Moral stories in hindi : जूही एक गर्भवती औरत है ,उसका घर बाजार के बीचोंबीच है,उसके घर के आसपास बहुत हलचल रहती है,चारों तरफ लैया,चाट , आइसक्रीम के ठेले लगे रहते हैं और गर्भवती होने के कारण खट्टा-मीठा तीखा खाने का मन होता था, लेकिन माहौल गमगीन होने के कारण उसने बहुत दिनों से कुछ खट्टा-मीठा खाया भी नहीं था,
पर उसे बाजार से सब्जी फल लाते हुए गोल गप्पे खाने की इच्छा हुई तो वह आज अपने आपको रोक नहीं पाई।वह जैसे गोलगप्पे खाने लगती है ,तभी उसके पास पहचान वाले स्टूडेंट्स आते हैं। वह भी उसी ठेले में खाने लगते हैं , स्टूडेंट्स कोई छोटे बच्चे नहीं है ,वह कालेज पढ़ाती है, तो स्टूडेंट्स बड़े भी होंगे।
तभी उसके मोहल्ले की औरतें उसे वहां देखती है, तब वो लोग आपस में खुसुर फुसुर करने लगती है, और कहती हैं-” देखो तो जूही कैसे अकेले ही चाट फुल्की खाने में लगी है, अभी इसके पति को गुजरे दो महीने भी नहीं हुए। और पक्का ही कोहली खानदान की नाक कटवा कर रहेगी। तभी सरला कहती
-“अरे कुसुम बहन तू क्या कहती है, रीना बहन को बताए! “तभी सरला भी हां में हां करते हुए कहती- हां हां उन्हें भी पता होना चाहिए कि उनकी बहू की जीभ में लगाम नहीं है।कैसे बेशर्म बनकर खाएं जा रही है।और दो बड़े बड़े जवान लड़कों के साथ कैसे खिलखिलाए जा रही है।इसकी लगाम कसना भी जरुरी है तब तो इसके पैर रुकेंगे।नहीं तो पता ही चले कब फुर्र हो जाए••••
तभी वो दोनों उसकी सास रीना जी को फोन लगाकर बुलाती है , फोन पर बात होने के बाद नुक्कड़ में रीना जी आ जाती है,उसे आते देखकर बोलती- हाय हाय रीना बहन तेरी बहू ने तो नाक कटवा दी।अब जूही बहू विधवा है इसे इस तरह नुक्कड़ में फुल्की खाना कोई शोभा देता है क्या?वो जैसे ही देखती है
कि जूही का सब्जी फल का थैला रोहित और राहुल उठाए हुए उसके साथ आ रहे हैं तभी वो भड़क कर कहती -” तुम लोग मेरी बहू के साथ क्या कर रहे हो!हम अपनी बहू का ख्याल रख सकते हैं।” तब वो कहते -” हम तो केवल मैम की मदद कर रहे थे।
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तब वो भरे बाजार में अपनी बहू का हाथ पकड़ कर कहती -अरे जूही तू मेरे साथ घर चल , फिर मैं तुझे बताती हूं। और राहुल और रोहित से फल सब्जी का थैला हाथ में खींचते हुए बड़बड़ा कर कहती -“तेरे पति और मेरे बेटे को गुजरे दो महीने भी नहीं हुए और जूही तू नुक्कड़ में खड़े होकर फुल्की खाने में शर्म नहीं लगी ,
ये नहीं लगा कि घर में लाकर खाएं,ये दोनों लड़कों से तुम कैसे हंस हंस कर बातें किए जा रही हो, जैसे रिश्तेदार हो ,तनिक भी मान मर्यादा है कि नहीं??तब राहुल और रोहित आश्चर्य से कहते-“अरे ,अरे मां जी ये क्या कह रही है,मैम ने हम लोगों से बात कर ली तो क्या हो गया!! ”
तब रीना जी कहती- “ये एक विधवा है,इसे इस तरह यह सब शोभा नहीं देता ।” तब रोहित और राहुल कहते -“अरे मां जी कैसी घटिया सोच है आपकी, क्या ये मैम घर के एक कोने में रोती रहे, इनकी अपनी कोई जिंदगी नहीं है ,आपका बेटा नहीं रहा तो क्या करें ,कल के दिन आप को कुछ हो जाए तो दूसरों पर निर्भर रहेंगी या बेचारी बनकर बैठी रहेगी।
तब राहुल बोला -“अम्मा जी मैम सर्विस करेंगी तो सबसे बोलेंगी, बात करेंगी ही क्या जीते जी अपनी इच्छाओं का गला घोंटें।ऐसा क्यों?? क्या मैम पहले नुक्कड़ में चाट फुल्की नहीं खाती थी।अगर आज खा लिया तो क्या ग़लत हो गया???आप बताइए ये आपके बेटे के गुजरने का शोक कब तक मनाए।
तब जूही भी बोलती है -” मां जी मैंने कोई ग़लत काम नहीं किया है, ना ही कभी कोई ऐसी ग़लती करुंगी। मुझे भी पता है मेरे पेट में मेरे पति की निशानी है मैं उसका ख्याल नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा। मैं अपना और परिवार का नाम कभी खराब नहीं होने दूंगी।
इस तरह रीना जी को अपने व्यवहार पर शर्म सी आई कि मैंने अपनी बहू पर ही विश्वास नहीं रखा।वो कहने लगी -” हां मैंने ही तुम्हें सब्जी फल लेने भेजा था। मैं फालतू में ही कुसुम और सरला बहन की बातों में आ गयी।”
जूही ने कहा -मां जी आप तो मेरी अपनी है,आप ही समझेंगी तो कौन समझेगा,आज आपका बेटा नहीं रहा ,तो मुझे ही जीवन में भागदौड़ करनी पड़ेगी और आगे आना होगा।कल के दिन मेरे बच्चे को आपको संभालना होगा।अगर हमारी जिंदगी मुश्किल में होगी तो हमें एक दूसरे का सहारा बनना होगा।
हम क्यों दूसरों की सोच कर अपनी मानसिक सोच को घटिया करें। लोगों का काम तो बोलना ही है पर हमारे घर की परेशानी तो हमें ही देखनी होगी।लोगों तो बात करने का मिर्च मसाला चाहिए, देखिए न आज क्या हुआ छोटी सी बात को सरला आंटी और कुसुम आंटीजी ने कैसे बढ़ा दिया।
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और आपको बुलाकर मजा लिया।आप ही बताइए क्या रोज सर्विस पर जाऊंगी तो क्या किसी से मेरी बात नहीं होगी।अगर घर बैठने घर का खर्च पूरा हो जाए तो मैं घर में रहती हूं।ये सरला आंटीजी और कुसुम आंटीजी आएगी हमारे घर के खर्चे पूरे करने, आप पूछ लीजिए। क्या इनकी बहू के साथ ऐसा होता तो ये क्या करती!तब सरला और कुसुम दोनों सकपका कहती-” अरे जूही तू कैसी बातें कर रही है, तुझे ये सोचते शर्म नहीं लग रही है,तू किसी के लिए बुरा कैसे सोच सकती है।
तब वो कहती हैं- हमारे साथ तोअनहोनी हो गई आप हमें संभलने का मौका दीजिए ना कि मेरी सास को भड़काइए,ऐसा करने से आप दोनों का क्या मिला, मैं तो सम्मान करती थी आज वो भी खत्म हो गया।आप किस जमाने में जी रही है। आजकल बहू को लोग बेटी बनाकर रखते हैं।बहू की जिंदगी में फिर खुशियों की दस्तक हो ऐसा सोचते हैं,
यहां तक कि लोग उनकी दोबारा तक शादी करते हैं आप लोग मुझे ही कसूरवार ठहरा रहे हैं ऐसा क्यों ??आखिर मेरी भी अपनी जिंदगी है ,आप लोगों को मुझे संस्कार हीन कहने का कोई हक नहीं है।
इस तरह कुसुम और सरला जी छोटा सा मुंह करके अपने घर लौट गयी। फिर रीना जी व जूही ने दोनों राहुल और रोहित को धन्यवाद दिया।आज हम लोग के लिए बोला ताकि लोगों के मुंह बंद हो सके।
वो दोनों घर वापस आई तो रीना जी ने अपनी बहू के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- जूही मुझे दूसरे की बात में नहीं आना चाहिए था। तू मुझे माफ़ कर दे।अभी तक तूने सारे फर्ज निभाए, मैं कैसे तुझ पर उंगली उठा सकती हूं।अब तो मैं तेरा और अच्छे से ख्याल रखूंगी।ताकि मैं पोती हो या पोता, उसके साथ खुशी-खुशी खेल सकूं। आखिर तेरी कोख में मेरा वंश है। मुझे बता दिए करना कि क्या खाने की इच्छा है। मैं बना दिया करुंगी।वो दोनों एक-दूसरे को देख कर हंस पड़ती है।
दोस्तों- हम दूसरे की बात में आकर अपने ही रिश्ते खराब कर लेते हैं ,बहू बेटी पर अविश्वास करके उनके पांव पर बेड़ियां बांधने की कोशिश करते हैं जो कि बहुत ग़लत है। जबकि समय के अनुसार बदलाव बहुत जरुरी है।बेटा के जाने से बहू की जिंदगी खत्म नहीं होती, उसे भी खुल कर जीने देना चाहिए।
स्वरचित मौलिक रचना
अमिता कुचया