Moral Stories in Hindi : “भाभी आजकल तो आप मेरा फोन भी नहीं उठाती पता है मैं अपने बेटे के कैरियर के लिए कितना परेशान हूं उसे अपना बिजनेस करने के लिए कुछ पैसों की जरूरत है और आप हैं कि आपके पास फोन उठाने की फुर्सत भी नहीं है”
वंदना जो कुछ देर पहले ही अपनी भाभी से मिलने अपने मायके आई थी चाय के साथ समोसे खाते हुए शिकायत भरे लहजे में अपनी भाभी आरती से बोली तो वंदना की बात सुनकर पिछली कुछ बातों को याद करके आरती के चेहरे पर व्यंग्य भारी मुस्कान आ गई थी दरअसल आरती अपनी नंनद वंदना से बहुत प्रेम करती थी और उसकी हर इच्छा का बहुत सम्मान करती थी
ससुराल में जब भी उसे किसी चीज की जरूरत होती और उसके पास पैसे नहीं होते तब वह तुरंत अपनी भाभी के पास फोन कर देती थी तब आरती अपने पति अरविंद से पैसे लेकर उसकी जरूरत पूरी कर देती थी अरविंद भी यह सोचकर अपनी बहन की मदद करने को हर समय तैयार रहते थे जब कभी उन्हें मदद की जरूरत होगी
उनकी बहन भी उनकी मदद करने से इनकार नहीं करेगी कुछ समय पहले ही उन्होंने अपनी बेटी पूनम का रिश्ता पक्का करके उसकी शादी की तारीख निश्चित कर दी थी बेटी की शादी धूमधाम से संपन्न करवाते इससे पहले ही उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था जिसके कारण बेटी की शादी के लिए जमा किए हुए काफी पैसे उनके इलाज में खर्च हो गए थे
जब उन्हें बेटी की शादी का आयोजन करने के लिए पैसों की जरूरत पड़ी तब आरती ने उन्हें वंदना से कुछ पैसे उधार लेने की सलाह ली क्योंकि कुछ दिन पहले जब उसके पति अरविंद अस्पताल में थे तब वंदना अपने पति विनोद के साथ उन्हें देखने आई थी तब विनोद ने आरती को अपने पति और बेटी की शादी के लिए दुखी देखकर दिलासा देते हुए कहा था” भाभी आप पूनम की शादी की चिंता मत करना यदि आपको शादी में पैसे की जरूरत हो तो बेझिझक मुझसे मांग लेना मैं आपकी हर संभव मदद करूंगा।”
आरती के कहने पर जब अरविंद ने पैसे मांगने के लिए अपने बहनोई विनोद के पास फोन किया तो कई बार फोन करने पर भी विनोद ने फोन नहीं उठाया काफी देर बाद वंदना ने फोन उठाया तो उसे कम सुनाई देने के कारण उन्होंने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया था.
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बहन से उसका हाल-चाल पूछने के बाद जब अरविंद ने उससे विनोद से बात कराने को कहा तो विनोद ने बगैर यह सोचे समझे कि उनकी बात अरविंद भी सुन लेंगे वंदना से कहा” तेरा भाई मुझे अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे देने के लिए कहेगा मैं नौकरी करके पैसे अपने बच्चों के लिए कमाता हूं.
किसी को दान देने के लिए नहीं अपने भाई से कह दे कि मैं घर पर नहीं हूं” पति की बात सुनकर वंदना ने उन्हें भाई की मदद करने के लिए समझाने की बजाय यह कहकर “इस वक्त वे घर पर नहीं है” फोन काट दिया था तब बहन बहनोई का ऐसा मतलबी रूप देखकर अरविंद बेहद दुखी हुए थे और उन्होंने अपने एक करीबी दोस्त से पैसे उधार लेकर पूनम का विवाह संपन्न किया था
अभी बेटी की शादी को कुछ ही दिन हुए थे कि वंदना को अपने बेटे उदित के लिए पैसों की जरूरत हुई जिसके लिए उसने कई बार अपनी भाभी के पास फोन किया परंतु, वंदना का अपने प्रति जरूरत के समय स्वार्थ भरा व्यवहार देखकर आरती का दिल बुरी तरह से टूट गया था इसलिए वह वंदना का फोन उठाती नहीं थी।
आरती की व्यंग्यपूर्ण मुस्कान देखकर वंदना कुछ गुस्से में बोली” भाभी आपने मेरी बात का जवाब नहीं दिया” तब आरती मुस्कुराते हुए बोली ” दीदी मदद करने का फर्ज सिर्फ भैया- भाभी का ही नहीं होता बहन -बहनोंई का भी होता है यदि मुझे पहले पता होता कि आप इतने मतलबी हैं कि हमारी हमेशा आपकी मदद करने के बाद भी आप हमारी मदद करने से इनकार कर देगी तो मैं आपकी मदद करने की बजाएं.
अपने बच्चों के लिए पैसा जमा करती परंतु, अब मुझे अकल आ गई है अब हमने भी अपने बच्चों के बारे में सोचना शुरू कर दिया है हम भी पैसा अपने बच्चों के लिए कमाते हैं किसी को दान करने के लिए नहीं दीदी यह सब हमने आपसे ही सीखा है” आरती की बात सुनकर वंदना शर्मिंदगी के कारण इधर-उधर देखने लगी थी करारा जवाब सुनने के कारण उसकी भाभी के सामने कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई थी जल्दी-जल्दी से नाश्ता करके बैग उठाकर वह वापस अपने घर जाने की तैयारी करने लगी थी।
आज भी हमारे समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो मतलब पडने पर पैसे मांगने चले जाते हैं परंतु, जब किसी अपने को पैसों की जरूरत होती है तो जरूरत के समय पर अपनों से किनारा करने लगते हैं ऐसे लोगों के कारण प्यार भरे रिश्तों से मधुरता खत्म हो जाती है और रिश्तो में कडवाहट भर जाती है क्योंकि एक बार ठोकर खाने के बाद इंसान संभल जाता है उसके बाद में हर कदम सोच समझ कर ही आगे बढ़ता है इसलिए रिस्तों को खुशनुमा बनाने के लिए बुरे वक्त पर मुंह ना मोडकर एक दूसरे की मदद करें तभी रिश्तो में मिठास बनी रहती है।
बीना शर्मा