दिखावा करना पड़ गया भारी – गीता वाधवानी

चार सहेलियां, रोशनी, मुस्कान, नेहा और मेघा। चारों के स्वभाव में अंतर था लेकिन फिर भी वे पक्की दोस्त थी। आज सुबह नेहा और मेघा ने जैसे ही मोबाइल उठा कर चेक किया, तो देखा सोशल मीडिया पर रोशनी और मुस्कान चारों तरफ छाई हुई है। हर तरफ उनकी ही बात हो रही है। वे चर्चा का विषय बन गई है। हर कोई उनकी प्रशंसा कर रहा है। 

दरअसल रोशनी और मुस्कान ने थोड़े दिन पहले गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था और उनसे वे कोई फीस नहीं लेती थी बल्कि उन्हें अपनी तरफ से कुछ किताबें और कॉपियां भी लाकर दी थी। 

उन्होंने नेहा और मेघा को भी अपने साथ आने को कहा था, लेकिन उन दोनों ने कहा-“यह बेकार की भलाई और बोर काम तुम ही करो, तुम दोनों को ही मुबारक हो।” 

आज उनकी प्रसिद्धि देखकर दोनों को जलन हो रही थी। नेहा तुरंत मेघा के घर पहुंची। 

नेहा-“मेघा यार, देखा तूने रोशनी और मुस्कान तो छा गई। काश! हम भी उनके साथ होते तो हमारा भी नाम फेमस हो जाता।” 

मेघा-“अब पछताने से क्या होगा, हमें भी कुछ ऐसा करना चाहिए कि हमारा भी नाम हो जाए।” 

दोनों सोचने लगती है कि ऐसा क्या करें कि चारों तरफ छा जाएं। 

नेहा-“क्यों ना गरीबों को कपड़े दान करें।” 

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मेघा-“पागल है क्या, कितना खर्चा हो जाएगा समझ रही है तू और वैसे भी बड़ी मुश्किल से मैंने पापा से अपनी ड्रेस के लिए 10,000 मांगे हैं।” 

नेहा-“वह तो मुझे पता है और यह भी पता है कि ड्रेस असल में है कितने की और तूने अंकल जी से कितने पैसे मांगे हैं मतलब पूरे तीन हजार ज्यादा।” 

मेघा-“यार अब तू पोल मत खोल। बस आईडिया सोच।” 

नेहा-“अच्छा सुन, तू कल अपने छोटे भाई के पुराने कपड़े, पापा के या मम्मी के या कुछ पुराने चीथड़े, घर में जो कुछ भी फटा पुराना हो मेरे घर लेकर आ जाना फिर मैं तुझे बढ़िया सा आईडिया बताऊंगी।” 

मेघा सब पुराने कपड़े लेकर नेहा के घर दे आती है। रविवार के दिन मेघा और नेहा कैब बुक करा कर उसमें नई-नई चमकदार थैलियां कपड़ों से भरी हुई , गाड़ी में रखती है और एक गरीब बस्ती से कुछ दूरी पर रुक जाती है। वहां बस्ती के कुछ बच्चे खेल रहे थे। मेघा और नेहा उन्हें इशारे से अपने पास बुलाती है और एक थैली देते हुए कहती हैं-“यह लो तुम्हारे लिए कपड़े।” 

इतनी चमकीली रंग बिरंगी थैलियां देखकर बच्चे नए कपड़ों के सपनों में खो जाते हैं और वहां बच्चों की भीड़ लग जाती है। नेहा और मेघा एक एक थैली बच्चों को देते हुए सेल्फी लेती जाती हैं और साथ में पोस्ट भी कर देती है कि”आज हमने गरीब बच्चों को कपड़े बांटे” तुरंत ही सारी थैलियां समाप्त हो जाती है। 

तभी एक चौदह पंद्रह साल का लड़का 

भागता हुआ आता है और चिल्लाकर कहता है-“कोई भी इनसे थैली मत लो, यह दोनों दीदी झूठ बोल रही है, इन थैलियों में नए कपड़े नहीं है। किसी थैली में पुराने कपड़े हैं और किसी में चीथड़े।”  

इतनी जल्दी अपनी पोल खुलते देखकर दोनों लड़कियां वहां से भागने की कोशिश करने लगी। इत्तेफाक से वहां से एक रिपोर्टर की गाड़ी गुजर रही थी। उसने इतनी भीड़ देखकर ताजा समाचार के लालच में गाड़ी रोकी। तब उसे पूरी घटना का पता चला। उसने फटे कपड़ों के साथ बच्चों की तस्वीर ली और लड़कियों द्वारा ली हुई सेल्फी को दिखावा बताते हुए एक तस्वीर डाली”हमने कपड़े दान किए,( एक तीर का निशान डाला) सामने फटे हुए कपड़ों की फोटो डाली। 




दोनों सहेलियों की दिखावा करने के चक्कर में बहुत किरकिरी हो गई थी। उन्हें दिखावा करना बहुत भारी पड़ गया था। नाम तो उनका हुआ था लेकिन सिर्फ बदनाम। सब उन पर हंस रहे थे। 

#दिखावा 

स्वरचित अप्रकाशित 

गीता वाधवानी दिल्ली

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