दो जुड़वा बहने – नेकराम   : Moral Stories in Hindi

अम्मा ने हम दोनों भाइयों को पास बुलाकर कहा देखो अब तुम दोनों शादी लायक हो चुके हो मैं चाहती हूं अब तुम दोनों की शादी कर देनी चाहिए तुम दोनों तो जानते ही हो शहर में यह 100 गज का घर तुम्हारे पिताजी ने कड़ी मेहनत करके तीन मंजिला बनवाया था ताकि तुम्हारी बहुएं आराम से इस घर के बने कमरों में आराम से रह सके ।

मैंने मोहल्ले में ऐसे कई घर देखे जो किराए के मकान में रहते हैं लेकिन शादी के वक्त अपना घर बता कर भोली भाली लड़कियों को फंसा लेते हैं और शादी कर लेते हैं शादी के बाद कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते फिरते हैं

अम्मा की बात सुनकर मुझसे रहा नहीं गया मैंने कहा अम्मा आखिर तुम कहना क्या चाहती हो शहर में हमारा तो अपना मकान है आप एक बार बिचौलिए से बात कीजिए हमारे लिए कन्याओं के रिश्ते दौड़े – दौड़े चले आएंगे

तब अम्मा ने कहा नेकराम तू चुप हो जा तुझे अभी अक्ल नहीं है तू अभी बच्चा है शरीर से बड़ा हुआ है दिमाग से नहीं मैं जैसे कहती हूं तुम दोनों भाइयों को वैसा ही करना होगा

तुम दोनों आज ही दूसरे शहर जाकर एक किराए का घर बुक कर लो

और उसमें रहने और खाने-पीने का थोड़ा बहुत सामान रख लो

नौकरियां तो तुम दोनों करते ही हो अपना अपना खर्चा आराम से चला लोगे जब तुम घर ले लोगे किराए का तब मैं पिताजी को लेकर तुम्हारे साथ रहने आ जाऊंगी

यह बात सुनकर बड़े भैया बिखर पड़े और कहने लगे अम्मा तुम ये कैसी बातें करती हो शहर में अपना मकान होकर भला हम दूसरे शहर में किराए का मकान क्यों ढूंढे और फिर इस घर में कौन रहेगा

तब अम्मा ने कहा इस घर में हम ताला लटका देंगे और तुम दोनों भाई चिंता मत करो तुम्हारे दोनों माता-पिता भी तुम्हारे साथ ही रहेंगे किराए के मकान में और वहां के मोहल्ले वालों को पता नहीं चलना चाहिए कि हमारा अपना शहर में एक बड़ा सा मकान है जिसकी कीमत वर्तमान समय में डेढ़ करोड़ रुपए है ।

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मैं एक बार फिर अम्मा से बोला — लोग किराए के मकान से अपने मकान में रहना चाहते हैं और तुम अपने मकान से किराए के मकान में रहना चाहती हो इसलिए कहते हैं स्कूल पढ़ना लिखना बहुत जरूरी है

इतने में पिताजी भी बरामदे से बीड़ी फूंकते हुए बोले तुम दोनों बेटे अपनी मां का कहना मान लो क्योंकि अब तक मैं भी तुम्हारी मां का कहना मानता हुआ आ रहा हूं आज तक इस घर में तुम्हारी अम्मा के फैसले ही होते आए हैं अभी जाओ और दूसरे शहर में किराए का घर तुरंत ढूंढ कर आओ ।

अब हम दोनों भाई बुरी तरह फंस चुके थे पिताजी और अम्मा की आज्ञा का पालन करना हमारा कर्तव्य बन चुका था

हम दोनों भाई मोटरसाइकिल स्टार्ट करने लगे तब अम्मा ने कहा मोटरसाइकिल यही खड़ी करो और पैदल जाओ थक जाओ तो बस का सहारा लो,

अब हम क्या करते मोटरसाइकिल घर पर खड़ी करके हम दोनों भाई पैदल ही चल पड़े दूर एक शहर में काफी खोजबीन करने के बाद हमें किराए का घर मिल गया जिसमें तीन बड़े कमरे थे हमने हिसाब लगाया एक कमरे में अम्मा और बाबूजी और दूसरे कमरे में भैया और भाभी जी और तीसरे कमरे में मैं और मेरी घरवाली , इसलिए तीन कमरे ठीक रहेंगे कमरे का किराया साढ़े चार हजार रुपए था हमने मकान मालिक को कमरा पसंद आने पर शगुन के तौर पर सौ रुपए भी दे दिए मकान मालिक ने कहा हमारा कमरा काफी दिनों से खाली पड़ा हुआ था तुम चाहो तो आज ही सामान ले आओ किराया कल सुबह तक दे देना

और हम घर की तरफ लौट चलें —

अम्मा ने रात ही रात घर खाली कर दिया और कुछ जरूरत का सामान एक टेंपो में भरवा कर किराए के मकान पर हमें साथ लेकर चल पड़ी

किराए के कमरे पर आकर हम दोनों भाई रात भर झाड़ू पोंछा लगाते रहे और जो सामान लाए थे उसे घर में सजा दिया एक छोटा सा पलंग कुछ पुराने से बर्तन दो-चार चादर तकिये और पहनने के लिए कुछ दो-चार जोड़ी कपड़े

सुबह होते ही मकान मालिक तुरंत दौड़ कर आया अम्मा को देखते ही कहा राम-राम ताई आपने रात को ही किराए के कमरे पर कब्जा कर लिया तब अम्मा कहने लगी हम तो शहर में जहां रहते थे वहां भी किराए के मकान में रहते थे लेकिन वहां के मकान मालिक ने किराया बढ़ा दिया है इसीलिए मजबूर होकर हमें आपके यहां पर रहने के लिए आना पड़ा

तब मकान मालिक ने कह दिया अभी इस बस्ती की बसावट चल रही है नाम के लिए शहर है लेकिन है पूरा का पूरा गांव यहां घरों में पानी नहीं आता पानी का टैंकर आता है बहुत लंबी लाइन लगती है लोगों की ,, आपस में मारामारी भी हो जाती है ।

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बिजली की तो पूछो मत एक बार चली गई फिर ना जाने कब आएगी

और खाने-पीने के लिए यहां पर दूर-दूर तक कोई दुकान नहीं है

और बरसात के दिनों में सड़कों में घुटनों तक पानी भर जाता है

इसलिए कोई यहां पर रहने के लिए राजी नहीं होता लेकिन आपके दोनों बेटों ने हमारा घर किराए पर लेकर हम पर बहुत बड़ा एहसान किया है

यहां पर आसपास बहुत से लोगों ने मकान बना रखे हैं लेकिन रहता कोई नहीं सबको इंतजार है जब इस बस्ती में विकास हो जाएगा तभी सब लोग यहां पर रहने के लिए आएंगे ।

अम्मा ने पूरी बात सुनने के बाद मकान मालिक को महीने भर का पूरा किराया दे दिया और कहा आगे से अब किराया मेरे दोनों बेटे देंगे नवीन और नेकराम

मकान मालिक रुपए लेकर चला गया

मकान मालिक के जाने के बाद अम्मा ने बड़े भैया से कहा

मैं जानती है तुमने जानबूझकर यहां पर किराए का कमरा लिया है

ताकि मैं घबरा जाऊं और तुम दोनों से कहूं चलो वापस अपने मकान में चलते हैं ।

लेकिन मेरा फैसला अटल है अम्मा की बातें सुनकर हम दोनों भाइयों के पसीने निकल आए । हमें समझ नहीं आ रहा था आखिर अम्मा चाहती क्या है अपना घर होते हुए हमें किराए के मकान में क्यों ले आई

दिन बीतने लगे पूरे 15 दिन बीत चुके थे ।

वहीं पास में एक मंदिर था वहां एक पुजारी रहा करते थे अम्मा हम दोनों भाइयों को उस मंदिर में ले गई और वहां एक पंडित जी से मिलवाया

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अम्मा ने पंडित जी को बताया मैं अपने दोनों बेटों की शादी करना चाहती हूं इस मंदिर के बाहर लिखा हुआ है यहां पर शादी भी करवाई जाती है तब,,पंडित जी बोले हां हां मैं ही शादी करवाता हूं

तब अम्मा ने कहा यह मेरा बड़ा बेटा नवीन है सेल्समैन है साइकिल से सेल्स  करता है हर मेडिकल स्टोर पर दवाइयों की ,, ठीक-ठाक कमा लेता है महीने के 10000 हजार तो कभी 11000 हजार रुपए

और यह जो दूसरा बेटा खड़ा है इसका नाम नेकराम है यह सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है यह भी महीने के 10 ,, 12 हजार रुपए कमा लेता है

रमेश मकान मालिक के हम नए किराएदार हैं

पंडित जी ने कहा रमेश जी को तो मैं बहुत सालों से जानता हूं जब मेरा मंदिर बन रहा था तब उनका मकान भी बन रहा था आज से 15 बरस पहले ठीक है आप अपने दोनों बेटों की एक-एक फोटो मुझे दे दीजिए और मेरी फीस ज्यादा नहीं है बस मंदिर आते रहिए और ईश्वर के दर्शन करते रहिए यही मेरी फीस है ।

घर आकर मैंने अम्मा से कहा मुझे नहीं लगता इस जन्म में हमारी शादी होगी

15 दिन और बीत चुके थे ड्यूटी से आने के बाद मोमबत्ती जलाकर अम्मा खाना पकाती सुबह हमें पानी के टैंकर से पानी भरना पड़ता

और पिताजी की बीड़ी लाने के लिए मुझे डेढ़ किलोमीटर दूर जाना पड़ता सड़के भी ऐसी गड्ढे वाली की वहां पर साइकिल चलाना भी कठिन था कभी-कभी तो हम दोनों भाई सोचते कि आखिर हमें ऐसी अम्मा क्यों मिली ऐशो आराम की जिंदगी छोड़कर इस वीरान बस्ती में रहना पड़ रहा है ।

आखिर क्यों ?

*****

1 महीने बाद पंडित जी हमारे घर पहुंचे शाम का वक्त था हम सभी लोग घर पर ही मौजूद थे पंडित जी ने दो लड़कियों की तस्वीर दिखाकर कहा

बहुत ढूंढने के बाद दो रिश्ते हाथ आए हैं तुम्हारे बड़े बेटे के लिए बबीता नाम की लड़की देखी है जो जॉब करती है और उसकी छोटी बहन सविता वह अभी पढ़ाई कर रही है पढ़ाई करके वह भी जॉब करना चाहती है मैंने बता दिया लड़के वाले गरीब हैं किराए के मकान में रहते हैं छोटी-मोटी नौकरी करके गुजारा करते हैं सीधे-साधे हैं घर में एक  माताजी है जिन्हें सब अम्मा कहते है और लड़को के पिताजी भी है

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लड़की वालों ने साफ-साफ कह दिया है हम कोई दहेज नहीं दे सकते

तब अम्मा ने कहा हमें  दहेज नहीं चाहिए हमें केवल लड़कियां चाहिए

पंडित जी ने प्रस्ताव लड़की वालों के घर भिजवा दिया

अगले ही दिन लड़की की माताजी और उनके पिताजी हम दोनों भाइयों को देखने के लिए हमारे किराए के मकान पर ही आ धमके

लड़की के पिताजी का हमने स्वागत किया चाय पानी से और लड़की की माताजी को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा किया

पंडित जी भी बगल में ही बैठे थे उन्हें भी एक लड्डू खिलाया

लड़की के पिताजी बोले हम कब से अपनी बेटियों के लिए लड़के खोज रहे थे पहले तो हमने सोचा कि हमारी बेटियां किसी बड़े मकान में चली जाए लेकिन जितने भी बड़े मकान मिल रहे थे सब दहेज की मांग कर रहे थे थक हार कर हमने खोजबीन करना बंद कर दिया और

परसों ही पंडित जी हमारे पास आए कहने लगे बेटियों की उम्र निकल रही है हाथ पर हाथ धरने से कुछ नहीं होगा मेरे पास दो लड़के हैं किराए के मकान में रहते हैं मेहनत मजदूरी करके दो पैसे कमा ही लेते हैं

और सुख दुख तो सब भाग्य का खेल है तब हमने भी पंडित जी की बात मान ली और कहा अब हमारी बेटियों के भाग्य में किराए के मकान में ही रहना लिखा है सारी उम्र बचपन से जवानी तक किराए के मकान में पली बढ़ी अब शादी के बाद भी किराए के मकान में रहना पड़ेगा

लेकिन अगर हम वर वालों की तरफ से उनका अपना मकान खोजते रहे तो हमारी बेटियां सारी उम्र कुंवारी ही रह जाएगी ।

पंडित जी ने कहा अब इधर-उधर की बातें ना कीजिए शादी की तारीख तय कर लीजिए

2 दिन बाद शादी की तारीख तय हो गई 9 दिसंबर की तारीख निकल पड़ी पंडित जी ने लिख कर दे दिया और गुण भी मिला दिए सब ठीक-ठाक है शुभ मुहूर्त है देर नहीं होनी चाहिए इतना कहकर पंडित जी मंदिर की तरफ चल पड़े

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अम्मा घर सजाने में लग गई शादी को एक महीना रह गया था

धीरे-धीरे शादी का दिन निकट आ चुका था शादी के कार्ड मोहल्ले में बंट चुके थे

दिसंबर का महीना भी आ गया शादी के केवल 2 दिन रह चुके थे

अम्मा ने  किसी भी रिश्तेदारों को शादी का कार्ड नहीं दिया यह देखकर हमें बड़ा ताज्जुब लगा तब हमारे पूछने पर अम्मा ने बताया पहले शादी हो जाने दो शादी के 3 महीने के बाद पार्टी करेंगे और पूरे रिश्तेदारों को बुलाएंगे अपने उसी पुराने मकान में जो शहर में हमारा अपना मकान है

अम्मा की बातें हमें समझ नहीं आई खैर अम्मा का फैसला हमें मानना ही पड़ेगा,,

हमारी शादी को 15 दिन बीत चुके थे ,,

घर में दो बहुएं आ चुकी थी घर की साफ सफाई और घर का सारा कामकाज उन्होंने अपने जिम्मे पर ले लिया पानी के टैंकर से बड़े-बड़े बर्तनों को भरना बिजली चले जाने पर मोमबत्ती जलाकर गैस चूल्हे पर खाना पकाना ,,

एक दिन दोनों बहुओं ने अम्मा से कहा मम्मी जी हम चाहते हैं हम पढ़ी-लिखी हैं अब हम जैसे पहले नौकरी करती थी फिर नौकरी करना चाहती है थोड़े बहुत पैसे इकट्ठे करके हम जमा करेंगे और शहर में थोड़ी जमीन खरीद लेंगे कम से कम इस किराए की जिंदगी से तो छुटकारा मिले हर महीने लपक कर किराया आ जाता है और साढ़े चार हजार रुपए पानी में चले जाते हैं

अगर हमारा अपना मकान होता तो हमें कभी किराया न देना पड़ता

तब अम्मा ने कहा तुम कितने रुपए जोड़ सकती हो तब उन्होंने कहा हम रोज के पचास रुपए जमा कर सकती हैं हम दोनों बहनें मिलकर महीने के ₹3000 हजार रुपए जमा कर सकती हैं

और उन्होंने एक महीने में अम्मा के हाथ में 3000 हजार रुपए रख दिए

और अम्मा से कहा मम्मी जी हमारी सहेलियां ने तो बहुत मना किया था की

तुम जिन लड़कों से शादी करना चाहती हो वह किराए के मकान में रहते हैं बहुत गरीब हैं उनसे शादी करके तुम पछताओगी लेकिन हमें अपने माता-पिता से संस्कार मिले हैं लड़का गरीब हो लेकिन पढ़ा लिखा हो नशे से दूर हो यही सबसे बड़ी पूंजी होती है ।

अम्मा बड़ी गौर से उनकी बातें सुन रही थी ।

तब अम्मा ने कहा तुम बस दुखों से मत घबराना ईश्वर तुम्हारे लिए कुछ अच्छा ही सोच रहा होगा।

शादी के 3 महीने बीत चुके थे एक रात चुपके से अम्मा ने हम दोनों भाइयों को बुलाया और कहा

अब वक्त आ गया है हमें अपने घर चलना चाहिए इन तीन महीनों में तुम्हारी पत्नियों ने मेरी खूब सेवा की और तुम्हारे बाबूजी की अच्छे से देखभाल की

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इसलिए तुम्हारी दोनों बहुएं मेरी कसौटी में खड़ी उतरी जब उन्हें पता चलेगा कि शहर में उनके पतियों का खुद का अपना घर है शायद वह हिल जाए एक तरफ उन्हें दुख भी होगा आखिर इतनी बड़ी बात क्यों छिपाई लेकिन एक तरफ खुशी भी होगी

अगली सुबह एक टेंपू खड़ा हुआ था और हम दोनों भाइयों ने अपनी अपनी बीवियों से कहा हमें यह किराए का कमरा खाली करना है

आज ही हम दूसरे शहर की तरफ जा रहे हैं

हम सभी लोग सामान लाद कर टेंपो में बैठ गए और टेंपो फिर वही पुराने शहर की तरफ चल पड़ा

टेंपो ड्राइवर गाड़ी को कच्ची पक्की सड़क से अब तक पक्की सड़क पर ले जा चुका था लगभग 1 घंटे बाद टेंपो एक बड़े से मकान के सामने रुका जिसके दरवाजे पर ताला लटक रहा था मकान के बाहरी दीवारों पर जगमग करती लाइटों की लड़ियां लटक रही थी सामने खाली मैदान पर बहुत बड़ा टेंट लगा हुआ था जहां पर हलवाई तरह-तरह के व्यंजन बनाने में लगे हुए थे।

टेंपो रुक गया दोनों बहने सहमी सी टेंपो से नीचे उतरी

अम्मा और बाबूजी समेत हम दोनों भाई भी टेंपो से नीचे उतर चुके थे

आसपास के मोहल्ले के रहने वाले पड़ोसियों ने हमें घेर लिया

अम्मा के साथ दो अजनबी महिलाओं को देखकर कहने लगे अम्मा जी प्रणाम आपके साथ यह दो छोरियां सुंदर सी कौन है ।

और तीन महीनों से आप लोग कहां गुम थे हमें तो लगा आप लोग अपना मकान बेचकर कहीं चले गए हैं  सारे मोहल्ले में इसी बात की चर्चा थी

और तुम्हारे घर के सामने इतना बड़ा टेंट न जाने किसका लग रहा है जैसे आज किसी की पार्टी हो

अम्मा ने दरवाजे का ताला खोलते खोलते सारी राम कहानी अपने पड़ोसियों को बता दी अम्मा की बातें सुनकर सब पड़ोसी हैरान थे

अम्मा ने बताया शाम को मेरे बेटों की शादी की खुशी में पार्टी है यह टेंट हमारा ही लग रहा है शाम को आप सभी लोगों को निमंत्रण है जरूर आना

दरवाजे का ताला खुलते ही अम्मा ने अपनी दोनों बहुओं को बाहर देहरी पर ही रोक लिया जल्दी से एक थाली में स्वागत के लिए चंदन रोली और गंगाजल का इंतजाम कर दिया

अम्मा ने अपनी दोनों बहुओं का रीति रिवाज के अनुसार गृह प्रवेश करवाया मोहल्ले की अनगिनत महिलाएं भी इकट्ठी हो चुकी थी

धीरे-धीरे मोहल्ले की भीड़ बढ़ती चली गई सभी लोग दोनों बहुओ की मुंह दिखाई के लिए बेचैन थे

अम्मा ने अपनी दोनों बहुओ के लिए पहले से ही गहने और महंगी साड़ियों का प्रबंध कर दिया था दोनों बहने अभी भी कुछ समझ नहीं पा रही थी उनकी आवाज गले में ही अटक गई

आखिर इतना बड़ा राज अम्मा ने हमसे छुपाए रखा

अम्मा ने सभी रिश्तेदारों को भी निमंत्रण दे दिया कि आज शाम को पार्टी है दोनों बेटों की शादी हो चुकी है शाम को जरूर आना है

कुछ रिश्तेदार तो खुश थे लेकिन कुछ रिश्तेदार नाराज थे आखिर उन्हें बिना बताए अम्मा ने अपने बेटों की शादी कैसे कर दी और न जाने किन अनजान लड़कियों से और हमें बताया तक भी नहीं

बहुत से रिश्तेदार और पड़ोसियों के तो मुंह फूल चुके थे लेकिन अब क्या कर सकते हैं शादी तो हो गई पार्टी में आना भी पड़ेगा

शाम हुई दोनों बहने दुल्हन के जोड़े में सजी हुई पार्टी में पहुंची

वहां पर एक मंच भी था और एक माइक की व्यवस्था भी थी

अम्मा मंच पर पहुंची और बाबूजी को साथ खड़ा करते हुए बोली

मैं जानती हूं आप लोगों के दिलों में कई तरह के सवाल पैदा हो रहे होंगे

मैं कुछ अलग करना चाहती थी आजकल के बिचौलिए पैसों की लालच में गलत रिश्ते करवा देते हैं शादी एक प्यार का बंधन होता है

जहां एक लड़का और एक लड़की अपने जीवन की शुरुआत करते हैं

अपना एक नया घर बसाते हैं अपना एक परिवार बनाते हैं

मैं चाहती थी जो भी लड़की हमारे घर बहू बनकर आए वह मेरी दौलत और मेरे मकान से नहीं मेरे बेटों से प्यार करें बस उन्हीं लड़कियों की खोज में मैं 3 महीने किराए के मकान में रही

और अपने बेटों से भी कड़ी मेहनत करवाई ताकि उन्हें भी किराए की जिंदगी का एहसास हो किराए की जिंदगी कितनी मुश्किल होती है

ताकि कभी भविष्य में मेरे बेटे मकान को बेचने की और बंटवारे की कभी बात ना करें इस तरह की कल्पना भी उनके जहन में ना आ सके

अक्सर शादी के बाद छोटी-छोटी बातों को लेकर परिवार बिखर जाते हैं

मनों में इतनी गुस्सा भर जाती है कि मकान बेचकर बंटवारा करके किराए पर रहना पसंद करते हैं लेकिन एक साथ रहना उन्हें गवारा नहीं होता

संगठन और एकता में बहुत ताकत होती है बाहरी व्यक्ति जल्दी उंगली नहीं उठा सकता

सास बहू को हमेशा मिलकर रहना चाहिए और पति-पत्नी को भी

जिन लड़कियों को बिना मेहनत किए ही सब कुछ कोठी बंगले गाड़ियां नसीब हो जाती है वह उन चीजों की कदर नहीं करती

अगर आपको सड़क पर 100 का नोट मिल जाए तो आप उस नोट को पानी की तरह खर्च कर देंगे ।

लेकिन अगर 100 का नोट आपको कड़ी मेहनत करने के बाद मिले

तो आप उस नोट को बहुत संभाल कर रखोगे और जहां सख्त  जरूरत होगी वहां खर्च करोगे

ठीक उसी तरह जिन लड़कियों की बड़ी कठिनाइयों से शादी होती है

जिन लड़कियों ने बहुत दुख देखे होते हैं उन्हें ससुराल में छोटे-मोटे दुख

तो उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते

अगर हम दुख की बात करें तो दुख क्या है जब हम किसी चीज में काम चोरी करते हैं तो वहां दुख उत्पन्न होता है जब हम मनमानी करते हैं किसी बड़े का कहना नहीं मानते तो वहां दुख उत्पन्न होता है

दुख हमारी गलतियों की वजह से ही हमारे सामने आकर खड़ा हो जाता है और हम दूसरों को दोषी ठहराते हैं

भले ही हमारे पास कोठी बंगले हो महल हो गाड़ियां हूं लेकिन हमें अपने बेटे बेटियों को घर पर बिठाकर निकम्मा नहीं बनाना चाहिए

मेहनत करने वाले ही काम की कदर करते हैं और काम करने वाले ही रूपयों की कदर करते हैं

कभी-कभी राजा को भी मजदूर बनकर काम करना चाहिए हमारे देश के ऐसे कई महापुरुष हैं जिनके बड़े-बड़े महल थे लेकिन उन्होंने अपने महल त्याग दिए और जंगलों में भटकते रहे आज की पीढ़ी तो घर से निकलना ही नहीं चाहती सारी सुविधाएं घर में ही चाहिए इसीलिए आजकल के बच्चे आलसी होते जा रहे हैं

प्रभु श्री राम 14 बरस के लिए अपना राज पाठ महल छोड़कर जंगल में रहने के लिए चले गए इसलिए आज भी उनका गुणगान किया जाता है

जिंदगी में कुछ पाना है तो खोना भी जरूरी है एक बार अपना सुख त्याग कर देखो ना जान आपके भीतर कितनी शक्तियों के खजाने आ जाएंगे जीने की कला और जीने के रहस्य आप लोगों को भली-भांति ज्ञान हो जाएगा सुख की तरफ मत भागो दुख में ही सुख छुपा हुआ है

यही ईश्वर की लीला है जो इस भेद को समझ गया उसका बेड़ा पार है

जब किसी को हीरे चाहिए होते हैं तो उसे समुद्र की गहराइयों में जाना होता है समुद्र के किनारे बैठने से कुछ हासिल नहीं होता

पेट भरे को भोजन देने से कभी पुण्य नहीं मिलता लेकिन भूखे को दो रोटी देने से पुण्य अवश्य मिलता है

जिस तरह रेगिस्तान में रहने वाले लोगों को पानी की एक-एक बूंद की कीमत मालूम होती है लेकिन शहरों में रहने वाले पानी की कीमत क्या जाने

मैं अपनी दोनों बहुओं को ऐसी जगह से खोज कर लाई हूं ढूंढ का लाई हूं जो इतिहास में आज तक किसी ने ना किया होगा शादी के समय हर कोई लंबी-लंबी फेकता है बेटों की नौकरी और बिजनेस बढ़ा चढ़ाकर बताते हैं लड़की वाले भी कम नहीं है लड़कियों की खूब तारीफ करते हैं

और बिचौलिए को सब पता होता है लेकिन उसे क्या उसे अपनी फीस से मतलब होता है।

इसलिए मैं आप लोगों से कहना चाहती हूं अपने बेटे बेटियों की शादी के लिए खुद आगे बढ़कर रिश्तों की तलाश करें ।

बड़े घरों में शादी के लिए हजारों रिश्तों की लाइन लगी होती है लेकिन छोटे घर की तरफ कोई झांकता भी नहीं बस यही धोखा सबसे बड़ा धोखा है

आप लोग मुझे जैसा भी समझो ,,

अपने दिल में मेरे बारे में कुछ भी सोचो

3 महीने तक मैंने भी पानी के टैंकर से पानी भरा है भले ही पैसा आपकी अलमारियों में भरा पड़ा हो लेकिन अपने बच्चों को परिश्रमी बनाएं किताबी ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में हाथ बंटाने की कला भी सिखाए

सास बनने के बाद भी कभी काम चोरी मत कीजिए जितने हाथ पर चलते रहेंगे बुढ़ापा जल्दी नहीं आएगा और बड़ों को देखकर छोटे भी घर के कामकाजों में लगे रहेंगे ।

अब आप लोग गरमा गरम खाना खाइए और मेरे बच्चों को आशीर्वाद दीजिए

अम्मा की बात सुनकर सब खामोश टक टकी लगाए सुनते रहें

सब लोगों के मन की कड़वाहट अम्मा ने निकाल दी

खाने के ढक्कन खुल चुके थे सबने पेट भर के खाना खाया और आशीर्वाद दिया और सब लोग अम्मा की अक्ल की तारीफ करते-करते अपने घर की तरफ चल दिए

लेकिन सोचते जा रहे थे कि आखिर हम अम्मा की तरह ऐसा कर पाएंगे या नहीं       समाप्त

लेखक –  नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से

स्वरचित रचना

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