रजत एक मल्टीनेशनल कंपनी गुड़गांव में अच्छी पोस्ट पर काम करता था।उसके घर में मां नीला और पिता ओमप्रकाश ही थे।रजत को महंगी महंगी चीजों का बहुत शौक था।इसके लिए वो सैलरी तो खर्च कर देता।माता पिता समझाते पर वो नहीं सुनता था।माता पिता ने एक छोटे शहर की लड़की देखi ताकि वो घर संभाल सके।
रजत की शादी रागिनी से हुई जो ग्वालियर शहर में रहती थी। माता पिता को लगा छोटे शहर की लड़की है दब कर भी रहेगी और खर्चा भी कम करेगी। शुरू में तो सब ठीक था।पर बार बार नीला और ओमप्रकाश के टोकने पर खर्चों में लगाम लगाने पर बोलने से रजत चीड़ जाता।फिर एक दिन किसी बात बहस हो गई
और रजत ने गुस्से में आकर घर छोड़ नया फ्लैट लेने का फैसला कर लिया।अपने पीएफ से पैसा निकाल डाउन पेमेंट की और बाकी लोन ले लिया पहले ये बात घर में नहीं बताई जब शिफ्ट हो ना था उससे एक दिन पहले बताया।नीला ने कहा अलग रहेगा तो सुधरेगा।अलग होने के बाद तो दोनों मिलकर अच्छा खासा खर्चा करते आए दिन पार्टी बाहर खाना ब्रांडेड कपड़े कोई रोकने वाला
नहीं कोई टोकने वाला नहीं सिर्फ दिखावा हर चीज दुनिया को दिखाने के लिए 100 rs में भी काम चल सकता हो पर दिखावे के लिए रजत 1000 की ही लाता।उसकी देखा देखी रागिनी भी ऐसी हो गई ऑनलाइन शॉपिंग कभी कुछ कभी कुछ खरीदना बस यही होता।एक बार वह सब सपरिवार अपने किसी रिश्तेदार के यहां गए
वहां भी इतना लेना देना किया कि ओमप्रकाश ने बोल दिया बेटा कुछ बचाना भी सीख सब उड़ा देगा तो कैसे बुढ़ापा कटेगा।पर रजत को कौन समझाए।समय यूंही बीत रहा था दोनों एक बेटे के माता पिता बन गए पर शौक नहीं बदले बच्चे की महंगी फीस उसके शौक रागिनी घर होती पर बचपन से आरव को ट्यूशन भेजती।
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क्रेडिट कार्ड का बिल लाखों में आता क्योंकि कोई कंट्रोल नही था।फिर अचानक कोविड आ गया सब काम घर से होने लगे खर्चे बढ़ाने आसान है घटाने मुश्किल वही रजत के साथ हुआ कोविड की वजह से तनख्वाह आधी हो गई। पहले ही 100 रुपए में 110 रुपए का खर्चा था अब तो पूछो ही नहीं।घर के खर्चे ,emi, बच्चे की फीस सब भरना पड़ रहा था।
बड़ी गाड़ी ली थी दो महीने पहले उसकी किस्त।रजत को कुछ समझ नहीं आ रहा था।सेविंग उसने कभी की नहीं बस उड़ाया।और जो पैसा सीप और दूसरे इसमें tax बचाने के लिए डाला था वो भी नहीं निकाल सकता था बड़ा परेशान था। ओमप्रकाश जी ने तब उसे समझाया बेटा ये दिखावे की जिंदगी में क्या रखा है तुम दूसरों को खुश करने में पार्टी करने में लगे रहे
आज है कोई जो तुम्हारी मदद को खड़ा है।अच्छी भली गाड़ी थी जो हम लोगों के लिए काफी थी बेकार के दिखावे में तुमने इतना बड़ा हाथी पाल लिया घर में मां बाप कुछ कह ही देते है तुम्हे सहन नहीं हुआ तुम अलग हो गए।बेटा दिखावे में कुछ नहीं रखा लोग ऊपरी चमक के पीछे भागते हैं असल जिंदगी से दूर हो जाते है।
ओमप्रकाश की सीख रागिनी और रजत को पट गई उन्होंने अपने माता पिता से माफी मांगी और इस दिखावे की झूठी चकाचौंध से कुट्टी कर ली।
दोस्तों ये दिखावा ही तो आज कल की सबसे बड़ी समस्या है आपके पास पैसा ना होते हुए दुनिया क्या कहेगी इसी भ्रम में खुद को तबाह कर लेते हैं।
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स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी