दूसरे के गले में जयमाला डाल रहे थे

यह फोटो सबूत था कि मधु और अंधा व्यक्ति पति पत्नी है

अभिषेक ने पूछा आपने अपना नाम तो बताया नहीं

जी मेरा नाम राकेश है …….

तभी अभिषेक का मोबाइल बज उठा मां ने कॉल करके बताया बेटा शाम खत्म हो चुकी है रात का पहर लग चुका है  यहां पार्टी की सभी तैयारियां हो चुकी है दूर-दूर से सभी रिश्तेदार और मेहमानों को बुला लिया गया है बस अब तुम्हारा ही इंतजार है मधु को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है और तुम्हारा सुहागरात वाला कमरा भी फूलों से सजा दिया गया है बस तुम जल्दी घर चले आओ

अभिषेक ने राकेश को आशीर्वाद देते हुए कहा तुम्हारी नौकरी मैं वापस फिर से दिलवा दूंगा मुझ पर यकीन रखों

अभिषेक ने झोंपड़ी के बाहर से एक ऑटो रिक्शा बुक किया और तुरंत अपने घर पहुंचा वहां सब तैयारी हो चुकी थी मेहमानों ने अभिषेक

को घेरते हुए कहा सारी तैयारियां हो चुकी है और जनाब गायब थे

अभिषेक ने कहा सब लोग खाना खाकर जाइएगा और मैं आप लोगों को कुछ कहना चाहता हूं

मेरी पत्नी मधु आज से इस घर की बहू है आज ही मैंने इसके साथ कोर्ट मैरिज की है मैं भी ड्यूटी करता हूं और यह भी ड्यूटी जाती है लेकिन घर संभालने के लिए मेरी मां को एक बहू चाहिए थी तो वह मधु के रूप में मिल चुकी है

मधु की अब शादी हो चुकी है उसे नौकरी करने की आवश्यकता नहीं है

मैं चाहता हूं मधु नौकरी से रिजाइन दे दे

तब मां ने कहा यह कौन सी बड़ी बात है अब तो मधु की शादी हो चुकी है उसे नौकरी करने की क्या जरूरत है

मधु ने एक लेटर पर अपने हस्ताक्षर कर दिए

रात होते होते सभी मेहमान और रिश्तेदार अपने-अपने घर जा चुके थे

रात 11:00 बजे अभिषेक ने मधु से कहा मेरे एक दोस्त की अचानक तबीयत खराब हो गई है और मैं उसे अस्पताल देखने जा रहा हूं यह बात मां को पता ना चले

सुबह तक मैं लोटकर आ जाऊंगा तुम अंदर से किवाड़ लगाकर रखना किसी को शक मत होने देना कि मैं यहां पर नहीं हूं वरना मां को बहुत बुरा लगेगा

क्योंकि आज मेरी सुहागरात का दिन है

ठीक है सब संभाल लूंगी मैं ,, आप जाइए अपने दोस्त को अस्पताल में देखने के लिए

अभिषेक ने तुरंत रास्ते से एक ऑटो रिक्शा बुक किया और तुरंत ऑटो वाले रिक्शा को लाल चौक जाने को कहा

आधे घंटे में लाल चौक आ चुका था

अभिषेक ने तुरंत झोपड़ी का दरवाजा खटखटाया

राकेश ने दरवाजा खोलते हुए कहा कौन तब अभिषेक ने कहा मैं हूं तुम्हारा दोस्त अभिषेक

राकेश ने कहा इतनी रात को आप यहां मेरी झोपड़ी में क्या कोई जरूरी काम था

हां जरूरी काम था मैं लेटर लाया हूं जिस बैंक में तुम नौकरी करते थे कल से उसी नौकरी पर तुम्हें वापस आना होगा तुम्हारी पत्नी मधु ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है

तुम अभी इसी लेटर पर अपने हस्ताक्षर कर दो

मगर साहब यह सब मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं

मेरी पत्नी मधु ने इस्तीफा दे दिया और वह नौकरी मुझे वापस मिल रही है मुझे यकीन नहीं हो रहा है

कल से तुम अपनी नौकरी पर ठीक समय पर पहुंच जाना तुम्हारा लेटर अभी मैं ऑनलाइन के माध्यम से आगे भेज दूंगा

अब मैं चलता हूं अभिषेक झौपड़ी से बाहर निकला और एक सुनसान से पार्क में जाकर बेंच पर बैठ गया बैठे-बैठे ही सुबह हो गई

सुबह होते ही अभिषेक अपने घर पहुंच गया घर में सभी सो रहे थे अभिषेक ने धीरे से दरवाजा खटखटाया तो मधु ने दरवाजा खोल दिया

मधु ने पूछा अब आपका दोस्त कैसा है

अब मेरा दोस्त ठीक है उसकी हालत भी ठीक हो चुकी है कुछ दिनों में उसका अच्छे से इलाज हो जाएगा और वह फिर से स्वस्थ हो जाएगा

मैं भी चाहती हूं आपका दोस्त जल्दी से स्वस्थ हो जाए

अभिषेक ने धीरे से कहा मां को शक तो नहीं हुआ कि मैं रात भर कमरे में नहीं था

नहीं मैंने किसी को पता नहीं चलने दिया

अब तुम घर संभालोगी और मां की सेवा करोगी

अभिषेक चाय नाश्ता करके अपने समय पर बैंक पहुंच गया

वहां राकेश को देखकर बहुत खुश हुआ राकेश ने कहा अरे साहब मुझे पता चला आप तो इस बैंक के मैनेजर हो मुझे पहले मालूम नहीं था आपने मेरी खोई हुई नौकरी वापस दिलवा दी अब मुझे सड़क की लाल बत्ती पर भीख नहीं मांगनी पड़ेगी आप इंसान नही देवता हो

बस एक बार अगर मेरी आंखें ठीक हो जाए तो मैं भी तो देखूं मधु ने किसके साथ शादी की है मैं उस जालिम आदमी की गर्दन मरोड़ दूंगा

अभिषेक ने कहा जरूर उस जालिम आदमी की गर्दन मरोड़ने का हक तुम्हें है लेकिन इससे पहले तुम्हारी दोनों आंखें ठीक हो जानी चाहिए

मैं आज ही एक बड़े अस्पताल में एक आंखों वाले डॉक्टर से तुम्हारी आंखों की बात करता हूं शायद कोई रास्ता निकल आए

अभिषेक ने हजारों डॉक्टर के पास कॉल खटखटा दी

काफी भाग दौड़ के बाद अभिषेक को एक आंखों वाले डॉक्टर से मुलाकात हुई डॉक्टर ने दोनों को अपने अस्पताल बुलाया उन्होंने राकेश की दोनों आंखें चेक करने के बाद बताया

खर्चा काफी हो जाएगा और आंखें भी मुझे बिल्कुल ताजी चाहिए तभी राकेश का ऑपरेशन हो सकता है

हमारे अस्पताल में 2 महीने बाद ही आंखें मिल पाएंगी

अभिषेक ने कहा मैं 2 महीने का इंतजार नहीं कर सकता हूं

अभिषेक ने डॉक्टर साहब से कहा डॉक्टर साहब एक राज की बात है आप मेरी दोनों आंखें मेरे बैंक के काम करने वाले राकेश को दे दिजिए और यह बात किसी को मालूम नहीं होनी चाहिए जितना भी खर्चा आएगा उतना रुपया मैं लगा दूंगा

और ऑपरेशन आज से ही शुरू होना चाहिए

अभिषेक ने कॉल करके अपनी मां और मधु को बताया बैंक के काम से मैं एक महीने के लिए केरल जा रहा हूं 1 महीने बाद ही लौटूंगा काम में बिजी रहूंगा इसलिए मुझे कॉल करके परेशान मत करना

अभिषेक ने इधर बैंक से 1 महीने की छुट्टी ले ली और अस्पताल में एडमिट हो गया डॉक्टर साहब ने अभिषेक की दोनों आंखें निकालकर राकेश के लगा दी

अभिषेक अब दोनों आंखों से अंधा हो चुका था लेकिन डॉक्टर साहब ने कहा एक महीने से पहले आंखों की पट्टी नहीं खुलनी चाहिए क्योंकि जख्म अभी ताजा है

राकेश बहुत खुश था कि बैंक के मैनेजर साहब ने मुझे नई आंखें दी है लेकिन राकेश को मालूम नहीं था यह आंखें अभिषेक की है

एक महीना बीत चुका था

आज राकेश की आंखों की पट्टी खुलने वाली थी राकेश ने डॉक्टर साहब से कहा मैं अपने बैंक मैनेजर को पहले देखना चाहता हूं उन्हीं की बदौलत आज मेरी दोनों आंखें हैं

डॉक्टर साहब ने जब राकेश की आंखें खोली तो बैंक मैनेजर अस्पताल से लापता थे अभिषेक की सब जगह तलाश की गई लेकिन वह नहीं मिले

राकेश अब दोनों आंखों से देख सकता था और उसकी सरकारी नौकरी पाकर

अपनी झोपड़ी में वह बहुत खुश था

राकेश के मोहल्ले के खबरी लाल ने राकेश को बताया तुम्हारी पत्नी मधु

जिस जगह पर रहती है मैं तुम्हें वहां का एड्रेस दे देता हूं

अभिषेक को एक महीना पूरा हो चुका था वह एक ऑटो रिक्शा में बैठकर अपने घर पहुंच गया उसकी ऐसी हालत देखकर मां बहुत घबराई तब अभिषेक ने कहा एक एक्सीडेंट के दौरान मेरी दोनों आंखें चली गई है और मैं अंधा हो गया हूं

और मधु का जीवन में बर्बाद नहीं करना चाहता हूं इसलिए मैं तलाक के कागज अपने साथ लाया हूं

मधु अपनी मर्जी से इस तलाक के कागज पर हस्ताक्षर करके यहां से जा सकती हैं

मधु बड़ी दुविधा में पड़ चुकी थी वह एक अंधे को छोड़कर आई थी और अब यहां भी दूसरा अंधा मौजूद है तभी मधु की नजर खिड़की के बाहर एक व्यक्ति पर पड़ी वह तुरंत समझ गई यह तो हमारे मोहल्ले का खबरी लाल है

मधु सबकी नजर बचाकर फ्लैट से बाहर पहुंची

खबरी लाल ने मधु को बताया आपके पति को सरकारी नौकरी फिर वापस मिल चुकी है और मैंने अपनी आंखों से देखा है उनकी दोनों आंखें ठीक हो चुकी है अब इस अभिषेक अंधे के पास रहने से तुम्हारा जीवन नहीं कटेगा इससे मुक्ति पाओ और अपने पुराने पति के पास फोरन चली जाओ

मधु जल्दी-जल्दी फ्लैट में आई और तलाक के कागज पर हस्ताक्षर करके तुरंत अपने पुराने पति के घर की तरफ चल पड़ी

घर पहुंचने के बाद अपने पति राकेश से कहा मैं कुछ समय के लिए भटक गई थी मुझे माफ कर दीजिए मैं अब लौटकर वापस आ चुकी हूं

तब राकेश ने कहा पत्नी एक बार घर से बाहर कदम रख दे फिर दोबारा उसी घर में उसका रहना उचित नहीं है तुम एक बार मुझे धोखा दे चुकी हो अब मैं दुबारा गलती नहीं करूंगा तुम्हें स्वीकार करके ,,

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अभिषेक ने तुरंत कॉल करके खबरी लाल को  बुलाया खबरीलाल ने बताया आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया मधु मैम से कहा कि आपका पहले वाले पति की सरकारी नौकरी लग चुकी है और उसकी दोनों आंखें ठीक हो चुकी है

इसी चक्कर में उसने तलाक के कागज पर हस्ताक्षर कर दिए

आपसे छुटकारा पाने के लिए

अब तक तो राकेश ने उसे अपने घर से बाहर निकाल दिया होगा

अब ना उसके पास कोई नौकरी रही ना कोई पति

अभिषेक ने खबरी लाल को बताया एक औरत को सबक सिखाने के लिए मुझे अपनी आंखें दान देनी पड़ी लेकिन मैं फिर भी खुश हूं मेरी आंखें कम से कम किसी और के काम तो आ रही है मेरी देखभाल के लिए तो मां है लेकिन राकेश तो अपने परिवार में अकेला था आंखों की वजह से वह अपना जीवन काट सकेगा ।

तभी अभिषेक के पास डॉक्टर का कॉल आया डॉक्टर साहब ने बताया जो आंखें दो महीने के बाद हमारे अस्पताल में पहुंचनी थी वह आंखें अभी-अभी हमारे अस्पताल में आ चुकी है

यह आंखें जिनकी है उन्होंने कहा था हमारे मरने के बाद यह आंखें किसी के काम आनी चाहिए

तुमने अपनी आंखें राकेश को दान में दी थी जिसकी वजह से तुम अंधे हो गए  तुम्हारा जख्म अभी ताजा है तुम तुरंत अस्पताल आ जाओ मैं आज ही तुम्हारी आंखें फिर से वापस लगा देता हूं

1 महीने के इलाज के बाद अभिषेक फिर से देखने लगा

और उसने अपनी मां की पसंद की लड़की शोभा से रीति रिवाज से शादी कर ली पहले सगाई हुई फिर शादी के कार्ड छापे गए

फिर धूमधाम से अभिषेक बारात लेकर शोभा के घर पहुंचा और उसे दुल्हन बनाकर अपने घर ले आया

मधु की नौकरी और पति छूटने के बाद वह बिल्कुल अकेली सी हो गई थी दर-दर भटकते भटकते वह अपने गांव अपने मां और बापू के पास पहुंच गई थी

कुछ महीनो बाद

मिस्टर अभिषेक ने अपने केबिन में राकेश को बुलाया और कहा तुम्हारी अब दोनों आंखें आ चुकी है और सरकारी नौकरी भी ,,

जीवन बहुत लंबा है जीवन के इस लंबे सफर में एक जीवन साथी का होना बहुत जरूरी है मैं चाहता हूं तुम अपनी पत्नी मधु से बात करो

तुम अब चाहे तो किसी और लड़की से भी शादी कर सकते हो मगर मैं चाहता हू तुम मधु को ही पत्नी बनाकर अपने पास रखों

और जो कुछ भी हुआ उसे सपना समझ कर भूल जाओ ।

राकेश हाथ जोड़ते हुए बोला आपने मेरी खोई हुई पत्नी वापस दिला दी यह महान काम तो कोई ईश्वर ही कर सकता है

तब मिस्टर अभिषेक ने कहा मुझे भी बहुत बड़ी सीख मिली है

नौकरी पर जाती हुई खूबसूरत लड़की को देखकर जो पुरुष उन पर लट्टू हो जाते हैं उन्हें जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए लड़की के माता-पिता से अवश्य मिलना चाहिए और छानबीन करनी चाहिए कि वह शादीशुदा है या कुंवारी

राकेश समझ तो चुका था और उसे खबरीलाल से मालूम भी हो गया था की मधु ने जिसके साथ कोर्ट मैरिज की थी वह तुम्हारे ही बैंक का मैनेजर है लेकिन ऐसे महान व्यक्ति के सम्मान में दाग न लगे इसलिए राकेश चुप ही रहा

लेखक — नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से

स्वरचित रचना

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