नमिता के सीधे सादे पहनावे और कम शिक्षा का, सोसाइटी की महिलाये खूब मज़ाक उड़ाती, कोई बहन जी तो कोई बुद्धू कहती, नमिता सब कुछ समझती लेकिन कोई जवाब ना देती, आये दिन अपमान का गरल पीती..!!
सोसाइटी में आये दिन कभी किटी पार्टी तो कभी पिकनिक होती रहती,
पंद्रह अगस्त की तैयारी चल रही थी, क्लब के हॉल में म्यूजिक की तेज आवाज में रिहर्सल से आसपास फ्लैट के लोग परेशान हो रहे थे, लेकिन महिलाओं को कोई फर्क़ नहीं पड़ा, वे अपनी में मस्त थी,
नमिता की बेटी की अगले दिन परीक्षा थी, उससे रहा नहीं गया तो वो क्लब आई, म्यूजिक कम करने को कहा तो, सबने उसे बुरा – भला कह बाहर कर दिया,
“बड़ी आई पढ़ाकू….,खुद तो पढ़ी नहीं, बच्चे पढ़ाने चली…” पाखी के कहते ही जोरदार हँसी गूंज उठी …,अपमानित नमिता लौटने लगी!!
पाखी अंदर आई तो चेयर पर बैठा, पाखी का दो साल का बेटा नहीं दिखा.. सब पाखी के बेटे को ढूढ़ने लगी, पूल के पास जाते ही पाखी जोर से चिल्ला पड़ी, किनारे पर पैर रखा उसका बेटा संतुलन ना बना पाने से पुल में गिर गया,
ये देख डर और घबराहट से पाखी बेहोश हो गई, महिलाओं की मंडली चीख – पुकार करने लगी, लौटती नमिता भाग कर आई
,पूल में कूद पाखी के बेटे को निकाल लिया, बच्चा के पेट में पानी जाने से वो बेहोश हो गया था,
नमिता ने उसे उल्टा लिटा, पेट दबा कर पानी निकालने लगी, पानी निकलते ही बच्चे की आँख खुल गई , नमिता तुरंत डॉ. के पास ले गई, पीछे सोसाइटी के लोग भी आ गए,
पाखी शर्म से नजर ऊपर नहीं उठा पा रही थी, जिस नमिता का मज़ाक उड़ाने में वो सबसे आगे रहती, उसी ने आज उसके बेटे की जान बचाई..
“तुम सबको शर्म से डूब मरना चाहिए, किताबें पढ़ कर दूसरों का मज़ाक उड़ाना शिक्षा नहीं है,,बल्कि आत्मविश्वास सबसे बड़ी पूंजी है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी संतुलन बनाए रखे, वही शिक्षित है.., तुम सब शिक्षा के गुमान में थे, पर सबसे ज्यादा शिक्षित तो नमिता भाभी है,
जिन पर तुम सब व्यंग के तीर चलाते थे, आज उन्होंने समझदारी का परिचय दे जता दिया, सिर्फ किताबी ज्ञान लेने से ही व्यक्ति शिक्षित नहीं होते, बल्कि समय पर बुद्धि से काम लेना ही शिक्षित होना कहलाता है!! “पाखी के पति ने कहा!!
सोसाइटी के 15 अगस्त के प्रोग्राम में कम पढ़ी नमिता को सम्मानित किया गया, वही उच्च शिक्षा वाले तालियां बजा रहे थे!!
– – – संगीता त्रिपाठी
#डूब मरना