Moral stories in hindi :
प्रिया और उसकी दी की फैमिली के लिए शेखर के घर से इन्विटेशन आता है।
दी उसे कहती है कि ऑफिस से सीधे यहां आ जाओ।
हमें शाम को उनके घर जाना है।
वो सोचने लगी ये दी भी न बड़ी अजीब हैं बहुत शौक लग रहा है उनके घर जाने का।
जबरदस्ती मुझे भी अपने साथ घसीटना चाहती हैं।
वो जब आफिस से दी के घर पहुंची तो
दी उसे देखकर हंस पड़ी। ऐसी रोनी सी सूरत बना कर जाओगी वहां।
दी आप लोग चले जाओ मेरा क्या काम है वहां।
तुम्हें तो स्पेशली शेखर की दादी ने बुलाया है चलना पड़ेगा बुजुर्गों की बात नहीं टाल सकते। जल्दी से फ्रैश होकर तैयार हो जा। दी इन्हीं कपड़ों में चलती हूं।
माना कि तुम खूबसूरत हो पर साथ में अक्ल से पैदल हो।
पहली बार वहां जाओगी इंप्रैशन अच्छा होना चाहिए।
मन मार कर तैयार हुई डार्क ब्लू कलर का चिकनकारी का सूट पहना तो दी ने जबरदस्ती उसे अपने सुच्चे मोतियों की बालियां पहना दी।
शाम को वो वाधवा मेंशन पहुंच गए। शेखर के पापा ने उनका वेलकम किया। दी और जीजा जी तो सहज थे पर प्रिया को अजीब लग रहा था। उसने सबके पैर छुए।
शेखर की दादी ने उसका माथा चूम लिया।
घर क्या था पूरा महल था। पूरे घर का डेकोरेशन बहुत बहुत ऐलीगेंट और क्लासी था। हर चीज में अभिजात्य वर्ग की झलक थी। इंडो वेस्टर्न लुक का समावेश था।
प्रिया ने एक नजर देख कर फिर नजरें झुका ली।
दादी ने उसे अपने पास बैठा कर बहुत प्यार से देख रही थी।
शेखर दी के पैर छू कर जीजा जी के पास बैठ गया।
प्रिया उसकी नजरें खुद पर महसूस कर रही थी। दी ने शेखर की मां से बातचीत शुरू की आप हमारे बारे में तो सब कुछ जानती ही हैं। आप में और हम में बहुत फर्क है। प्रिया मेरी छोटी बहन है हम आपकी बराबरी नहीं कर सकते पर हम से जो बन पड़ेगा करेंगे। नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।आप इतना फार्मल न हों। मैं सोच रही हूं कि प्रिया और शेखर की शादी की रस्में हमारे गुरु जी के आश्रम में हों। बाकी रिशेप्शन दे दिया जाएगा। आप लोग अगर राजी हों तो??? आप बताइए कि आपने क्या सोचा हुआ है??? आप लड़के वाले हैं आपकी राय महत्वपूर्ण है। आप जो उचित समझें।
शादी की डेट दो महीने बाद की निकली है।
हमें भी बहू लाने की जल्दी है शेखर की मां बड़े प्यार से प्रिया को देखते हुए बोली।
दी ने भी तुरंत हां कर दी।
प्रिया को दी के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था। दी का बस चले तो वो तो मेरा हाथ आज ही शेखर के हाथ में पकड़ा दें।
तभी दादी ने अपनी डायमंड अंगूठी निकाल कर प्रिया की उंगली में पहना दी। ये मेरी तरफ से तोहफा है मेरी पोता बहू के लिए। ये शेखर के दादा जी का आशीर्वाद है तुम्हारे लिए।
उन्होंने उसका चिबुक स्पर्श करते हुए उसे प्यार किया तो
प्रिया ये देख कर इमोशनल हो गई। मां और दी के बाद उसे पहली बार किसी और ने इतना प्यार किया था।
शेखर बहुत मन्नतों के बाद पैदा हुआ है बेटा
इसे बड़े प्यार से पाला है। थोड़ा जिद्दी है पर मुझे यकीन है कि तुम इसे ठीक कर दोगी।
जाओ शेखर इसे घर तो दिखाओ।
जी दादी
वो मजबूरी में खड़ी हो गई। पूरा घर दिखाते हुए शेखर उसे अपने रूम में ले गया।
कब से मैं इस पल का इंतजार कर रहा था वो उसे देखकर मुस्कराया।
प्रिया घबरा गई “चलिए नीचे चलते हैं।” वो रास्ता रोक कर खड़ा हो गया।
इतनी भी क्या जल्दी है???
ढंग से देख लो दो महीने बाद तुम्हें यहीं आना है। कुछ चेंज करवाना चाहती हो तो करवा सकती हो।
नहीं सब ठीक है चलिए शेखर ने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया।
इतना क्यों घबरा रही हो??? मैं क्या कर रहा हूं??? वो उसके एक दम करीब आ गया। “मोहब्बत बड़े काम की चीज है” गुनगुनाते हुए प्यार से उसकी आंखों में देखा।
मैं कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं प्रिया पीछे हट गई उसने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की।
पर शेखर ने उसका हाथ अपनी तरफ खींच कर उसे बाहों में ले लिया। पर मैं तो ऐसा वैसा जाने कैसा कैसा हूं तुम तो अच्छी तरह से जानती हो।
छोड़िए मुझे शेखर ने अपने हाथ खोल दिए वो पीछे हट गई।
पहले बताओ कि शादी के बाद भी तुम ऐसा ही बिहेव करोगी??? फिर तो हाय मैं मर जाऊंगा उसने अपने दिल पर हाथ रख लिया।
प्रिया की आंखें भर आईं।
शेखर ये देख कर घबरा गया उसने उसका हाथ छोड़ दिया।
सॉरी प्लीज रोना मत।
तुम तो बहुत नाज़ुक हो।
आप हमेशा ऐसा क्यों करते हैं???
मैंने क्या कर दिया
दो महीने बाद हम दोनों की मैरिज होने वाली है। होने वाली मिसेज वाधवा से कोई भी बात न करूं ???
शादी से पहले मुझसे दूर रहिए। वो तेजी से बाहर चली गई।
शेखर ने जल्दी से उसके पीछे आया धीरे चलो नहीं तो नीचे सब सोचेंगे कि मैंने तुम्हें न जाने क्या कर दिया है।
सॉरी कह रहा हूं न अकेले में पैर भी पड़ जाऊंगा बस
हर समय मजाक ही सूझता है आपको प्रिया ने गुस्साते हुए कहा।
वो नीचे आकर दादी के पास बैठ गई।
खुशनुमा माहौल में डिनर हो रहा था। जीजा जी शेखर के पापा से बात कर रहे थे।
शेखर की मां बोली भई हमारी बहू तो कुछ खा ही नहीं रही है। बेटा शरमाओ मत वैसे एक बात तो है ये जितना बेशर्म है लड़की इसने बिल्कुल अपने अपोजिट चुनी है।
हां आप लोग आज भी चुप मत रहना शेखर ने उसकी तरफ देख कर हंसते हुए कहा।
शेखर की मां ने प्रिया के सिर पर रोली का टीका लगा कर उसे सोने का सिक्का दिया।
आंटी प्लीज इसकी क्या जरूरत है। तो उन्होंने प्यार से कहा अब आंटी नहीं मां कहो।
वापसी में प्रिया चुपचाप बैठी थी। दी ने उसे खामोश देख कर कहा क्या हुआ??? तुम खुश नहीं हो।
बहुत किस्मत वाली हो जो ऐसा घर और वर मिला है।
कभी कभी जो होता है अच्छे के लिए होता है।
तुम शेखर के साथ बहुत खुश रहोगी।
पर उसका ध्यान दी की बातों से ज्यादा अपने मन में उठ रहे विचारों में मग्न था।
मैं एक झूठ के साथ अपनी जिंदगी की शुरुआत नहीं कर सकती। मैं उसे सब कुछ बता दूंगी।
© रचना कंडवाल
Absolutely