अनुराधा वैसे तो कभी बैंक नहीं जाती थी, क्योंकि उसके पति बैंक में ही काम करते थे … तो जो भी काम होता था वो घर पर ले आते थे | लेकिन साल में एक बार वो लॉकर में रखे हुए अपने गहने देखने ज़रूर जाती थी | मायके और ससुराल का सारा ज़ेवर वो छू कर देखती तो उसे असीम सुख मिलता था |
शेखर बैंक में बैक ऑफिस में का करता था तो कभी दिन और कभी रात की ड्यूटी रहती थी|
शेखर वहीं किसी से बात करने लगा तो अनुराधा इधर-उधर देखने लगी | तभी उसकी नज़र एक महिला पर गयी | जो हाथ में फाइल पकड़े हुए शायद अपने नंबर आने का इंतज़ार कर रही थी |
शेखर ने उसे आवाज़ दी और चलने को बोला | अनुराधा शेखर के साथ बाहर आ गई | अचानक ही वो शेखर से बोली ..”. एक मिनट मै अभी आई ….क्या हुआ?? शेखर ने पूछा अनुराधा बिना उसकी बात का जवाब दिए आगे बढ़ गयी |
अंदर जाकर वो उस महिला के पास गई और बोली रेनू… रेनू शर्मा वो महिला उठ खड़ी हुई…. जी मैं रेनू शर्मा ही हूँ आप?
अरे मैं हूँ अनुराधा …. अनु अरे रुद्रपुर गवर्मेंट स्कूल क्लास 6th कुछ याद आया |
अनु तू.,.. हाँ मैं ….कहते हुए अनुराधा ने उसे गले से लगा लिया |
तब तक शेखर भी वापस अंदर आ गए | अनुराधा ने रेनू को शेखर से मिलाते हुए कहा – ये मेरी बचपन की सहेली रेनू है |
अच्छा- हैलो शेखर ने कहा
रेनू ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया |
लेकिन तू यहाँ कैसे… अच्छा वो सब छोड़ पहले घर चल |
अनुराधा रेनू को अपने साथ घर ले कर आ गई | उसने चाय बनाई और दोनों को दी |
शेखर दोनों को साथ में छोड़ कर अंदर चला गया |
रेनू ने बताया कि उसके पति का देहांत हो गया है.. कैंसेर हुआ था.. पति की एम. एन. सी. में नौकरी थी तो इलाज में ज़्यादा कोई परेशानी नहीं हुई | कम्पनी वालों ने सब किया | एक बेटी है मेरी ,…ससुराल वालों ने रखा नहीं ….और जो कुछ उसके पति का हिस्सा था वो भी नहीं दिया…. पापा भी नहीं रहे |
मैं अकेली …थी सब रिश्तेदार भी मतलबी निकले इनके दोस्तों ने भी किसी तरह से कोई मदद नहीं की | दुनिया ऐसी है ये इनके जाने के बाद पता चला | मम्मी को लेकर यहीं आ गयी एक मकान इन्होंने लिया था 3bhk उसके पेपर्स मेरे पास है उसे बेच कर छोटा घर और सिलाई का का शुरू करूँगी | उसी के पेपर्स को चेक कराने के लिए बैंक आई थी |
“बेचना क्यों है उसी में काम शुरू कर ना” ?
“काम शुरू करने के लिए भी तो पैसा चाहिए ना? ” सब कुछ सेट अप करना मेरे पास कुछ कहाँ है?
रुक – अनुराधा ने कहा
वो अंदर गयी और थोड़ी देर के बाद शेखर के साथ वापस
आयी |उसने रेनू से कहा रेनू शेखर के पास सोल्यूशन है |
तू लोन ले गारण्टर हम बन जायेंगे तुझे घर बेचने की ज़रूरत नहीं है | और बाक़ी जो भी काम है वो शेखर देख लेंगे तू फ़िक्र मत कर |
रेनू की आँखे नम हो गयी वो बोली -” सच में तू भगवान् बन कर आयी है मेरे लिए …
“अरे कुछ नहीं तेरा काम होना ही था मैं नहीं तो कोई और होता .. लेकिन मेरा काम तू फ्री में कर के देगी | रेनू ने आँखों में आंसू भरे हुए गर्दन को हाँ में हिला दिया |
एक हफ़्ते के अंदर ही रेनू का सब काम शेखर ने करवा दिया था |
आज रेनू के बुटीक का शुभारंभ होना था |
अनुराधा और शेखर के हाथ से नारियल फोड़कर और रिबन कटवाकर बुटीक का शुभारंभ हुआ |
रेनू ने लड्डू खिलाते हुए अनुराधा से कहा -” अनु तूने मेरी ज़िंदगी को बचा लिया | कहते है डूबते हुए को तिनके का सहारा काफ़ी होता है तू मेरे लिए वो भगवान् का भेजा हुआ तिनका बन कर आयी | और दो बूँद आँसू की उसके आँखों से निकल कर अनुराधा के हाथ पर गिर गयी |
” अरे कुछ नहीं अब तू अपना काम शुरू कर और हाँ .,….मैं तुझे पैसे नहीं देने वाली याद है ना?
कह कर अनुराधा ने उसे गले से लगा लिया |
धन्यवाद
स्वरचित
अनु माथुर