“सीढ़ियों से उतरती हुई , रेशमा की कानों में जो आवाज पड़ी वो बादल के गर्जना से कम नहीं थी , जिससे वह डरकर बुत बन गई , दूसरे ही पल अपने होश को संभाला, क्योंकि बहुत जरूरी था उसका होश में आना । कानों में वो गर्जना जैसे शब्द ऐसे गूंज रहे थे जैसे पिघलती मोमबत्ती की बूंद टपक रही हो , मै उससे मुहब्बत नहीं कर सकता ,कभी नहीं ! आप चाहे जीतना भी प्रयास कर लें।”
यह शब्द थे रौशन के , जो अपनी मां से कह रहा था । रेशमा उसे रोकने उतर ही रही थी जब उसके कानों में ये ज़हरबूझे शब्द अनजाने ही पड़ गए थे । अपने
कमरे में किसी तरह पहुंची और वो परिदृश्य आंखों में बादल की तरह छा गया । जब मिसेज गुप्ता अपने बेटे के रिश्ते के लिए उसका हाथ मांगने उसके घर तक आ पहुंची थीं।
शक तभी हुआ था कि, “ना जान, ना पहचान, शहर का सबसे रईस परिवार क्यों आ जाता है किसी मध्यमवर्गी परिवार से रिश्ता जोड़ने ,वो भी गोद भराई के सामान साथ लेकर ।”
रसोई में काम करते हुए रेशमा की मां से रहा नहीं गया । उसने अपनी बहन यानी रेशमा की मौसी से पूछ बैठी थी क्या बात है, लाजो किस बात पर इतना खुश हो रही हो ?
” बाजार सब्जी लाने गई थी या कोई तमाशा देख आई हो !” रेशमा की मां ने अपनी छोटी बहन से पूछा जो उनके साथ ही रहती थी ।
“कुछ मत पूछो जीजी ,मै खुद ही बताती हूं । लाजो खुशी से पागल हुई जा रही थी जैसे कोई खजाना हाथ लग गया हो ।”
” पूछो तो जरा, बाजार में कौन मिला था मुझसे ? हां, तो कौन मिला था ? जरा हम भी जाने ! अरे वो हैं न इस शहर के जाने माने लोग , हां, मिसेज गुप्ता , वो मिली थी और कह रहीं थीं हमारी रेशमा का हाथ मांगना चाहती हैं अपने बेटे रौशन के लिए ।
यह बात सुनकर जैसे सदमे में आ गई थी रेशमा की मां, क्या कहा ? क्या उन्हें कोई अपनी लड़की नहीं दे रहा जो हमारी लड़की का हाथ मांगने आ रही है । मना कर देना था तुम्हे लाजो !
मैं कैसे मना करती ! उसने जैसे कोई फरमान सुना दिया था बीच सड़क गाड़ी से उतर कर ,मै तो बिल्कुल सहम गई थी कि न जाने क्या बात हुई है , मेरे पास क्यों आ रही है वो अकडू महिला ।
फिर जब पास आकर ये बात कही तो मैं रेशमा के लिए बहुत खुश हो गई ,कैसे मना कर देती । अब जीजी तुम भी खुश हो जाओ । इतने बड़े घर में तुम्हारी बेटी रानी बन कर राज करेगी । तभी रेशमा के पिता भी आ गए ।उन्होंने ने भी इस रिश्ते के लिए कोई बहुत खुशी जाहिर नहीं की । जैसे कुछ ऐसा था उनकी जानकारी में जो उन दोनों माता पिता को उनका आना नागवार गुजर रहा था ।
तभी रेशमा कि मां ने माहौल ठीक करने केइरादे से उस घर में पसर गए सन्नाटे को खत्म करने के लिए कहा ,चलो आने तो दो , जो बात नहीं जमी तो मना कर देंगे वैसे लड़की हमारी है । की जोर जबरदस्ती तो है नहीं !
सब जैसे अचानक होश में आ गए और हां हां ठीक है ,कल की कल देखेंगे और सभी अपने काम में लग गए थे ।
दूसरे दिन दोपहर के वक्त अपने पति के साथ मिसेज गुप्ता पधारी । लोग देखते रह गए । ये बड़ी सी गाड़ी , चाल में अजीब सा अकड़न था ,मुंह सिकोड़ा हुआ जैसे कोई बदबू आ रही हो घर में से । रेशमा के स्वर्ग से घर को ऐसे घूर रही थी जैसे मुर्गियों का दरबा हो ।
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चाय पानी नाश्ते तक को हाथ नहीं लगाया । बस रेशमा को देखते ही खुश हो गई थी और ढेरों आशीष देकर कहती जा रही थी ” तुम्हीं हो मेरे बेटे के काबिल ,बस एक तुम ही ,बहुत खूबसूरत हो बेटी ।
रेशमा की मां ने एक सवाल पूछ लिया ,रौशन को साथ नहीं लाई,हमें भी तो देखना था हमारा होने वाला दामाद कैसा है !
मिसेज गुप्ता बोली … वो बिजनेस मीटिंग में शहर से बाहर है । और मेरी मर्जी ही उसकी मर्जी होगी ,आप निश्चिंत रहिए ।
लेकिन रौशन के पिता के चेहरे से ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा था जिस पर यकीन किया जा सके ।
सब कुछ दिखावा और बनावटी लग रहा था जैसे कोई राज हो , जिसे कोई जान न पाए इसके लिए बेवजह की हंसी मुख पर देर तक बनाए रखने में कामयाब हो गई थी मिसेज गुप्ता ।
दो दिन में अपने यहां बुलाकर शादी करा दी गई ।
ये भी कम आश्चर्य नहीं था । रेशमा की मां ने बहुत विनती की , कि हमारी पहली और बड़ी बेटी की शादी है और आप हमारे किसी रिश्तेदार को आने की इजाजत भी नहीं दे रही हैं लोग पूछेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगी । क्या कहूंगी कि इतनी जल्दबाजी क्यों थी मुझे ! रेशमा की मां ने बड़ी मिन्नत से बोला था ।
छोड़ें भी ,इन बेमतलब की बातों को , क्या रखा है इन फिजूल की बातों में ,जब वो देखेंगे कि उनकी रेशमा के नसीब जाग गए है इतने अमीर घर में शादी कर के ,तो लोगों का मुंह खुद ब खुद बंद हो जाएगा ।आपसे सारे गिले शिकवे भूल जाएंगे । बात सुनने में तो अच्छी नहीं लग रही थी और रेशमा के खातिर वो चुप रह गई ।
रेशमा इन सारी बातों से अंजान थी उसे बस यही लग रहा था कि सच में उसके नसीब जाग गए है जो इतने बड़े घराने ने शादी हो रही है।
दूसरी तरफ मिसेज गुप्ता खुश थी क्योंकि सिर्फ उन्हीं को पता था इस बेमेल शादी की वजह । जिस पर वो इतराती फिर रही थीं।
शादी हो चुकी थी । मगर रौशन को देखकर कभी नहीं लगा कि वो शादी के लिए राजी था ।
आज हकीकत सामने थी रेशमा के । क्यों शादी के बाद से ही रौशन ने दूरी बना कर रखी थी । आज जब मिसेज गुप्ता से अपने बारे में ऐसा कहते सुना तो उसके पैरों के नीचे से धरती खिसक गई थी ।
शायद रेशमा के पिता को आभास था इस बात का इसलिए जब चौथी लेकर बेटी से मिलने आए तो रेशमा को एक चाभी देते हुए कहा था , ” बेटा माना तुम पराई हो गई हो ,लेकिन उस घर की लड़की थी और हमेशा रहोगी, मेरी प्यारी बेटी ,मेरी आंखों का तारा,तुम्हारा नाम भी इसलिए ही रेशमा रखा था । चमकीली रेशमा । लेकिन पिता जी , रेशमा के कुछ कहने से पहले ही , उसके पिता ने वो चाभी उसके हाथों में रखकर रेशमा की मुट्ठी बंद कर दी थी ।
अचानक से आई चाभी की याद से रेशमा बेचैन होकर चाभी ढूंढने लगी । ना जाने कहां रख दी थी चाभी। उसे कहां पता था कि पिता के घर की चाबी की जरूरत इतनी जल्दी पड़ जाएगी ।
आखिरकार चाबी टेबल के दराज में रखी हुई दिख गई ।
रेशमा ने जल्दी से बैग में अपने कपड़े डाले और घर के पिछले दरवाजे से निकल गई ।
इधर रौशन के जोर जोर से बोलने पर मिसेज गुप्ता ने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए जोर से दबाया ,रौशन कहीं रेशमा ने सुन लिया तो गजब हो जाएगा । फिर ,कारोबार और मीडिया वालों को हम संभाल नहीं पाएंगे ।
मैने यह सब तुम्हारे भले के लिए किया है ।
खाक, मेरे भले के लिए किया है मां।आपने अपने रुतबे को बचाने के लिए किया है क्योंकि आपको पता है मै किसी और से प्यार करता हूं ।इस शादी को नहीं निभा सकूंगा, रौशन बोलता रहा और अपने कमरे तक जाने वाली सीढ़ियां चढ़ता रहा । उसे भी डर सताने लगा था कि कहीं रेशमा ने बात सुन न ली हो ,जबकि हुआ तो यही था।
हां तो तुम नहीं करते ,मना कर देते शादी के लिए मिसेज गुप्ता भी अपना आपा खोती जा रही थीं।
अगर आपने मेरे सारे बैंक अकाउंट बंद न कराए होते मां तब आप देखती कि मैं शादी करता कि नहीं ।
मां बेटे की बहस बंद होने का नाम ही नहीं के रही थी ।
तभी भागता हुआ रौशन सीढ़ियां उतरता हुआ दिखा तो मिसेज गुप्ता पूछने से खुद को रोक नहीं पाई ,गुस्सा होने के बावजूद । क्या हुआ ? वो कमरे में नहीं है ! सब जगह ढूंढा वो कहीं नहीं है !
कहता हुआ तेजी से घर से बाहर निकल गया था रौशन ,पीछे से मिसेज गुप्ता की आवाज सुनी अनसुनी कर गया ,की उसे ढूंढ कर लाओ ,कहीं अपने घर चली गई तो समाज में बड़ी बेइज्जती होगी ।
उधर गाड़ी के तेजी से जाने की आवाज आई ।
अंधेरी रात में रौशन इधर उधर ताकता हुआ तेज रफ्तार से गाड़ी भगा रहा था ।
रौशन को अपने बैंक अकाउंट की ज्यादा ही फिक्र थी और उसकी मां को अपनी दिखावे भरी जिंदगी की । ” कि वो एक गरीब की लड़की को अपने घर की बहु बना सकती है !”
जिसके पीछे भी एक मकसद था अपने बेटे को अपने काबू में रखने की , बहु के जरिए ।
इस समय सब इरादे नाकाम होते दिख रहे थे ।
उधर , रेशमा जैसे तैसे घर के चौखट तक पहुंच चुकी थी । हालांकि उसके मन ने भी भयंकर तूफान उठे हुए थे ।क्या कहेगी ,क्यों छोड़ आई है ससुराल ?
लेकिन फिर हिम्मत जुटाया था कि जैसा आप सब शादी के पहले अंदाजा लगा रहे थे आखिकार वहीं सच था । ये बेमेल शादी थी ।रौशन मुझसे शादी करना ही नहीं चाहता था ।मिसेज गुप्ता ने जबरजस्ती करवाई है यह शादी और जो आज मैने अपने कानों से सुना वो सब भी बताऊंगी पापा को । ऐसा सोचते हुए जेब से चाबी निकाली रेशमा ने और दरवाजा खोल दिया धीरे से ।
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अंदर से उसके माता पिता की बातें करने की आवाजें आ रहीं थीं , बड़ी अच्छी किस्मत पाई है हमारी रेशमा ने ! हम चाह के भी इतना बड़ा और अच्छा घर नहीं दे सकते थे ,अपनी बेटी को!
उसके पिता के शब्द थे ये ।
वही तो मैं समझाने की कोशिश कर रही हूं , कि अब ठीक है चिंता न करें! शादी से पहले सबकुछ मुझे भी संदेह में डाल रखा था मगर आज जब उससे मिल कर आई हूं तो अब पुरसुकून हूं ।
मेरी बेटी वहां बहुत खुश है और फिर वो सब संभाल लेगी ।अभी अभी तो नए घर में गई है सारे नए लोग है वक्त लगता ही है एडजस्ट करने में ।फिर रेशमा पर मुझे पूरा यकीन है ।
तभी तो इतने बड़े घराने की महिला भी आ गई उसका हाथ मांगने ! कुछ तो सोचा ही होगा !
हां ,तुम ठीक कहती हो !
रेशमा ने उन दोनों की बातें सुनी तो ठिठक गई , माता पिता भी झांसे में आ गए । अब क्या करूंगी।
उसने अपने कदम बाहर खींच लिए और रोने लगी ।
तब तक रौशन की गाड़ी आती दिख गई । रौशन गाड़ी से जल्दी बाहर आया और रेशमा से वापस लौटने को मनाने लगा था । रेशमा वापस गाड़ी में बैठ चुकी थी पूरे रास्ते खुद को मकड़ी के जाले में उलझे हुए कीड़े के समान महसूस करती रही ।
दिमाग में कितने विचार बिजली की तरह कौंध रहे थे ।समझ चुकी थी कि दिखावे की जिंदगी की बलि चढ़ चुकी है और अगर उसने हिम्मत है तो इनको ही इनके दिखावे वाली जिंदगी से बाहर लाने की कोशिश करूंगी , वरना अपनी मां की बेटी नहीं !!
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एक नए ऐलान जंग का बीज बोया जा चुका था ।
दिखावे के शानो शौकत ,जिंदगी अब को दुरुस्त करना था । क्योंकि सामान्य जीवन में जिस सुकूनो शांति से वह रहती थी वो जिंदगी कही खो गई थी शादी के बाद ।
सोचते सोचते कब घर पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला । अपना बैग उतरा और सीधे अपने कमरे में चली गई । मिसेज गुप्ता पूछती रह गई थी ” बहु कहां चली गई थी , हम परेशान हो गए थे ।”
रेशमा उन सारी बातों को अनसुना ओर मिसेज गुप्ता को अनदेखा करती हुई कमरे में जा चुकी थी ।
अपने युद्धघोष के साथ ,सब बदलना है मुझे ।इस दिखावे की जिंदगी मेरा दम घूंट जायेगा । मां की सिखाई हर बात का पालन करूंगी कि घर बनाने वाली स्त्री ही होती है ।” यहां हर बात पर पाबंदी थी किसी रोबोटिक जिंदगी की तरह। खाना नहीं बनाना ,घूमने फिरने नहीं जाना ,हर वक्त अजीब से कपड़ों में बंधे रहना ,नौकर पर निर्भर रहना यहां तक कि हर काम के लिए नौकरों को आवाजें लगाना । वरना काम ही नहीं होंगे । इन सब बातों से रौशन भी तंग था तभी उसके मां के साथ नहीं बनती थी । मगर उसे बताना था कि रेशमा और रोशन के विचार मिलते थे यानि एक जैसे थे । जिसके लिए उनका साथ रहना जरूरी था । रौशन के भ्रम को तोड़ना भी था कि भले ही रेशमा उसकी मां की पसंद है मगर उनके विचारों से अलग है सीधी और सरल है ।।
आरती मिश्रा
वाराणसी